Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 57
________________ श्री भक्तामर महामण्डल पूजा प्रेतबाधा निवारक त्वामामनन्ति मुनयः परमं पुमांस मादित्यवर्णममलं तमसः पुरस्तात् । त्वामेव सम्यगुपलभ्य जयन्ति मृत्यु, नान्यः शिवः शिवपदस्य मुनीन्द्र! पन्थाः ।।२३।। पदयुगस्य सुसंस्मरणत्रारः, शिवपदं लभतेऽति-सुखप्रदं । परियजे वर-पादयुगं मुदा, जिन । ददातु सुवाञ्छितमत्र में । तुम को परम पुरुष मुनि माने, बिमल वर्ण रवि तमहारी । तुम्हें प्राप्त कर मृत्यु जय के, बन जाते जन अधिकारी ।। तुम्हें छोड़कर अन्य न कोई, शिवपुर-पा बतलाता है । किन्तु विपर्यय मार्ग बता कर, भव-भव में भटकाता है ।।२३।। (ऋद्धि) ॐ हीं अहं णमो प्रासौविसारणं । (मंत्र ) ॐ नमो भगवती जपावती मम समीहितार्थ मोशसौख्यं च कुरु २ स्वाहा । (विधि) श्रद्धासहित ऋद्धि-मंत्र को १०८ बार जपकर अपने पारीर की रक्षा करे । पश्चात् इसी मंत्र से झाड़ने पर. प्रेतबाधा दूर होती है। अर्थ-हे योगीन्द्र ! मुनिजन प्रापको परमपुरुष, कर्ममलरहित होने से निर्मल, मोहान्धकार का नाशक होने से सूर्य के समान तेजस्वी पापको प्राप्ति से मत्यु होने के कारण मृत्युञ्जय तपा मापडे

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