Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्री भक्तामर महामण्डल पूजा
(विधि) थदासहित प्रतिदिन ऋद्धि-मंत्र को १०८ बार जपने से सन्तान. सम्पत्ति, सौभाग्य, बुद्धि और विनय की प्राप्ति होती है ॥२०॥
मर्थ हे सर्वज्ञ ! निज मौर पर का प्रकाशक तथा निर्मल जैसा मान पाप में सुशोभित होता है, सा जान ब्रह्मा, विष्णु, महेश प्रादि किसी अन्य वेव में नहीं होता। क्योंकि तेज को शोभा महामरिण में ही होतो है न कि काय के टुकड़े में ॥२॥ ॐ ह्रीं केवल जानप्रकाशितलोकालोकस्वरूपाप क्लींमहावीजाक्षरसहिताप
हृदयस्थिताय श्रीवृषभदेवाय अध्यंम् ।।२०।। Knowledge abiding in the Lords like Hari and Hara does not shine so brilliantly as it does in You, Esulgence, in a piece of glass, though filled with rays, the rays never attains that glory, which it does in sparkling geins. 20.
संबंसोल्य सौभाग्य साधक मन्ये वरं हरिहरादय एव दृष्टा,
दुष्टषु येषु हृदय त्वयि तोषमेति । कि पीक्षितेन भवता भुवि येन नान्यः,
कश्चिन्मनो हरति माय भवान्सरेऽपि ॥२१॥ तव शुभं वरदर्शनमजसा, हरति पापसमूहकमेव तत्। भवतु ते चरणाब्जयुगं प्रभो, स्थिरकरं मम चित्तशुःकरम् हरिहरादि देवों का ही मैं, मान उत्तम प्रवलोकन । क्योंकी उन्हें देखने भर से, तुझसे तोषित होता मन ।। है परन्तु क्या तुम्हें देखने, से हे स्वामिन ! मुझको लाभ । जन्म जन्म में भी न लुभा पाते कोई यह मम, अमिताभ ॥२१॥