Book Title: Arhat Vachan 2002 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 39
________________ मरणकाल और अद्धाकाल|23 जिसके द्वारा वर्ष आदि का ज्ञान होता है उसे प्रमाणकाल कहा जाता है, यह अद्धाकाल का ही दिवस आदिलक्षण वाला भेद है।" जिस प्रकार से आयुष्य का बंधन हुआ है उस रूप में अवस्थिति को यथायुनिवृत्तिकाल कहा जाता है। यह नारक आद आयुष्य लक्षण वाला है। आयुष्यकर्म के अनुभव से विशिष्ट यह अद्धाकाल ही है। यह सारे संसारी जीवों के होता है।25 मृत्यु भी काल की पर्याय है उसे मरणकाल कहा गया है।28 सूर्य, चन्द्र आदि की गति से सम्बन्ध रखने वाला अद्धाकाल कहलाता है। काल का प्रधान रूप अद्धा - काल ही है। शेष तीनों इसी के विशिष्ट रूप हैं। अद्धाकाल व्यावहारिक है। वह मनुष्यलोक में ही होता है। इसलिए मनुष्य लोक को समय क्षेत्र कहा जाता है। अढाई द्वीप में ही मनुष्य निवास करते हैं। उसको ही समयक्षेत्र कहा गया है।28 निश्चय - काल जीव - अजीव का पर्याय है, वह लोक- अलोक व्यापी है। उसके विभाग नहीं होते। काल का अंतिम भेद समय है। परमाणु मंदगति से एक आकाश प्रदेश से दूसरे प्रदेश में जाता है उतने काल को समय (क्षण) कहा जाता है। समय अत्यन्त सूक्ष्म है। आगमों में कमलपत्रभेदन, जुलाहे द्वारा जीर्ण वस्त्र का फाड़ना आदि उदाहरणों से उसे समझाया गया है।30 निश्चय एवं व्यवहार काल निश्चय और व्यवहार के भेद से काल दो प्रकार का परिगणित है। निश्चय काल का लक्षण वर्तना है। उत्तराध्ययन में काल का यही लक्षण निर्दिष्ट है।1 आचार्य अकलंक ने स्वसत्तानुभूति को वर्तना कहा है।2 वर्तना सभी पदार्थों में सर्वत्र होती है अत: निश्चय काल सबमें एवं सर्वत्र विद्यमान है। तत्वार्थसूत्र में काल के पांच लक्षण बतलाए गए हैं - वर्तना, परिणाम, क्रिया, परत्व और अपरत्व। इनमें वर्तना और परिणाम का सम्बन्ध नैश्चयिक काल से तथा क्रिया, परत्व और अपरत्व का सम्बन्ध व्यावहारिक काल से है। अकलंक के अनुसार मनुष्य क्षेत्रवर्ती समय, आवलिका आदि व्यावहारिक काल के द्वारा ही सभी जीवों की कर्मस्थिति, भव-स्थिति और काय-स्थिति का परिच्छेद होता है। संख्येय, असंख्येय और अनन्त इस काल गणना का आधार भी व्यावहारिक काल है।" आधुनिक विज्ञान भी काल को स्वतंत्र द्रव्य नहीं मान रहा है। उसके अनुसार काल Subjective है। Stephen Hawking के शब्दों में आधुनिक विज्ञान सम्मत काल की अवधारणा को हम समझ सकते हैं Our views of nature ' of timte have changed over the years. Up to the beginning of this century people belived in an absolute time. That is, each event could be labeled by a number called "time" in a unique way, and all good clocks would agree on the time interval between two events. However, the discovery that the speed of light appeared the same to every observer, no matter how he was moving, led to the theory of relativity - and in that one had to abandon the idea that there was a unique absolute time. Instead, each observer would have his own measure of time as recorded by a clock that he carried : clocks carried by different observes would not necessarily agree. Thus time beacame a more personal concept, relative concept, relative to the observer who measured it. ___ काल के स्वरूप के सम्बन्ध में विभिन्न मतभेद हो सकते हैं किन्तु व्यावहारिक अर्हत् वचन, 14(2-3), 2002 37 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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