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अनेकान्त/22
इसी प्रकार मेजर जनरल जे.जी.आर. फरलॉग ने लिखा है कि अक्सियाना, कैस्पिया, वल्ख और समरकन्द नगर जैन धर्म के आरंभिक केन्द्र थे 16
ऋषभदेव ने बहली (बैक्ट्रिया, बलख), अंडवइलला (अटक प्रदेश), यवन (यूनान), सूवर्ण भूमि सुमात्रा, पण्हव (प्राचीन पयाथिया) वर्तमान ईराक का एक भाग आदि देशों में बिहार किया था। भगवान अरिष्टनेमी दक्षिणापथ के मलय देश में गए थे। जब द्वारका दहन हआ था, तब अरिष्ट नेमि पण्हव नामक देश में थे।17
कर्नल टाड ने अपने राजस्थान' नामक प्रसिद्ध अंग्रेजी ग्रंथ में लिखा है कि प्राचीन काल में चार बुद्ध या मेधावी महापुरूष हुए हैं। उनमें पहले आदिनाथ या ऋषभदेव थे। दूसरे नेमिनाथ थें ।ये नेमिनाथ ही स्केंडिनेविया निवासियों के प्रथम ओडिन तथा चीनियों के प्रथम फो नामक देवता थे 118
मिश्र और यूनान में ऋषभदेव की प्राचीन मूर्तियाँ मिली हैं। भारतीय सभ्यता के निर्माण में आदिकाल से ही जैनों का प्रमुख हाथ रहा है। जैनों में बड़े-बडे व्यापारी और राजनीतिवेत्ता होते आए हैं तथा प्राचीन काल में जो विदेशों से विश्वव्यापी व्यापार प्रचलित था उसमें जैनों का प्रमुख हाथ था ।24
संदर्भ सूची 1. श्रीमद् भागवत-11/2, मनुस्मृति आदि 2. Major General J.G R Furloug : Science of Comparative Relegions 3. ऋग्वेद 10/102/6, 1/16/9/1, 2/4/19, 214/1/10 और 1/16/9/0. 4. Epic of GILGAMESH-published from Great Britain. 5 Pran Nath Vidyalankar- The times of India 19.3.1935. 6. जैन विद्या का सांस्कृतिक अवदान-डा. रामचंद्र, पृ.164 7. अरब और भारत के संबंध-मौलाना सुलेमान नदवी पृ.176 8. ट्रेवल्स ऑफ वेनसांग-सेमुअल बील खंड-2 पृ.205 9. Science of comparative Regligions-Major J.G.R. Furloug. 10. Indian Express, New Delhi 21 6 1967.
11. The Description of Character, Manners and Customs of the people of India and their Institutions, Religions and civil.- East India Company 1817.
12. Short studies in the Comparative realisions 1887-intro. 13. जैन परम्परा का इतिहास, जैन विश्वभारती पृ.112,113 14. Colonal Todd Annals and Antiquities of Rajasthan. 15. हिमालय में भारतीय संस्कृति, विशम्भरसहाय प्रेमी, मेरठ पृ. 44
-233, राजधानी एन्क्लेव
शकूरबस्ती, दिल्ली-34