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(इस विधि में 2 ऊपरी अंश तथा 3 ऊपरी हर है। इसी प्रकार 4 नीचे वाला अंश तथा 5 नीचे वाला हर है।) अब विधि के अनुसार, ऊपर वाले अंश को नीचे वाले हर से गुणा करने पर तथा नीचे वाले हर को ऊपर वाले हर से गुणा करने पर, हमें निम्न संख्याएँ प्राप्त होती हैं -
2x5
3
अर्थात्
5x3
अर्थात्
बीच की संख्याओं के गुणनफल को ऊपरी अंश से जोड़ने पर - __10 + 12 22 - 22
या
15 बीच की संख्याओं को मिटा देते हैं जिनकी अब कोई आवश्यकता नहीं है।
अ स च । 2. प्रभाग जाति
का-का- का --------- प्रकार
22
अर्थात्
15
15
२. प्रभाग जाति - ( का ४ का च का --------- प्रकार)
श्रीधर के अनुसार - 'अंशों को अंशों से तथा हरों को हरों से गुणा करते हैं।'
उदाहरण -
का
च
अ स च
अन्य ग्रन्थकारों ने प्रभाग जाति के भिन्नों को हल करने का नियम भिन्नों के गुणन के नियम जैसा बताया है।
3. भागानुबन्ध जाति
__- (अ + * ----) (+ +4 का )
+
+
- स
- + - का फ फस
प्रथम प्रकार की जाति के लिये श्रीधर ने कहा है - 'पूर्णांक को भिन्न के हर से गुणा कर भिन्न के अंश में जोड़ दो।' और दूसरी प्रकार की जाति के लिये उन्होंने कहा - 'ऊपर के छेद को नीचे के छेद से; गुणा करो और ऊपर के अंश को अपने अंश से युत (नीचे के) छेद से गुणा करो।' 4. भागापवाह जाति
भागापवाह जाति के भिन्नों को सरल करने का नियम भागानुबन्ध जाति के नियम के अर्हत्वचन, 14 (2 - 3),2002
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