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अनेकान्त / १८
एक ही पदार्थ मे बिना किसी विरोध के प्रमाण व नय के वाक्य से सत् आदि की कल्पना करना सो सप्तभगी कही गई है।
१. स्यात् अस्ति - कथंचित् या किसी अपेक्षा से द्रव्य है अर्थात् अपने ही द्रव्य, क्षेत्र, काल भावरूप चतुष्टय की अपेक्षा से है ।
२. स्यात् नास्ति - कथचित् या किसी अपेक्षा से द्रव्य नहीं है। अर्थात् पर द्रव्य क्षेत्र, काल, भाव रूप पर चतुष्टय की अपेक्षा से द्रव्य नही है ।
३. स्यात् अस्ति - नास्ति - कथंचित् द्रव्य है व नही दोनों रूप है। अर्थात् स्वचतुष्टय की अपेक्षा से है पर चतुष्टय की अपेक्षा नही है ।
४. स्यात् अवक्तव्य - कथचित् द्रव्य वचनगोचर नहीं है अर्थात् एक समय मे यह नही कहा जा सकता कि द्रव्य स्वचतुष्टय की अपेक्षा है व पर चतुष्टय की अपेक्षा नही है, क्योकि कहा है-क्रम प्रवृत्तिर्भारती अर्थात् वाण क्रम-क्रम से ही बोली जा सकती है।
५. स्यात् अस्ति - अवक्तव्य - कथचित् द्रव्य है और अवक्तव्य दोनो रूप है अर्थात् स्वद्रव्यादि चतुष्टय की अपेक्षा से है परन्तु एक साथ स्वपरद्रव्यादि चतुष्टय की अपेक्षा अवक्तव्य है।
६. स्यात् नास्ति - अवक्तव्य - कथचित् द्रव्य नही है और अवक्तव्य दोनो रूप है। (अर्थात् परद्रव्यादि चतुष्टय की अपेक्षा नही है परन्तु एक साथ स्वपरद्रव्यादि चतुष्टय की अपेक्षा अवक्तव्य है ।
७. स्यात् अस्ति नास्ति अवक्तव्य - किसी अपेक्षा से है व नहीं तथा अवक्तव्य तीनो रूप है अर्थात् क्रम से स्वचतुष्टय की अपेक्षा है, पर चतुष्टय की अपेक्षा नही है, परन्तु एक साथ स्वपर चतुष्टय की अपेक्षा अवक्तव्य है।
क्या द्रव्य है? क्या द्रव्य नही है? क्या द्रव्य दोनों रूप है? क्या द्रव्य अवक्तव्य है? क्या द्रव्य अस्ति वक्तव्य है? क्या द्रव्य नास्ति और अवक्तव्य है ? क्या द्रव्य अस्ति नास्ति और अवक्तव्य तीन रूप है? इन प्रश्नो के किए जाने पर सात प्रकार से ही समाधान उत्तर में किया जाता है । यह प्रमाण सप्तभगी का स्वरूप कहा ।