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समझ में आता है कि समय हमारे नियंत्रण से परे बीत रहा है। वह स्वनियंत्रित है। उसे हम चाहकर भी तेज अथवा धीमे बीतने को बाध्य नहीं कर सकते हैं। वर्तना से ही उसकी मात्रा निर्धारित होती है। वह चाहे पैमाना सूर्य आधारित हो, चाहे चन्द्र आधारित (दैनिक, पाक्षिक), चाहे मौसम आधारित हो चाहे अयन आधारित (वर्ष), चाहे तारे, नक्षत्रों पर आधारित हो चाहे पशु-पक्षियों, वृक्षों की प्रतिक्रियाओं से। चाहे शिशु के गर्भ स्थिति के काल से हो अथवा महिलाओं के शारीरिक बदलाव से (मासिक)। चाहे निद्रा के काल से अथवा समुद्र के ज्वार - भाटे से।
ऐसी ही अन्य नैसर्गिक जीव घड़ी (Biological Clock) के माध्यम की विशेषताएँ डॉ. चन्द्रशेखरन ने बतलाई।
मेक्सप्लांक से डॉर्टपुट, जर्मनी के डॉ. स्टीफेन म्यूलर ने समय की वर्तना को भौतिकी संदर्भो से लेते हुए जैविकी संदर्भो से जोड़ दिया। उन्होंने डॉ. रूडोल्फ फ्रीडरिख द्वारा भौतिकी में 'क्षेत्रीय' तथा 'काल दौरान' व्यवस्थाओं से जानने का जो सिद्धान्त बतलाया है, वह पूरा गणितीय है। इस सन्दर्भ में इन्होंने न्यूटन का सिद्धान्त, क्वान्टम मेकेनिज्म, आइंस्टीन का सूत्र, द्रवों के बहाव का नियम, काइनेटिक सूत्र सभी को जीवन से जोड़ते हुए समय की नैमित्तिकी बतलाई। अलग-अलग वस्तुओं के अलग - अलग Decay Time और Shelf life होते हैं। अर्थात् समय का सब पर समान प्रभाव नहीं है, शरीर से तत्वों के (विकारों के) निष्कासन का अलग-अलग समय है।
वे बनाने के लिये भी अलग-अलग समय उपयोग होता है। अर्थात् समय प्रत्येक घटना के लिये स्वयं को अपने आप स्वतंत्र रखकर संयोजित करता है। परन्तु समय का घटनाओं से हर प्रक्रिया में एक अनुपातिक संबंध है जिसे ग्राफ पेपर पर खींचकर तीनों दिशाओं में अनुमान लगाया जा सकता है। काल के अलग-अलग पैमाने भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जीवों पर प्रयोग करते समय हमें भिन्न-भिन्न कई प्रभाव भिन्न-भिन्न गति से दिखते स्पष्ट होते हैं और दिमाग के EEG सिग्नल्स और हृदय तथा मसल्स के अलग-अलग गति संकेत मिलते हैं।
डार्टपुट, जर्मन विद्वान डॉ. फ्रीदरिख ने
घटनाओं के समकालीन प्रभावी कारणों पर ध्यान चित्र। - डॉ. फोदारण के अनुसार system परकाल प्रभाग
दिलाते हुए किसी भी System के (x, y, z, space) variables बतलाये हैं। काल एक अलग Variable है। जब मात्र (x, y, z) Variable हों तब वे ठहरा हुआ Space विषय बनाते हैं। जब (x, y, 2 (0) तो वे एक नित्य बदलता हुआ Dynamic System विषय बनाते हैं। नित्य बदलता हुआ System
निम्न चार प्रकार का संभव है (देखें चित्र) AAAAA
रासायनिक प्रभावों में काल का प्रभाव इस प्रकार बदलता हुआ नहीं, भिन्न होता है। उदाहरणार्थ ग्लायमोलिसिस में (मसल्स से शर्करा बनाते समय) वह तीन प्रकार का दिखता है। एन्जाइम की उपस्थिति में यह (1) उत्तेजनशील (Excitable), (2) उत्तेजित (Excited) तथा (3) सुप्त समय खींचता (Refractory).
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अर्हत् वचन, 14(2-3), 2002
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