Book Title: Arhat Vachan 2002 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 59
________________ भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली, पृ. 1397-1436 1981 'विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में जैन सिद्धान्त', पं. बाबूलाल जैन जमादार अभिनन्दन ग्रन्थ, हस्तिनापुर, पृ. 165 - 169 1982 'सिद्धान्तचक्रवर्ती नेमिचन्द्राचार्य का गणितीय उपकम', भगवान बाहुबली प्रतिष्ठापना सहस्राब्दि महोत्सव महाभिषेक स्मारिका, नई दिल्ली, पृ. 209-212. 1984 'तिलोयपण्णत्ती एवं उसका गणित', अन्तर्गत तिलोयपण्णत्ती, अनुवादक - आर्यिका विशुद्धमति, भाग-1, पृ. 49-68, भाग-2, पृ. 26 - 35, कोटा. 1985 'आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती की खगोल विद्या एवं गणित सम्बन्धी मान्यताएँ, Proceedings of International Seminar on Jaina Mathematics and Cosmology, P. 101-116. 1986 'गणितानुयोग प्रस्तावना', अन्तर्गत गणितानुयोग, सं. मुनि कन्हैयालाल 'कमल' एवं दलसुख मालवणिया, अहमदाबाद, पृ. 9-76. 1988 'कन्दकन्दाचार्य का समय निर्धारण गणितीय परम्परा के आधार पर', महावीर जयन्ती स्मारिका, जयपुर, पृ. 33 -40. 1988 'आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती की खगोलविद्या एवं जैन गणित सम्बन्धी मान्यताएँ - आधुनिक सन्दर्भ में, अर्हत् वचन (इन्दौर), 1(1), पृ. 75 - 90. 1988 'गिरिनगर की चन्द्रगुफा में हीनाक्षरी एवं धनाक्षरी का रहस्य', अर्हत् वचन (इन्दौर), 1(2), पृ. 11-16. 1988 'दशमलव प्रणाली एवं आचार्य कुन्दकुन्द', महावीर जयन्ती स्मारिका, जयपुर, अंक 12(2), पृ. 87 - 92. 1990 'ब्राह्मी लिपि का आविष्कार एवं आचार्य भद्रबाहु मुनि संघ, अर्हत् वचन (इन्दौर), 2(2), पृ. 17- 26. 1991 'मुल नंदिसंघ आचार्य श्री कुन्दकुन्द का समय निर्धारण (गणित परम्परा से), अर्हत् वचन (इन्दौर), 3(3), पृ. 33-41. 1992 'आचार्य श्री कुन्दकन्द कालीन दक्षिण भारतीय दिगम्बर जैन गणित एवं ज्योतिष', I.J.H.S. (नई दिल्ली), 11(4), पृ. 173 - 180. 1994 'श्री वीरसेनाचार्य आधुनिक (गणितीय) न्याय के सन्दर्भ में, जैन विद्या (जयपुर), 14- 15, पृ. 33 - 42. 1997 'तिलोयपण्णत्ती के चतुर्थाधिकार का गणित', भाग-2, Introductory, पृ. 26-35. 1997 'तिलोयपण्णत्ती के पांचवें और सातवें महाधिकार का गणित', भाग-3, Introductory, पृ. 34-45. 18. जैन, लक्ष्मीचन्द्र और जैन, अनुपम 1989 'क्या आचार्य कुन्दकुन्द दसारे पति के आविष्कारक थे?', अर्हत् वचन (इन्दौर), 1(3), मार्च, पृ. 7- 15. 19. जैन, लक्ष्मीचन्द्र और जैन, चक्रेशकुमार 1982 'जैनाचार्यों द्वारा कर्म-सिद्धान्त के गणित का विकास', सहलेखक - चक्रेशकुमार जैन, आचार्य धर्मसागर अभिवन्दन ग्रन्थ, कलकत्ता, पृ. 663-672. 1990 'जम्बूद्वीप परिप्रेक्ष्य', अर्हत् वचन (इन्दौर), 2(2), पृ. 55 - 62 अर्हत् वचन, 14 (2 - 3), 2002 57 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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