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(लेखक) ने चार अनुसंधान यात्राएँ की ।
1. राजस्थान प्रांत - 22 से 25 अप्रैल 2001 तक राजस्थान प्रांत की शोध यात्रा की
गई इसमें मुख्य रूप से जगत ( गींगला ) जिला उदयपुर की यात्रा जहाँ आचार्यश्री कनकनंदी जी महाराज संघ सहित विराजमान थे। उन्होंने 20 वर्ष पूर्व सिरिभूवलय पर अनुसंधान के प्रयत्न किए थे। उनसे उपयोगी मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
2. कर्नाटक प्रांत 7 से 23 जून 2001 तक कर्नाटक प्रान्त की 17 दिवसीय अनुसंधान यात्रा की गई। यह यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण थी। इसमें विंशाधिक मनीषियों से भेंट व चर्चा की गई। जिनमें श्रवणबेलगोला के भट्टारक स्वस्ति श्री चारुकीर्ति स्वामीजी, अरहंतगिरी के भट्टारक स्वस्ति श्री धवलकीर्ति जी, मूडबिद्री के भट्टारक स्वस्ति श्री चारूकीर्तिजी, कनकगिरी के भट्टारक श्री भुवनकीर्ति जी, प्रो. वी. एस. सण्णैया, डॉ. सुरेश कुमार, पं. श्री प्रभाकर आचार्य श्री वर्द्धमान उपाध्ये, पं. ऋषभकुमार शास्त्री श्रवणबेलगोला, डॉ. शुभचन्द्र, प्रो. एम.डी. वसंतराज मैसूर, पं. देवकुमार शास्त्री मूडबिद्री, ब्र. आदिसागरजी हज श्री वीरेन्द्र हेगड़े धर्मस्थल, श्री लक्ष्मी ताताचार्य मेलकोटले, डॉ. एच. एस. वेंकटेशमूर्ति, श्री वाय. के. जैन, श्री जिनेन्द्रकुमार, श्री ए. वाय. धर्मपाल, पं. देवकुमार शास्त्री, वैद्यश्री वासुदेव मूर्ति बैंगलौर प्रमुख थे। श्रवणबेलगोल, मूडबिद्री और कनकगिरि के प्राचीन ताड़पत्रीय जैन शास्त्र भंडारों का भी सर्वेक्षण किया। पं. यल्लप्पा शास्त्री के पुत्र श्री ए. वाय. धर्मपाल से हम बैंगलौर में मिले, उनके पास सिरि भूवलय की कुछ सामग्री है, किन्तु उन्होंने हमारा किसी भी तरह सहयोग करने से साफ इंकार कर दिया।
3. मध्यप्रदेश इन्दौर में संयोग प्राप्त आचार्यों, विद्वानों से प्राप्त मार्गदर्शन के अतिरिक्त 9 एवं 24 जून 2001 को सागर (म.प्र.) की यात्रा की गई। यहाँ आचार्य श्री देवनंदी जी महाराज संघ सहित विराजमान थे। इन्होंने 20 वर्ष पूर्व आचार्य कुंथूसागर जी महाराज के सान्निध्य में सिरिभूवलय को वाचन आदि का प्रयास किया था। श्री गौराबाई दिग. जैन मंदिर, कटरा बाजार, सागर में मेरा सिरिभूवलय पर 24 जून को एक व्याख्यान हुआ । 4. दिल्ली व राजस्थान प्रदेश 29 जुलाई से 4 अगस्त 2001 तक दिल्ली एवं जयपुर की शोधयात्रा की गई। दिल्ली में राष्ट्रीय अभिलेखागार का सर्वेक्षण किया। दिल्ली में आचार्य श्री शांतिसागरजी महाराज लाल मंदिर, आचार्य श्री विद्यानंद जी महाराज, डॉ. सुदीप
जैन कुंदकुंद भारती से मिले। यहाँ अपेक्षानुकूल मार्गदर्शन व सहयोग नहीं मिल सका । जयपुर में प्रमुख रूप से डॉ. जे. डी. जैन एवं श्री हेमन्त कुमार जैन से मिलें। इनके प्रोजेक्टर पर सिरिभूवलय पाण्डुलिपि की माइक्रोफिल्म देखी। जयपुर में डॉ. शीतलचंद्र जैन, डॉ. सनतकुमार जैन, पं. राजकुमार जैन, पं. राजकुमार शास्त्री, पं. अनूपचंद न्यायतीर्थ, डॉ. कमलचंद सोगानी, पं. प्रद्युम्न कुमार जैन आदि विद्वानों से भेंट की ।
संगोष्ठियाँ / व्याख्यान
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1. 24 जून 2001 को गौराबाई दिग जैन मंदिर, कटरा सागर में आचार्य श्री देवनन्दीजी महाराज के ससंघ सान्निध्य में सिरिभूवलय पर व्याख्यान दिया।
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2. 24-25 फरवरी 2002 को दि. जैन महिला संगठन, इन्दौर, अ.भा.दि. जैन महिला संगठन, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर एवं तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ आदि के तत्वावधान में आयोजित विद्वत् संगोष्ठी में सिरिभूवलय पर शोध आलेख वाचन किया ।
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अर्हत् वचन, 14 (23), 2002
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