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वर्ष ५० किरण-२
अनेकान्त वीर सपा मदिर, २५ दरियागजा, नई दिला.
वी.नि.सं. २५१ वि.सं. २०५४
अप्रैल-जून
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ऐसा मोही क्यों न अधोगति जावै?
ऐसा मोही क्यों न अधोगति जावै। जाको जिनवाणी न सुहावै।।
वीतराग सो देव छोड़कर, देव-कुदेव मनावै। कल्पलता दयालुता तजि, हिंसा इन्द्रायन बावे।। ऐसा० ।।
रूच न गुरु निम्रन्थ भेष बहु, परिग्रही गुरु भावै। पर-धन पर-तिय को अभिलाष, अशन अशोधित खावै।। ऐसा०।।
पर को विभव देख दुख होई, पर दुख देख लहावै। धर्म हेतु इक दाम न खरचे, उपवन लक्ष बहावै ।। ऐसा०।।
ज्यों गृह में संचे बहु अंध, त्यों बन हू में उपजावै। अम्बर त्याग कहाय दिगम्बर, बाघम्बर तन छावै।। ऐसा०।।
आरंभ तज शठ मंत्र जंत्र करि, जन पै पूज्य कहावै। धाम वाम तजि दासी राखै, बाहर मढ़ी बनावै।। ऐसा०।।