Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 45
________________ श्री भक्तामर महामण्डल पूजा पड़ती, परन्तु चन्द्रमा को प्रभा दिन में फीकी पड़ जाती है। तपा। चन्द्रमा कलङ्गी है, किन्तु प्रापका मुल कालकरहित है ॥१३॥ ॐ ह्रीं सक्षमीसुखविधामकाय पलीमहावीजाक्षरसहिताय हृदयस्थिताय श्रोवृषभदेवाय अय॑म् ॥१३॥ Where is Thy fuce which attracts the cycs of gods, men, and divine serpents, and wbich has thoroughly surpassed all the standards of comparison in all ibe three worlds. That spotted moon-disc which by the day time becomes pale and lustrelcss fike the white, dry leaf, stands to comparison ! 13. माधि-व्याधि नाशक सम्पूर्ण - मण्डल - शशाङ्क - कलाकलाप शुभ्रा गुणास्त्रिभुवनं तव लड़यन्ति । ये संश्रितास्त्रिजगदीश्वरनाथमेकं, कस्तानिवारयति संचरतो यथेष्टम् ॥१४॥ तव गुणान् हदि धारकमानवो, भ्रमति निर्भयतो भुवि देववत् ।। शशिसमै जलचन्दनमुख्यकैः, परियजामि नतो जिनपादुकाम् ।।१४|| तव गुण पूर्ण-शशात क्रान्तिमय, कला-कलापों से बढ़के । तीन लोक में व्याप रहे हैं, जो कि स्वच्छता में चढ़के ।। विचरें चाहे जहाँ कि जिनको, जगन्नाथ का एकाधार । कौन माई का जाया रखता, उन्हें रोकने का अधिकार ।।१४।। (ऋद्धि) ॐ ह्रीं बह एमो विउलमदीणं ।

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