Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
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साहित्य रसिक— मुनीश्रीगुणसुन्दरजी महाराज
आपका जन्म भी ओशवंश में हुआ आप १६ वर्ष की किशोर व्यय में स्थ० सं० में दीक्षित हुए बाद २२ वर्षों से संवेगपक्षीदीक्षाली आप में व्ययवच्च का बढ़िया गुण है । स्मरण शक्ति अच्छी होने से प्रत्येक ज्ञान शीघ्र कण्ठस्थ कर लेते हैं आपको कविता करने का भी शौक है आप की ही सहायता से गुरुवर्य ने इतने काम कर पाये हैं ।
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जन्म १६४६
स्था० दीक्षा १६६१
संवेगपक्षी दीक्षा १६८३
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