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भागहार
भाग की आधुनिक विधि का वर्णन सबसे पहले श्रीधर की त्रिशतिका में मिलता है। यह विवरण निम्नवत् है
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'भाज्य और भाजक को तुल्य राशि से अपवर्तन करने के अनन्तर भाज्य को (एक-एक अंक करके) क्रम से विलोम विधि के अनुसार भाग देना चाहिये।"
वर्ग/वर्गमूल
वर्ग करने के सम्बन्ध में श्रीधर का कथन है 'दो समान संख्याओं का गुणनफल वर्ग है। 7 आगे लिखा है कि -
'अन्तिम अंक का वर्ग करके, अन्तिम अंक के दूने को शेष अंकों से गुणा करो। उन शेष अंकों को एक स्थान दाहिनी ओर हटाओ और पुनः वही क्रिया करो। वर्ग निकालने के लिये इस प्रकार शेष को एक एक स्थान हटा हटा कर उपर्युक्त क्रिया करना चाहिये ।'
वर्गमूल निकालने की विधि का विवरण इस प्रकार दिया है
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' (अन्तिम) विषमस्थान में ( बड़ी से बड़ी संख्या के) वर्ग को हटाओ (जो घट जाये)। उसके बाद वर्गमूल के दूने को एक स्थान ( दाहिनी ओर ) हटा कर (नीचे की पंक्ति में) रखो और उससे ( दी हुई संख्या के) शेष को भाग दो। प्राप्त लब्धि को भी नीचे की पंक्ति में रखो। उस (लब्धि) के वर्ग को ( दी हुई संख्या के शेष में) घटाओ और उसके बाद लब्धि को दूना कर दो। ( इस प्रकार से) प्राप्त ( द्विगुणित ) संख्या को पूर्ववत् एक स्थान (दाहिनी ओर ) हटाकर रखो और इससे ( दी हुई संख्या के) शेष को भाग दो। अन्त में द्विगुणित संख्या को आधा कर दो। यही इष्ट मूलगुण होगा। 8
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उदाहरण - 54756 का वर्गमूल निकालना।
पहले दी हुई संख्या को लिखते हैं और सम तथा विषम स्थानों पर क्रम से क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर रेखाओं द्वारा सूचित करते हैं - यथा
1-1-1 54756
अन्तिम विषम स्थान 5 में, बड़ी से बड़ी संख्या 4 घटायी जा सकती है। अतः 5 में से 4 घटाते हैं, शेष 1 मिलता है। अतः 5 को मिटा कर उसके स्थान पर 1 लिखते हैं। इसके बाद द्विगुणित वर्गमूल (2 x 2 = 4) को एक स्थान दाहिनी ओर संख्या के नीचे रखते हैं -
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1-1-1 14756
नीचे वाली संख्या 4 से ऊपर की संख्या 14 को भाग देते हैं; 3 लब्धि मिलती है और 2 शेष बचता है। 3 को 4 के दाहिनी ओर रखते हैं और 14 को मिटाकर उसके स्थान पर 2 रखते हैं, इस प्रकार पाटी पर निम्न संख्याएँ होती हैं।
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अर्हत् वचन, 14 (23), 2002
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