Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (OOK विभाग : 14 4900 6000 20600 संपादक संशोधकश्य प्र.पळ्यास श्रीमिनेन्द्रविजयजी गणिवर Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्कः-७६ श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः / ____तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेवश्रीविजयक' रसूरिगुरुभ्यो नमः हालारदेशोद्धारक -पूज्याचार्यदेवश्रीविजयामृतसूरिगुरुभ्यो नमः / श्री आगमसुधासिन्धः चतुर्दशमो विभागः श्रीमद्देववाचकगणिवर-विरचितश्रीनदीसूत्र-श्रीमद्गणधरप्रवरश्रीगौतमस्वामिवाचनानुगत-श्रीमदनुयोगदारसूत्रेति-सूत्रद्वयात्मकः / फ्र संपादकः संशोधकश्च * तपोमूर्ति-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयकपूरसूरीश्वर-पट्टालङ्कार-हालारदेशोद्धारक कविरत्न-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयामृतसूरीश्वर-विनेयः पंन्यास-श्री--जिनेन्द्रविजय-गणी | মাহিঙ্কাश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) श्र -- Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) गुजरात बीर सं० 2502 ] .. विक्रम सं० 2032 [सन् 1976 आ आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित सर्वविरतिधरो छे. मूल्य रु. 25-00 मुद्रक: गौतम आर्ट प्रिन्टर्स न्यावर (राजस्थान) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय निवेदन निष्कारणबंधु विश्ववत्सल चरमशासनपति श्रमणभगवान महावीरदेवे भव्यजीवोना हितने माटे स्थापेल शासन आजे विद्यमान छे अने विषमकालमां पण भव्य जीवोने माटे सर्वज्ञ परमात्मानुए.शासन परम आलंबन रूप छे. तीर्थकरदेवोनी अविद्यमानतामा तेओश्रीनी वाणी शासनना प्राण स्वरूप होय छे. श्री तीर्थंकरदेवो अर्थथी प्ररूपेल अने गणधरदेवो सूत्रथी गूथेल थे जिनवाणी हितकांक्षी पुन्यात्माओ माटे अमृत तुल्य छे. विद्यमान आगम श्रुतज्ञानमा मुख्यतया 45 आगम गणाय छे. ते उपरांत पण 84 आगमनी गणतरीने हिसाबे बीजु पण केटलुक आगम रूपी श्रुतज्ञान विद्यमान छे. आगम सूत्रो उपर नियुक्तिओ, भाष्यो, चूर्णिओ अने टीकाओ रचायेल छे. अने अथी सूत्र सहित आगमनी अ पंचांगी जैन शासनमा मान्य छे. तेना आधारे वर्तमान ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार अने वीर्याचार रूप व्यवहार प्रवर्ते छे. सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान अने सम्यग्चारित्र रूप मुक्ति-मार्ग प्रवर्तमान छे. पंचांगीनो वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा अने धर्मकथा रूप पंचलक्षण स्वाध्याय जेटलो जोरदार तेटली श्री संघमा सम्यग्ज्ञाननी शुद्धि जोरदार, तेनाथी ज्ञानाचार उज्वल, उज्वल ज्ञानाचारथी दर्शनाचार उज्वल, उज्वल दर्शनाचारथी चारित्राचार उज्वल, उज्वल चारित्राचारथी तपाचार उज्वल अने अ चारे उज्वल आचारथी वीर्याचार उज्वल. वीर्याचारनी उज्वलताथी जैनशासन उज्वल. ए उज्वल जैन शासन सदा जयवंत वर्ते छे. .. आम शासननी आधार कहो के पायो कहो, मूल कहो के प्राण कहो, अ श्री जिनवाणी छे. अने ते जिनवाणी 45 मूल आगम सहित पंचांगी स्वरूप छे. पंचांगीने अनुसरता प्रकरण ग्रन्थो यावत् स्तवन सज्झाय के नाना निबंध के वाक्य स्वरूप छे. उपशम विवेक संवर अ त्रिपदी स्वरूप जिनवाणीथी घोर पापी चिलातीपुत्र पतनना मार्गथी नीकली प्रगतिमार्गना मुसाफीर बनी गया हता. ___45 मूल आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिवरो छे, साध्वीजी महाराजो श्रीआवश्यक सूत्र आदि मूल सूत्रोना तेमज श्रीआचारांग सूत्रना योगवहन करवा Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय निवेदन पूर्वक अधिकारी छ. श्रावक श्राविकाओ उपधान वहन करवा पूर्वक श्री आवश्यक सूत्र उपरांत दशवेकालिकसूत्रना षड्जीव-निकाय-नामना चोथा अध्ययन पर्यंतना श्रतना अधिकारी छे. आम आगमश्रुतना अधिकारी मुनिवरो योगवहन करवा पूर्वक योग्यता मुजब अध्ययन आदि करीने पोताना ज्ञान दर्शन चारित्रने निर्मल बनावे के अने योग्यता मुजब धर्मकथा द्वारा जिणवाणीनु पान करावी साधु-साध्वी श्रावक-श्राविका रूप चारे प्रकारना संघने तेमज मार्गाभिमुख जीवोने मुक्तिमार्ग प्रदान करे छे. 45 आगमसूत्रो 6 विभागोमां वहेंचायेल छे. (1) अंगसूत्रो-११ (2) उपांगसूत्रो-१२ (3) पयन्नासूत्रो-१० (4) छेदसूत्रो-६ (5) मूल सूत्रो-४ (6) चूलिकासूत्रो-२. आ सूत्रोनु स्वाध्याय आदि अध्ययन वधे ते माटे उपयोगी बने ते रीते 45 मूल सूत्रो श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघमां सळंग मुद्रित नथी अने जेथी आगम सूत्रोना स्वाध्याय आदिनी अनुकूलता थाय ते माटे शक्य प्रयत्ने संशोधन करीने प्रगट करवानी योजना विचारवामां आवी छे, ते योजना मुजब 45 आगमसूत्रो 14 विभागमा संपादन थशे. पहेलो, आठमो, बारमो, तेरमो विभाग प्रगट थया पछी आ चौदमो विभाग संपादित थयेल छे. आ चौदमा विभागमा श्री नन्दीसूत्र , अने श्री अनुयोगद्वार सूत्र आपवामा आव्या छे. श्री नन्दीसूत्रनी रचना श्रुतस्थविर श्री दृष्यगणीन्द्र ना शिष्यरत्न श्रुतवारिधि श्री देववाचक गणिवर छे. श्री अनुयोगद्वार सूत्र जे श्री गणधरदेवनी वाचनानुगत सूत्र छे. आ सूत्रोना संपादनमा पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेवश्री सागरानंदसूरीश्वरजी महाराज संशोधित श्री आगममंजूषा, बाबु श्री धनपतसिंहजी प्रकाशित आगमसूत्रो उपरांत श्री नन्दीसूत्र टीका मलयगिरिजी महाराज विरचित (आगमोदयसमिति 1973) शा रूपचंदजी नवलमलजी (1988) प्रकाशित श्री जिनदास महत्तर रचित श्री नन्दीसूत्र चूर्णि-मूरिपुरंदर श्री हरिभद्रसूरिश्वर विरचित श्री नन्दीसूत्रटीका, पू. आ. श्री विक्रमसूरीश्वरजी म. संपादित श्री नन्दीसूत्र अवचूरि नो उपयोग कयों छे. केशरबाई ज्ञानमंदिर पाटण (1995) प्रकाशित श्री अनुयोगद्वारसूत्र मूल तथा मलधारी आचार्यप्रवर श्री हेमचन्द्रसूरीश्वर विरचित टीका, श्रीदेवचंद लालभाइ जैन पुस्तकोद्धार फंड (1972) प्रकाशित ए टीका, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी संस्था (1984) प्रकाशित श्री चूर्णि तथा श्री हारीभद्रीय अनुयोगद्वार सूत्र टीका तेमज श्री जिनदत्तसूरि प्राचीन पुस्तकोद्धार फंड द्वारा (1975) प्रकाशित श्री अनुयोगद्वार सूत्र मूल विगेरे प्रकाशननो उपयोग कर्यो छे. ते सौ प्रत्ये कृतज्ञता प्रगट करु छु. Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय निवेदन टीकाओ आदिमा रहेला पाठांतरो मेलवीने मूलपाठ जोडे कौंशमा आपेला छे. श्री श्रमण संघमा आगमो कंठस्थ करवामां, स्वाध्याय करवामां, विस्तृत टीकाओना वांचन पछी मूलसूत्रोनु पुनरावर्तन करवामां, आ मूल सूत्रोना संयुक्त संपादन थी घणी अनुकूलता रहेशे. अने अथी होंशे होंशे उत्साही मुनि भगवंतो सूत्रो कंठस्थ करीने आगम श्रुतने धारण करवा माटे पण समर्थ बनी शकशे. 2, 5, के 10, 20 सूत्र कंठस्थ करनारा अने पुरतो प्रयत्न थाय तो लगभग अक लाख श्लोक प्रमाण मूल सूत्रो कंठस्थ करी धारी राखनारा अनेक गणो मुनिवरोमां थइ शकशे. 'ज्ञानधनाः साधवः' 'शास्त्रचक्षुषः साधवः' ओ विधान मुजब श्रमण संघना.प्राण समान आ आगम सूत्रोनुश्री श्रमण भगवंतो द्वारा विशेष परिशीलन थतां श्रीसंघने माटे श्री शासन ने माटे घणी उज्वलता फेलाशे. अने से आशयथी स्वपरना श्रेयकारी आगम सूत्रोनां संशोधन संपादनमा अविरत उत्साह प्रवर्तमान छे. प्रकाशननी सगवडता माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्स (ब्यावर) ना व्यवस्थापक श्री छगनलालभाई ओ जे खंत अने उत्साह बताव्या छे तेने कारणे आ प्रकाशनो समयसर प्रकाशित थइ रह्या छे.. . . चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीर देवे प्रकाशेल जिनवाणीनो प्रभाव पांचमा आराना छेडा सुधी रहेशे. अ ज्वलंत जिनवाणीनो प्रकाश आपणा आत्माने योग्यता अने अधिकार मुजव अजवालनारो बने, जिनवाणीनी उपासनाभक्तिमां भावना पूर्वक रस लइ रह्यो छु ते भावोल्लास टकी रहे अने सौ श्रुत आराधनामा उजमाल बनीओ एज मारा अंतरनी शुभ अभिलाषा छे. वीर सं० 2502 वि० सं० 2032 ] महा वद 10 मंगलवार हालारदेशोद्धारक कविरत्न पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजय. 24-2-76 अमृतसूरीश्वरजी महाराजानो चरणसेवकजैन उपाश्रय साचापीर स्ट्रीट / -पं. जिनेन्द्र विजय गणी पुना केम्प (महाराष्ट्र) * अनुक्रम * नं. नाम पृष्ठांक 1 श्री नन्दीसूत्र 1 थी 34 2 श्री अनुयोगद्वार सूत्र 35 थी 144 Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकीय निवेदन अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ श्रीमदागमसुधासिन्धु चौदमो विभाग मूल प्रगट करता आनंद अनुभवीए छीए. हालमा 45 आगम मूल अने केटलाक आगम टीका सहित प्रगट करवानु काम शरू करता आ ग्रन्थ नागरी लिपिमा मोटा टाइपमा प्रगट करेल छे. आ प्रकाशन पूर्वे श्री आगम सुधा सिन्धुना पहेलो, आठमो, बारमो, तेरमो विभाग प्रगट थई गया छे. हाल बीजा चोथा अने अग्यारमा विभागनु मुद्रण चाली रा छे. आ ग्रन्थनु संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व. पू. आचार्यदेव श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू० पंन्यासश्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवरे घणी खंत थी करेल छे. कागल छपाइ आदिना भाव वधवाने कारणे खर्च धार्या करतां वधु आवे छे. मोटा टाइपमा मुद्रित करतां पेज वधारे थाय छे. परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनुकुलता रहशे. ___ आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरूकुलवासी सुविहित मुनिओ छे. ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंघमां आगम वांचनादिमां अनुकुलता थाय ते रूप आ श्रुतभक्ति करतां अमे आनंद अनुभविए छीए. श्री नन्दीसूत्र श्री अनुयोगद्वार सूत्र अम बे मूल सूत्रो आ चौदमा विभागमा प्रगट थइ रह्यां छे. 45 मूल आगम 14 विभागमा प्रगट थशे. सटीक आगमोमां श्रीमदन्तकृद्दशा, श्रीमदन्तरोपपातिकदशा अने श्रीमदुपासकदशा सूत्र तैयार थइ गयां छे. मुद्रण माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्सना व्यवस्थापको सारी खंत राखी छे तो तेमनो आभार मानी छीओ. वीर संवत् 2502 वि० स०२०३२ पोष बद 11 मंगलवार ता. 27-1-76 लि:नेमचंद बाघजो गुढका नवीनचंद्र बाबुलाल शाह Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सादर-समर्पण पूज्यपाद शासनशिरोमणि पंन्यास श्री बुद्धिविजयजी (बुटेरायजी) गणिवरना शिष्यरत्न विद्वान् चारित्ररत्न पन्न्यास श्री आणंदविजयजी गणिवरना शिष्यरत्नबालब्रह्मचारी निस्पृहोशिरोरत्न मुनिमंडलाग्रेसर प्रदादागुरुदेव पूज्य मुनिराजश्री हर्षविजयजी महाराजा जेओश्रीए विद्वद्वर्य पू. पं. श्री पुष्पविजयजी गणिवर महानतपोनिधि पू. आ. श्री विजय कपूरसूरीश्वरजी म. जेवा शिष्यरत्नो अने हालारदेशोद्धारक कविरत्न पू. आ. श्री विजयामृतसूरीश्वरजी महाराज जेवा प्रशिष्यरत्न रूप शासननी मूळी अर्पण करी छ / तेओश्रीनी महान उपकारोनी पुनीत स्मृतिमा भी काम सुधा सिन्धु चौदमो विभाग तेओश्रीने सादर वंदना साथे समर्पण करी कृतकृत्यता अनुभवु छु गुरुचरणचंचरिक जिनेन्द्रविजय Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 183 109 111 ॥शुद्धिपत्रकम् // पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं शुद्धंम् पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं 2 10 महामंदरं संघ-महामंदरं 80 24 ०प्यपु० ०पप्पु. 