Book Title: Anekant 1997 Book 50 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 77
________________ अनेकान्त/34 है जब तक जिज्ञासा के द्वार खुले रहेंगे तभी ज्ञान वायु प्रवेश करेगी और ज्ञान की परिपक्वता से सत्य उजागर होगा। जैन वर्ग निरंतर सजग और संकल्पित होकर अपनी विरासत के प्रति सचेत रहकर ही अपने गौरव को अक्षुण्ण बनाये रख सकता संदर्भ: 1. The lines of letter bear striking resemblance to those of an inferior Ajanta painting. The Picture though not so well executed as the caves at Ajanta appears to be identical in design. Ak. Haldar-Art and Tradition Plan (1952 Ed) 2. कला और कलम डॉ.जी.के. अग्रवाल पेज 48 3. T.P. Bhattacharya The Canım of Indian Art Page 327-337 4. मध्य प्रदेश का पुरातत्व -प्रो के.डी. वाजपेयी प्रकाशक संचालनालय पुरातत्व म.प्र भोपाल पृष्ठ 34/35 -एम.14 चेतकपुरी ग्वालियर (पृ. 36 का शेष) तीर्थकर का सिर-कुन्तलित केश, कर्णचाप युक्त जिन का सिर है। बलुआ पत्थर पर निर्मित प्रतिमा 11 वी शती ईस्वी की है। सन्दर्भ सूची ____ 1 मित्र रामचन्द्र हयारण “बुन्देलखण्ड की सांस्कृति और साहित्य" दिल्ली 199 पृष्ठ 1631 ___2. दीक्षित आर.के. "दि चन्देलस आफ जेजाक मुक्ति एण्ड देयर टाईम्स पी एच.डी. थीरोष आगरा विश्वविद्यालय 19501 (अप्रकाशित) परिशिष्ट व क्रमांक 4 व शर्मा राजकुमार मध्य प्रदेश के पुरातत्व का सन्दर्भ ग्रन्थ भोपाल 1974 पृष्ठ 191 क्रमांक 748 एवं पृष्ठ 317 क्रमांक 1472 | 3. मित्र रामचन्द्र हरायण पूर्वोक्त पृष्ठ 1631 4. संग्रहालय की मूर्तियां अंकित क्रमांक 38 | 5. संग्रहालय की मूर्ति पर अंकित क्रमांक 341 6. संग्रहालय क्रमांक एक। 7. संग्रहालय की मूर्ति पर अंकित क्रमांक 401 -संग्रहाध्यक्ष केन्द्रीय संग्रहालय ए.बी. रोड़ (इन्दौर) म.प्र.

Loading...

Page Navigation
1 ... 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158