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९६ / अस्तेय दर्शन
ये क्षण एवं प्रसंग स्थायी नहीं रहते। भारत में वह समय आएगा ही, जब राष्ट्रीय चेतना का शंखनाद गूँजेगा, व्यक्ति-व्यक्ति के भीतर राष्ट्र का गौरव जगेगा, राष्ट्रीय स्वाभिमान प्रदीप्त होगा । और, यह राष्ट्र जिस प्रकार अपने अतीत में गौरव गरिमा से मंडित रहा है, उसी प्रकार अपने भविष्य को भी गौरवोज्ज्वल बनाएगा। किन्तु यह तभी सम्भव है, जब आपके अन्तर में अखण्ड राष्ट्रीय चेतना जागृत होगी, कर्त्तव्य की हुंकार उठेगी, परस्पर सहयोग एवं सद्भाव की ज्योति प्रकाशमान होगी ।
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गंगाधर शास्त्री भवन आगरा कॉलेज मार्च, १९६८
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