14 10 इमे 82 1 संकि तं ... से कि तं 15 21 असंखिज्ज असंखिज्नं 10 11 ॥सू० 100 // // 100 / 16 15 तहो तओ 15 15 जहण्णेणं असंखे- जहण्णेणं अंगुलस्स 17 24 संतं से तं ज्जइभागं सखे- संखेज्जइभागं 18 13 सुन्निसुयं / / सन्निसुयं ज्जइमागं 16 2 तेसियं वेसियं अपज्जतग- पज्जत्तगचयति चयंनि 66 2 असेखेज्जहभागं असखेज्जइमागं 14 अणुओगदराई भाओगदाराई 97 13 एगंगुलयया एगंगुलायया 21 18 आयरगोयर- आयारगोयर 18 18 संत से तं है अकरियावाईणं अकिरियावाईणं / 103 1. कुमारणं . कुमाराणं 22 24 वुडढीए वुड्ढोए 16 कालं कालं ठिई 24 14 सेवं ए. से एवं 108 -पंचिदिव . पाँचदिय२८ 20 सं कि से कि 2 पण्णत्ता, पण्णता? 32 24 अणुपरिअट्टिति अणुपरिट्टिति 111 8 सागरवमाई सागरोवमाई 33 23 यावि याऽवि. 40 31 अडय संतं 23 विमाणेमु अंडयं से तं विमाणेसु 44 1 ०(का) कोयाणं 114 6 मते ? भंते! ०(का) याणं 117 2 15 / 45 20 ०णुव्वी. •णुपुग्वी 13 आणुवव्यो आणुपुव्वो 17 12 एएस चेव . एएसि चेव 18 भाव भावे 21 चेव तहा 54 15 सोगाडाओ सोगाढ 16 विक्खमंसई विक्खभसई 56 20 ववन्टयाए बम्बट्टयाए 120 1 सहस्सपुहत्त' सहस्सपुहुत्त 57 18 आणपुग्यो आणुपुव्वी 21 सेठाण संठाण 57 21 ०दम्बीइं ०दव्वाइं 123 7 वहवे वरिसावण बहवे करिसावणा ०परूवणायाए ०परूवणयाए 528 24 24 तजह६७४ तंजहाअ२४। दवाणामे दवणामे 130 7/8 उवमिज्जइ,. उवमिज्जइ११।... उमिज्जा 11 / उवमिज्जा६८ 18 किं तं से कित 1 से कितं ते कि तं 133 तत्तिया 16 तत्तिवा 2 नोअगमओ नोआगमओ 73 23 निष्फणे निष्फण्णे 74 1-3 135 74 11 उवसममिए- उवसमिए 15 आयसमोओरेणं आयसमोआरेणं 76 14 खओवमिए- खओवसमिए आयभावे समोअरंति आयभावे समोअरंति 74 .11 127 सू. 127 142 16 इई 74 15 उिद्देसे निद्देसे 143 3 कर्हि 76 19 पण पुण [ 143 18 तिरुत्तो निरुत्तो 47 13 118 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // श्रुतस्थविर श्रीमह ष्यगणीन्द्र-शिष्यश्रुतवारिधि श्रीमद्देववाचकगणिवर-विरचितं // श्री नन्दिसूत्रम् // जयइ जगजीवजोणी-वियाणयो जगगुरू जगाणंदो / जगनाहो जगवंचू, जयइ जगप्पियामहो भयवं (जिणवसभो सललिय-वसभविकमगती महावीरो) // 1 // जयइ सुयाणं पभवो तित्थयराणं अपच्छिमो जयइ / जयइ गुरू लोगाणं, जयइ महप्पा महावीरो॥२॥ भद्द सव्वजगुजोयगस्स भदं जिणस्स वीरस्स / भद्द सुराऽसुरनमसियस्स भदं धुयरयस्स // 3 // गुणभवणगहण ! सुयरयणभरिय ! दमण-विशुद्धरत्थागा ! / संघनगर ! भने अखंड चरित्तपागारा ! // 4 // संजमतब-तुबारयस्स नमो सम्मत्तपारियलस्स / अप्पडिचकस्स जयो होउ सया संघचकस्स // 5 // भद्द सीलपडागूमियस्स तवनियमतुरयजुत्तस्स / संघरहस्स भगवथो सज्झाय-सुनंदि(नेमि)घोसस्स // 6 // कम्मरय-जलोह-विणिग्गयस्म सुयरयण-दीहनालस्स / पञ्चमहव्वय-थिरकन्नियस्स गुणकेसरालस्स // 7 // सावगजण-महुअरि-परिवुडस्स जिणसूर-तेयबुद्धस्स / संघपउमस्स भद्द समणगण-सहरसपत्तस्स // 8 // जुम्मं // तवसंजम-मयलंछण ! अकिरियराहु-मुहदुछ रिस ! निच्चं जय संघचन्द ! / निम्मलसम्मत्त-विशुद्धजोराहागा ! // 3 // परतित्थिय-गहपहनासगस्स तवतेयदित्त ले सस्स / नागुजोयस्त जए भदं दमसंबसूरस्स // 10 // भद्द धिइवेलापरिगय(वृड)स्स सज्झायजोगमगरस्स / अक्खोहस्स भगवश्रो संघसमुदस्स रुदस्स // 11 // सम्मदंसण-वरखइर-दहरूढ गाहावगादपेढस्स / धम्मवर-रयणमंडि. Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागममुभासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः अ-वामीयर-मेहलागस्त // 12 // नियमुच्छि(सि)य-कणयसिला-यलुजलजलंतचित्तकूडस्स / नंदणवण मणहर-सुरभि-सीलगंधु (धद्ध)मायस्स // 13 // जीवदया-सुन्दरकंद-रुदरिय-मुणिवर(गण)-मइंदइन्नस्स / हेउसय-धातुपगलंतरयण-दित्तोसहि-गुहस्स // 14 // संवरवरजल-पगलिय-उजर-पविरायमाणहारस्स / सावगजण-पउर-रवंतमोर-नचंतकुहरस्स // 15 // विणयन(म)यपवरमुणिवर-फुरंतविज्जु-जलंतसिहरस्स / विविहगुण-कप्प-रुक्खग-फल-भरकुसुमाउल-बणस्म (विविहकुल-कप्परुवखगणय-भरकुसुमिय-कुलवणस्स)॥१६॥ नाणवररयणदिप्पंत-कंतवेरुलिय-विमलचूलस्स / वंदामि विणयपणथो संघमहामंदरगिरिस्स // 17 // (छहिं कुलयं) गुणरयणुजलकडय-सीलसुगंधि(ध)तवमंडिउद्देसं / सुयबारसंग-सिहरं महामंदरं वंदे // 18 // नगर-रह चक्कपउमे चंदे सूरे समुद्दमेरुमि / जो उवमिजइ सततं तं संश्गुणायरं दे // 11 // वंदे उसभं अजियं संभवमभिनंदणं सुमइसुप्पभ सुपासं / ससि पुष्पदंत सीयल मिजंसं वासुपुज्जं च // 20 // विमलमणतं च धम्म सन्तिं कुंथुअरं च मल्लिं च / मुनिसुव्वय-नमि-नेमि पासं तह वद्धमाणं च // 21 // जुम्मं // पढमित्थ इंदभूइ बीए पुण होइ अग्गिभूइत्ति / तईए य वाउभूई तत्रों वियत्ते सुहम्मे य॥ 22 // मंडिय-मोरियपुत्ते अकपिए चेव श्रयलभाया य। मेगज्जे य पहासे य गणहरा हुँति वीरस्स ॥२३॥जुम्मं ॥निव्वुइपहसासणयं जयइ सया सव्वभावदेसणयं / कुसमय-मयनासणयं जिणिंदवर. वीरसासणयं // 24 // सुहम्म 1 अग्गिवेसाणं, जम्बुनामं 2 च कासवं / पभवं 3 कचायणं वंदे, वच्छ सिज्जंभवं 4 तहा // 25 // जसभ 5 तुगियं वन्दे, संभूतं 6 चेव माढरं / भवाहुँ 7 च पाइन्नं, थूलभदौं 8 च गोयमं // 26 // एलावच्चसगोत्तं वंदामि, महागिरि 1 सुहत्थिं 10 च / तत्तो कोसिश्र(कासव)गोत्तं, बहुलस्स सरिव्वयं 11 वन्दे // 27 // हारियगुत्तं साई 12 च वंदामि, हारियं च सामज्जं 13 / वन्दे कोसियगोत्तं संडिल्लं 14 Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मानन्दित्रम् . अजजीय(व)धरं // 28 // तिसमुद्द-खायकित्तिं दीसमुद्देसु गहियपेयालं / वन्दे अजसमुद्द१६ अक्खुभिय समुद्दगंभीरं // 21 // भणगं करगं झरगं पभावगं नाणदंसणगुणाणं / वदामि अजमगुं१७ सुयसागर-पारगंधी।३०॥ वंदामि अजधम्मं तत्तो वन्दे य भद्दगुत्तं च / तत्तोय अजवइ(वे)रं 20 तवनियमगुणेहिं वइरसमं // 31 // वंदामि अजरविखयं खमणे 21 रविखयचरित्तस-वस्से / रयणकरडंगभूयो अणुयोगो रक्खियो जेहिं // 32 // नागमि दंसणंमि अ तवविणए निचकालमुज्जुत्तं / अज्ज नन्दिलखमणं सिरसा वंदे पमन्नमणं // 33 // वड्डउ वायगवंमो जसवंसो अजनागहत्यीणं / वागरणकरणभंगिय-कम्मपयडी-पहाणाणं // 34 // जच्चनण-धाउसमप्पहाणं मुद्दियकुवलयनिहाणं / वडउ वायगवंसो रेवइनक्खत्त-नामाणं 24 // 35 // अयलपु. राणिक्खते कालिय-स्यवाणुयोगिए धीरे। बंभद्दीविन-सीहे वायग-पयमुत्तमं पत्ते // 36 // जेसिं इमो अणुयोगो, पयरइ अजवि अड्डभरहम्मि / बहुणयरनिग्ग जसे तं वंदे खंदिलायरिए // 37 // तत्तो हिमवंत महंत-विकमे धिइपरकममण (ह)ते / सज्झायमणंतधरे हिमवंते 27 वंदिमो सिरसा // 3 // कालियसुय-अणुयोगस्स धारए धारए य पुव्वाणं / हिमवंत-खमासमणे वन्दे नागज्जुणायरिए // 31 // मिउमद्दव संपन्ने अणुपुलिं वागत्तणं पत्ते / श्रोहसुयसमाय(या)रे नागज्जुणवायए 28 वन्दे॥ 40 // गोविंदाणंपि नमो अणुयोगो विउल-धारिणिंदाणं / निव्वं खंति-दयाणं परूवणे दुलभिंदाणं // 41 // तत्तो य भूयदिन्नं निच्चं तवसंजमे अनिविणं / पंडियजणऽमामणं वदामि संजमं विहराणु // 42 // वरवणग-तविय(तवियवरकणग)चंग-विमउलवरकमल-गब्भसरिवन्ने / भविग्रजण-हिययदइए दयागुण-विसारए धीरे // 43 // अडभरहप्पहाणे बहुविह-सज्झाय-सुमुणियपहाणे / अणुयोगिय-वरवसभे नाइलकुल-वंसनंदिकरे // 44 // भूअहिश्रय. पगम्भे (जगभूयहिय-पगम्भे) वंदेऽहं भूयदिनमायरिए 21 / भवभय बुच्छेयकरे Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ बीमागमसुधासिन्धुः // चतुर्दशमी विमामा सीसे नागज्जुणरिसीणं // 45 // सुमुणिय-निचानिच्चं सुमुणिय-सुत्तत्यधारयं वन्दे / सभाकुभावणातत्थं लोहिच्च-णामाणं 30 (निच्चं / वंदेऽहं लोहिच्चं सब्भावुभावणातच्च) // 46 // श्रथमहत्थखाणिं सुसम(व)णवक्खाण-कहणनिव्वाणिं / पयईइ महुरवाणिं पयश्रो पणमामि दूरगणिं 31 // 47 // तवनियम-सच्चसंजम-विणयजव-खंतिमद्दव-रयाणं / सील-गुणगबियाणं श्रृणुयोग-जुगप्पहाणाणं // 48 // सुकुमाल-कोमलतले तेसिं पणमामि लवखणपसत्थे / पाए पावयणीणं पाडिच्छयसएहिं पणिवइए // 41 // जे अन्ने भगवंते कालियसुयश्राणुशोगिए धीरे / ते पणमिऊण सिरसा नाणसर पख्वणं वोच्छं // 50 // इइ थेरावलिया // सं.लक्ष्ण 1 ग 2 चालणि 3 परिपूणग 4 हंस 5 महिस 6 मेसे य 7 / मसग 8 जलूग 1 विराली 10 जाग 11 गो 12 मेरेि 13 अाभेरी (आभीरे) 14 // 1 // सा समालो तिविहा पन्नत्ता, तं जहा-जाणिया, अजाणिया, दुविअड्डा, (जाणिवा जहा-खीमिव जहा हंसा जे घुट्टन्ति इह गुरुगुणसमिद्धा / दोसे अविवज्जति तं जाणसु जाणियं परिसं // 1 // अजाणिया जहा-जा होइ पगइमहुरा मियछावय-सीहकुक्कुडयभुथा। रयणमिव असंठविश्रा, अजाणिश्रा सा भवे परिसा॥२॥ दुविश्रष्टा नहा-न य कत्थई निम्मायो न य पुच्छइ परिभवस्स दोसेणं / वत्थिव्व वायपुराणों फुट्टइ गामिल्लय विग्रहो // 3 // ) ____नाणं पञ्चविहं पनतं, तं जहा-श्राभिणियोहिअनाणं, सुअनाणं, श्रोहिनाणं, मणपज्जवनाणं केवलनाणं // सूत्रं 1 // तं समासयो दुविहं पनतं, तंजहा-पचक्खं च परोक्खं च 2 // सू० 2 // से किं तं पञ्चक्खं ? पचक्खं दुविहं पन्नतं, तंजहा-इंदियपञ्चक्खं च नोइंदियपच्चक्खं च 2 / से किं तं इंदियपञ्चक्खं ? इंदियपञ्चक्खं पंचविहं पराणत्तं, तं जहा-सोइन्दियपञ्चक्खं चक्विंदियपञ्चक्खं, घाणिदियपञ्चक्खं, रसणेंदियपञ्चवखं, फासिदिनपचक्खं, से तं इंदियपञ्चक्खं 2 // सू० 3 // से किं तं नोइंदिन. Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मानन्दिसूत्रम् . . पञ्चक्खं ? नोइंदिअपच्चरखं तिविहं पन्नतं, तं जहा-श्रोहिनाणं नोइंदिअपचक्खं, मणपजवनाणं नोइंदिअपचक्खं, केवलनाणं नोइंदिअपचक्खं // सू० 4 // से किं तं श्रोहिनाणनोइंदिअपञ्चक्खं ? योहिनाणनोइंदिअपञ्च खं दुविहं पन्नत्तं, तं जहा-भवपच्चइग्रं च खोवसमिश्रं च 1 / से किं तं भवाञ्चइयं ? भवपञ्चइयं दोगहं पन्नत्तं, तं जहा-देवाण य नेरइयाण य 2 / से किं तं खयोवसमिश्र ? खोवसमिश्रं दुविहं पन्नत्तं, तं जहा-मणूसाण य पंचिंदिअतिरिवखजोणियाण य 3 / को हेऊ खोवसमिश्र ? खोवसमियं तयावरणिजाणं कम्माणं उदिण्णाणं खएणं अणुदिराणाणं उवसमेणं श्रोहिनाणं समुप्पजइ 4 / श्रहवा गुणपडिवनस्स अणगारस्स भोहिनाणं समुपजइ, तं समासयो छब्विहं पन्नत्तं, तं जहा-पाणुगामिश्र, श्रणाणुगामिश्र, वड्डमाणयं, हीयमाणयं, पडिवाइ, अप्पडिवाइ 5 // सू०५ // से किं तं श्राणुगामियं श्रोहिनाणं ? श्राणुगामिग्रं श्रो.हिनाणं दुविहं पन्नत्तं, तं जहा-अंतगयं च मज्भगयं च 1 / से किं तं अंतगयं ? अंतगयं तिविहं पन्नत्तं, तं जहा-पुरो अंतगर्य, मग्गो अंतगयं, पासयो अंतगयं 2 / से कि तं पुरो अंतगयं ? पुरयो अंतग। से जहानामए केइ पुरिसे उक्कं वा चडु(चुड)लियं वा अलायं वा मणिं वा पईवं वा जोई वा पुरश्रो काउं पणुल्लेमाणे 2 गच्छेजा से तं पुरो अंतगयं 3 / से किं तं मन्गयो अंतगयं ? मग्गयो अंतगयं से जहानामए केइ पुरिसे उक्कं वा चडुलिअं वा अलायं वा मणिं वा पईवं वा जोई वा मग्गयो काउं अणुकड्ड माणे 2 गच्छिजा, से तं मग्गयो अंतगयं 4 / से किं तं पासयो अंतगयं ? पासयो अंतगयं से जहानामए केइ पुरिसे उक्कं वा चडुलिय वा अलायं वा मणिं वा पईवं वा जाइं वा पासो काउं परिकड्ड माणे 2 गच्छिज्जा, से तं पासो अंतगयं, से तं अंतगयं 5 / से किं ते मझगयं ? मज्झगयं Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( भीमदाणमसुधासिन्धुः // चतुर्दशमी विभाग से जहानामए केइ पुरिसे उक्कं वा चडुलिं वा अलायं वा मणिं वा पईवं वा जोई वा मत्थए काउं समुबहमाणे 2 गच्छिजा से तं मझगयं 6 / अंतगयस्स मज्भगयस्स य को पइविसेसो ? पुरयो अंतगएणं योहिनाणेणं पुरयो चेव संखिजाणि वा असंखेजाणि वा जोषणाई जाणइ पासह, मग्ग यो अंतगएणं श्रोहिनाणेणं मग्गो चेव संखिज्जाणि वा असंखिजाणि वा जोगणाई जाणइ पासड, पामो अंतगएणं श्रोहिनाणेणं पासयो चेव संखिजाणि वा असंखेजाणि वा जोश्रणाई जाणइ पार इ, मज्भगएणं श्रोहिनाणेणं समयो समंता (समत्ता) संखिजाणि वा असंखेजाःण वा जोत्रणाइं जाणइ पासह, से तं प्राणुगामिग्रं श्रोहिनाणं 1 // सू० 6 // से कि तं पणाणुगामिग्रं योहिनाणं ? श्रणाणुगामियं श्रोहिनाणं से जहानामए केइ पुरिसे एगं महंतं जोइट्ठाणं काउं तस्सेव जोइट्टाणस्स परिपेरंतेहिं 2 परिघोलेमाणे 2 * तमेव जोइट्टाणं जाणइ पासइ अन्नत्थ गए न जाणइ न पासेइ, एवामेव अणाणुगामियं श्रोहिनाणं जत्थेव समुपज्जेइ तत्थेव संखिजाणि वा असंखिजाणि वा संबद्धाणि वा असंबहाणि वा जोगणाई जाणइ पासइ, अन्नत्थगए न जाणइ न पासइ, से तं श्रणाणुगामिश्र श्रोहिनाणं 2 / / सू०७॥ से किं तं वड्डमाणयं श्रोहिनाणं? वट्ठमाणयं श्रोहिनाणं पसत्थेसु अज्भवमाणाणेसु वट्टमाणस्स वट्ठमाणचरित्तस्स, विसुज्झमाणस्म विसुज्जमाणचरित्तस्स, सव्वयो समंता श्रोही वड्डइ 1 / जावइया तिसमयाहारगस्स सुहुमस्स पणगजीवस्स / श्रोगाहणा जहन्ना श्रोहिखित्तं जहन्नं तु // 1 // सव्वबहु-अगणिजीवा निरंतरं जत्तियं भरिजंसु। खित्तं सबदिसागं परमोही खेत्तनिहिट्ठो // 2 // अंगुल-मावलियाणं भागमसंखिज दोसु संखिजा(ज्ज)। अंगुलमावलियंतो श्रावलिश्रा अंगुलपुहुनं // 3 // हत्थंमि मुहुत्तंतो, दिवसतो गाउअम्मि बोद्धब्धो / जोयण-दिवसपुहृत्तं, पक्खंतो पन्नवीसायो // 4 // Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनन्दित्रम् ] . भरहमि अद्धमासो, जम्बुद्दीवंमि साहियो मासो / वासं च मणुअलोए, वासपुहुतं च रुग्रामि // 5 // संखिज्जमि उ काले, दीवसमुदावि हुँति संखिजा। कालंमि असंखेज्जे दीवसमुद्दा उ भइथवा // 6 // काले चउराहवुड्डी, कालो भइन् खित्तवुडीए। वुड्डीए दव्वपजव, भइअव्वा खित्त काला उ॥७॥ सुहुमो अ होइ कालो, तत्तो सुहुमयर हवइ खित्तं / अंगुलसेदिमित्ते, श्रोसप्पिणियो असंखिजा॥८॥ से तं वड्डमाणयं श्रोहिनाणं 2 ॥सू०८॥से कि तंहीयमाणयं श्रोहिनाणं ? हीयमाणयं श्रोहिनाणं अप्पसत्थेहिं श्रज्भवसायट्ठाणं हि वट्टमाणस्स वट्टमाणचरित्तस्स संकिलिस्समाणस्स संकिलिस्समाणचरित्तस्स सव्वश्रो समंता श्रोही परिहायइ, से तंहीयमाणयं रोहिनाणं 2 // सू०१॥ से किं तं पडिवाइ भोहिनाणं ? पडिवाइ श्रोहिनाणं जगणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजयभागं वा, संखिजभागं वा, वालग्गं वा, वालग्गपुहुत्तं वा, लिक्खं वा लिक्खपुहुत्तं वा, जूयं वा जूअपुहुतं वा, जवं वा जवपुहुत्तं वा, अंगुलं वा अंगुलपुहुत्तं वा, पायं वा पायपुडुत्तं वा, विहत्थि वा विहत्थिपुहुत्तं वा, रयणि वा रयणिपुहुत्तं, वा, कुच्छि वा कुच्छिपुहृत्तं वा, धणुवा धणुपुहुत्तं वा,गाउं वा गाउपुहुत्तं वा, जोत्रणं वा जोपणपुहुत्तं वा, जोपणसयं वा जोपणसयपुहुत्तं वा, जोगणमहस्सं वा जोपणसहस्सपुहुत्तं वा, जोश्रणलवखं वा जोश्रणल खपुहुत्तं वा, जोत्रणकोडिं वा जोषणकोडिपुहुत्तं वा, जोत्रणकोबाकोडि वा जोपणकोडाकोडिपुहुत्तं वा, जोत्रणसंखिज्जं वा जोत्रणसंखिजपहुत्तं वा, जोगणसंखेज वा जोश्रणअसंखेजपुहुत्तं वा, उक्कोसेणं लोगं वा पासित्ताणं पडिवइजा, 1 / सेत्तं पडिवाइअोहिनाणं 2 ॥सू० 10 // से किं तं अपडिवाइ श्रोहिनाणं ? अपडिवाइ श्रोहिनाणं जेणं थलोगस्स एगमवि अागासपएसं जाणइ पासइ तेण परं अपडिवाइ भोहिनाणं से तं श्रपडिवाइ श्रोहिनाणं // सू० 11 // तं समासत्रो चउब्विहं पन्नत्तं, तं जहा-दव्वयो खित्तयो कालो भावो 1 / तत्थ दव्यश्रो णं श्रोहिनाणी Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुभासिन्धुः / चतुर्दशमो विभाग जहन्ने णं अणंताई रूपिदव्वाई जाणइ पापइ, उक्कोसे णं सब्वाई रूविदव्वाई जाणइ पासइ, 2 / खित्तो णं श्रोहिनाणी जहन्ने णं अंगुलस्स असंखिजइभागं जाणइ पासइ, उकोसे णं असंखिजाई अलोगे लोगप्पमाणमिताइ खंडाइ जाणइ पासइ, 3 / कालयो णं श्रोहिनाणी जहन्ने णं श्रावलियाए असंखिजइभार्ग कालं जाणइ पासइ, उक्कोसे णं असंखिजायो उस्सपिणीयो श्रोसप्पिणीयो अईयमणागयं च कालं जाणइ पासइ, 4 / भावयोणं योहिनाणी जहन्ने णं अणते भावे जाणइ पासइ, उक्कोसे णं वि अणते भावे जाणइ पासइ, सबभागणमणंतभागं जाणइ पानइ, 5 / श्रोही भवपच्चइयो गुणपञ्चइयो य वरिणयो एसो(दुविहो) / तस्स य बहू विगप्पा दव्वे खित्ते य काले य // 1 // नेरझ्यदेवतित्थंकरा य श्रोहिस्सऽबाहिरा हुँति / पासंति सव्वो खलु सेसा देसेण पासंति // 2 // से तं श्रोहिनाणं (पञ्चक्ख) 6 // सू० 12 // से किं तं मणपज्जवनाणं ? मणपजवनाणं भंते ! किं मणुस्लाणं उपजइ अमगुस्साणं उपजइ ? गोयमा ! मणुस्साणं उपजइ नो अमणुस्माणं, 1 / जइ मणुस्साणं कि संमुच्छिममणुस्साणं गम्भवक्कंतियमणुस्साणं?गोयमा!नो समुच्छिममगुस्साणं उप्पजइ गब्भववतिय-मणुस्साणं 2 / जइ गम्भवक्कतिय-मगुस्साणं कि कम्मभूमियगम्भवक्कतिय-मणुस्साणं अकामभूमिय-गभवक्कंतिय-मणुस्साणं अंतरदीवग-गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं ? गोयमा ! कम्मभूमिय-गम्भवक्कंतियमणुस्साणं नो अकम्मभूमिय-गम्भवक्कंतिय-मणुरसाणं नो अंतरदीवग-गब्भववतिय-मणुस्साणं 3 / जइ कम्मभूमिय-गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं कि संखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भवक्कंतिय-मणुस्साणं असंखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भववकंतिय-मणुस्साणं ? गोयमा ! संखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भचवकंतिय-मणुस्साणं नो असंखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भववतिय-मणुस्साणं 4 / जइ संखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भवक्कतिय-मणुस्साणं Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनन्दिसत्रम् .. .. किं पजत्तग-संखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भववतिय-मणुस्साणं अपजत्तग-संखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भवक्कतिय-मणुस्साणं ? गोयमा ! पजतगसंखिजधासाउय-कम्मभूमिय-गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं, नो अपजत्तगसंखिजवामाउय-कम्मभूमिय-गम्भवक्कतिय-मणुस्साणं 5 / जइ पजत्तगसंखिजवामाउय-कम्मभूमिय-गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं किं सम्मदिट्ठिपजता-मंखिजवासाउय-गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं मिच्छादिट्ठिपजत्तग-संखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गव्भववतिय-मणुस्ताणं सम्मामिच्छदिट्ठिपज्जत्तग-संखिजवापाउय-कम्मभूमिय-गम्भवक्कंतिय-मगुस्साणं ? गोयमा ! सम्मदिट्ठिपजत्तग-संखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं नो मिच्छादिट्टिपजत्तगसंखिज्जवासाउय-कम्मभूमिय-गन्भवतिय-मणुस्साणं नो सम्मामिच्छदिटिपजत्तग-संखिन्जवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भववकंतिय-मणुम्साणं 6 / जइ सम्मदिट्ठिाजत्तग-संखिजवासाउय-कम्मभूमिय गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं किं संजयसम्मदिट्टि-पजत्तग-संखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भववतिय-मणुस्लाणं असंजयसम्मदिट्टि-पज्जत्तग-संखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भवक्कंतियमणुस्साणं संजयासंजयसम्मदिट्ठि-पजत्तग-संखिजवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भवक्कंतिय-मणुस्साणं ? गोयमा ! संजयसम्मदिट्टि-पजत्तग-संखिजवासाउयकम्मभूमिय गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं, नो असंजयसम्मदिट्टि-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भवक्कैतिय-मणुस्साणं नो संजयासंजयसम्मदिट्टि-पजत्तगसंखेजवासाउय-कम्मभूमिय गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं 7 / जइ संजयसम्मदिट्ठिपजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भवक्कंतिय मणुस्साणं किं पमत्तसंजय--सम्मदिट्ठि-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भवक्कंतिय-मणुस्साणं, अपमत्तसंजय--सम्मदिट्ठि-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भवक्कंतियमणुस्साणं ? गोयमा ! अपमत्तसंजय-सम्मदिट्ठि-पजत्तग-संखेजवासाउयकम्मभूमिय-गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं, नो पमत्त-संजय-सम्मदिट्ठि-पजत्तग-संखे Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः जवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं = / जइ अपमत्तसंजय-सम्मदिट्टि-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमिय-गम्भवक्कतिय-मगुस्साणं, किं इड्डिपत्त-अपमत्तसंजय-नम्नदिगिजत्तग-संखेजवासाउप-कम्मभूमिय-गम्भववतियमणुस्साणं श्रणिडिपत्त-अपमत्तसंजय-सम्मदिट्टि-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्म भूमिय-गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं ? गोयमा ! इडिपत्त-अपमनसंजय-सम्मदिट्टिपजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भवक्कतिय-मणुस्साणं, नो श्रणिहिपत्तअपमत्तसंजय-सम्मदिट्टि-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमिय-गव्भवक्कंतियमणुरसाणं मणपजवनाणं समुपजइ 1 / तं व दुविहं पन्नत्तं (उप्पजइ), तंजहा-उज्जुमई य विउलमई य 10 ! तं समासयो चउब्विहं पन्नतं, तं जहा-दव्वयो खित्तयो कालो भावो, तत्थ दबोणं उज्जुमई अणंते अणंतपएसिए खंधे जाणइ पासइ, तं चेव विउलमई अमहियतराए विउलतराए विसुद्धतराए वितिमिरतराए जाणइ पासइ, खित्तयो णं उज्जुमई जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजयभागं उक्कोसेणं अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहट्ठिल्ले खुड्डागपयरे उड्ढ जाव जोइस्स्स उवरिमटले, तिरियं जाव अन्तो-मणुस्सखित्ते अट्ठाइज्जेसु दीवसमुद्देसु पनरस्मसु कम्मभूमिसु तीमाए थक मभूमि छप्पन्नए अन्तरदीवगेसु सन्निपंचिंदियाणं पजत्तयाणं मणोगए भावे जाणइ पामइ 11 / तं चे विउलमई अड्डाईजेहिं अंगुलेहिं श्रब्भहियतरं विउलतरं विसुद्धतरं वितिमिरतरं खेतं जाणइ पासइ, कालो णं उन्जुमई जहन्मेणं पलिग्रोवमस्स असंखिजइभागं उकोसेणवि पलिग्रोवमस्स असंखेजइभागं अतीयमणागयं वा कालं जाणइ पासइ, तं चेव विउलमई श्रभहियतरागं विउलतरागं विसुद्धतरागं वितिमिरतरागं जाणइ पासइ, भावो णं उज्जुमई अणंते भावे जाणइ पासइ, सव्वभावाणं अतभागं जाणइ पासइ, तं चेव विउलमई अब्भहियतरागं विउलतरागं विसुद्धतरागं वितिमिरतरागं जागाइ पासइ, मणवजवनाणं पुण जगमणवि(परि चितिय Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भनिन्दिसत्रम् / त्यपागडणं माणुसखित्तनिबद्धं गुणपञ्चइयं चरित्तवो, से तं मणपजवनाणं 12 // सू० 13 // से किं तं केवलनाणं ? केवलनाणं दुविहं पनत्तं, तं जहा-भवत्थकेवलनाणं च सिद्धकेवलनाणं च 1 / से किं तं भवत्थकेवलनाणं ? भवत्थकेवलनाणं दुविहं पन्नत्तं, तंजहा-सजोगि-भवत्थकेवलनाणं च अयोगि-भवत्थकेवलनाणं च 2 / से किं तं सजोगि-भवत्थकेवलनाणं ?, सयोगि-भात्थकेवलनाणं दुविहं पराणत्तं, तं जहा-पढमसमय-सयोगिभवत्थकेवलनाणं च अपढमसमय-सजोगि-भवत्थकेवलनाणं च, ग्रहवा चरिमसमयसयोगि-भवत्थकेवलनाणं च अचरिमसमय-सजोगि-भवत्थकेवलनाणं च, सेतं सजोगि-भवत्थकेवलनाणं ३।