Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ [ श्रीमवागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभाग केवलनाणं 7 / तं समासो चउबिहं पन्नत्तं, तं जहा-दवो खित्तश्रो कालो भावो, तत्थ दबश्रो णं केवलनाणी सम्बदव्वाइं जाणइ पासइ, खित्तयो णं केवलनाणी सबखित्तं जाणइ पासइ, कालश्रो णं केवलनाणी सव्वकालं जाणइ पासइ / भावो णं केवलनाणी सबभावे जाणइ पासइ 8 / अह सबदव्व-परिणाम-भावविन्नत्ति-कारणमणंतं / -सासयमप्पडिवाई एगविहं केवलनाणं // 1 // केवलनाणेणत्थे नाउं जे तस्थ पन्नवणजोगे। ते भासइ तित्थयरो वइजोग सुग्रं(तयं) हवइ सेसं (तेसि)॥२॥से त्तं केवलनाणं, से तं पच्चरखनाणं 1 // सू० 14 // से कि तं परुक्खनाणं ? परुक्ख नाणं दुविहं पन्नत्तं, तं जहा-श्राभिणिवोहिअ-नाणपरुक्खं च सुअनाणपरुक्खं च 1 / जत्थ श्राभिणि बोहियनाणं तत्य सुअनाणं, जत्थ सुथनाणं तत्थाभिणिबोहियनाणं, दोऽवे एयाई अनमनम गुगयाई तहवि पुण इत्थ पायरिया नाणत्तं पनवयंति-श्राभिनिबुज्मइ ति पाभिणियोहियनाणं 2 / सुणेइ ति सुग्रं मइपुव्वं जेण सुअं, न मइ सुअपवित्रा 3 / अविसेसिश्रा मइ-मइनाणं च मइअन्नाणं च, विसेसिश्रा मती सम्मदिट्ठिस्स मइ-मइनाणं, मिच्छदिट्ठिरस मइ-मश्रन्नाणं 4 / अविसे. सिधे सुयं-सुयनाणं च सुयअन्नाणं च, विसेसिधे सुयं-सम्मंदिट्ठिस्म सुयंमुयनाणं मिच्छदिहिस्स सुयं-सुयश्रन्नाणं 5 / से कि तं आमिणिबोहियनाणं ? अाभिणिबोहियनाणं दुविहं पन्नत्तं, तं जहा-सुयनिस्तियं च असुयनिस्मियं च 6 // सू० 15 // से किं तं असुयनिस्सियं ? असुयनिस्सियं चउबिहं पनत्तं, तं जहा-उप्पत्तिा 1 वेणइथा 2 कम्मश्रा 3 परिणामिश्रा 4 / बुद्धि चउबिहा वुत्ता पंचमी नोवलब्भइ // 1 // पुवं अदिट्ठ-मस्सुय-मवेइय-तक्खणविसुद्ध-गहित्था / अबाहय-फलजोगा बुद्धी उप्पत्तिश्रा नाम // 2 // भरहसिल 1 पणिय 2 रुक्खे 3 खुड्डग 1 पड 5 - सरड 6 काय 7 उचारे ।गय 1 घयण 10 गोल 11 खेमे 12
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