Book Title: Anekant 1997 Book 50 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 74
________________ जोगीमारा/सीताबेंगा के भित्तिचित्र डॉ. अभयप्रकाश जैन सरगुजा रियासत की रामगढ़ पहाड़ियों में जोगीमारा तथा सीताबेंगा नामक गुफायें पास पास हैं। इनका काल 300-200 ई0पू0 माना जाता है। सीतागुफा एक प्रेक्षागार (नाट्यशाला) थी। इसी के निकट दूसरी गुफा जोगीमारा है। पहले इसे एक देवदासी का निवास स्थान समझा गया था पर उसमें प्राप्त शिलालेख का जो नवीन अर्थ किया गया है उसके अनुसार वह वरुण का मंदिर था जिसकी सेवा में सुतनुका नामक देवदासी रहती थी। अब आधुनिक विद्वान इसे जैन साक्ष्यों के आधार पर तथा प्राकृत में ब्राह्मी शिलालेख के फिर से पाठ करने पर जैनकृति मानते हैं। जोगीमारा गुफा दस फीट लम्बी और छह फीट चौड़ी है। इसकी छत में लाल रेखाओं द्वारा पेनल विभाजित करके चित्राकंन किया गया है। छत इतनी नीची है कि उसे हाथ से स्पर्श किया जा सकता है। ये भिन्न विश्व ऐतिहासिक काल की भारतीय चित्रकला के प्राचीनतम उपलब्ध नमूने हैं। डॉ0 ब्लाख (जर्मनी) शरतचंद घोषाल तथा असित कुमार हाल्दार ने इन गुफाओं के बारे में बहुत खोजबीन की है। ___ इन विद्वानों ने चित्रों का जो विवरण दिया है उसमें कहीं कहीं अंतर है इसका कारण तो यह हो सकता है कि किन्ही दो अभियानों के बीच जो समय का व्यवधान रहा है उसमें कुछ चित्र नष्ट हो गए हों दूसरा कारण चित्रो को ठीक से न समझना भी हो सकता है। डॉ0 लाख का परिचय इस प्रकार दिया है (1) केन्द्र में एक पुरूष एक वृक्ष के नीचे बैठा है बायीं ओर नर्तकियों और संगीतज्ञ हैं, दायीं ओर एक हाथी और एक जुलूस है। __ भगवान ऋषभ और नीलंजना का नृत्य, और उनका वैराग्य इस भित्तिचित्र की आस्था है। (2) कई पुरूष, एक पहिया और ज्यामितीय सरीखे और आभूषण (धर्मचक्र प्रवर्तन) (3) इस चित्र का बहुत सा अंग नष्ट हो गया है। केवल फूलों, घरों और कपड़े पहने पुरूषों के चिन्ह बचे हैं। इसके बाद एक वृक्ष पर चिड़ियाँ बैठी हैं। फिर एक आदमी का चित्र है, आस पास कुछ व्यक्ति खड़े हैं, सभी नंगे हैं। (4) पाल्थी मारे एक नग्न मुनि बैठे हैं पास ही तीन कपडे पहिने तीन व्यक्ति खड़े हैं बगल में तीन व्यक्ति और बैठे हैं। इस दल के पास तीन घोड़ोंसे खींची जाने वाली छत्रधारी गाड़ी, एक हाथी और महावत है फिर इसी प्रकार के पुरूष

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