से किं तं अयोगि-भवत्थकेवलनाणं ?, अयोगिभवत्यकेवलनाणं दुविहं पराणत्तं, तं जहा-पढमसमय-अयोगि-भवत्थकेवलनाणं च अपढमसमय-अजोगि-भवत्थकेवलनाणं च, अहवा चरिमसमयअजोगे-भवत्योवलनाणं च अचरिमसमय-अजोगि-भवत्थकेवलनाणं च, से तं अजोगि-भवत्थकेवलनाणं 4 / से किं तं सिद्धकेवलनाणं ? सिद्धकेवलनाणं दुविहं पनत्तं तं जहा-अणंतर-सिद्ध केवलनाणं च परंपरसिद्धकेवलनाणं च 5 / से किं तं श्रणंतरसिद्धकेवलनाणं ? अणंतर-सिद्ध केवलनाणं पन्नरस्सविहं पन्नत्तं, तं जहातित्यमिद्धा 1 अतित्थसिद्धा 2 तित्थयरसिद्धा 3 अतित्थयरसिद्धा 4 सयंबुद्धसिद्धा 5 पत्तेयबुद्धसिद्धा 6 बुद्धबोहियसिद्धा 7 इथिलिंगसिद्धा - पुरिसलिंगसिद्धा 1 नपुंसगलिंगसिद्धा 10 सलिंगसिद्धा 11 अन्नलिंगसिद्धा 12 गिहिलिंगमिद्धा 13 एगसिद्धा 14 अणेगसिद्धा 15 से तं अणंतरसिद्ध केवलनाणं 6 / से कि तं परंपरमिद्धकेवलनाणं ? परंपरसिद्धकेवलनाणं अणेगविहं पनत्तं, तं जहा-अपढमसमयसिद्धा दुसमयसिद्धा तिसम यसिद्धा चउममयमिद्धा जाव दस समयसिद्धा संखिजसमयसिद्धा संखिज. समयसिद्धा अणंतसमयसिद्धा, से तं परंपरसिद्ध केवलनाणं, से तं सिद्ध Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमवागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभाग केवलनाणं 7 / तं समासो चउबिहं पन्नत्तं, तं जहा-दवो खित्तश्रो कालो भावो, तत्थ दबश्रो णं केवलनाणी सम्बदव्वाइं जाणइ पासइ, खित्तयो णं केवलनाणी सबखित्तं जाणइ पासइ, कालश्रो णं केवलनाणी सव्वकालं जाणइ पासइ / भावो णं केवलनाणी सबभावे जाणइ पासइ 8 / अह सबदव्व-परिणाम-भावविन्नत्ति-कारणमणंतं / -सासयमप्पडिवाई एगविहं केवलनाणं // 1 // केवलनाणेणत्थे नाउं जे तस्थ पन्नवणजोगे। ते भासइ तित्थयरो वइजोग सुग्रं(तयं) हवइ सेसं (तेसि)॥२॥से त्तं केवलनाणं, से तं पच्चरखनाणं 1 // सू० 14 // से कि तं परुक्खनाणं ? परुक्ख नाणं दुविहं पन्नत्तं, तं जहा-श्राभिणिवोहिअ-नाणपरुक्खं च सुअनाणपरुक्खं च 1 / जत्थ श्राभिणि बोहियनाणं तत्य सुअनाणं, जत्थ सुथनाणं तत्थाभिणिबोहियनाणं, दोऽवे एयाई अनमनम गुगयाई तहवि पुण इत्थ पायरिया नाणत्तं पनवयंति-श्राभिनिबुज्मइ ति पाभिणियोहियनाणं 2 / सुणेइ ति सुग्रं मइपुव्वं जेण सुअं, न मइ सुअपवित्रा 3 / अविसेसिश्रा मइ-मइनाणं च मइअन्नाणं च, विसेसिश्रा मती सम्मदिट्ठिस्स मइ-मइनाणं, मिच्छदिट्ठिरस मइ-मश्रन्नाणं 4 / अविसे. सिधे सुयं-सुयनाणं च सुयअन्नाणं च, विसेसिधे सुयं-सम्मंदिट्ठिस्म सुयंमुयनाणं मिच्छदिहिस्स सुयं-सुयश्रन्नाणं 5 / से कि तं आमिणिबोहियनाणं ? अाभिणिबोहियनाणं दुविहं पन्नत्तं, तं जहा-सुयनिस्तियं च असुयनिस्मियं च 6 // सू० 15 // से किं तं असुयनिस्सियं ? असुयनिस्सियं चउबिहं पनत्तं, तं जहा-उप्पत्तिा 1 वेणइथा 2 कम्मश्रा 3 परिणामिश्रा 4 / बुद्धि चउबिहा वुत्ता पंचमी नोवलब्भइ // 1 // पुवं अदिट्ठ-मस्सुय-मवेइय-तक्खणविसुद्ध-गहित्था / अबाहय-फलजोगा बुद्धी उप्पत्तिश्रा नाम // 2 // भरहसिल 1 पणिय 2 रुक्खे 3 खुड्डग 1 पड 5 - सरड 6 काय 7 उचारे ।गय 1 घयण 10 गोल 11 खेमे 12 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनन्दिनम् ...... . [1 खुडग 13 मग्गिथि 14 पइ 15 पुत्ते 16 // 3 // भरह 1 सिल 2 मिंढ 3 कुक्कुड 4 वालुब 5 हत्थी 6 अगड 7 वणसंडे 8 / पायस 1 श्रइया 10 पत्ते 11 खाडहिला 12 पंचपिरो य 13 // 4 // महुसित्य 14 मुद्दि 15 अंक 16 नाणए 17 भिक्खु 18 चेडगनिहाणे 11 / सिक्खाय 20 अत्थसत्थे 21 इच्छायमहं 22 सयसहस्से 23 // 5 // भनित्थरणसमत्था तिवग्गसुत्तत्थगहिपेश्राला / उभयो लोगफलवई विर,यसमुत्था हवइ बुद्धी // 6 // निमित्ते 1 अत्थसत्थे य 2 लेहे 3 गणिए श्र 4 कूव 5 अस्से य 6 / गद्दभ 7 लक्खण 8 गठी 1 अगए 10 रहिय य 11 गणिया य 12 // 7 // सीधा साडी दीहं च तणं अवसव्वयं च कुचस्स 13 / निव्वोदए श्र 14 गोणे घोडगपडणं च रुक्खायो 15 // 8 // उवयोगदिट्ठसारा कम्मपसंगपरिघोलणविसाला / साहुक्कारफलबई कम्मसमुत्था हवइ बुद्धी // 1 // हेरनिए 1 करिसए 2 कोलिय 3 डोवे य 4 मुत्ति 5 घय 6 पवए 7 / तुराणाए 8 वडई य 1 प्रयइ 10 घड 11 चित्तकारे य // 10 // अणुमाणहेउदिटुंतसाहिया वयविवागपरिणामा। हिअनिस्सेअसफलवई बुद्धी परिणामिया नाम // 11 // अभए 1 सिट्टि 2 कुमारे 3 देवी 4 उदिवोदए हवइ राया। साहू य नंदिसेणे 6 धणदत्ते 7 सावग 8 श्रमच्चे 1 // 12 // खमए 10 श्रमच 11 पुत्ते चाणक्के 12 चेव थूलभद्दे श्र 13 / नासिकसुदरिनंदे 14 वइरे 15 परिणामबुद्धीए // 13 // चलणाहण 16 श्रामंडे 17 मणीय 18 सप्पे 11 य खग्गि 20 थूभिदे 21 / परिणामियबुद्धीए एवमाई उदाहरणा // 14 // से तं असुयनिस्सियं ॥सू० 16 // से किं तं सुयनिस्सियं मइनाणं ? सुयनिस्सियं मइनाणं चउब्विहं पन्नत्तं, तं जहा-उग्गह इहा श्रवायो धारणा 1 / से कि तं उग्गहे ! उग्गहे दुविहे पनत्ते, तं जहा-प्रत्थुग्गहे श्र वंजणुग्गहे श्र 2 / से कोलिय 3 डोवेमसमुत्था हवइ बुद्धी कामपसंगपरिघोलणाव Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमी विमानेर किं तं वंजणुग्गहे ? वंज गुग्गहे चउविहे पन्नत्ते, तं जहा-सोइंदियवंजणुग्गहे, घाणेंदियवंजणुग्गहे, जिभिदियवंजणुग्गहे, फासिंदियवंजणुग्गहे / से तं वंजणुग्गहे 3 / से किं तं प्रत्युग्गहे ? अत्थुग्गहे छबिहे पन्नत्ते, तं जहा-सोइंदियनत्थुग्गहे, चक्खिदियश्रत्थुग्गहे, घाणिदियश्रत्युग्गहे, जिभिदियअत्थुग्गहे, फासिंदियनत्थुग्गहे, नोइंदिययत्थुग्गहे, तस्स णं इमे एगट्ठिया नाणाघोसा नाणावंजणा पंत्र नामधिजा भवंति, तं जहाश्रोगेराहणया 1. उवधारणया 2 सवणया 3 अवलंबणया 4 मेहा 5 से तं उग्गहे 4 / से किं तं ईहा ? ईहा छब्बिहा पनत्ता, तं जहा-सोइंदियईहा, चक्खिदियईहा, घाणिंदियईहा, जिभिदियईहा, फासिंदियईहा, नोइंदियईहा, तीसे णं इभे एट्ठिया नाणाघोसा नाणावंजणा पंच नामविजा भवंति, तं जहा-याभोगणया 1 मग्गणया 2 गवेसणया 3 चिंता 4 विमंसा 5 से तं ईहा 5 / से किं तं अवाए ? अवाए छब्बिहे पन्नत्ते, तं जहा-सोइंदियश्रवाए, चविखदियश्रवाए, घाणिंदयवाए, जिभिदिययवाए, फासिंदियश्रवाए, नोइंदियश्रवाए, तस्स णं इमे एगट्ठिया नाणाघोसा नाणावंजणा पंच नामधिज्जा पन्नत्ता, तं जहा-बाउट्टण्या 1 पच्चाउट्टणया 2 अवाए ३बुद्धी 4 विनाणे 5 से तं श्रवाए 6 / से कि तं धारणा धारणा ? छब्विहा पन्नत्ता, तं जहा-सोइदियधारणा, चक्खिदियधारणा, घाणिंदियधारणा, जिभिदियधारणा, फासिदियधारणा, नोइंदियधारणा, तीसे इमे एगट्ठिया नाणाघोसा नाणावंजणा पंच नामधिज्जा पन्नत्ता, तं जहा-धरणा 1 धारणा 2 ठवणा 3 पट्टा 4 कोट्टे / से तं धारणा 7 // सू० 17 // उग्महे इक्कसमइए, अन्तोमुहुत्तिश्रा ईहा, अन्तोमुहुत्तिए अवाए, धारणा संखेज वा कालं असंखेज्जं वा कालं 1 / एवं अट्ठावीसइविहस्स श्राभिणिबोहियनाणस्स वंजणुग्गहस्स परवणं करिस्सामि, पडिबोहगदिट्टतेण मल्लग दिढतेण य 2 // सू०. 16 // से किं तं पडिबोहगदिट्टतेण ? Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीनन्दिसूत्रम् ] [15 .. पडिबोहगदिढतेण-से जहा नामए केइ पुरिसे कंचि पुरिसं सुत्तं पडिबो हिजा अमुगा अमुगत्ति तत्थ य चोयगे पत्रवर्ग एवं वयासी कि एगसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छति दुसमयपविठ्ठा पोग्गला गहणमागच्छति ? तिसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छति जाव दससमयपविट्ठा पोगला गहणमाग छोते ? संखिजसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छंति ? असंखिजसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छति ? एवं वदंतं चोयगं पनवए एवं वयासी नो एगसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छतेि, नो दुसमयपोग्गला गहणमागच्छतेि, नो तिसमयपविठ्ठा पोग्गला गहणमागच्छंति, जार नो दस समयपबिट्ठा पोग्गला गहणमागच्छंति, नो संखिजसमयपरिट्ठा पोग्गला गहणमागच्छति, असंखिजसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छति, से तं पडिबोहगदिट्टतेण 3 // सू० 11 // से किं तं मल्लगदिद्रुते // ? मल्लगदिट्टतेण से जहानामए केइ पुरिसे अावागसीसाथो मल्लगं गहाय तत्थेगं उदगबिंदु पवखेविजा से न?, अन्नेऽवि पविखत्ते सेवि न? 1 / एवं पक्खिप्पमाणेसु पक्खिप्पमाणेसु होही से उदगबिंदू जे णं तं. मल्लगं रावेहिइत्ति, होही से उदगबिंदू जे णं तंसि मल्लगंसि गहिति, होही से उदगबिंदू जे णं तं मल्लगं भरिहिति, होही से उदगबिंदु जे णं तं मल्लगं पाहेहिति एवामेव पक्खिपमाणेहिं पक्खिप्पमाणेहिं श्र[तेहिं पोग्गलेहिं जाहे तं वंजणं परिश्र होइ ताह हुँति करेइ 2 / नो चेव णं जाणइ के वि एस सदाइ तथो ईहं पविसइ, तो जाणइ अमुगे एस सदाइ 3 / तयो वायं पविसइ तत्रो से उवगयं हवइ.४ / तो णं धारणं पविसइ, तो णं धारेइ संखिज्जं वा कालं, असंखिज वा कालं 5 / से जहा नामए केइ, पुरिसे अव्वत्तं सदं सुणिजा तेणं सहोत्ति उग्गहिए, नो चेव णं जाणइ के वेस सदाइ, तो ईहं पविसइ, तो जाणइ अमुगे एम सद्दे, तो पं. अयं पविसइ, तथो से उपगयं Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 29. [ श्रीमदागमसुभासिन्धुः चतुर्दशमी विमागःहबइ तथो णं धारणं पविसइ, तश्रोणं धारेइ संखिज्ज वा कालं असंखिज्ज वा कालं 6 / से जहा नामए केई पुरिसे श्रव्वत्तं स्वं पासेजा तेणं रूवत्ति उग्गहिए नो चेव णं जाणइ के वेस रूवत्ति, तो ईहं पविसइ तथो जाणइ अमुगे एस स्वेत्ति, तो अवायं पविसइ, तयो से उगवयं हवइ, तयो धारणं पविसइ, तो णं धारेइ संखिज्जं वा कालं असंखिज्जं वा कालं ७।से जहा नामए केई पुरिसे श्रव्वत्तं गं, अग्याइजा तेणं गंधेत्ति उग्गहिए नो चेव णं जाणइ के वेस गंधति, तथो ईहं पविसई, तो जाणइ प्रमुगे एस गंधे, तयो वायं पविसइ, तयो से उवगयं हवई, तो धारणं पविसइ, तो णं धारेइ संखिज्ज वा कालं असंखिज्जं वा कालं 8 / से जहा नामए केई पुरिसे अवत्तं रसं आसाइजा तेणं रसे त्ति उग्गहिए नो चेव णं जाणइ, के वेस रसेत्ति, तो ईह पविसइ, तो जाणइ अमुगे एस रसे, तयो वायं पविसइ, तथो से उवगयं हवइ, तो धारणं पविसइ, तथो णं धारेइ संखिज्जं वा कालं असंखिज्जं वा कालं 1 / से जहा नामए केइ पुरिसे अव्वत्तं फासं पडिसंवेइजा, तेणं फामेति उग्गहिए, नो चेव णं जाणइ, के वेस फासत्ति , तहो ईहं पविसइ, तो जाणइ अमुगे एस फासे, तो अवायं पविसइ, तयो से उवगयं हवइ, तो धारणं पविसइ, तो णं धारेइ संखिज्ज वा कालं श्रसंखिज्जं वा कालं 10 / से जहा नामए केई पुरिसे अव्वत्तं सुमिणं पासिजा, तेणं सुमिणेत्ति उग्गहिए, नो चेव णं जाणइ, के वेस सुमिणेत्ति, तश्रो ईहं पविसइ, तो जाणइ श्रमुगे एस सुमिणेत्ति, तश्रो अवायं पविसइ, तत्रो से उवगयं हवइ, तो णं धारणं पविसइ, तो णं धारेइ संखिज्जं वा कालं असंखिज्ज वा कालं 11 / से तं मल्लगदिट्टतेण // सू० 20 // तं समासश्रो चउन्विहं पन्नतं, तं जहा-दव्वो खित्तत्रो कालो भावो 1 / तत्थ दन्वश्रो णं श्राभिणिबोहियनाणी पाएसेणं Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ औनन्दिनम् / सव्वाई दवाई जाणइ न पासइ, खेत्तश्रो णं श्राभिणिबोहिय-नाणी पाए. सेणं सत्वं खेत्तं जाणइ न पासइ, कालो णं आभिणिबोहियनाणी पाए. सेणं सव्वं कालं जाणइ न पासइ, भावयो णं श्राभिणिवोहियनाणी श्राएसेणं सब्वे भावे जाणइ न पा रइ 2 / उग्गहईहाज्वायो य. धारणा एव हुँति बत्तारि / श्राभिणिवोहियनाणस्स भेयवत्थू समासेणं // 1 // अत्थाणं उग्गहणंमि उग्गहे, तह विश्रालणे ईहा / वयसायमि वायो, धरणं पुण धारणं विति // 2 // उग्गह इवकं समयं, ईहाऽवाया मुहुत्तमद्धं(मंतं) तु। कालमसंखं संखं च, धारणा होई नायव्वा // 3 // पुटुं सुणेइ सह, स्वं पुण पासइ अपुटुं तु / गंधं रसं च फासं च, बद्रपुटुं वियागरे // 4 // भासाममसेदीयो, सहज सुणइ मीसियं सुगइ / वीसेटी पुण सह, सुणे.