Book Title: Arhat Vachan 2002 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 56
________________ 1992 7. गुप्ता, राधाचरण 1987 'जिनभद्रगणि के एक गणितीय सूत्र का रहस्थ', आस्था एवं चिंतन, दिल्ली, खण्ड जैन प्राच्य विद्यायें, पृ. 60-62 1988 'T का जेन मान एवं विदेशों में उसका प्रचार', अर्हत् वचन (इन्दौर), 1(1), पृ. 15-18. 1988 "जम्बदीप के क्षेत्रों एवं पर्वतों के क्षेत्रफलों की गणना', तिलोयपण्णत्ती, भाग - 3, कोटा, पृ. 46-49. 'चीन एवं जापान में 7 के जैन मान /10 की लोकप्रियता', अर्हत् वचन (इन्दौर), 4(1), पृ. 1-5. 1994 'मयूर कितने थे?', अर्हत् वचन (इन्दौर), 6(1), जनवरी, पृ. 31-40. 2002 'जैन गणित पर आधारित नारायण पंडित के कुछ सूत्र', अर्हत् वचन (इन्दौर), 14(1), पृ. 61-70. 2002 'जैन गणित के प्रथम विदेशी प्रचारक - डेविड यूजीन स्मिय', अर्हत् वचन (इन्दौर), 14(2-3), पृ. 99 - 100. जाधव, दिपक 1996 'गोम्मटसार (जीवकांड) में संचय का विकास एवं विस्तार', अर्हत् वचन (इन्दौर), 8(4), पृ. 45-52 1997 'नेमिचन्द्राचार्य कृत संचय के विकास का युक्तियुक्तकरण' अर्हत् वचन (इन्दौर), 9(3), पृ. 19 - 34 1998 'नेमिचन्द्राचार्य कृत ग्रन्थों में अक्षर संख्याओं के अनुप्रयोग' अर्हत् वचन (इन्दौर), 10(2), पृ. 47-59 1999 'आचार्य नेमिचन्द्र और उनकी टीकायें, तुलसीप्रज्ञा (लाडनूं), 108, पृ. 42 - 50 1999 'गोम्मटसार का नामकरण', अर्हत वचन (इन्दौर), 11(4), पृ. 19-24 जाधव, दिपक एवं जैन, अनुपम 1998 'गोम्मटसार जीवकांड में काल एवं उसका मापन, अर्हत् वचन (इन्दौर), 10(3), पृ. 47-54 10. जैन, अनुपम 1980 'गणित के विकास में जैनाचार्यों का योगदान', एम.फिल. प्रोजेक्ट रिपोर्ट, मेरठ वि.वि., मेरठ, पृ. 256. 1981 'महावीराचार्य व्यक्तित्व एवं कृतित्व', जैन संदेश - शोधांक (मथुरा), 47, पृ. 258 - 260 1981 'षट्त्रिंशिका या ट्विंशतिका', जैन सिद्धान्त भास्कर (आरा), 34 (2), पृ. 31 - 40 1982 'कतिपय अज्ञात जैन गणित ग्रंथ', गणित भारती (दिल्ली), 4(1-2), पृ. 61-71 1982 'जैन गणित के अध्ययन की आवश्यकता एवं उपयोगिता', सेठ सुनहरीलाल जैन अभिनंदन ग्रंथ (आगरा), पृ. 356 - 361 1986 'कन्नड़ जैन साहित्य एवं गणित (संशोधित)', डा. लालबहादुर अभिनन्दन ग्रंथ (टीकमगढ़), पृ. 453-457 99 54 अर्हत् वचन, 14 (2-3), 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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