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श्री पारसदासजी जैन को 'साहू श्री अशोक जैन स्मृति पुरस्कार'
नई दिल्ली। राष्ट्रसंत ज्य आकर्वश्री विद्यामन्दीबुनिराजमा
आचार्य श्री विद्यानन्दजी मुनिराज साहबी जोक और स्मृति पुरस्कार समर्पण-समारोह
के 78 वें जन्मोत्सव पर उन्हीं के पावन सान्निध्य में 22 अप्रैल 2002 को परेड मैदान के वैशाली मण्डप में आयोजित एक ऐतिहासिक एवं भव्य समारोह में देश के वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रमुख समाजसेवी श्री पारसदासजी जैन को उनकी अनन्य सामाजिक एवं साहित्यिक सेवाओं के लिये समाज के शीर्ष नेता साहू श्री अशोक कुमार जैन की पुण्य स्मृति में
दिगम्बर जैन समाज बड़ौत द्वारा आचार्यश्री विद्यानन्दजी महाराज के सान्निध्य में आयोजित भव्य समारोह में
स्थापित वर्ष 2002 का 'साहू वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी श्री पारसदास जैन को ‘साहू अशोक जैन स्मृति
श्री अशोक जैन स्मृति पुरस्कार' पुरस्कार' से सम्मानित करते हुए जस्टिस विजेन्द्र जैन।
प्रदान किया गया। पुरस्कार समिति के अध्यक्ष श्री सुखमालचन्द जैन ने उन्हें माल्यार्पण, साहू श्री रमेशचन्द जैन ने शाल, समारोह के अध्यक्ष दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति श्री विजेन्द्र जैन ने प्रशस्ति पत्र, श्रीफल एवं एक लाख रूपये की राशि प्रदान की। उन्हें स्वर्ण पदक पहनाकर 'श्रावक शिरोमणि' की उपाधि से भी अलंकृत किया गया। समारोह का विद्वत्तापूर्ण संचालन करते हुए डॉ. सुदीप जैन ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया।
आचार्यश्री ने अपने आशीर्वचन में कहा कि पारसदासजी ने साहू शांतिप्रसादजी, रमाजी, श्रेयांसप्रसादजी के साथ कार्य करते हुए जैन धर्म की प्रभावना में बहुत बड़ा योगदान दिया। अशोकजी इन्हें मित्र मानते थे। इन्होंने साहित्य, समाज और धर्म की महान सेवा की है। समाज इनकी सेवा भुला नहीं सकता। इनके पुत्र अनिल जैन भी नेपाल में जैन धर्म की भारी प्रभावना कर रहे हैं।
समारोह के मुख्य अतिथि केन्द्रीय सामाजिक न्यास एवं अधिकारिता मंत्री श्री सत्यनारायण जटिया ने कहा कि समाज में सद्कार्य करने वालों का सम्मान होना ही चाहिये। पारसदासजी की समाजसेवा सभी के लिये एक अनुकरणीय आदर्श है। लालबहादुर संस्कृत विद्यापीठ वि.वि. के उपकुलपति प्रो. वाचस्पति उपाध्याय ने कहा कि हम अशोकजी की तरह शोक रहित, मितभाषी, संकल्प के धनी पारसमणि बनें। आचार्यश्री ऐसे प्रकर्ष दीप हैं जो अपने सान्निध्य में आने वाले प्रत्येक प्राणी को ज्ञानवान बना देते हैं, इनकी छाया अमृत रूप ।।
भा.दि. जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी एवं परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष साहू रमेशचन्दजी ने पारसदासजी को निष्ठावान व सच्चरित्र समाजसेवी बताते हुए उनकी नि:स्वार्थ समाजसेवा की सराहना की। डॉ. हुकमचन्द जैन भारिल्ल ने उनकी समाज की एकता के लिये किये गये प्रयासों की सराहना की।
श्री पारसदासजी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्यश्री की दृष्टि व्यापक है, उन्हीं के आशीर्वाद से वे सेवा के कार्यों में आगे बढ़ सके हैं। साहू अशोकजी को समाज का गांधी बताते हुए उन्होंने कहा कि वे समन्वयवादी थे। हमेशा संगठन की बात करते थे। पारसदासजी ने श्रम और मानवता के प्रति अपनी अटूट आस्था को निरन्तर बनाये रखने का संकल्प व्यक्त करते हुए पुरस्कार राशि एक लाख रूपये समाजसेवी कार्यों में ही खर्च करने की घोषणा की।
अर्हत् वचन, 14 (2 - 3), 2002
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