इ नियमा पराघाए // 5 // ईहा अपोह वीमंसा, मग्गणा य गवेसणा / सन्ना सई मई पन्ना, सव्वं श्राभिणिबोहियं // 6 // से तं श्राभिणिबोहियनाणपरोक्खं, से तं मइनाणं 3 // सू० 21 // से किं तं सुयनाण-परोक्खं ?, सुयनाणपरोक्खं चोदसविहं पन्नत्तं, तं जहा-अक्खरसुयं 1 अणक्खरस्यं 2 सन्निसुयं 3 श्रसन्निसुयं 4 सम्मसुयं 5 मिच्छासुयं 6 साइसुयं 7 अगाइसुयं 8 सपजवसियसुयं 1 अपजवसियसुयं 10 गमियसुयं 11 अगमियसुयं 12 अंगपविट्ठ सुयं 13 अणंगपविट्ठ सुयं 14 // सू० 22 // से किं तं अक्खरसुयं ? अक्खरसुयं तिविहं पन्नतं, तं जहा-सन्नखरं-वंजणक्खरं लद्धियक्खरं, से किं तं मन्नवखरं ? सन्नक्खरं अक्खरस्स संगणाऽऽगिई (सद्धाणगइ). से तं सन्नवखरं, से किं त वंजणक्ख{ ? वंजणक्खरं अवखरस्स वंजणाभिलावो, से तं वंजणवखरं, से किंत लद्धिअवखरं ? लद्धिअक्खरं अक्खरलद्धियरस लद्धियक्खरं समुप्पजइ, तंजहा-सोइंदिवलद्धिअक्खरं चविखदियलद्धियाखरं, घाणिदियलद्धियक्खरं, जिभिदियलद्धिअक्खरं, फासिदियलद्धिअखरं; नोइंदियला अक्खरं, संतं लद्धिअक्खरं से तं श्रखरसुयं Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागा - // सू० 23 // से किं तं अणक्खरसुयं ?, अणक्खरसुयं अणेगविहं पन्नतं, तं जहा-उससियं नीससियं निच्छूढं खासियं च छीअं च। निस्सिंधिश्रमणुसारं श्रणक्खरं छेलिपाइग्रं // 1 // से तं श्रणक्खरसुयं // सू० 24 // से कि तं सन्निसुयं ? सनिसुयं तिविहं पन्नत्तं, तं जहा-कालियोदएसेणं हेऊवएसेणं दिट्ठिवाग्रोवएसेणं १।से कि तं कालियोवएसेणं ? कालिग्रोवएसेणं जस्स णं यत्यि ईहा अबोहो मग्गणा गवसणा चिंता विमंसा, से णं सनीति लन्मइ, जस्स णं नत्थि ईहा अबोहो मग्गणा गवसणा चिंता विमंसा से णं श्रसन्नीति लभइ, से तं कालियोवएसेणं 2 / से किं तं हेऊवएसेणं ? हेऊवएसणं जस्म णं अस्थि अभिसंधारण पुविधा करणसत्ती से णं सन्नीति लब्भइ, जस्स णं नस्थि लभिसंधारणपुविधा करणसत्ती से णं असन्नीति लब्भइ, से तं हेऊवएसेणं 3 / से किं तं दिठिवाओवएसेणं ? दिट्टिवायोवएसेणं सन्निसुयस्स खयोवसमेणं सन्नी लगभइ, असन्निसुयस्स खोवसमेणं श्रसन्नी लभइ से तं दिट्ठिवाओवएसेणं 4 / से तं सुनिसुयं / से तं श्रमन्निसुयं 5 // सू० 25 // - से कि तं सम्मसुयं ? सम्मसुयं जं इमं अरहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पन्ननाणदंसणधरेहिं तेलुक-निरिक्खित्र(चहित)महियाइएहिं तीयपडु(चु)प्पन्न मणागयजाणएहिं सव्वन्नूहिं सबदरिसोहिं पणीयं दुवालसंग गणिपिडगं, तं जहा-पायारो 1 सूयगडो 2 ठाणं 3 सम्बायो 4 विवाहपन्नत्ति 5 नायाधम्मकहाश्रो, 6 उवासगदसायो 7 अंतगडदसाया 8 अणुत्तरोववाईयदसायो 1 पराहागरणाई 10 विवागसुयं 11 दिट्टिवायो 12, / इच्चेअं दुवालसंगं गणपिडगं चोदसपुब्बिस्स सम्मसुयं अभिन्नदसव्विस्स सम्मसुयं, तेण परं भिराणेसु (भरणइ) भयणा, से तं सम्मसुयं 2 // सू० 26 // से किं तं मिच्छासुयं ? मिच्छासुयं जं इस अन्नाणिएहिं मिच्छादिट्ठिएहिं सच्छंदबुद्धि-मइविगप्पियं तं जहां-भारह, Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मोनन्दिसूत्रम् : [ रामायणं, हंभीमासुरुक्खं, कोडिल्लयं, सगडंभदिपायो, खोड(घोडग)मुह, कपासियं, नागसुहुम, कणगसत्तरी, वइसेसि, बुद्धवयणं, तेसियं, काविलियं, लोगाययं, सद्वितंतं, माढरं, पुराणं, वागरणं, भागवं, पायंजली, पुस्तदेवयं, लेहं, गणियं, सउणस्यं, नाडयाई, अहवा बावत्तरि कलायो, चत्तारि अ वेथा संगोवंगा एग्राइं. मिच्छादिहिस्स मिच्छत्तपरिग्गहिश्राई मिछासुयं, एयाई चेव सम्मदिट्ठिस्स सम्मत्तपरिगहिवाई सम्मसुयं, अहवा मिच्छदिट्ठिस्तवि . एयाइं चेत्र सम्मसुयं, कम्हा ? सम्मत्तहेउत्तणो जम्हा ते मिछदिटेवा तेहिं चेव समएहिं चोईया समाणा केइ सपरखदिट्ठियो चयति / से तं मिच्छासुयं 6 // सू० 27 // से कितं साईश्रमपज्जवसिग्रं, श्रणाइअं अाजवसियं सुयं ? साइमं सपजवसिय, प्रणाइयं अपजवसियं सुयं इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं, वुच्छित्ति नयट्टयाए माइग्रं सपजवसिग्रं, अवुच्छित्ति नयट्याए अणाईअं अाजवसिय 1 / तं समासयो चउब्विहं पन्नतं, तं जहा-दबो खित्तयो कालो भावनो 2 / तत्थ दव्वो णं सम्मसुयं एगं पुरिसं पडुच्च साइयं सपजवसिग्रं, बहवे पुरिसे य पडुच्च अणाइयं अपजवसिय 3 / खेतो णं पंच भरहाइ पंच एरण्याई पडुच्च साइग्रं सपजवसिय, पंच महाविदेहाई पडुच्च प्रणाइयं अपजवसिग्रं 4 / कालो णं उस्मप्पिणिं श्रोसप्पिणिं च पडुच्च साइयं सपज्जवसिग्रं, नोउस्सप्पिणिं नोयोसप्पिणिं च पडुच्च अणाइअं अपजवमिश्र 5 / भावो णं जे जया जिणपन्नत्ता भावा श्राघविज्जति पन्नविज्जीते परूविज्जाते दंसिज्जति निदंसिर्जति उवदसिज्जति तया ते भावे (ते तहा) पडुच्च साइयं सपजवसिधे खायोवसमिश्र पुण भावं पडुच्च श्रणाइयं अयजवसिय 6 / अहवा भासिद्धियस्स सुयं साइग्रं संपजपसिधे च, अभवसिद्धियस्स सुयं अणाइयं अपजवसियं च 7 / सवागाउपएसग्गं सबागासपएसेहिं अणंतगुणियं पजवक्खरं निफजइ, सव्व. Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4] [ श्रीमदागमसुभासिन्धुः / चतुर्दशमी तिमागा जीवाणं पि अणं अक्खरस्स अणंतभागों निच्चुग्घाडियो / “जइ पुणं सोवि श्रोवरिजा तेणं जीवो अजीवत्तं पाविजा ।सुट्ठवि मेहसमुदए होइ पभा चंदसूराणं॥” सेतं साइयं सपज्जवसिग्रं, सेतं अणाइयं श्राजवसिग्रं (सुयं) 1 ॥सू० २८॥से किंतं गमियं ? गमियं दिट्टिवायो, से कितं अगमियं? अगमियं कालियं सुयं / सेत्तं गमियं सेत्तं अगमियं 1 / अहवा तं समासयो दुविहं पन्नत्तं तं जहा-अंगाविट्ठ अणंगपविट्ठ (अंगवाहिरं) च 2 // सू० 26 // से किंतं अणंगपविट्ठ (अंगवाहिरं)? अणंगपविट्ठ (अंगबाहिरं) दुविहं पन्नत्तं, तं जहा - श्रावस्तयं च श्रावस्सयवइरित्तं च 1 / से किं तं श्रावस्सयं? अावस्मयं छव्विहं पनत्तं, तं जहा-सामाइग्रं, चउवीसत्थयो, वंदणयं, पडिक्कमणं, काउरसगो, पंचक्खाणं, से तं श्रावस्सयं 2 / से किं तं श्रावस्सयवरितं ?, श्रावस्मयवा रित्तं दुविहं पन्नत्तं, तं जहा-कालियं च उकालियं च ३।से किं तं उकालियाउकालियं अणेगविहं पन्नत्तं, तं जहा-दसवेत्रालियं 1 कप्पियाकप्पियं 2 चुल्लकप्पसुयं 3 महाकप्पसुयं 4 उववाइयं 5 रायपसेणियं 6 जीशभिगमो 7 पनवणार महापन्नवणा 1. पमायप्पमायं 10 नंदी 11 अणुयोगदराई 12 देविदत्यत्रो 13 तंदुलवेत्रालियं 14 चंदाविज्झयं 15 सूरपनत्ती 16 पोरिसिमंडलं 17 मंडलपवेसो 18 विजाचरणविणिच्छयो 11 गणिविज्जा 20 ज्माणविभत्ती 21 मरणविभत्ती 22 श्रायविसोही 23 मरणविसोही, वीयरागसुयं 24 संलेहणासुयं 25 विहारकप्पो 26 चरणविही 27 पाउरपञ्चक्खाणं 28 महापञ्चक्खाणं 21 एवमा, सेतं उकालियं 4 / से किं तं कालियं ? कालियं अणेगविहं पन्नत्तं, तं जहा-उत्तरज्मयणाई 1 दसायो 2 कप्पों 3 ववहारो 4 निसीहं 5 महानिसीहं 6 इसिभासियाई 7 जंबद्दीवपन्नत्ती 8 चंदपन्नत्ती 1 दीवसागरपन्नत्ती 10 खुड्डिाविमाणपविभत्ती 11 महल्लिाविमाणपविभत्ती 12 अंगचूलिया 13 वग्गचूलिया 14 विवाहचूलिया 15, अरुणोववाए 16. वरुणोववाए 17 गरुलो Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मीनन्दिसत्रम् ] [ 21 ववाए 18 धरणोववाए 11 वेसमणोववाए 20 वेलंधरोववाए 21 देविंदोववाए 22 उट्ठाणसुए 23 समुट्ठाणसुए 24 नागपरित्रावलियाणं(यो) 25 निरियावलियाणं(यो) 26 कप्पियाणं(यो) 27 कप्पवडिसिप्राणं 28 पुफियाणं 21 पुफचूलियाणं 30 वराहीयाणं 31 वराहीदसाणं 32 श्रासीविसभावणाणं 33 दिटिविसभावणाणं 34 चारणसुमिणभावणाणं 35 महासुमिणभावणाणं 36 तेअग्गिनिसग्गाणं 37 एवमाइयाई चउरासीई पइन्नग-सहस्साई भगवयो अरहयो उसहसामिस्स आइतित्थयरस्स 6 / तहा संखिजाइं पइन्नगसहस्साई मज्झिमगाणं जिगावराणं 7 / चोदस पइन्नग-सहस्माणि भगवयो वद्धमाणसामिस्स 8 | अहवा जस्स जत्तिया सीसा उप्पत्तियाए वेणइयाए कम्मयाए परिणामियाए चउबिहाए बुद्धीए उववेसा तस्म तत्तिाई पइन्नग सहस्साई पत्तेत्र बुद्धावि तत्तिया चेव 1 / से तं कालियं, से तं उकालियं सुयं, से तं श्रावस्सयवइरितं, से तं श्रणंगपविट्ठ सुयं 10 // सू० 30 // से किं तं अंगपविट्ठ?, अंगपविट्ठ दुवालसविहं पन्नत्तं, तं जहा-पायारो 1 सूयगडो 2 ठाणं 3 समवायो 4 विवाहपन्नत्ती 5 नायाधम्मकहायो 6 उवासगदसायो 7 अंतगडदसायो 8 अणुत्तरोषवाइयदसायो 1 पराहावागरणाई 10 विवागसुयं 11 दिट्टिवायो 12 // सू० 31 // से किं तं पायारे ? अायारेणं समणाणं निग्गंथाणं थायरगोयर-विणय. वेणइय-सिखा-भासा-अभाप्ता-चरण-करण-माया-जाया-वित्तीयो श्रापविज्जंति 1 / से ममासयो पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-नाणायारे, दंसणापारे, चरित्तायारे, तवायारे, वीरियायारे 2 / बायारे णं परित्ता वारणा, संखिजा अणुयोगदारा, संखिजा वेढा, संखिजा सिलोगा, संखिजानो निज्जुत्तीणो, संखिजायो पडिवत्तीयो, संखिजात्रो संगहणीयों 3 / से णं अंगठ्ठयाए पढमे अंगे दो सुथक्खंधा, पणवीसं अज्झयणा, पंचासीई उद्देसणकाला, पंचासीई Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 21] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमी विमाग: समुद्दे मणकाला, अट्ठारस पय सहस्साणि पयग्गेणं 4 / संखिजा अवखरा,अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडनिबद्ध निकाइथा जिणपन्नत्ता भावा बाघविज्जंति पनविज्जंति परूविज्जति दंसिज्जंति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति 5 / से एवं पाया से एवं नाया से एवं विनाया से एवं चरणकरणपस्वणा श्रापविजइ, से तं पायारे 6 // 1 // सू० 32 // से कि तं सूयगडे ? सूयगडे णं लोए सूइज्जइ, अलोए सूइज्जड़, लोपालोए सूरजन्ति, जीवा सूइजन्ति, अजीवा सूइज्जन्ति, जीवाजीवे सूरजन्ति, ससमए सूइजइ, परसमए सूइजइ, ससमयपरसमए सूइजन्ति 1 / सूयगडे णं असीअस्स किरियावाइसयस्स चउरासीइए अकरियावाईणं सत्तट्ठीए अन्नाणियवाईणं वत्तीसाए वेणइयवाईणं तिराहं तेसट्टाणं पासंडिय तयाणं वूहं किचा ससमए गविजइ 2 / सूयगडे णं परित्ता वायणा, संखेजा अणुयोगदारा, संखिजा वेढा, मंखिजा सिलोगा, सं.खजानो निजुत्तीयो, संखिन्जायो पडिवत्तीयो, संखिजागो संगहणीयो 3 / से णं अंगट्टयाए बिइए अंगे दो सुअक्खंधा, तेवीसं अज्झयणा, तित्तीसं उद्देसण काला, तित्तीसं समुद्दे. सणकाला, छत्तीसं पयसहस्साणि, पयग्गेणं ४।संखिजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडनिबद्ध निकाइया जिणपन्नता भावा पारविज्जति पन्नविज्जंति परूविज्जति दंसिज्जंति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति 5 / से एवं श्राया से एवं नाया से एवं विनाया से एवं चरणकरणपरूवणा श्रापविजड़, से तं सूरगडे 6 / // 2 // सू० 33 // से किं तं ठाणे ? ठाणे जीवा गविज्जति, अजीवा गविज्जत, जीवाजीवे गविज्जंति / ससमए गविजति, परसमए गविजति, ससमए परसमए ठविजति, लोए गविजति, अलोए विज्जति, लोपालोए गविज्जति 1 / ठाणे णं टंका कूडा सेला सिहरिणो पन्भारा कुडाई गुहायो आगरा दहा नईयो श्राविज्जति, गणे णं एगाइयाए एगुत्तरियाए वुइटीए दसठाणगविवहि Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनन्दिनम् / [21 याणं भावाणं परूवणा श्रापविजति 2 / गणे ‘णं परिता वायणा संखिजा अणुयोगदारा संखिजा वेढा संखिजा सिलोगा सखिजायो निज्जुत्तीयो संखिज्जायो पडिवत्तीयो संखिजाओ संगहणीयो 3 / से णं अंगठ्ठयाए तइए अंगे एगे सुअखंधे दस अन्झयणा एगवीसं उद्दे सणकाला एगवीमं समुद्दे सणकाला बावत्तरि पयसहस्सा पयग्गेण 4 / संखिजा अक्खरा अणंना गमा अणंता पजवा परिना तसा अणंता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपन्नता भावा पापविजंति पन्नविजंति परूविज्जति दसिज्जत्ति निर्देसिज्जति उवदं सेजति 5 / से एवं श्राया से एवं नाया से एवं विनाया से एवं चरणकरणपरूवणा श्राघविजइ से तं पणे 6 ॥