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४२ / अस्तेय दर्शन
आज के भारतीय लोगों के जीवन में प्रामाणिकता और नीति का जो ह्रास हो गया है, उस देखकर किस विचारक को मार्मिक व्यथा न होगी ? देश के लिए यह बड़ा ही अशुभ लक्षण है। वर्तमान युग में इस देश के निवासियों का जितना नैतिक पतन हुआ है, संभवतः पहले कभी नहीं हुआ था ।
पर, इसका इलाज एक ही है। आर्य ऋषियों ने अस्तेय की भव्य भावना का जो उच्च आदर्श प्राचीन काल में जनता के समक्ष रक्खा था, उसको पुनर्जागृत किए बिना काम नहीं चलेगा । अस्तेय वृत्ति का विकास ही इस देश की संस्कृति और पवित्र परम्परा को कायम रख सकता है।
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अजमेर
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