Book Title: Arhat Vachan 2002 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 140
________________ 'मेरा महावीर कितना मेरा' प्रतियोगिता सम्पन्न डॉ. अनुपम जैन का सम्मान करते हुए बहनें भगवान महावीर 2601 वीं जन्म जयंती सप्ताह के अन्तर्गत दि. जैन महासमिति महिला प्रकोष्ठ इन्दौर संभाग द्वारा 'मेरा महावीर कितना मेरा' विचार प्रतियोगिता का आयोजन दिग. जैन मंदिर, पलासिया - इन्दौर में किया गया। श्रीमती कौशल्या जैन पतंगिया (जैन कालोनी) को प्रथम, श्रीमती ज्योति जैन (इन्द्रलोक कालोनी) को द्वितीय तथा सुभाष वेद (अग्रसेन नगर) ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। निर्णायक थे श्रीमती सुशीला सालगिया, श्रीमती संगीता मेहता एवं श्रीमती शकुन्तला बड़जा कार्यक्रम के को दिग. के रूप कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे निर्मल एण्ड कंपनी इन्टरप्राइजेस के डायरेक्टर श्री निर्मल जी जैन। अध्यक्षता की दिग. जैन महासमिति महिला प्रकोष्ठ मध्यांचल की अध्यक्षा श्रीमती पुष्पा कासलीवाल ने तथा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे अर्हत् वचन शोध पत्रिका के सम्पादक डॉ. अनुपम जैन, जिन्हें अभी-अभी कोलकाता में जैन राष्ट्र गौरव से सम्मानित किया गया है। इस अवसर पर संस्था की अध्यक्षा श्रीमती विजया पहाड़िया द्वारा शाल, श्रीफल से उनका स्वागत किया गया। श्रीमती शशि राँवका और मीना जैन ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती पुष्पा पांड्या व श्रीमती उर्मिला जैन ने किया तथा कार्यक्रम की संयोजिका थी श्रीमती आशा सोनी। आभार माना सहसचिव पुष्पा कटारिया ने। में जैन वर्णीजी की मूर्ति का अनावरण । ___7 दिसम्बर 2001 को श्री कुन्दकुन्द जैन महाविद्यालय, खतौली के परिसर में नवनिर्मित वर्णी - वाटिका में जैन जगत के गांधी नाम से विख्यात पूज्य गणेशप्रसादजी वर्णी की अष्ट धातु से निर्मित साढ़े तीन फुट ऊँची पद्मासनस्थ मूर्ति का अनावरण केन्द्रीय कपड़ा राज्यमंत्री श्री वी. धनंजयकुमार जैन द्वारा सराकोद्धारक उपाध्याय श्री ज्ञानसागरजी महाराज और मुनि श्री वैराग्यसागरजी महाराज के सान्निध्य में धूमधाम से सम्पन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता साहू श्री रमेशचन्द जैन ने की। पूज्य उपाध्याय ज्ञानसागरजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्णीजी का जीवन शिक्षा के क्षेत्र तक सीमित न रहकर करूणा, दया व वात्सल्य की अविरल धारा था। इस अवसर पर 'वर्णी स्मारिका' और डॉ. श्रीमती ज्योति जैन द्वारा लिखित 'वर्णीजी की राष्ट्रीयता' फोल्डर का विमोचन भी हुआ। 138 अर्हत् वचन, 14 (2-3), 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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