३॥सू० 34 ॥से किं तं समवाए ? समाए णं जीवा समासिज्जति, अजीवा समासिन्जंति, जीवाजीवा समासिज्जति सलमर समासिजति परसमए समासिजति ससमए परसमए समामिजति, लोए समासिजति, अलोए समासिजति, लोए अलोए समासिजति 1 / समपाए णं एगइाणं, एगुत्तरिपाणं गणगमयविवड्डिाणं भावाणं परूवणा श्राघविजइ, दुवालसविहस्स य गणिगिडगस्स पल्लवग्गे समासिज्जंति 2 / समवायस्स णं परित्ता वायणा संखिजा अणुयोगदारा संखिजा वेड्डा संखिजा सिलोगां संखिजायो निज्जुत्तीयो संखिजायो पडिवत्तीश्रो संखिजायो संगहणीयो 3 / से णं अंगठ्ठयाए चउत्थे अंगे एगे सुअसं एगे अन्झयणे एगे उद्देसणकाले एगे समुद्दे सणकाले एगे चोयाले पयसयसहस्से पयग्गेणं 4 / संक्खिजा अक्खरा अणंता गमा अणंता पजवा परित्ता तस्सा अणंता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपन्नत्ता भावा आपविजंति पनविज्जंति परुविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जति उबदसिज्जति 5 / से एवं पाया से एवं नाया से एवं विनाया से एवं Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विमाणे - चरणकरणपरूवणां श्राघविजइ, से तं समवाए. 6 // 4 // सू० 35 // से किं तं विवाहे ? विवाहे णं जीवा विवाहिज्जंति, अजीवा विवाहिज्जंति, जीवाजीवा विवाहिज्जति ससमए विवाहिजति, परस्मए वियाहिजति, ससमयपरसमए वियाहिज्जति लोए विवाहिजति, अलोए विवाहिजति, लोपालोए विवाहिज्जंति, 1 / विवाहस्स णं परित्ता वायणा संखिजा अणुयोगदारा संखिजा वेढा संखिजा सिलोगा संखिजायो निज्जुत्तीयो संखिजायो पडिवत्तीयो संखजायो संगहणीयो 2 / से णं अंगठ्ठयाए पंचमे अंगे एगे सुअखंधे एंगे साइरेगे अज्झयण,सए दस उद्दे सगसहस्साई दस समुद्दे सगसहस्माइं छत्तीसं वागरण सहरसाई दोलखा हासीइं पयसहरसाई पयग्गेणं 3 / संखिजा अक्खरा अणंता गमा अणंता पजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सामयकडनिबद्धानेकाइया जिणपन्नता भावा आघविज्जति पनविनंति परूवि जंति देसिज्जंति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति 4 / से एवं श्राप से एवं नाया से एवं विनाया सेवं ए चरणकरणपख्वणा आपविजइ 5 / से तं विवाहे 6 // 5 // सू. 36 // से किं तं नायाधम्मकहायो ? नायाधम्मकहासु णं नाया नगराई उजाणाई चेझ्याई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्नकहायो इहलोइयपरलोइया इड्डिविसेसा भोगपरिचाया पवजायो परिपाया सुअपरिग्गहा तवोवहाणाई संलेह. णायो भत्तपञ्चक्खाणाई पाओवगमणाई देवलोगगमणाई सुकुलपञ्चायाईयो श्र पुणबोहिलाभा अंतकिरियायो अाघविज्जति 1 / नायाधम्मकहाणं दस धम्मकहाणं वग्गा, तत्थ णं एगमेगाए धम्मकहाए पंच पंच अक्खाइग्रासयाई एगमेगाए अक्खाइपाए पंच पंच उवक्खाइयासयाई एगमेगाए उवक्खाइपाए पंच पंच अक्खाइग्राउबक्खाइपासयाई एवमेव सपुब्वावरेणं अद्भुट्टायो कहाणगकोडीयो हवंति ति समक्खायं 2 / Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीनन्दिनम् !-- - [ 25 नायाधम्मकहाणं परिसा वायणा संखिजा अणुयोगदारा संखिजा वेदा संखिजा सिलोगा संखिजानो निज्जुत्तीश्रो संखिजायो पडिवत्तीयो संखिजारो संगहणीयो 3 / से णं अंगट्टयाए छठे अंगे दो सुक्खंघे एगूणवीसं अज्झयणा एगूणवीसं उद्दसणकाला. एगूणवीसं समुह सणकाला संखिज्जाइ पयसहस्साइ पयग्गेणं 4 / संखेजा अक्खरा अणंता गमा अणंता पजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपन्नता भावा अाघविज्जति पन्नविज्जंति परुविज्जति दंसिज्जति निर्देसिज्जति उवदंसिज्जति 5 / से एवं पाया से एवं नाया से एवं विन्नाया से एवं चरणकरणपरूवणा श्रापविजइ से तं नायाधम्मकहायो 6 // 6 // सू० 37 // से किं तं उवासगदसायो ? उवा लगदसामु णं समणोवामयाणं नगराई उज्जाणाई चेइयाई वणसं. डाई समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्ममहायो इहलोइयारलोइया इडिविसेसा भोगपरिचाया पव्वजारो परिधागा सुअपरिग्गहा तबोवहाणाई सीलब्वयगुण-वेरमणपञ्चक्खाण-पोसहोववास-पडिवजणया पडिमायो उत्सग्गा संलेहणायो भत्तपञ्चक्खाणाई पायोवगमणाई देवलोगगमणाई सुकुलपञ्चायाईयो पुणवोहिलाभा अंतकिरियायो अाघविज्जति 1 / उवासगदसाणं परित्ता वायणा संखेजा अणुयोगदारा संखिजा वेढा संखिजा सिलोगा संखिजाश्रो निज्जुत्तीयो संखिजायो संगहणीयो संखिजारो पडिवत्तीयो 2 / से णं अंगठ्ठयाए मत्तमे अंगे एगे सुअखंधे दस अज्झयणा दस उद्देसणकाला दस समुद्दे सणकालां संखिजाइ पयसहस्साइ पयग्गेणं 3 / संखिजा अक्खरा अणंता गमा श्रणंता पजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपन्नता भावा बाघविज्जति पन्नविज्जंति परूविज्जति दंसिज्जति निदंमिजजाते अदसिज्जंति 4 / से. एवं पाया से एवं नाया से एवं विनाया एवं Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमों मिागो चरणकरणपवणा श्रापविजइ, से तं उवासगदसायो 5 ॥णा सू० 38 // से किं तं अंतगडदमायो ? अंतगडदसासु णं अंतगडाणं नगराई उजाणाई चेइयाई वणसंडाई समोसरणा रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्मकहायो इहलाइयपरलोइयाइडिविसेमा भोगपरिचाया पध्वजारो परि. आया सुअपरिग्गहा तवोवहाणाई संलेहणायो भत्तपञ्चक्खाणाई पायोवगमणाई अंतकिरियायो श्राघविज्जति 1 / अंतगडदसासु णं परित्ता वायणा संखिजा अणुयोगदारा संखिजा वेढा संखिजा सिलोगा संखिजायो निज्जुत्तीयो संखिजागे पडिवत्तीयो संखिजागो. संगहणीयो 2 / से णं अंगठ्ठयाए अट्ठमे अंगे एगे सुअक्खंधे अट्ट वग्गा अट्ठ उद्देसणकाला अट्ठ समुद्दे सणकाला संखिजाई पयसहस्साई पयग्गेणं 3 / संखिजा अवखरा अणंता गमा श्रगता पजवा परित्ता तसा अणंना थायरा सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपन्नता भावा पापविज्जति पन्नविज्जंति परूविज्जति दसिज्जति निदंसिज्जति उवदंसिज्जंति 4 / से एवं बाया से एवं नाया से एवं विनाया से एवं चरणकरणपरूषणा श्रावविजइ, से तं अंतगडदसायो 5 // 8 // सू० 31 से किं तं श्रणुतरोववाइबदसायो ? अणुत्तरोववाइबदमासु णं अणुत्तरोववाइयाणं . नगराई उजाणाई चेइयाई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मापि• यरो धम्मायरिया धम्मकहाश्रो इहलोइयपरलोइयाइड्डिक्सेिसा भोगपरिचाया पव्वजायो परिवाया सुअपरिग्गहा तवोवहाणाई पडिमायो उवसग्गा संलेहणाश्रो भत्तपञ्चक्खाणाई पायोवगमणाई अणुत्तरोववाइयत्ते उववत्ती सुकुलपञ्चायाईश्रो पुणबोहिलाभा अंतकिरियायो श्राविति 1 / श्रणुत्तरोववाइयदसासु णं परित्ता वायणा संखिजा अणुयोगदारा संखिजा वेढा संखिंजा सिलोगा संखिजायो निज्जुत्तीयो संखिजायो पडि. वत्तीश्रो संखिजाओ संगहणीयो 2 / से णं अंगट्टयाए नवमे अंगे एगे Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [27 श्रीनन्दिसत्रम् ] : . ..... सुयक्वंधे तिन्नि वग्गा तिन्नि उद्देसणकाला तिन्नि समुद्दसणकाला संखिजाई पयसहस्साइ पयग्गेणं 3 / संखिजा अवखरा अणंता गमा अणंता पंजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपन्नता भावा श्रावविज्जति पनविनंति परूविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति 4 / से एवं श्राया से एवं नाया से एवं विनाया से एवं चरणकरणपरूवणा बाघविजइ / से तं अणुत्तरोववाइयदसायो 5 // 1 // सू० 40 // से कि तं पराहावागरणाइं ? पराहावागरणेसु णं अठुत्तरं पसिणसयं अठ्ठत्तरं अपसिणसयं अठ्ठत्तरं पसिणापसिणसयं, तंजहा-अंगुट्ठपसिणाई बाहुपसिणाई अदागपसिणाई अन्नेवि विचित्ता विजाइसया नागसुवन्नेहि सद्धिं दिवा संवाया (संधाणा संधणंति) बाघविज्जति 1 / पराहागगरणाणं परित्ता वायणा संखिजा अणुयोगदारा संखिजा वेढा संखिजा सिलोगा संखिजायो निज्जुत्तीयो संखिजायो संगहणीयो संखिजायो पडिवत्तीयो 2 / से णं अंगठ्ठयाए दसमे अंगे एगे सुअखंधे पणयालीसं अज्झयणा पणयालीसं उद्देसणकाला पणयालीसं समुद्दे सणकाला संखिजाई पयसहस्लाई पयग्गेणं 3 / संखिजा अक्खरा अणंना गमा अणंता पजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकडनिबदनिकाइया जिणपन्नता भावा आपविज्जंति पन्नविजंति परूविज्जंति देसिज्जते निदंसिज्जति उवदंसिज्जति 4 / से एवं पाया से एवं नाया से एवं विनाया से एवं चरणकरणपरूवणा श्रावविजइ / से तं पराहावागरणाई 5 // 20 // सू० 41 // से किं तं विवागसुयं ? विवागपुए णं सुकडदुकडाणं कम्माणं फलविवागे आपविजइ 1 / तत्थ णं दस दुहविवागा दस सुहविवागा 2 / से कि तं दुहविवागा ? दुहविवागेसु णं दुहविवागाणं नगराई उजाणाइ चेइबाई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो. धम्मायरिया धम्मकहायो इहलोइयपर Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 28] [ श्रीमदगिमसुवासिन्धुः / चतुर्दशमो विभाग लोइया इडिविसेस। निरयगमणाई दुहपरंपराश्रो संसारभवपवंचा दुकुलपञ्चायाईयो दुलहबोहिअत्तं प्राघविज्जंति, से तं दुहविवागा 3 / से किं तं सुहविवागा ? सुहविवागेसु णं सुहविवागाणं नगराई उजाणाई चेइबाई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्मकहायो इहलोइयपग्लोइयाइड्डिविसेसा भोगपरिचाइया पव्वजायो परियाया सुथपारगगहा तवोवहाणाईसंलेहणायो भत्तपञ्चक्खाणाई पायोवगमणाई देवलोगगमणाई सुहपरंपरायो सुकुलपञ्चायाईयो पुणबोहिलामा अंतकिरियायो श्राघविज्जति (सं तं सुहविवगा) 4 / विवागसुयस्स णं परित्ता वायणा सं.खेजा अणुयोगदारा संखिजा वेढा संखिजा सिलोगा संखिजात्रो निज्जुत्तीयो संखिजा संगहणीयो संखिजारो पडिवत्तीयो 5 / से णं अंगट्टयाए एकारसमे अंगे दो सुअवखंधा वीसं अज्झयणा वीसं उद्दे सणकाला वीसं समुसणकाला संखिज्जाई पयसहस्साई पयग्गेणं 6 / संखिजा अक्खरा अणंता गमा अणंता पजवा परित्त तसा अणंता थारा सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपन्नत्ता भावा श्राघविज्जति पनविज्जति परुविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जीते उवदंसिज्जति 7 / से एवं बाया से एवं नाया से एवं विन्नाया से एवं चरणकरणपख्वणा श्राघविजइ, से तं विवागसुयं 8 // 11 // सू० 42 // से किं तं दिट्ठिवाए ? दिट्ठिवाए णं सवाभावपरूवणा श्राप बिज्जति, से समासथो पंचविहे पन्नत्ते तंजहा-परिकम्मे 1 सुत्ताई 2 पुवगए 3 अणुयोगे 4 चूलिया 5 // सू० 43 // . . सं किं तं परिकम्मे ? परिकम्मे सत्तविहे पत्नत्ते, तंजहा-सिद्धसे.