Book Title: Arhat Vachan 2002 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 101
________________ टिप्पणी - 1 अर्हत् वचन । कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर) जैन गणित के प्रथम विदेशी प्रचारक डॉ. डेविड यूजीन स्मिथ (1860 - 1944) - डॉ. राधाचरण गुप्त* अन्तर्राष्ट्रीय History of Science Society (स्थापित 1924) के संस्थापक डॉ. डेविड यूजीन स्मिथ (David Eugene Smith) जीवन पर्यन्त जिस क्षेत्र में कार्यरत रहे वह था गणित का इतिहास जिसको वह पूर्णतया समर्पित थे। देश की सीमाओं को लांघ कर उन्होंने विश्व - गणित के इतिहास का अध्ययन, प्रचार तथा प्रकाशन किया। इस विषय से संबंधित बहुमूल्य सामग्री का संग्रह करके तन-मन-धन से उस शास्त्र की सेवा की। लेखक, सम्पादक, संग्रहकर्ता तथा प्रबन्धक होने के साथ वह एक सफल प्राध्यापक भी थे। सन् 1860 ई. में जन्में डी.ई. स्मिथ ने Syracuse विश्वविद्यालय से Ph.B., Ph.M., Ph.D. तथा L.L.D. की उपाधियाँ क्रमश: सन् 1881, 1884, 1887 तथा 1905 में प्राप्त की। बाद में उन्हें Sc. D. उपाधि से सम्मानित किया गया। सन् 1891 से 1898 तक वे Michigan State Normal School, Ypsilanti में गणित के प्राध्यापक रहे। बाद में कोलम्बिया (Columbia) विश्वविद्यालय के Teacher's College में गणित के प्राध्यापक बने। गणित के इतिहास संबंधी पुस्तकें, हस्तलिखित पोथियाँ, यन्त्र व पदक इत्यादि को प्राप्त करने के लिये उन्होंने विश्व भ्रमण किया। वह भारत भी आये थे जहाँ उन्होंने गणित सार संग्रह के सम्पादन में कार्यरत प्रा. एम. रंगाचार्य से भेंट की थी। बाद में डॉ. स्मिथ ने ग्रन्थ के लिये अंग्रेजी में भूमिका (Introduction) भी लिखी जिसे प्रा. रंगाचार्य ने 'गणित सार संग्रह' (अंग्रेजी अनुवाद सहित संपादित) में, सभी विद्वानों की ओर से धन्यवाद देते हुए छापी थी (Madras, 1912)। वास्तव में रंगाचार्य ने गणित - इतिहास के विशेषज्ञ स्मिथ का सहयोग प्राप्त करने में बड़ी सूझबूझ और दूरदर्शिता से काम लिया। फलस्वरूप आधुनिक भाषानुवाद सहित प्रकाश में आये 'गणित सार संग्रह के ऐतिहासिक महत्व की ओर विश्व का ध्यान आने लगा। डॉ. स्मिथ ने 4th International Congress of Mathematicians, Rome, 1908 में गणित सार संग्रह पर अपना एक शोध लेख पढ़ा जो कि बाद में Bibliotheca Mathematica पत्रिका में छपा और I.C.M. की Proceedings में भी (1909)। दो-तीन वर्ष बाद स्मिथ द्वारा प्राचीन भारतीय गणितज्ञों पर लिखे गये लेख जब Cyclopedia of Education में प्रकाशित हए तो उनमें आर्यभट, ब्रह्मगुप्त तथा भास्कर - II के साथ 'गणित सार संग्रह' के रचयिता महावीराचार्य पर भी स्वतंत्र लेख था। मद्रास से छपे 'गणित सार संग्रह' ग्रन्थ की समीक्षा (Review) भी स्मिथ ने की जो अमरीका गणितीय सोसायटी की बुलेटिन (1913) में छपी। स्मिथ के लेखों तथा समीक्षाओं का सिलसिला चलता रहा। सन् 1923 में डॉ. स्मिथ ने एक आन्दोलन चलाया जिसके फलस्वरूप अगले वर्ष के प्रारंभ में ही History of Science Society की स्थापना हो गई। वैज्ञानिक युग के लिये यह संस्था अपने ढंग की विश्व में निराली थी। सन् 1931 में डॉ. स्मिथ ने अपने जीवन के चालीस वर्षों में किया गया पुस्तकों, पोथियों तथा अन्य सामग्रियों का विशाल तथा अनूठा संग्रह कोलम्बिया विश्वविद्यालय को भेंट कर दिया। वह संग्रह D.E. Smith Library अर्हत् वचन, 14 (2-3), 2002 99 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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