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पूज्य माताजी द्वारा विरचित वांगमय निम्नवत् है
• भाषा टीकाएं:
1. सिद्धान्तचक्रवर्ती नेमिचन्द्राचार्य विरचित त्रिलोकसार टीका।
2. भट्टारक सकलकीर्ति विरचित सिद्धान्तसारदीपक टीका।
3. यतिवृषभाचार्य विरचित तिलोयपण्णत्ती हिन्दी टीका (तीन खण्डों में)
4. क्षपणासार
5. अमितगति निसंगयोगिराज विरचित योगसार प्राभृत (प्रश्नोत्तरी टीका) 6. मरणकण्डिका ( प्रश्नोत्तरी टीका )
• मौलिक रचनाएं
1. श्रुतनिकुंज के किंचित् प्रसून
4. आनन्द की पद्धति अहिंसा
• प्रश्नोत्तर लेखन :
1. धर्मप्रवेशिका प्रश्नोत्तर माला 4. इष्टोपदेश
• संकलन - सम्पादन :
1. वत्युविज्जा (खण्ड 1 2. वत्थुविज्जा (खण्ड 2 3. श्रमणचर्या
4. समाधिदीपक
5. दीपावली पूजन विधि
6. श्रावक सुमन संचय
7. स्तोत्र संग्रह
8. श्रावक सोपान
9. आर्यिका आर्यिका है
112
2. गुरु गौरव
5. निर्माल्य ग्रहण पाप है
10. संस्कार ज्योति
11. पाक्षिक श्रावक प्रतिक्रमण सामायिक विधि
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2. धर्मोद्योत प्रश्नोत्तर माला 3. छहढाला 5. स्वरूपसम्बोधनपंचविंश
गृहशिल्प) मंदिरशिल्प )
3. श्रावक सोपान और बारह भावना 6. केवती विधान
12 वृहद् सामायिक पाठ एवं व्रती श्रावक प्रतिक्रमण 13. आचार्य शान्तिसागरजी महाराज का संक्षिप्त जीवनवृत्त 14. रात्रिक / दैवसिक प्रतिक्रमण (अन्वयार्थ सहित ) 15. पाक्षिकादि प्रतिक्रमण
करणानुयोग के बहुप्रतिष्ठित ग्रन्थ 'त्रिलोक सार की हिन्दी टीका के 1974 में प्रकाशन के साथ ही जैन गणित के क्षेत्र में एक अभाव की पूर्ति हुई। इसके उपरान्त आपने करणानुयोग के ही अति प्राचीन ग्रन्थ, आचार्य यतिवृषभ कृत 'तिलोयपण्णत्ति' के सम्पादन के काम को हस्तगत किया । 1981 में उदयपुर जाने के उपरान्त पूर्व प्रकाशित तिलोयपण्णत्ति ग्रन्थ की टीका का कार्य हाथ में लिया। वास्तव में माताजी की भावना तिलोयपण्णत्ति के गणितीय भाग के विवेचन की ही थी। उन्होंने स्वयं लिखा है 'पूर्व सम्पादकद्वय एवं हिन्दी कर्ता विद्वानों के श्रम के फल को सुरक्षित रखने के लिये ग्रन्थ का मात्र गणित भाग स्पष्ट करना है, अन्य किसी विषय को स्पर्श करना नहीं है।' पूज्य माताजी के इसी निर्णय के कारण आपकी टीका गणितज्ञों के लिये विशेष महत्व की बन गई। मुझे यह लिखते हुए प्रसन्नता एवं गौरव की अनुभूति हो रही है कि प्रो. लक्ष्मीचन्द्र जैन (जबलपुर) के साथ भुझे भी तिलोयपण्णत्ति टीका के सम्पादन की प्रक्रिया में उदयपुर में इसके गणितीय भाग को देखने का अवसर प्राप्त हुआ।
16. वास्तुविज्ञान परिचय
17. नित्यनियमपूजा
18. शान्तिधर्म प्रदीप
19. नारी बनो सदाचारी
20. महावीरकीर्ति स्मृति ग्रन्थ एक अनुशीलन 21. ऐसे थे चारित्र चक्रवर्ती
22. चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शान्तिसागर चरित्र
माताजी की उपरोक्त टीका में पूर्व टीका से अतिरिक्त 115 गाथायें 90 चित्र 95 तालिकायें सम्मिलित हैं। इस टीका के माध्यम से अनेक गणितीय गुत्थियाँ सुलझी हैं।
पूज्य माताजी के प्रति हम सभी जैन गणित के अध्येताओं की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।
* गणित विभाग - होल्कर स्वशासी विज्ञान महाविद्यालय, इन्दौर - 452017
अर्हत् वचन, 14 (23), 2002
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