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में लिंग, जाति एवं वर्ण के भेदभाव के बिना श्रावकों को समान स्थान दिया और विपरीत विचारधारा वालों को भी सहजता से विवेकानुसार आदर देने का उपदेश दिया।
केन्द्रीय गृहमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी ने इस बात पर बल दिया कि महावीर के संदेश की आज की हिंसक परिस्थितियों में अधिक आवश्यकता एवं सार्थकता है। उनके जैन दर्शन के गहन ज्ञान से श्रोतागण तब अभिभूत हो गये जन उन्होंने रत्नत्रय - सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान एवं सम्यक् चारित्र की विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने कहा कि रत्नत्रय में सम्यक् चारित्र सबसे महत्वपूर्ण है। दर्शन और ज्ञान को आचरण में उतारकर ही प्रत्येक व्यक्ति का जीवन सार्थक हो सकता है। श्री आडवाणी ने गुजरात का उल्लेख करते हुए कहा कि यही सही वक्त है जब भगवान महावीर के अहिंसावाद की सख्त जरूरत है।
केन्द्रीय वित्तमंत्री श्री यशवंत सिन्हा ने भारत की अर्थव्यवस्था में जैन समाज के महत्त्वपूर्ण योगदान की सराहना की और इस बात पर बल दिया कि इस समुदाय के योगदान को रेखांकित किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मैं जैन परिवार में तो नहीं जन्मा हूँ किन्तु मुझे गौरव है कि मेरा जन्म उस राज्य में हुआ जो भगवान महावीर की जन्म भूमि एवं कर्मभूमि है।
केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जगमोहन ने बताया कि उनके मंत्रालय ने देशभर में जैन मंदिरों, तीर्थों, स्थापत्य - स्मारकों एवं पुरा - स्थलों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये 81 कार्य - योजनाओं प्रारम्भ की गई हैं। की राशि आवंटित की गई है। इनके लिये 51 करोड़ रुपये की राशि आबंटित की गई है। इन सभी महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन की दृष्टि से एक प्रोजेक्ट के अन्तर्गत जोड़ा जायेगा और सड़क, पानी व बिजली की दृष्टि से उनका विकास होगा। उन्होंने रचनात्मक कार्यों पर बल देते हुए इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि हम प्रेरक जीवन सिद्धान्तों की बात तो करते हैं किन्तु कितने लोग हैं जो जीवन में उन्हें अपनाते हैं। श्री जगमोहन ने आश्वस्त किया कि महोत्सव वर्ष के शेष सभी कार्य पूरे होंगे और वित्तमंत्री श्री यशवंत सिन्हा की ओर देखते हुए कहा कि वित्तमंत्री शेष कार्यों के लिये इस वर्ष में पूरा बजट देंगे।
सांसद एवं विधिवेत्ता डॉ. लक्ष्मीमल सिंघवी ने कहा कि आज का दिन 'धन्यता और धन्यवाद' का दिवस है। प्रधानमंत्रीजी के प्रति हम कृतज्ञ हैं कि उन्होंने इस महोत्सव को अहिंसा वर्ष के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया और हम धन्य हैं कि भगवान महावीर का यह 2600 वाँ जन्म कल्याणक महोत्सव हम आजाद देश के रूप में मना रहे हैं। 2500 वें जन्म कल्याणक वर्ष के समय भारत पराधीन था, आज स्वाधीन है। महावीर एक सनातन विचार और दर्शन है जो हमारे जीवन मूल्यों को संस्कारित करता है। उन्होंने विश्व को 'मनुष्यता का संविधान' दिया। महावीर ने उस परम्परा से प्राणीमात्र को अनुप्राणित किया जो आध्यात्मिक जीवन - मूल्यों के रूप में प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव से प्रभावित थी।
इस ऐतिहासिक समारोह में प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने भारत सरकार द्वारा जारी 100 रूपये के स्मृति सिक्कों एवं 5 रूपये के प्रचलन सिक्कों का लोकार्पण किया। साथ ही प्रधानमंत्रीजी ने पंजाब सरकार के स्वर्ण एवं रजत मेडिलियन का भी लोकार्पण किया। इन पर भगवान महावीर का योगासन मुद्रा में चित्र है तथा दूसरी ओर जैन प्रतीक एवं मंगल कलश है। साथ में 'अहिंसा परमोधर्म:' और 'जियो और जीने दो' अंकित है।
पंजाब सरकार के स्वर्ण एवं रजत मेडिलियन की जानकारी निम्न प्रकार है - 10 ग्राम सोने के गोल्ड मेडेलियन की कीमत रू. 5800/- है। 50 ग्राम के चांदी के मेडिलियन की कीमत 700 रूपये है। बैंक ऑफ पंजाब तथा एच.डी.एफ.सी. बैंक की कुछ शाखाओं सहित पंजाब इम्पोरियम - 'फूलकारी' - सी-6, बाबा खड़कसिंह मार्ग, नई दिल्ली में इन मेडिलियन के लिये बुकिंग की व्यवस्था है।
अर्हत् वचन, 14 (2-3), 2002
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