Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 16
________________ श्री भक्तामर महामण्डस पूजा कमे नेले जाते. गुरुजलसिका सफलते ममेदं मानुष्यं, कृतिजनगणादेयमभवत् । मदीयाद् भल्लाटा-इशुभवमुकर्माटनमभूत् सदेदृक् पुण्योघो, मम भवतु ते पूजनविधौ ॥२१॥ इतोष्टप्रापनां कृत्वा पुष्पजलि क्षिपेत् । सूचना-प्रतिमाजी को यथास्थान स्थापित करने के बाद यदि शान्तिमारा पाठ पढ़ना हो तो प्रतिमा जी के साथ लाये हुये विनायक यन पर आने का मन्त्र पढ़ते हुये झारी ले प्रखण्ड बारा देना चाहिये । श्री शान्तिवारा पाठ प्रों ह्रीं श्रीं क्ली ऐं अहं व में हं संत पंव व मं म हं हं सं सं तं तं पं पं झ झ झ्वी इवीं क्ष्वी क्ष्वी द्रां द्रां द्रीं द्रीं द्रावय नमोऽहते भगवते श्रीमते । ओह्रीं क्रौं प्रस्माकं पापं खण्ड खण्ड, हन हन, दह दह, पच पत्र, पाचय पाचय, अहन में श्वी श्वी हं सः भै वं ह्वः पः हः क्षां क्षीं झू झें क्षं क्षों क्षी क्ष क्षः, क्ष्वीं हां ह्रीं हू, ह ह्रीं ह्रीं ह्रः । द्रां द्रीं द्राव्य द्रानय नमोऽहते भगवते श्रीमते ठः ठः ।। अस्माकं श्रीरस्तु, वृद्धिरर तु, तुष्टि रस्तु, पुष्टिरस्तु शान्तिरस्तु, कांन्तिरस्तु, कल्याणमस्तु स्वाहा । एवम्अस्माकं कार्यसिद्धयर्थ, सर्वविघ्ननिवारणार्थ, श्रीमद्भ

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