Book Title: Anekant 1997 Book 50 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 155
________________ अनेकान्त/३६ जिन प्रतिमा वितान से सम्बन्धित शिल्पखण्ड पर एवं खण्डित अवस्था में दुन्दभिकों का अंकन है। अलंकरण सामान्य है। सग्रहालय मे पाच जिन प्रतिमाओ के सिर सुरक्षित है। प्रथम कुन्तलित केश व कर्णचाप से युक्त किसी विशाल जिन-प्रतिमा का सिर है, मध्य मे केश उठे हुये हैं। दूसरे जिन-प्रतिमा के सिर पर कुन्तलित केशराशि एव कर्णचापो का आलेखन है। तीसरी जिन-प्रतिमा के सिर पर भी आकर्षक कुन्तलित केश एव लम्बे कर्णचापो का अलकरण है। मुखमुद्रा सौम्य है। चौथी जिन-प्रतिमा के सिर की दाहिने ओर का कर्णचाप सुरक्षित है, बाई ओर का भग्न है। सिर पर कुन्तलित केश का आलेखन सुरक्षित है। पाचवी जिन प्रतिमा के सिर पर कुन्तलित केशराशि, कर्णचाप तथा सिर के पीछे आकर्षक प्रभावली का आलेखन है। केन्द्रीय पुरातत्व संग्रहालय, गूजरी महल, ग्वालियर (म०प्र०)

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