Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्री भक्तामर महामण्डल पूजा
मुक्तश्रीवनिता- करोदकमिद, पुण्याङ्क रोत्पादकम् । नागेन्द्र त्रिदशेन्द्र-चक्रपदवी-राज्याभिषेकोदकम् । सम्यग्झान--चरित्रदर्शनलता--संवृद्धिसम्पादकम् कोतिश्रीजयसाधकं तव जिन ! स्नानस्य मन्धोदकम् ॥१६॥
इति प्रदक्षिणां नमस्कारं च कृत्वा मिनपरणोदकं शिस धारयामि । म श्लोकों को पढ़कर श्रीजिनेश का परणोदक स्वयं लेकर दूसरों को भी देखें।
नत्वा मुह-निजकरैरमृतोपमेयः, स्वच्छ जिनेन्द्र ! सत्र चन्द्र-करावदातः । शुद्धाशुकेन विमलेन नितान्तरम्ये देहे स्थितान्जलकणान्परिमार्जयामि ||१८||
प्रों ह्रीं प्रमसाधुकेन जिनपिम्पमार्जनं करोमि । स्नानं विषाय-भवतोऽष्टसहस्रनाम्नामुच्चारणेन मनसो वचसो विशुद्धिम् । पादातुमिष्टिमिन ! तेऽष्टतयीं विधातुं, सिंहासने विधिवदत्र निवेशयामि ॥१६॥
इति सहस्रनामस्तोत्रं तदंध वा पठिया जिनबिम्ब सिंहासने स्थापयित्वा पूजनप्रतिशानाय पुष्पावलि क्षिपेत् ।
जलगन्धाक्षतैः पुष्पश्चरुदीपसुधूपकैः । फलैरधैं जिनमर्चे जन्मदुःखापहानये ॥२०॥
प्रों ह्रीं श्रीसिंहासन (पीठ) स्थितजिनायाभम् ।
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