Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 17
________________ [ श्रीमदागमसुभासिन्धुः / चतुर्दशमो विभाग जहन्ने णं अणंताई रूपिदव्वाई जाणइ पापइ, उक्कोसे णं सब्वाई रूविदव्वाई जाणइ पासइ, 2 / खित्तो णं श्रोहिनाणी जहन्ने णं अंगुलस्स असंखिजइभागं जाणइ पासइ, उकोसे णं असंखिजाई अलोगे लोगप्पमाणमिताइ खंडाइ जाणइ पासइ, 3 / कालयो णं श्रोहिनाणी जहन्ने णं श्रावलियाए असंखिजइभार्ग कालं जाणइ पासइ, उक्कोसे णं असंखिजायो उस्सपिणीयो श्रोसप्पिणीयो अईयमणागयं च कालं जाणइ पासइ, 4 / भावयोणं योहिनाणी जहन्ने णं अणते भावे जाणइ पासइ, उक्कोसे णं वि अणते भावे जाणइ पासइ, सबभागणमणंतभागं जाणइ पानइ, 5 / श्रोही भवपच्चइयो गुणपञ्चइयो य वरिणयो एसो(दुविहो) / तस्स य बहू विगप्पा दव्वे खित्ते य काले य // 1 // नेरझ्यदेवतित्थंकरा य श्रोहिस्सऽबाहिरा हुँति / पासंति सव्वो खलु सेसा देसेण पासंति // 2 // से तं श्रोहिनाणं (पञ्चक्ख) 6 // सू० 12 // से किं तं मणपज्जवनाणं ? मणपजवनाणं भंते ! किं मणुस्लाणं उपजइ अमगुस्साणं उपजइ ? गोयमा ! मणुस्साणं उपजइ नो अमणुस्माणं, 1 / जइ मणुस्साणं कि संमुच्छिममणुस्साणं गम्भवक्कंतियमणुस्साणं?गोयमा!नो समुच्छिममगुस्साणं उप्पजइ गब्भववतिय-मणुस्साणं 2 / जइ गम्भवक्कतिय-मगुस्साणं कि कम्मभूमियगम्भवक्कतिय-मणुस्साणं अकामभूमिय-गभवक्कंतिय-मणुस्साणं अंतरदीवग-गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं ? गोयमा ! कम्मभूमिय-गम्भवक्कंतियमणुस्साणं नो अकम्मभूमिय-गम्भवक्कंतिय-मणुरसाणं नो अंतरदीवग-गब्भववतिय-मणुस्साणं 3 / जइ कम्मभूमिय-गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं कि संखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भवक्कंतिय-मणुस्साणं असंखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भववकंतिय-मणुस्साणं ? गोयमा ! संखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भचवकंतिय-मणुस्साणं नो असंखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भववतिय-मणुस्साणं 4 / जइ संखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भवक्कतिय-मणुस्साणं

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