Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्री भक्तामर महामण्डल पूजा
गवदर्हत्सर्वज्ञपरमेष्ठिपरमपवित्राय नमोनमः । श्रीशान्तिभट्टारकपादपद्मप्रसादात् अस्माकं सद्धर्म-श्रीबलायुरारग्यैश्त्रयांभिवृद्धि रस्तु । स्वक्षिप्यपरशिष्यबई: प्रसीदन्तु नः ।
__ो श्रीवृषभादिबद्धमानुपर्यन्ताश्चतुर्विशत्यहन्तो भगवन्तः सर्वज्ञाः परममाङ्गल्यनामधेयाः इहामुत्र न सिद्धि सन्वन्नु । सद्धर्मकार्येषु इहामुत्र च सिद्धि प्रयच्छन्तु नः ।
मों नमोर्हते भगवते. श्रीमते श्रीमत्पावतीर्थकराय द्वादश गणारिताय. शक्ल ध्यानपवित्राय: सर्वज्ञाय, स्वयम्भुके, सिद्धाय, बुद्धाय, परमात्मने, परमसुखाय, त्रैलोक्यमहिताय, अनन्तसंसारचक्रप्रमर्दनाय, अनन्तज्ञानदर्शनवीर्यसुखास्पदाय, सिद्धाय, बुद्धाय, त्रैलोक्यवशङ्कराय, सत्यज्ञानाय, सत्यब्रह्मणे, ऋष्यार्थिकाश्रावकश्राविकाप्रमुख चतुस्सङ्घोपसर्गविनाशाय,घातिकर्मविनाशाय, अघातिकर्मविनाशाय, अपवादम् अस्माकं छिन्द छिन्द, भिन्द भिन्द । मृत्यु छिन्द छिन्द, भिन्द भिन्द । प्रतिकामं छिन्द छिन्द, भिन्द भिन्द। रतिकाम छिन्द छिन्द, भिन्द भिन्द । क्रोधं छिन्द छिन्द, भिन्द भिन्द । अग्नि छिन्द छिन्द, भिन्द भिन्द । सर्वशत्रु छिन्द छिन्द, भिन्द भिन्द । सर्वोपसर्ग छिन्द छिन्द, भिन्द २ । सर्वविघ्नं छिन्द छिन्द, भिन्द २ । सर्व भयं छिन्द छिन्द, भिन्द भिन्द । सर्वराजभयं छिन्द छिन्द, भिन्द भिन्द। सर्वचोरभयं
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