Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 46
________________ श्री भक्तामर महामण्डल पुजा ( मंत्र | ॐ नमो भगवत्य गुणवत्यं महामानस्यै स्वाहा । (विधि) श्रद्धापूर्वक ७ करियों को २१ बार मंत्रित कर चारों पोर फेंकने से प्राधि-व्याधि शत्रु प्रादि का भय मिट जाता है और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ।।१४।। पूर्व-हे गुणाकर । जैसे किसी राजाधिराज के माषित व्यक्ति को जहां तहां पच्छानुसार घुमते रहते कोई रोक नहीं सकता उसी प्रकार मापके मालित कीति माविक गुणों को त्रिसोक में कोई नहीं रोक सकता मात्र प्रापके गुण लोकत्रय में व्याप्त हो रहे हैं ॥१४॥ ॐ ह्रीं भूतप्रेतादिभयनिवारणाय मलींमहावीजाक्षरसहिताय हृदयस्थिताय थोवृषभदेवाय अय॑म् ।।१४॥ Thy virtues, which are bright like the collection of digits of full-moon, bestride the three worlds. Who can resist them while moving at will, having taken sesort to that supreme Lord Who is ihe sole overlord of all the three worlds. 14. सम्मान-सौभाग्य-संधर्वक चित्रं किमत्र यदि ते त्रिदशाङ्गनाभि नीतं मनागपि मनो न विकारमार्गम् । कल्पान्त - काल - मरुता चलिताघलेन, कि मन्दरादिशिखरं चलितं कदाचित् ॥१५॥ अमरनारिकटाक्षशरासन-न चलितो वृषभः स्थिरमेरुवत्। शिवपुरे उषितं च जिन *तं, परियजे स्तवनश्च जलादिभिः ।। मद को छकी अमर ललनाएँ, प्रभु के मन में तनिक विकार । कर न सकी आश्चर्य कौन सा, रह जाती हैं मन को मार ।।

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