Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 28
________________ RE श्रो भक्तामर महामण्डल पूजा ३३ -- - -.- . ... नारिङ्गाम्र-कपित्थ-पूग-कदली-द्राक्षादि-जातैः फलैः । चक्षुश्चित्तहरैः प्रमोदजनकः, पापापहै देहिनाम् ।। वर्णाद्यैः मधुरैः सुरेशतरुजैः, खजूरपिण्डस्तथा । देवाधीश-जिनेश-पाद-युगल, सम्पूजयामि क्रमात् ।। ___ॐ ह्रीं परमशान्तिविधायकाय हृदयस्थिताय श्रीवृषभजिनचरणाय फलम् । नीरश्चन्दन-तन्दुलैः सुसघनः, पुष्पैः प्रमोदास्पदैः । नयेः नवरत्नदीपनिकर, धूमैस्तथा धूपजः ।। अर्घ्य चारुफलश्च मुक्तिफलदं, कृत्वा जिनाहि. ब्र-द्वये । मसरमा श्रीमुभिसोसेनगणिना, मोक्षो ममा पार्थितः ।। ॐ ह्रीं परमशान्तिविधायकाय हुदपस्थिताय __ श्रीवृषभजिनाय अध्यम् । जिनेन्द्रपादाब्जयुगस्य भक्त्या, जिनेन्द्रमार्गस्य सुरक्षपाले । सम्यक्त्वयुक्त गुणरश्मिपूर्ण, गोवक्त्रयक्षं परिपूजयामि ।। ॐ ह्रीं श्रीवृषभदेवपादारविन्दसेवकगोदरपाय मागतविघ्ननिवारकाय पय॑म् । चक्रेश्वरी जैनपदारविन्द-सहानुरक्तां जिनशासनस्थां । विघ्नोपहन्त्री सुखधामकी, भक्त्या यजे तां सुखकार्य कीम् ॥ ॐ ह्रीं जिनमार्गरक्षाकयें दारिद्रयनिवारिकार्य चश्वयं अय॑म् ।

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