Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 139
________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्दशमो विमागः अभिमुहनामगोत्तं च, उज्जुसुश्रो दुविहं संखं इच्छइ, तंजहा-बद्धाउभं च अभिमुहनामगोत्तं च, तिगिण सद्दनया अभिमुहनामगोत्तं संखं इच्छंति, से तं जाणयसरीर-भविग्रसरीर-वइरित्ता दव्वसंखा 1 / से तं नोागमो दव्वसंखा, से तं दव्वसंखा 10 / से किं तं श्रोवम्मसंखा 1, 2 चउब्विहा पराणत्ता, तंजहा-अस्थि संतयं संतएणं उवमिजइ, अस्थि संतयं असंतएणं उवमिजइ, अत्थि असंतयं संतएणं उवमिजइ, अत्थि असंतयं असंतएणं उवमिजइ, तत्थ संतयं संतएणं उमिजइ 11 / जहा संता अरिहंता संतएहिं पुरवरेहिं संतएहिं कवाडेहिं संतएहि वच्छेहिं उवमिजइ, तंजहा-पुरवरकवाडवच्छा फलिहभुया दुदुहित्थणिग्रघोसा / सिरिवच्छंकियवच्छा सव्वेऽवि जिणा चउव्वीसं // 111 // 12 / संतयं असंतएणं उवमिजइ जहा संताई नेरइन-तिरिक्खजोणित्र-मणुस्सदेवाणं ग्राउपाइं असंतएहि पलिश्रोवमसागरोवमेहि उवमिज्जंति, असंतयं संतएणं उवमिज्जति, तंजहा-परिजूरियपेरंतं चलंतबिंट पडतनिच्छीरं। पत्तं व वसणपत्तं कालप्पत्तं भणइ गाह // 120 // जह तुम्भे तह अम्हे तुम्हेऽवि य होहिहा जहा अम्हे / अप्पाहेइ पडतं पंडुअपत्तं किसलयाणं // 121 // णवि अत्थि णवि श्र होही उल्लावो किसलयपंडुपत्ताणं / उवमा खलु एम कया भविग्रजणविबोहणट्टाए // 122 // 13 / असंतयं असंतएहिं उवमिजइ, जहा-खरविसाणां तहा ससंविसाणां / से तं श्रोवम्मसंखा 14 / से किं तं परिमाणसंखा ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-कालिअसुय-परिमाणसंखा दिट्ठिवायसुत्र-परिमाणसंखा य 15 / से किं तं कालिग्रसुत्र-परिमाणसंखा ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-पजवसंखा अक्खरसंखा संघायसंखा पयसंखा पायसंखा गाहासंखा सिलोगसंखा वेढसंखा निज्जुत्तिसंखा अणुयोगदारसंखा उद्देसगसंखा अभयणसंखा सुश्रखंधसंखा अंगसंखा, से तं कालिप्रसुत्र-परिमाणसंखा

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