________________
टाटा इन्स्टीट्यूट, मुम्बई के डॉ. पद्मनाभन ने समय को Mach ( माक) सिद्धान्तानुसार सेवक की भांति कैद हुआ दर्शाया। चूंकि Timex Space Timex Place और स्थान बदला गया, Space में उसका अनुमान नहीं है अतः बदला कहलायेगा। ग्रीक में इसे ( वर्तमान को) हैरास कहा है जो घटनायें घटाता है और इसी आधार पर Newtonic View Point को gravity के साथ जाना गया (कदाचित यह धर्म, अधर्म द्रव्य के जैसा ही संकेत है) ।
बर्लिन के जर्मन विद्वान् डॉ. क्लाउज मॉरिस ने समय को शक्ति का संकेत बतलाया । उनके अनुसार ये शक्ति बदली जा सकती है और प्रभावी काल भी बढ़ाया / घटाया जा सकता है जहाँ तक भौतिकी और रसायन का प्रभाव है यह सहज संभव है प्राकृतिक घट रही घटनाओं में इस काल को बांधना संभव नहीं है। यथा गर्भ स्थित भ्रूण 280 दिन का गर्भकाल लेगा, इसे बढ़ाना / घटाना संभव नहीं है क्या समय को कम कराके हम संस्कृति को बदल सकते हैं ?
स्थान की भिन्नता से हमें समय 'बदलते प्रभाव से जोड़ता है। किन्तु इस समय को तो हमने सुविधानुसार घंटों, मिनटों, सेकंडों में तोड़ा है वो जो घड़ी है जिसके कांटों की स्थिति स्थान बदलकर हमें संकेत देती है कि कितना समय बीत गया। उसी मशीन घड़ी की जगह हम सूर्य घड़ी ले लें तो दिन, मौसम, अयन और वर्ष जाने जा सकते हैं। जल घड़ी लेने से हम जल के भराव और रिसाव से सेकंड, मिनिट और घंटे जान सकते हैं। ऐसी ही एक घड़ी जर्मनी में अभी विद्यमान है (बर्लिन में)। इसकी जगह रसोईघर
की रेत घड़ी भी हो सकती है जो पहले घर घर पाश्चात्य जगत में उपयोग की जाती रही। जो भी संकेत हों वे सब एक शक्ति का प्रतीक हैं अतः समय को शक्ति के रूप में जाना जा सकता है।
-
मदुरई के प्रो. एम. के. चन्द्रशेखरन ने पशुओं द्वारा ज्ञात काल गणना, उनकी नैसर्गिक प्रवृतियों पर आधारित दर्शायी। चूहों, कुत्ते के नवजात पिल्लों, गिलहरियों, चमगीदड़ों आदि की नैसर्गिक घड़ी अलग-अलग पूर्व निश्चित है। यह प्रत्येक पशु-पक्षी के उसी निश्चित समय पर उठने, जागने, पुकारने भूख लगने और हलचल के संकेत देती है। इसके अवलोकनार्थ प्रयोगशालाओं में उन्हें भिन्न भिन्न परिस्थितियों में रखकर (40 मीटर नीचे जमीन के अन्दर तलघर में जहाँ सूर्य की रोशनी और बाहरी जगत का कोलाहल नहीं, सन्नाटा है, 27° से. तापमान और 95% आर्द्रता में) देखने पर उनकी नैसर्गिक घड़ी (Chronologic Clock) में कोई अन्तर नहीं था मात्र चूहों में वह 23 घंटे 54 मिनट की रही।
रासायनिक क्रियाओं की घटनाओं में धातुओं, लवणों और स्टार्च + आयोडाइड क्रियात्मकता से रासायनिक घड़ी भी उसी प्रकार संचालित दिखी।
पौधों की श्वांस प्रक्रिया में धरती के उतने भीतर भी सूर्य का प्रभाव बाहरी समय से मेल नहीं खाता।
हेरीसन ओएन ने ब्रेड के बासीपन से उठती फफूंद, गंदे पानी में पनपते जीवाणुओं के Behavioral Expression को भी जैविक घड़ी (Biological Clock) माना व्यवहार रूप प्रत्येक जीव का समय के साथ अपना-अपना निजी संबंध और प्रतिक्रियाएँ हैं। ( ठीक इस प्रकार जैसे मानव की गर्भ अवस्थिति 9 मास, गाय की 9 मास, भैंस की 12 मास, कुत्ते की 3 मास)
डॉ. फ्रांसिस मेनेजेस ने दर्शाया कि घटनाओं को घटित कराने में सहयोगी इस
अर्हत् वचन, 14 (23). 2002
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
43
www.jainelibrary.org