Book Title: Arhat Vachan 2002 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 137
________________ डॉ. पाटील 'चामुण्डराय पुरस्कार' से सम्मानित कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ के कन्नड़ तथा जैन शास्त्र विषय के सेवानिवृत अध्यापक डॉ. पाटील को उनके समीक्षात्मक संशोध प्रबन्ध 'चामुण्डराय पुराण - एक अध्ययन' के लिये कन्नड़ साहित्य परिषद, बैंगलौर की ओर से प्रस्तुत वर्ष 2001-2002 का 'चामुण्डराय पुरस्कार' घोषित हुआ। शेडवाल (जि. बेलगांव) के डॉ. पाटील ने 'जैन संस्कृति तथा साहित्य', 'जैन संस्कृति तथा त्योहार', 'कर्नाटक और मराठी साहित्य', 'स्त्री','अतिथि' तथा मराठी लेखिकाओं की कथाओं का अनुवाद सहित लगभग 40 ग्रन्थों की रचना की है। 26 प्रतिभाएँ 'जैन रत्न' से सम्मानित भगवान महावीर 2600 वें जन्म जयंती समारोह की पूर्णता पर जैन समाज दिल्ली के सौजन्य से शाह ऑडिटोरियम, दिल्ली में 28.4.2002 को जैन रत्न अलंकरण समारोह आयोजित किया गया। पूज्य उपाध्याय मुनि श्री गुप्तिसागरजी महाराज के मंगल सान्निध्य, N.C.E.R.T. के अध्यक्ष प्रो. जे. एस. राजपूत के मुख्य आतिथ्य तथा लखनऊ टेक्निकल वि.वि. के उपकुलपति प्रो. दुर्गासिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न इस कार्यक्रम में देश के शीर्षस्थ जैन समाजसेवी सम्मिलित हुए। . मनोज जैन, दिल्ली विशाल जैन संस्कार शिविर सम्पन्न देशमदरसन श्रमण संस्कृति विद्या मा दिगम्बर जैन महि वर्द्धन ट्रस्ट, इन्दौर तथा दिगम्बर जैन महिला संगठन, इन्दौर के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 5 से 9 मई 2002 के मध्य गोम्मटगिरि पर विशाल जैन बाल संस्कार शिविर पूज्य उपाध्याय मुनि श्री निजानन्दसागरजी महाराज के मंगल सान्निध्य में आयोजित किया गया। इस अत्यन्त सफल शिविर में 300 बच्चे सम्मिलित हुए। कार्यक्रम के संयोजन में श्रीमती सुमन जैन, श्रीमती मीना विनायक्या, श्रीमती उषा पाटनी की प्रमुख भूमिका रही। वैद्य ज्ञानचन्दजी 'ज्ञानेन्द्र' का निधन ढाना के वयोवृद्ध कवि, साहित्यकार एवं समाजसेवी पंडित वैद्य ज्ञानचन्दजी जैन 'ज्ञानेन्द्र' का दुखद निधन हो गया। आप कई सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे। आपने कई वर्तमान ज्वलन्त समस्याओं से जुड़े सामाजिक और धार्मिक विषयों को कविताओं के माध्यम से जनसाधारण तक पहुँचाया। आपने देश के स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन में भी खुलकर भाग लिया। आपको अखिल भारतीय जैन स्वतंत्रता सेनानी समारोह में महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ से भी आप परोक्ष रूप में जुड़े रहे हैं। ज्ञानपीठ की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि। अर्हत् वचन, 14 (2 - 3), 2002 135 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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