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अनेकान्त / ३५
प्रभावपूर्ण है। केशविन्यास मनोहारी है, गले में मुक्तामाला एव उरोज तक फैली हारावली, हाथों में केयूर व वलय तथा कटि में मेखला आदि आभूषण धारण किए हुए है।
शासनदेवी अम्बिका की दूसरी प्रतिमा के हाथ एव कमर से नीचे का भाग भग्न है । मस्तक के ऊपर आम्रवृक्ष का आलेखन है। देवी आकर्षक केश, चक्र कुण्डल, मुक्तामाला धारण किये है।
गोमेद - अम्बिका
संग्रहालय में तेईसवे तीर्थंकर नेमिनाथ की ही शासन यज्ञ यज्ञी गोमेद और अम्बिका की दो प्रतिमाएं संरक्षित हैं। प्रथम मूर्ति मे सिर विहीन गोमेद - अम्बिका ललितासन में बैठी हुई हैं। दोनो के सिर भग्न हैं। गोमेद का दायां हाथ भग्न है। बाए हाथ मे आम्रलुम्बि लिए है, दाएं हाथ से अपने कनिष्ठ पुत्र प्रियकर को समहाले हुए है। पादपीठ में ६ लघु प्रतिमाए ललितासन में बैठी हुई है। गोमेदहार, यज्ञोपवीत, केयूर, वलय एव मेखला धारण किए है। अम्बिका भी मुक्कामाला, केयूर, वलय मेखला एव नूपुर पहने हुए है।
दूसरी प्रतिमा में भी गोमेद और अम्बिका ललितासन में बैठे हुए है। दोनो के हाथ भग्न है। सिर पर नागफण मौलि है। मध्य से निकलते आम्रवृक्ष की दोनो पर छाया है। दोनों पारम्परिक आभूषणों से अलकृत हैं। दोनो तरफ जिन प्रतिमा अकित है। पादपीठ पर साथ लघु प्रतिमाए ललितासन मे बैठी हुई है।
जिन - प्रतिमा वितान, पादपीठ एवं सिर
किसी तीर्थकर प्रतिमा का पादपीठ का दाया पैर का भाग प्राप्त है जिसके नीचे उत्कीर्ण प्रतिमा का स्थापना लेख का कुछ अंश सुरक्षित है, जिसका वाचन इस प्रकार है।
संवत १२३४ जनसह