Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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भी भक्तापट महामाल
(ऋद्धि) ॐ ह्रीं अहं रामो पणासमणारणं ।
(मंत्र) ॐ नमः श्री मरिणभद्रः, जम:. विजयः, अपराजितन, सदसौभाग्यं सर्वसौख्यं च कुरु २ स्वाहा ।
(विधि) श्रद्धासहित मंत्र को ४ दिन तक 2०८ बार जपने से मब अपने वशवी होते हैं और सुख सौभाग्य बढ़ता है ।।२१।।
प्रर्य---हे लोकोत्तम ! दूसरे देवों के देखने से तो पाप में संतोष होता है यह लाभ है, परन्तु अापके देखने से अन्य किसी देव की भोर चित्त नहीं जाता यह हानि है। भषवा हरिहरादिक देवों को देखना अच्छा है, क्योंकि ये रागी देषी हैं; उन के दर्शन से चित्त सन्तुष्ट नहीं होता तब आपके वशंन को लालायित होता है, क्योंकि आप बीतराग हैं। प्रापफे दर्शन से चित्त इतना सन्तृष्ट होता है कि मृत्यु के बाद भी वह किसी दूसरे पेव का वर्शन नहीं करना चाहता । वहाँ व्यजोक्ति अलङ्कार है ॥२१॥
ॐ ह्रीं सर्वदोषहरशुभदर्शनाम कलीमहावीजाक्षरराहितात्र
हुदस्थिताय श्रीवृषभदेवाय अयम् ।।२१।। Assuresily great I feel. is the sisht of Hari, Hara and other gods, but seeing them the heart finds satisfaction only in you. What happens on selg You on Earth. None else, cvep through all the future lives, shall be able to attract my mind. 21.
भूत पिशाचावि बाधा निरोषक स्त्रीणां शतानि शतशो जनयन्ति पुत्रान्,
नान्या सुतं त्वदुपमं जननी प्रसूता । सर्वा दिशो दधति भानि सहस्ररश्मि,
प्राग्येव विग्जनयति स्फुरदंशुजालम् ॥२२॥