Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 14
________________ थी भक्तामर महामण्डल पूजा ....... - --.. सकलकर्मक्षया श्रीवृषभाविचविशतितीपर-परमदेवान जलेन अभिषिञ्छ। यो हो श्रीवृषभादिनीरान्तान् बलेन स्नपयामि । नौर :-इस फ्लोफ और मन्त्र को एक अपमाला द्वारा १०८ वार. पढ़ते हुये क्रमशः १०८ क्सशों द्वारा जलाभिषेक करे । भर्यात् एक बार इलोक और मन्त्र पढ़कर १ कलश की धारा छोहे । इसी प्रकार १०८ बार किया जाये। पानीय चन्दनसदक्षतपुष्पपुजनैवेद्य-दीपक-सुधूप-फलवजेन । कर्माष्टकऋचनवीर-मनन्तशक्ति, संपूजयामि महसा महसां निधानम् ।।१३।। ओं ह्रीं अभिषेकाने वृषभादिवीरान्तेभ्योऽर्घम् । हेतोर्थपा निजयशोधवलीकृताशाः, सिद्धौषधाश्च भवदुःखमहागदानाम् । सद्भव्यहुजनित-पङ्कजवन्धकल्पा, यूयं जिनाः सततशान्तिकरा भवन्तु ।।१४।। इत्युक्त्वा शान्त्यर्थ पुष्पांजलि क्षिपेत् । नत्वा परीत्य निजनेत्रललाटयोश्च, व्याप्तं क्षणेन हरतादघसंचयं मे । शुद्धोदक जिनपते ! तव पादयोगाद्, भूयाद् भवातपहरं धृतमादरेण ॥१५॥

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