Book Title: Atmavallabh
Author(s): Jagatchandravijay, Nityanandvijay
Publisher: Atmavallabh Sanskruti Mandir

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Page 22
________________ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY INEW DELHI-110007 On the auspicious and inspiring occasion of the centenasy celebrations of the Deeksha of the Acharya Shree Vijay Vallabh Suriji Maharaj. I offer my respectful felicitations I wish the Snarak Mah success in its dedicated works inspired by the life and message of the great Acharya Shree Ji. पुज्या श्री ािभानु, ई-एल क्वीन्स म्यू 18-1-89 संदर्भ संख्या मी आत्म बलाम जैन स्मारव १६ निधि के महा मंत्री श्री प्रिय राज कुमार जैन श्री रत्नचंद जी जैन श्री कान्तिनान जी सप्रेम अभिनन्दन । डापका भावमय निमंत्रण और पत्र प्राप्त हुजा । -अत्यन्त ज्ञानन्द हुआ। the most important need in the Atomic Age 18 for its practice of Ahinsa in our actions. That is crucial to progress whatever may be the field of action. Without Ahinsa there can be no peace of mind, no happiness and in the end, not even man's Burvival. The Nidht it sums, to particularly fitted to make a significant contribution in that direction - The promotion of the practice of Aimee in our actions. I wish its devoted efforts every success. ..Kokan LOSkorHAR) to.S. KOTHARE) CHANCELLOR पू० महातरा साध्वी जी श्री मृगावती जी की प्रेरणा और श्रमसाध्य साधना प्रभाव से यह स्वप्न साकार हुशा और भारत की राजधानी में जन f के साहित्य तह संस्कृति का जीवन प्रतीक हा आ यह एक गौरवगाथा है। जामने और आपके टुम्ब सह सब धर्मबन्धु साथियों ने इस ऐतिहासिक सर्जन पटना में जो तन-मन-धन से जो भक्तिपूर्ण दान दिया है इसका मैने प्रत्यक्ष दर्शन किया है। केदारनाथ साहनी महामंत्री 1166189 दिनांक : 11-1-1989 यि श्री राज कुमार जी, सप्रेम नमस्कार। आप 4-1-1989 के पत्र से "विय वल्लभ स्मारक' काम में हो रही पुनीत की जानकारी प्राप्त कर बहुत प्रसन्नता हुई है। आप और आपके सहयोगो 10 वर्ष पूर्व देवे अपने सपने को साकार करने में सफल हो सके हकोई साधारण बात नहों। बिल पारम्भ से आने वाली कठिनाइयों का जित निष्ठा, धैर्य और परिश्रम से आप लोगों ने तामना किया है, यह आपकी सफलता की कुंजी है। राजधानी दिल्ली में महाराज आचार्य विजय यस्तम सूरीजी चले तपस्वी या राष्ट्रीय महापुल्या स्मारक होना ही चाहिए था। वह अद्वितीय हो ह भी अपितहीहै। स्मारक भारतीय वास्तुकला, धर्म, पुरातत्व और जीवन दर्शना अभुतप्रतीक है। निस्सन्देह ह सप्पुयात तफल होगा और स्मारक आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा कालोत बनेगा। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं, भवदीय, Thera / केदार नाथ साहनी 4607 पू० आचार्य श्री वलमसूरीश्वर जी एक युगद्रष्टा और युगसृष्टा थे उनकी विराट प्रतिमा और विशाल दृष्टि मेरे मन सदा संस्मरणीय है। उनकी स्मृति में आपने यह स्मारक सर्जा है वह उनके आदेशों को मूर्त करेगा यह मेरा विश्वास है । पंजाब के गुरूभक्तों ने अमित की बीपित्त का दर्शन जैन समाज का करवाया है। आज इसअवसर पर साध्वीश्रीजी मगावती जी देह में अपने बीच नहीं पर उनकी आत्म प्रभा आज प्रकाश वर्धा कर रही है। इस प्रतिष्ठा महोत्सव पर जरूर जाता पर पहले से ही मेरा एक कार्यक्रम अन्यत्र निधारित हुभा है पर मेरी प्रार्थना और रोष्टरxx गुमेच्छा आप साथ है। सबका विषय हो । चित्रभानु -चित्रमान 11, अशोक रोड, नई दिल्ली -11000111, Ashok Road, New Delhi-110 007 दूरभाष: 383340,300500 For Pre & Personal use only www.jainelibrary.org


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