Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 73
________________ श्री भक्तामर महामण्डल पूजा दि । ॐ हीं अर्ह णमो खेल्लासहिपत्ताणं । । नत्र ! ॐ नमो ह्री श्री कली , त्यो पद्यावत्यै देव्यै नमो नमः, म्बाहा। (विधि) श्रद्धासहित ऋद्धि-मंत्र कच्चे धागे से मंत्रित कर कमर में बांधने से असमय में गर्भ का पतन नहीं होता ।।३४|| अर्थ-हे भामण्डलाधिपते ! प्रापके भामडल की प्रभा यद्यपि कोटिसूर्य के समान तेजोयुक्त है तथापि सन्ताप करने वाली नहीं है। चन्द्र के समान सुन्दर होने पर भी कान्ति से रात्रि को जीतती है-- अर्थात् रात्रि का प्रभाव करती है। यह "भामालमातिहार्य" का वर्णन है॥३४॥ ॐ ह्रीं कोटिभास्करप्रभामंडितभामण्ड सप्रातिहार्याय क्लींमहा वीजाक्षरसहिताय श्रीवृषभजिनेन्द्राय अयम् ॥३४॥ ___Effulgence. surpasses lustre or all the luminaries in the world and though it (Thinc halo) is made up of the radiance of many suns rising simultancously, yet it outshines the night dacorated with the gentle lustre of the moon. 34. ति-भीति-निवारक स्वर्गापवर्ग • गममार्ग - विमार्गणेष्टः.. सद्धर्म-तत्व - कथनक - पटुस्त्रिलोक्याः । दिव्यध्वनि भवति ते विशदार्थसर्व-- भाषास्वभाव - परिणाम-गुणः प्रयोज्य ॥३५॥ दिव्यध्वनि र्योजनमात्रशब्दः, गम्भीरमेघोद्भव-गर्जनाकः । सर्वप्रभाषात्मक-धीरनादः, यः संस्तुतः देव ! तवास्य भूतः ।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107