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बासोकुण्ड में विद्वत् गोष्ठी सम्पन्न बासोकुण्ड, मुजफ्फरपुर स्थित प्राकृत जैन शास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान, वैशाली में भगवान महावीर के 2600 वें जन्म कल्याणक महोत्सव के समापन समारोह के अवसर पर 25-26 अप्रैल 2002 को विद्वत् गोष्ठी का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता भीमराव अम्बेडकर बिहार वि.वि., मुजफ्फरपुर के कुलपति प्रो. नीहारनन्दन सिंह ने की और दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन मुजफ्फरपुर के आयुक्त श्री जयराम लाल मीणा ने किया। संगोष्ठी का विषय था - 'आतंकवाद के शमन में तीर्थंकर महावीर के उपदेशों की प्रासंगिकता।
संगोष्ठी के प्रथम सत्र में प्रो. प्रमोदकुमार सिंह - मुजफ्फरपुर, प्रो. देवनारायण शर्मा -मुजफ्फरपुर, डॉ. कमलेशकुमार जैन - वाराणसी, डॉ. जैनमती जैन - आरा आदि विद्वानों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। आयुक्त महोदय ने विषय के महत्व को रेखांकित किया। संस्थान के निदेशक प्रो. लालचन्द जैन ने विषय प्रवर्तन करते हुए उक्त शीर्षक की सार्थकता एवं उद्देश्य को प्रतिपादित किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. नीहारनन्दन सिंह ने कहा कि भगवान महावीर के उपदेश आज भी अत्यन्त प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को बमों और हथियारों से नहीं मिटाया जा सकता, उसके लिये तो हमें महावीर के अहिंसक सिद्धान्तों को ही अपनाना होगा। सत्रान्त में संस्थान के नवीन ग्यारह ग्रन्थों का लोकार्पण किया गया। सत्र का संचालन संस्थान के निदेशक प्रो. लालचन्द जैन ने किया। मंगलाचरण डॉ. मंजूबाला एवं श्रीमती पद्मा जैन ने किया।
26 अप्रैल को डॉ. कमलेशकुमार जैन (वाराणसी) की अध्यक्षता में दूसरा सत्र प्रारंभ हुआ जिसमें संस्थान के निदेशक प्रो. लालचंद जैन, प्राध्यापक श्री शिवकुमार मिश्र, डॉ. मंजूबाला, डॉ. ऋषभचन्द्र जैन एवं श्री आनन्द भैरव शाही आदि विद्वानों ने उक्त संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किये। इस सत्र का संचालन डॉ. ऋषभचन्द्र जैन ने किया।
प्राकृत, जैन शास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान के एकादश ग्रन्थों का लोकार्पण
तीर्थकर महावीर के 2600 वें जन्म कल्याणक महोत्सव वर्ष के समापन समारोह के अवसर पर बासोकुण्ड में स्थित प्राकृत जैन शास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान वैशाली, शिक्षा विभाग, बिहार सरकार द्वारा प्रकाशित निम्नांकित एकादश ग्रंथों का भव्य लोकार्पण 25 अप्रैल 2002 को श्री जयरामलाल मीणा, आइ.ए.एस., आयुक्त तिरहुत प्रमण्डल, मुजफ्फरपुर एवं अध्यक्ष, कार्यकारिणी - प्रकाशन समिति, प्राकृत शोध संस्थान, वैशाली और प्रो. नीहारनन्दनसिंह, कुलपति - भीमराव अम्बेडकर बिहार वि.वि., मुजफ्फरपुर ने विद्वानों, जैन समाज के प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों और स्थानीय प्रबुद्ध विशाल जनसमूह की उपस्थिति में किया। 1. अद्वैतवाद, प्रो. (डॉ.) लालचन्द जैन 2. पंचास्तिकाय का तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन, डॉ. (श्रीमती) जैनमती जैन 3. नियमसार, सम्पादन, डॉ. ऋषभचन्द्र जैन 'फौजदार' 4. उपासकदशांगसूत्र, सम्पादन - अनुवाद, डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव 5. मृच्छकटिकम्, सम्पादन - अनुवाद, प्रो. रामकृष्ण पोद्दार 6. आर्हन्तिकी, डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव 7. लीलावई, सम्पादन - अनुवाद, प्रो. (डॉ.) लालचन्द जैन एवं डॉ, ऋषभचन्द्र जैन 'फौजदार' 8. कंसवहो, सम्पादन - अनुवाद, प्रो. (डॉ.) लालचन्द जैन एवं डॉ. (श्रीमती) जैनमती जैन 9. प्राकृत गद्य-पद्य-बंध, भाग-3, हिन्दी अनुवाद, प्रो. (डॉ.) लालचन्द जैन एवं डॉ. ऋषभचन्द्र
जैन 'फौजदार' 10. नयचक्र, सम्पादन - अनुवाद, प्रो. (डॉ.) लालचन्द जैन एवं डॉ. (श्रीमती) जैनमती जैन 11. तत्वसार, सम्पादन - अनुवाद, प्रो. (डॉ.) लालचन्द जैन एवं डॉ. (श्रीमती) जैनमती जैन
लोकार्पण कर्ताओं ने संस्थान के प्रकाशनों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। उक्त ग्रंथों के लेखकों को इस अवसर पर शाल, श्रीफल एवं माल्यार्पण द्वारा सम्मानित किया गया।
लालचन्द जैन, निदेशक
अर्हत् वचन, 14 (2-3), 2002
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