Book Title: Arhat Vachan 2002 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 143
________________ तीर्थस्थल आस्था और विश्वास से बनते हैं, इतिहास एवं भूगोल से नहीं श्री 108 सूर्यसागर दिगम्बर जैन नसिया, भिण्ड के प्रांगण में दिगम्बर जैन महासमिति, ग्वालियर - चम्बल संभाग के अन्तर्गत भिंड शहर की मेन इकाई, इकाई नं. 2 बंगला बाजार, महावीर गंज, भूता बाजार एवं महिला इकाई द्वारा 7 सितम्बर 2002 को आयोजित विचार गोष्ठी में डॉ. अनुपम जैन, इन्दौर द्वारा 'भगवान महावीर की जन्मस्थली कुण्डलपुर (नालन्दा) या वैशाली?' विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में समस्त इकाईयों के सदस्य एवं जैन समाज के उपस्थित प्रबुद्ध जनों के बीच अपने उद्बोधन में कहा कि दिगम्बर जैन आम्नाय के प्राचीनतम मान्य ग्रन्थों में भगवान महावीर की जन्मस्थली कुण्डलपुर को ही मान्यता प्रदान की गई है। दिगम्बर जैन ग्रन्थों - तिलोयपण्णत्ति, धवला, महाधवला, षट्खण्डागम आदि सभी ग्रन्थों में उक्त विषय पर विस्तार से वर्णन मिलता है। आपने अनेक ग्रन्थों के उदाहरण के साथ ही इस विवाद को पैदा किये जाने पर क्षोभ व्यक्त किया। ज्ञातव्य है कि डॉ. जैन होल्कर साईंस कालेज, इन्दौर में गणित के प्राध्यापक हैं एवं आपने जैन गणित से पीएच.डी. एवं एम.फिल. किया है। आप समाज के लिये पूर्ण रूप से समर्पित व्यक्तित्व हैं। आप तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ के महामंत्री हैं तथा दिगम्बर जैन महासमिति पत्रिका नई दिल्ली, अर्हत् वचन इन्दौर एवं दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र निर्देशिका के प्रधान सम्पादक के अलावा अन्य अनेक जैन पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक मंडल में हैं। आपने अपने उद्बोधन में जैन समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित किये जाने की आवश्यकता एवं भगवान महावीर की जन्मस्थली के विवाद के पटाक्षेप पर विशेष बल दिया। आपने कहा कि भगवान महावीर की जन्मस्थली के रूप में कुण्डलपुर (नालन्दा) को समस्त दिगम्बर जैन समाज हजारों वर्षों से मानता चला आ रहा है एवं अपनी श्रद्धा व्यक्त करने हेतु वहाँ की वन्दना करने जाता है। वैशाली को भगवान महावीर की जन्मस्थली के रूप में मान्यता प्रदान किये जाने के लिये कुछ जैन एवं जैनेतर विद्वान नवीन शोध के नाम पर प्रयास कर रहे हैं। तीर्थस्थल हमेशा श्रद्धा एवं विश्वास से ही बनते हैं। वह इतिहास एवं भूगोल के नाम पर नवीन शोध के आधार पर बदले नहीं जा सकते। आपने दिगम्बर जैन महासमिति के द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए प्रत्येक दिगम्बर जैन धर्मावलम्बी से इसके सदस्य बनने की अपील की। डॉ. वीरेन्द्र जैन द्वारा शहर की समस्त इकाईयों की ओर से एक प्रस्ताव भगवान महावीर की जन्मस्थली कुण्डलपुर के पक्ष में पारित कर भेजने का सुझाव दिया जिसे सभी उपस्थित महिला एवं पुरुषों ने स्वीकृति प्रदान की। संभाग एवं शहर की समस्त इकाईयों की ओर से डॉ. अनुपम जैन को अभिनन्दन पत्र सभा की अध्यक्षता कर रहे श्री प्रमोद जैन सर्राफ ने भेंट किया। डा. एस. के. जैन, संभागीय अध्यक्ष - दिग. जैन महासमिति अर्हत् वचन, 14 (2 -3), 2002 141 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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