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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
अध्ययन- ११ शब्दसप्तिका -४
[५०१] साधु या साध्वी मृदंगशब्द, नंदीशब्द या झलरी के शब्द तथा इसी प्रकार अन्य वितत शब्दों को कानों से सुनने के उद्देश्य से कहीं भी जाने का मन में संकल्प न करे । साधु या साध्वी कई शब्दों को सुनते हैं, जैसे कि वीणा के शब्द, विपंची के शब्द, बद्धीसक
शब्द, तूनक के शब्द या ढोल के शब्द, तुम्बवीणा के शब्द, ढंकुण के शब्द, या इसी प्रकार के तत-शब्द, किन्तु उन्हें कानों से सुनने के लिए कहीं भी जाने का विचार न करे ।
साधु या साध्वी कई प्रकार के शब्द सुनते हैं, जैसे कि ताल के शब्द, कंसताल के शब्द, लत्तिका के शब्द, गोधिका के शब्द या बांस की छड़ी से बजने वाले शब्द, इसी प्रकार के अन्य अनेक तरह के तालशब्दों को कानों से सुनने की दृष्टि से किसी स्थान में जाने का मन में संकल्प न करे । साधु-साध्वी कई प्रकार के शब्द सुनते हैं, जैसे कि शंख के शब्द, वेणु के शब्द, बांस के शब्द, खरमुही के शब्द, बांस आदि की नली के शब्द या इसी प्रकार के अन्य शुषिर शब्द, किन्तु उन्हें कानों से श्रवण करने के प्रयोजन से किसी स्थान में जाने का संकल्प न करे ।
[५०२] वह साधु या साध्वी कई प्रकारके शब्द श्रवण करते हैं, जैसे कि - खेत की क्यारियों में तथा खाइयों में होने वाले शब्द यावत् सरोवरों में, समुद्रों में, सरोवर की पंक्तियों या सरोवर के बाद सरोवर की पंक्तियों के शब्द, अन्य इसी प्रकार के विविध शब्द, किन्तु उन्हें कानों से श्रवण करने के लिए जाने के लिये मन में संकल्प न करे ।
साधु या साध्वी कतिपय शब्दों को सुनते हैं, जैसे कि नदी तटीय जलबहुल प्रदेशों, (कच्छों) में, भूमिगृहों या प्रच्छन्न स्थानों में, वृक्षों में, सघन एवं गहन प्रदेशों में, वनों में, वन के दुर्गम प्रदेशों में, पर्वतों पर या पर्वतीय दुर्गों में तथा इसी प्रकार के अन्य प्रदेशों में, किन्तु उन शब्दों को कानों से श्रवण करने के उद्देश्य से गमन करने का संकल्प न करे ।
साधु या साध्वी कई प्रकार के शब्द श्रवण करते हैं, जैसे- गांवों में, नगरों में, निगमों में, राजधानी में, आश्रम, पत्तन और सन्निवेशों में या अन्य इसी प्रकार के नाना रूपों में होने
शब्द किन्तु साधु-साध्वी उन्हें सुनने की लालसा से न जाए ।
साधु या साध्वी के कानों में कई प्रकार के शब्द पड़ते हैं, जैसे कि - आरामगारों में, उद्यानों में, वनों में, वनखण्डों में, देवकुलों में, सभाओं में, प्याऊओं में, या अन्य इसी प्रकार के स्थानों में, किन्तु इन शब्दों को सुनने की उत्सुकता से जाने का संकल्प न करे ।
साधु या साध्वी कई प्रकार के शब्द सुनते हैं, जैसे कि - अटारियों में, प्राकार से सम्बद्ध अट्टयों में, नगर के मध्य में स्थित राजमार्गों में; द्वारों में या नगर-द्वारों तथा इसी प्रकार के अन्य स्थानों में, किन्तु इन शब्दों को सुनने हेतु किसी भी स्थान में जाने का संकल्प न करे । साधु या साध्वी कई प्रकार के शब्द सुनते हैं, जैसे कि - तिराहों पर, चौकों में, चौराहों पर, चतुर्मुख मार्गों में तथा इसी प्रकार के अन्य स्थानों में, परन्तु इन शब्दों को श्रवण करने के लिये कहीं भी जाने का संकल्प न करे । साधु या साध्वी कई प्रकार के शब्द श्रवण करते हैं, जैसे कि - भैसों के स्थान, वृषभशाला, घुड़साल, हस्तिशाला यावत् कपिंजल पक्षी आदि के रहने के स्थानों में होने वाले शब्दों या इसी प्रकार के अन्य शब्दों को, किन्तु उन्हें श्रवण करने हेतु कहीं जाने का मन में विचार न करे ।