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अनेकान्त वर्ष ५० | वीर सेवा मंदिर, २९ दरियागंज, नई दिल्ली-२ किरण ३ वी नि स २५२३ वि स २०५४
जुलाई-सितम्बर
१९९७
अब हम अमर भए न मरेंगे
तन कारन मिथ्यात दिये तजि, क्यो करि देह धरैगे। अब हम अमर भए, न मरेगे।।
उपजै मरै काल तै प्राणी, तातै काल हरैगे। राग दोष जगबध करत है, इनको नास करैगे।। अब हम अमर भए, न मरेगे।।
देह विनासी मै अविनासी, भेद ग्यान करेंगे। नासी जासी हम थिर वासी, चोखे हो निखरैगे।। अब हम अमर भए, न मरेगे ।।
मरे अनतबार बिन समझै, अब सब दु ख विसरैगे। द्यानत निपट निकट दो अक्षर बिन सुमरै सुमरैगे ।। अब हम अमर भए न मरैगे।
कवि द्यानतराय जी