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वीर सेवा मन्दिर का त्रैमासिक
अनेकान्त (पत्र-प्रवर्तक : आचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर)
वर्ष-५० किरण-३
जुलाई-सितम्बर ९७
। १. अब हम अमर भये न मरेंगे
-कवि द्यानतराय २. मुनित्व विहीन मुनि ३. ग्रन्थान्तरों में नियमसार की गाथाएं ___-डॉ. ऋषभचन्द्र जैन
४. सोनगढ़ साहित्य : समयसार का अर्थ विपर्यय ____ -पं० नाथूलाल शास्त्री
५. पूजा और मंत्र । -न्यायमूर्ति एम.एल. जैन
६. ज्ञानार्णव में ध्यान का स्वरूप H -डॉ. संगीता सिंघल
७. सुप्रीम कोर्ट ने श्वेताम्बरों की शिखरजी सम्बन्धी याचिका । खारिज की
आवरण २ । ८. परम दिगम्बर गोम्मटेश्वर-एक परिचय आवरण ३
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