Book Title: Arhat Vachan 2002 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 138
________________ - इन्दौर सम्मानित - सुप्रसिद्ध दि. जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी में 27 अप्रैल 2002 को सार्वजनिक मेले के अवसर पर विद्या वयोवृद्ध पं. नाथूरामजी डोंगरीय, इन्दौर को उनकी सद्य: लिखित एवं कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित कृति 'समीचीन सार्वधर्म सोपान' ग्रन्थ के उपलक्ष्य में श्री जैन विद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी द्वारा उनके संयोजक डॉ. कमलचन्द सोगानी तथा क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष एवं मान्य समस्त पदाधिकारियों द्वारा बड़ी प्रसन्नता एवं उत्साह के साथ तिलक लगाकर मोतियों का हार पहनाकर, शाल ओढ़ाकर प्रशस्ति पत्र के साथ रु.5,000/- समर्पण कर अभिनन्दन किया गया। - वयोवृद्ध विद्वान पं. नाथूरामजी डोंगरीय समारोह में परमपूज्य 108 मुनि श्री क्षमासागरजी महाराज का सान्निध्य प्राप्त था तथा जैन / अजैन हजारों की संख्या में जनता मौजूद थी यह पुरस्कार ब्र पूर्णचन्द रिद्धिलता लुहाड़िया के नाम से प्रायोजित था। पुरस्कार के संयोजक डॉ. कमलचन्द सोगानी ने पंडितजी का परिचय देते हुए ग्रन्थ की सार्वजनिक एवं सार्वभौगिक उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए उसे आधुनिक अनेक भ्रमों का निवारक प्रतिपादित किया तथा उसे एक निर्दोष युगीन श्रावकाचार घोषित किया तथा समाज में उसके प्रचार प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया। - जैन धर्म दर्शन एवं संस्कृति तथा अपभ्रंश पत्राचार प्रमाणपत्र (Certificate) पाठ्यक्रम 2003 में प्रवेश दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी द्वारा संचालित जैन विद्या संस्थान, भट्टारकजी की नसियाँ, सवाई रामसिंह रोड़, जयपुर - 4 तथा अपभ्रंस साहित्य अकादमी द्वारा निर्धारित उपर्युक्त पाठ्यक्रम भारत स्थित उन अध्ययनार्थियों के लिये होंगे जिन्होंने किसी भी विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की है। इसका माध्यम हिन्दी भाषा होगा। इसमें हिन्दी तथा प्रान्तीय भाषा विभागों के साथ-साथ अन्य सभी विभागों के अध्यापक, शोधार्थी, अध्ययनरत छात्र एवं संस्थानों में कार्यरत विद्वान सम्मिलित हो सकेंगे। नियमावली एवं आवेदन पत्र अकादमी कार्यालय, दिगम्बर जैन नसियाँ भट्टारकजी सवाई रामसिंह रोड़, जयपुर 4 से प्राप्त करें पाठ्यक्रम का सत्र 1 जनवरी 2003 से 31 दिसम्बर 2003 तक रहेगा। निर्धारित आवेदन पत्र जयपुर कार्यालय से मंगवाकर 30 अक्टूबर 2002 तक भेजें। 136 प्रवेश अनुमति मिलने पर पाठ्यक्रम का शुल्क रु. 150/- ड्राफ्ट द्वारा दिनांक 30.11.2002 तक भेजना होगा। ■ डॉ. कमलचन्द सोगानी, संयोजक अर्हत् वचन, 14 (23). 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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