णे. श्रापरिकम्मे 1 मणुस्ससेणियापरिकम्मे 2 पुट्ठसेणियापरिकम्मे 3 योगाढसेणिश्रापरिकम्मे 4 उपसंपजणसेणियापरिकम्मे 5 विप्पजहणसेणियापरिकम्मे 6 चुवाचुसेणियापरिकम्मे 7 / से किं तं सिद्धसेणियापरिकम्मे ? सिद्धसेगिए' श्रापरिकम्मे चउदसविहे पनत्ते, तं जहा-माउगापयाई 1 एट्टियपयाई 2 अट्ठप Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मीनन्दित्रम् / [ 26 याई 3 पाढो 4 आमा(मा)सपयाई 5 केउभूयं 6 रासिबद्धं 7 एगगुण - दुगुणं 1 तिगुणं 10 केउभूत्र-पडिग्गहो 11. संसारपडिग्गहो 12 नंदावत्तं 13 सिद्धावत्तं 14, सेतं सिद्धसेणियापरिकम्मे // 1 // से किं तं मणुस्ससेणियापरिकम्मे ? मणुस्ससेणियापरिकम्मे चउदमविहे पन्नत्ते, तंजहामाउगापयाई 1 एगट्टिअपयाई२ अट्ठ(ट्ठा)पयाई 3 पाढो 4 श्रामासपयाई 5 के उभूयं 6 रासिबद्धं 7 एगगुणं 8 दुगुणं 1 तिगुणं 10 केऽभूत्र-पडिग्गहो 11 संमारपडिग्गहो 12 नंदावत्तं 13 मणुम्सावत्तं 14 सतं मणुस्ससेणियाररिकम्मे // 2 // से किं तं पुट्ठसेणियापरिकम्मे ? पुट्ठसेणियापरिकम्ने एकारसविहे पन्नत्ते, तं जहा-पाढो 1 श्रामासपयाई 2 केभूयं 3 रासिबद्धं 4 एगगुणं 5 दुगुणं 6 तिगुणं 7 केउभूत्र-पडिग्गहो 8 संसारपडिग्रहो 1 नंदावत्तं 10 पुट्ठावत्तं 11 से तं पुट्ठसेणियापरिकम्मे // 3 // से किं तं श्रोगाढसेणियापरिकम्मे ? श्रोगाढसेणियापरिकम्मे एकारसविहे पन्नत्ते, तं जहा-पाढो 1 श्रामासपयाइं 2 केउभूयं 3 रासिबद्धं 4 एगगुणं 5 दुगुणं 6 तिगुणं 7 केउभुत्र-पडिग्गहो 8 संसारपडिग्गहो 1 नंदावत्तं 1. योगाढावत्तं 11 से तं श्रोगाढसेणियापरिकम्मे // 4 ॥से कि तं उपसंपजणसेणियापरिकम्मे ? उपसंपजणसेणियापरिकम्मे एकारसविहे पन्नते तं जहा-पाढो 1 श्रामासपयाई२ केउभूयं 3 रासिबद्धं 4 एगगुणं 5 दुगुणं 6 तिगुणं 7 केउभृत्र-पडिग्गहो 8 संसारपरिग्गहो 1 नंदावत्तं 10 उपसंपजणावत्तं 11 से तं उपसंपजणसेणियापरिकम्मे // 5 // से किं तं विपजहणसेणियापरिकम्मे ? विपजहणसेणियापरिकम्मे एकारसविहे पन्नत्ते, तं जहा-पाटो 1 अामासपयाई 2 केउभ्यं 3 रासिबद्धं 4 एगगुणं 5 दुगुणं 6 तिगुणं 7 केउभूत्र-पडिग्गहो 8 संसारपडिग्गहो 1 नंदावत्तं 10 विपजहणावत्तं 11 से तं विपजहणसेणियापरिकम्मे // 6 // से कि * तं चुयाचुयसेणियापरिकम्मे ? चुयाचुयसेणियापरिकम्मे एकारसविहे पन्नत्ते, Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिवाडोर है / इञ्चेबाइ वा सवयोभइ एवंभूयं 6 मा 12 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमी विमान तं जहा-पाढो 1 श्रामासपयाई 2 केउभृशं 3 रासिबद्धं 4 एगगुणं 5 दुगुणं 6 तिगुणं 7 केउभूत्र-पडिग्गहो 8 संसारपडिग्गहो 1 नंदावत्तं 10 चुयाचुयवत्तं 11 से तं चुयाचुयसेणियापरिकम्मे ॥७॥छ चउक्कनइथाई सत्ततेरासियाई / से तं परिकम्मे // 1 // सू० ४४॥किं तं सुत्ताई? सुत्ताईबाबीसं पन्नत्ताई, तंजहा-उज्जुसुयं 1 परिणयापरिणयं 2 बहुभंगियं 3 विजयचरियं 4 अणंतरं 5 परंपरं 6 मासा(सामा)णं 7 संजूहं 8 संभिन्नं 1 श्राहव्वायं 10 सोवस्थियावत्तं 11 नंदावत्तं 12 बहुलं 13 पुट्ठापुढे 14 विधावत्तं 15 एवंभूयं 16 दुयावत्तं 17 वत्तमाणपयं 18 समभिरदं 11 सव्वोभई 20 परणासं 21 दुप्पडिग्गहं 22, 1 / इच्चेइबाई बाबीसं सुत्ताई छिनच्छेअनइयाणि ससमयसुत्तपरिवाडीए, इच्चइथाई बावीसं सुत्ताई अच्छिन्नच्छेअनइआणि श्राजीविय. सुत्तपरिवाडीए, इच्चेइथाई बावीसं सुत्ताई तिगणइयाणि तेरासियसुत्तपरिवाडीए, इच्चेइयाई बावीसं सुत्ताई चउकनइयाणि ससमयसुत्तपरिवाडीए एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठासीई सुत्ताई भवंतीति मक्खायं 2 / से तं सुत्ताइ३॥ 2 // सू० 45 // से किं तं पुव्वगए ? पुव्वगए चउदसविहे पन्नत्ते, तंजहा-उप्पायपुवं 1 अग्गाणीयं 2 वीरियं 3 अत्थिनत्थिप्पवायं 4 नाणप्पवायं 5 सच्चप्पवायं 6 बायप्पवायं 7 कम्मप्पवायं 8 पच्चक्खाणप्पवायं 1 विजाणुप्पवायं 10 अवंझ 11 पाणाऊ 12 किरियाविसालं 13 लोगबिंदुसारं 14 / उप्पायपुवस्स णं दसवत्थू चत्तारि चूलिश्रावत्थू पन्नत्ता 1 / अग्गाणीयपुव्वस्स णं चउदसवत्थू दुवालस चूलियावत्थू पन्नत्ता 2 / वीरियपुवस्स णं अट्ठ वत्थू अट्ठचूलियावत्थू पनत्ता 3 / अत्थिनस्थिप्पवायपुवस्स णं अट्ठारसवत्थू दस चूलियावत्थू पन्नत्ता 4 / नाणप्पवायपुवस्स णं बारस्स वत्थू पन्नत्ता 5, सच्चप्पवायपुवस्स णं Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -श्रीनन्दिनन् / दोनि वत्थू पन्नत्ना 6 / श्रायप्पायव्यस्स णं सोलस वत्थू पन्नता 7 / कम्मप्पवायपुवस्स णं तीसं वत्थू पनत्ता 8 / पञ्चक्खाणपुवस्स णं वीस वत्थू पनत्ता 1 / विजाणुप्पवायस्स णं पन्नरस वत्थू पनत्ता 10 / श्रवं. झपुमस्त णं बारस वत्थू पन्नत्ता 11 / पाणाउपुवस्स णं तेरस वत्थू पन्नत्ता 12 / किरियाविसालपुवस्स णं तीसं वत्थू पन्नत्ता 13 / लोगबिदुसारपुव्वस्स णं पणवीसं वत्थू पन्नत्ता 14 / 'दस चोदस अट्ट अट्ठार. सेव वारस दुवे श्र वत्थूणि / सोलस तीसा वीसा पन्नरस अणुपपायमि // 1 // बारस इकारसमे बारसमे तेरसेव वत्थूणि / तीसा पुण तेरममे चउदसमे पन्नविसायो॥२॥ चत्तारि दुवालस अट्ठ चेव दस चेव चूलवत्थूणि / पाइलाण चउराहं सेसाणं चूलिया नत्थि // 3 // ' से तं पुव्वगा 15 // 3 // सू० 46 // से किं तं अणुयोगे ? अणुयोगे दुहिहे पन्नत्ते, तंजहा-मूलपढमाणुयोगे अ गंडीवाणुयोगे अ 1 / से किं तं मूलपढमाणुयोगे ? मूलपढमाणुयोगे णं अरहंताणं भगवंताणं पुत्वभवा देवलोगगमणाई या चवणाई जम्मणाणि अभिसेया रायवरसिरीयो पवजायो तवा य उग्गा, केवलनाणुप्पयायो तित्थपवत्तणाणि श्र, सीसा गणा गणहरा अजापतिणीयो य, संघस्स चउव्विहस्स जं च परिमाणं, जिण-मणपजव-श्रोहि नाणी-सम्मत्तसुयनाणिणो श्र वाई श्र अणुत्तरगई अ उत्तरवेउब्विणो अ मुणिणो जत्तिया, जत्तिया सिद्धा, सिद्धि पहो जह देसियो, जचिरं जहा कालं पायोवगयो, जे जहिं जत्तिलाई भत्ताई छेइत्ता अंतगडे मुणिवरुत्तमे तिमिरोघविप्पमुक्के मुक्खसुहमणुत्तरं च पते। एपमन्ने य एषमाइभावा मूलपढमाणुयोगे कहिया / से तं मूलपढमाणुयोगे 2 / से किं तं गंडिपाणुयोगे ? गंडिवाणुश्रोगे कुलगरगंडिश्रायो, तित्थयरगंडियायो, चक्कपट्टिगंडियायो, दमारगंडिअायो, बलदेवगंडियायो, वासुदेवगंडियायो, गणधरगंडियायो, भदबाहुगंडिश्रायो, Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12) [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमी विमाग तवोकम्नगडि प्रायो, हरिवंसंगंडियाओ, उस्सप्पिणीगंडिपात्रो, थोमपिणीगंडियायो, चित्तरगंडियायो, अमरनरतिरित्र-निरय-गइगमणविविह-परियट्टणेसु एवमाईबायो गंडियायो अाघविज्जति पन्नविज्जति, से तं गंडिपाणुयोगे 3 / से तं अणुयोगे 4 // 4 // सू० 47 // से कि तं चूलियायो ? चूलियायो आइल्लाणं चउराहं पुवाणं चूलिश्रा, सेसाई पुव्वाई अचूलियाई, से तं चूलियारो // 5 // सू० 48 // दिट्ठिवायरस ण परित्ता वायणी संखिज्जा अणुयोगदारा संखिजा वेढा संखिजा सिलोगा संखिजायो निज्जुत्तियो संखिजायो पडिवत्तियो संखिन्जायो संगहणीयो 1 / से णं अंगट्टयाए बारसमें अंगे, एगे सुग्रक्खंधे, चउदम पुव्वाई, संखिज्जा वत्थू, संखिज्जा चूलवत्थू, संखिज्जा पाहुडा, संखिज्जा पाहुडपाहुडा, संखिज्जायो पाहुडिया, संखिज्जायो पाहुडपाहुडियायो, संखिज्जाई पयस. हस्साई, पयग्गेणं, संखिजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तमा, अणंता थावरा, सासय-कडनिबद्ध-निकाइया जिणपन्नत्ता भावा याघविज्जति पन्नविज्जंति परुविज्जति दंसिज्जंति निदंसिज्जति उवदसिज्जंति 2 / से एवं पाया से एवं नाया से एवं विनाया से एवं चरणकरणपरूवणा श्राघविजइ 3 / से तं दिट्ठिवाए 4 // 12 // सू० 41 // इच्चेइयंमि दुवालसंगे गणिपिडगे अणंता भावा अणंता अभावा अणंता हेऊ अणंता अहेऊ अणंता कारणा श्रणंता अकारणा अणंता जीवा अणंता अजीवा श्रणंता भवसिद्धिया अणंना अभवसिद्धिया अणंता सिद्धा अणंना असिद्धा पन्नत्ता 1 / भावमभावा हेउमहेऊ कारणमकारणे चेव / जीवाजीवा भविश्रमभविया सिद्धा असिद्धा य // 1 // इच्चेयं दुवालसंगं गणिपिडगं तीए काले अणंता जीवा प्राणाए विराहित्ता चाउरतं संसारकतारं अणुपरि. अट्टिसु 2 / इच्चेझ्य दुवालसंगं गणिपिडगं पडुपन्नकाले परित्ता जीवा श्राणाए विरादित्ता चाउरतं संसारकतारं अणुपरिहित 3 / इच्चेइयं Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनन्दिसूत्रम् ] [33 दुवालसंगं गणिपिडगं अणागए काले अणंता जीवा श्राणाए विराहित्ता चाउरतं संसारकंतारं अणुपरिट्टिस्संति 4 / इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं तीए काले अणंता जीवा याणाए पाराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं वीईवइंसु 5 / इन्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं षडपन्नकाले परित्ता जीवा बाणाए थाराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं वीईवयंति 6 ।इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं यणागए काले अणंता जीवा प्राणाए श्राराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं वीईवइस्संति 7 / इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं न कयाइ नासी न कयाइ न भवइ न कयाइ न भविस्सइ, भुविं च भवइ ध भविस्सइ अ, धुवे निथए सासए अक्खए अबए अवट्ठिए निच्चे 8 / से जहा नामए पंचत्थिकाए न कयाइ नासो न कयाइ नत्थि (न भवइ) न कयाइ न भविस्सइ, भुवि च भवइ अ भविस्सइ अ, धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए निच्चे, एवामेव दुवालसंगे गणिपिडगे न कयाइ नासी न कयाइ नत्थि न कयाइ न भविस्सइ, भुविं च भवइ श्र भविस्सइ अ, धुवे निअए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए निच्चे 1 / से समासयो चउन्विहं पन्नतं तं जहा-दव्यो, खित्तयो, कालयो, भावो / तत्थ दव्वयो णं सुधनाणी उवउत्ते सब दवाई जाणइ (ण) पासइ, खित्तयो णं सुथनाणी उवउत्ते सव्वं खेत्तं जाणइ (ण) पासइ, कालों णं सुयनाणी उवउत्ते सव्वं कालं जाणइ (ण) पासइ, भावो णं सुअनाणी उवउत्ते सव्वे भावे जाणइ (ग) पासइ 10 // सू० 50 // अक्खरसन्नी सम्मं साइन खलु सपजवसिग्रं च / गमियं अंगपविट्ठ सत्तवि एए सपडि. वक्खा // 1 // पागम सत्थग्गहणं जं बुद्धिगुणेंहिं अट्ठहिं दिलृ / विति सुअनाण लंभं तं पुव्व-विसारया धीरा // 2 // सुस्सूसइ 1 पडिपुच्छइ 2 परोइ (सोइ) 3 गिराहइ अ 4 ईहए 5 / यावि तत्तो अपोहए वा 6 / धारेइ 7 करेइ वा सम्म 8 // 3 // मूयं हुँकारं वा बाढकार पडिपुच्छ Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 34] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विमागा विमंसा / तत्तो पसंगपारायणं च परिनिट्ट सत्तमाए // 4 // सुत्तत्थो खलु पढमो बीयो निज्जुत्ति मीसिश्रो भणियो। तइयो य निरवसेसो एस विही होइ अणुयोगे॥ 5 // से तं अंगपविट्ठ, से तं सुनाणं, से तं परोक्खनाणं, से तं नंदी // सू० 51 // नंदी सम्मत्ता। ___ // इति श्री नन्दिसूत्रं समाप्तम् // (ग्रन्थाग्रं 700) Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // श्रीमदगणधरप्रवर-गौतमस्वामि-वाचनानुगतम् / // श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् // नाणं पंचविहं पगणतं, तंजहा-श्राभिणिबोहियनाणं सुयनाणं भोहिनाणं मणपजवनाणं केवलनाणं // सूत्रं 1 // तत्थ चत्तारि नाणाई उप्पाइं ठवणिज्जाइं णो उदिसंति (उदिसिज्जति) णो समुदिसंति (समुद्दिसिज्जति) णो अणुराणविजंति, सुयनाणस्स उद्देसो समुद्दे सो अणुराणा अणुयोगो य पवत्तइ // सू० 2 // जइ सुयनाणस्स उद्देसो समुद्दे सो अणुराणा अणुयोगो य पवत्तइ, किं अंगपविट्ठस्स उद्देसो समुद्दे सो अणुराणा अणुयोगो य पवत्तइ ?, कि अंगबाहिरस्स (अणंगपविट्ठस्स) उद्देसो समुद्दे सो अणुराणा अणुबोगो य पवत्तइ ?, अंगपविट्ठस्सवि उद्दे सो जाव पवत्तइ, अंगबाहिरस्सवि (अणंगपविट्ठस्सवि) उद्दे सो जाव पवत्तइ, इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च अंगबाहिरस्स (अणंगपविठ्ठस्स) अणुशोगो // सू० 3 // जइ अंगबाहिरस्स (अणंगपविट्ठस्स) उद्देसो समुद्दे सो अणुराणा अणुशोगो य पवत्तइ, किं कालिगुस्स उद्दे सो समुद्दे सो अणुराणा अणुयोगो य पवत्तइ ? उकालिअस्स उद्दे सो समुद्दे सो अणुरागा अणुयोगो य पवत्तइ ?, कालिअस्तवि उद्देसो समुद्देसो अणुराणा अणुयोगो य पवत्तइ, उकालिअस्सवि उद्दे सो समुद्दे सो अणुराणा अणुयोगो य पवत्तइ, इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च उकालिअस्स उद्देसो समुद्दे सो अणुराणा अणुयोगो॥ सू० 4 // जइ उक्कालिअस्स उद्देसो समुहसो अणुराणा अणुयोगो य पवत्तइ, किं श्रावस्सगस्स Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 36 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः उद्दे सो समुद्दे सो अणुराणा अणुयोगो य पत्तवइ ? श्रावस्सगवतिरित्तस्स उद्दे सो समुद्दे सो अणुराणा अणुयोगो य पवत्तइ ?, श्रावस्सगस्सवि उद्देसो समुद्दे सो अणुराणा अणुशोगो य पवत्तइ, श्रावस्सगवतिरित्तस्सवि उद्दे सो समुद्दे सो अणुराणा अणुशोगो य पवत्तइ, इमं पुण पट्टवणं पडुच्च श्रावस्सगस्स अणुयोगो॥ सू० 5 // जइ श्रावस्तगस्स अणुयोगो श्रावस्सयं कि अंग अंगाई, सुप्रखंधो सुप्रखंधा, अज्झयणं अज्झयणाई, उद्देसो उद्दे सा ?, श्रावस्सयराणं नो अंगं नो अंगाई, सुअखंधो नो सुअखंधा, नो अज्झयणं अभयणाई, नो उद्देसो नो उद्देसा // सू० 6 // तम्हा श्रावस्सयं निक्खिविस्सामि, सुग्रं निक्खिविस्सामि, खंधं निक्खिविस्सामि, अज्झयणं निक्खिविस्सामि // सू० 7 // जत्थ य जं(जयं) जाणेजा निक्खेवं निक्खिवे निरवसेसं / जत्थवि श्र न जाणेजा चउकगं निक्खिवे तत्थ // 1 // से किं तं श्रावस्तयं ? श्रावस्मयं चउन्विहं पराणत्तं, तनहा-नामावस्सयं ठवणावस्सयं दवावस्सयं भावावस्सयं // सू० 8 // से कि तं नामावस्सयं ?, 2 जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा श्रावस्सए(य)त्ति नाम कजइ, से तं (से तं) नामावस्सयं // सू०१॥ से किं तं ठवंणावस्सयं ?, 2 जगणं कठुकम्मे वा पोत्थकम्मे वा चित्तकम्मे वा लेप्पकम्मे वा गंथिमे वा (पोत्थकम्मे वा पुत्त (पत्त)कम्मे वा लेप्पकम्मे वा दंतकम्मे वा सेलकम्मे वा गंथिकम्मे वा) वेढिमे वा परिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए वा एगो वा अणेगा वा सब्भावठवणाए वा असब्भावठवणाए वा श्रावस्सएत्ति ठवणा उविजइ, से तं ठवणावस्सयं // सू० 10 // नामट्ठवणाणं को पइविसेसो ?, णामं श्रावकहिग्रं, ठवणा इत्तरित्रा वा होजा श्रावकहिया वा // सू. 11 // से किं तं दवावस्सयं ?,. 2 दुविहं पराणत्तं, तंजहा-श्रागमो. अनोबागमत्रो अ॥ सू० 12 // से कि Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 37 श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] तं श्रागमो दवावस्मयं ?, 2 जस्स णं श्रावस्सएत्ति पदं सिक्खितं ठि जितं मितं परिजितं नामसमं घोससमं अहीणक्खरं अणचक्खरं अब्बाइक्खरं (अब्बाइर्द्ध) अक्खलिग्रं अमिलिग्रं अवच्चामेलियं पडिपुराणं पडिपुराणघोसं कंठोट्ठविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं, से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परिघट्टणाए धम्मकहाए नो अणुप्पेहाए, कम्हा ?, अणुवोगो दव्व मितिकटु // सू० 13 // नेगमस्स णं एगो अणुवउत्तो पागमयो एगं दव्वावस्सयं, दोगिण अणुवउत्ता अागमयो दोरिण दवावस्सयाई, तिरिण अणुवउत्ता अागमयो तिरिण दवावस्सयाई, एवं जावइया अणुवउत्ता अागमयो तावइयाई दवावस्सयाई, एवमेव ववहारस्सवि, संगहस्स णं एगो वा अणेगा वा अणुवउत्तो वा अणुवउत्ता वा पागमत्रो दव्यावस्सयं दवावस्सयाणि वा, से एगे दवावस्सए, उज्जुसुअस्स एगो अणुवउत्तो पागमतो एगं दव्यावस्सयं, पुहुत्तं नेच्छइ, तिराहं सद्दनयाणं जाणए अणुवउत्ते अवत्थु, कम्हा ?, जइ जाणए अणुवउत्ते न भवति, जइ अणुवउत्ते जाणए ण भवति, तम्हा णत्थि श्रागमयो दवावस्सयं / से तं अागमयो दव्यावस्तयं // सू० 14 ॥से किं तं नोयागमयो दव्वावस्सयं ?, 2 तिविहं पराणत्तं, तंजहा-जाणयसरीरदव्वावस्मयं भविसरीर-दव्वावस्सयं जाणयसरीर-भवियसरीरवतिरित्तं दवावस्सय॥ मू० 15 // से किं तं जाणयसरीरदव्वावस्सयं ?, 2 श्रावस्सएत्ति पयत्थाहिगारजाणयस्स जं सरीरयं ववगयचुतचावितचत्तदेहं जीवविप्पजढं सिज्जागयं वा संथारगयं वा निसीहियागयं वा सिद्धसिलातलगयं वा पासित्ता णं कोई भणेजा-ग्रहो ! णं इमेणं सरीरसमुस्सएणं जिणदिट्टेणं भावेणं श्रावस्सएत्तिपयं बाघवियं पराणवियं परूवियं दंसियं निदंसियं उवदंसियं, जहा को दिट्ठतो ? अयं महुकुभे अासी अयं घयकुंभे श्रासी, सेतं जाणयसरीरदव्वावस्सयं // सू० 16 // से किं तं भविसरीरदव्वा Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्दशमो विभागा वस्सयं ?, 2 जे जीवे जोणिजम्मणनिक्खंते इमेणं चेव सरीरसमुस्सएणं श्रात्त(दत्त)एणं जिणोवदिट्टणं भावेणं श्रावस्सएत्ति पयं सेयकाले सिक्खिस्सइ न ताव सिक्खइ, जहा को दिटुंतो ? अयं महुकुभे भविस्सइ अयं घयकुभे भविस्सइ, से तं भविसरीरदव्वावस्मयं // सू० 17 // से किं तं जाणयसरीर-भवियसरीखतिरित्तं दवावस्सयं ?, 2 तिविहं परणतं, तंजहालोइयं कुप्पावयणियं लोउत्तरियं // सू० 18 // से किं तं लोइयं दवावस्सयं ?, 2 जे इमे राईसर-तलवर-माङविश्र-कोडविप्र-भ-सेट्टि-सेणावइ-सत्थवाहप्पभितियो कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए सुविमलाए फुल्लुप्पल-कमल-कोमलुम्मिलिग्रंमि अहापंडुरे पभाए रत्तासोग-पगास-किसुश्र-सुअमुह गुजद्धरागसरिसे कमलागर-नलिणिसंडबोहए उठ्ठिअंमि सूरे सहस्सरस्सिमि दियरे तेअसा जलंते मुहधोत्रण-दंतपक्खालण-तेल्लफणिहसिद्धत्थय-हरिपालिअदाग-धूवपुप्फ-मल्लगंध-तंबोलवत्थाइबाई दवावस्सयाई करेंति, ततो पच्छा रायकुलं वा देवकुलं वा श्रारामं वा उजाणं वा सभं वा पवं वा गच्छन्ति, से तं लोइयं दवावस्सयं // सू० 11 // से किं तं कुप्पावयणिग्रं दबावस्सयं ?, 2 जे इमे चरग-चीरिंग-चम्मखंडिअ-भिक्खोंड-पंडुरंग-गोश्रम-गोव्वतिग्र-गिहिधम्म-धम्मचिंतग-अविरुद्धविरुद्ध-बुड्डसावग प्पभितो पासंडत्या कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेत्रमा जलंते इंदस्स बा खंदस्त वा रहस्स वा सिवस्स वा वेसमणस्स वा देवस्स वा नागस्स वा जक्खस्स वा भूअस्स वा मुगुदस्स वा अजाए वा दुग्गाए वा कोट्टकिरियाए वा उवलेवण-संमजण-यावरिसण-पुप्फधूव-गंधमलाइयाई(मल-नमोकारमाझ्याई) दवावस्सयाइं करेंति, से तं कुप्पावयणियं दबावस्सयं // सू० 20 // से किं ते लोगुत्तरियं दवावस्सयं ?, 2 जे इमे समणगुणमुक्कजोगी छक्कायनिरणुकंपा हया इव उद्दामा गया इव निरंकुसा घट्टा मट्ठा तुप्पोट्ठा पंडुरपडपाउरणा जिणाणमणाणाए सच्छंदं विहरिऊणं Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 39 उभयोकालं श्रावस्सयस्स उबटुंति, से तं लोगुत्तरियं दव्यावस्सयं, से तं जाणयसरीर-भविग्रसरीखइरित्तं दव्वावस्सयं, से तं नोपागमतो दवावस्सयं, से तं दवावसयं // सू० 21 // से किं तं भावावस्सयं ?, 2 दुविहं पराणत्तं, तंजहा-बागमतो अ नोबागमतो अ॥ सू० 22 // से किं तं बागमतो भावावस्सयं ?, 2 जाणए उपउत्ते, से तं श्रागमतो भावावस्सयं // सू० 23 // से कि तं नोबागमतों भावावस्सयं ?, 2 तिविहं पराणत्तं, तंजहा-लोइयं कुप्पावयणियं लोगुत्तरियं // सू० 24 // से किं तं लोइयं भावावसयं ?, 2 पुव्वराहे भारहं अवररहे रामायणं, से तं लोइयं भावावस्सयं // सू० 25 // से किं तं कुप्पावयणियं भावावस्सयं 1,2 जे इमे चरगचीरिग जाव पासंडत्या इज्जंजलि-होम-जपोन्दुरुक्क-नमोक्कारमाइबाई भावावस्सयाइं करेंति, से तं कुप्पावयणि भावावस्सयं // सू० 26 // से किं तं लोगुत्तरियं भावावस्मयं ?, 2 जगणं इमे समणो वा समणी वा सावत्रो वा सावित्रा वा तचिते तम्मणे तल्लेसे तदभवसिए तत्तिव्वझवसाणे तदट्ठोवउत्ते तदप्पिकरणे तब्भावणाभाविए अराणस्थ कत्थइ मणं अकरेमाणे (एगमणे अविमणे जिणवयण-धम्मवागरत्तमणे) उभयोकालं श्रावस्सयं करेंति, से तं लोगुत्तरियं भावावस्सयं, से तं नोबागमतो भावावस्सयं, से तं भावावस्सयं // सू० 27 // तस्स णं इमे एगट्ठिा णाणाघोसा णाणावंजणा णामधेजा भवंति, तंजहा-श्रावस्सयं 1 अवस्सकरणिज्जं 2 धुवनिग्गहो 3 विसोही 4 अ / अज्झयणछक्कवग्गो 5 नायो 6 श्राराहणा 7 मग्गो 8 // 2 // समोणं सावएण य अवस्सकाय वयं हवइ जम्हा / अंतो ग्रहोनिसस्स य तम्हा श्रावस्सयं नाम // 3 // से तं श्रावस्सयं // सू० 28 // से किं तं सुतं ?, 2 चउब्विहं पराणत्तं, तंजहा-नामसुयं ठवणसुग्रं दव्वसुधे भावसुधे // सू० 21 // से किं तं नामसुग्रं ?, 2 / / जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अनीवाण वा तदुभयस्स : Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 40 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः वा तदुभयाण वा सुएत्ति नाम कन्जइ, से ते नामसुयं // सू० 30 // से किं तं ठवणासुग्रं ?, 2 जंणं कठुकम्मे वा जाव ठवणा ठविजइ, से तं ठवणासुग्रं / नामवणाणं(यो) को पइविसेसो ?, नाम श्रावकहिग्रं, ठवणा इत्तरिया वा होजा श्रावकहिया वा // सू० 31 // से किं तं दव्वसुओं ?, 2 दुविहं पराणत्तं, तंजहा-यागमतो अ नोयाममतो थ // सू० 32 // से किं तं श्रागमतो दुव्वसुधे ?, 2 जस्त णं सुएत्ति पयं सिक्खियं ठियं जियं जाव णो अणुप्पेहाए, कम्हा ?, अणुवयोगो दव्वमितिकटु नेगमस्स णं एगो अणुवंउत्तो यागमतो एगं दव्वसुधे जाव कम्हा ? जइ जाणए अणुवउत्ते न भवइ, से तं श्रागमतो दब्बसुयं // सू० 33 // से किं तं नोबागमतो दव्वसुग्रं ?, 2 तिविहं पराणत्तं, तंजहा-जाणयसरीरदव्वसुग्रं भविसरीरदव्वसुग्रं जाणयसरीर-भविग्रसरीरवरित्तं दव्वसुयं ॥सू० 34 // से किं तं जाणयसरीरदव्वसुयं ?, 2 सुयत्तिपयत्थाहिगारजाणयस्स जं सरीरयं ववगयचुपचावियचत्तदेहं तं चेव पुठवभणियं भाणियवं जाव से तं जाणयसरीरदव्वसुयं // सू. 35 // से किं तं भविसरीरदव्वसुयं ?, 2 जे जीवे जोणीजम्मणनिक्खते जहा दवावस्मए तहा भाणिग्रव्वं जाव से तं भविप्रप्तरीरदव्य सुग्रं // सू० 36 // से किं तं जाणयसरीर-भविग्रसरीरवइरित्तं दध्वसुग्रं ?, 2 पत्तयपोत्थयलिहिग्रं, अहबा जाणयसरीरभविग्रसरीवइरित्तं दब्बसुग्रं पंचविहं पराणत्तं, तंजहा-अंडयं बोंडयं कीडयं वालयं वागयरवक्कयं), से किं तं अंडयं ? अंडयं हंसगम्भादि, संतं अंडयं, से किं तं बोंडयं ? बोंडयं फलिहमादि (कप्पासमाइ), से तंबोंडयं, से किंतं कीडयं ?कीडयं पंचविहं पराणत्तं, तंजहा-पट्टे मलए अंसुए चीणंसुए किमिरागे, से तें कीडयं, से किं तं वालयं ? वालयं पंचविहं पण्णत्तं, तंजहा-उरिणए उट्टिए मिश्रलोमिए कोतवे किट्टिसे, से तं वालयं, से किं तं वागयं ? वागयं सणमाइ, से तं वागयं, से तं जाणयसरीर-भविसरीरवइरित्तं दव्वसुधे, Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 41 से तं नोग्रागमतो दव्वसुधे, से तं दव्वसुधे // सू० 37 // से किं तं भावसुग्रं?, 2 दुविहं पराणत्तं, तंजहा-बागमतो श्र नोबागमतो अ॥सू० 38 // से किं तं श्रागमतो भावसुधे ?, जाणए उवउत्ते, से तं श्रागमतो भावसुधे / सू० 31 // से किं तं नोग्रागमतो भावसुग्रं ?, 2 दुविहं पराणत्तं, तंजहा-लोइयं लोगुत्तरियं च // सू० 40 // से किं तं लोइयं नोयागमतो भावसुयं ?, 2 जं इमं अराणाणिएहिं मिच्छदिट्ठीहिं सच्छंदबुद्धिमइविगप्पियं, तंजहा-भारहं रामायणं भीमासुरुक्क(हंभी मासुरुपक) कोडिल्लयं घोडयमुहं सगडभद्दिबाउ कप्पासियं णागसुहुमं कणगसत्तरी वेसियं वइसेसियं बुद्धसासणं काविलं लोगायतं सट्ठियंतं माढरपुराण-वागरणनाडगाइ, श्रहवा बावत्तरिकलायो चत्तारि वेथा संगोवंगा, से तं लोइयं नोबागमतो भावसुधे // सू० 41 // से किं तं लोउत्तरिय नोबागमतो भावसुधे ?, 2 जं इमं अरिहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पराणणाणदंसणवरेहिं तीयपच्चुप्पण्ण-मणागयजाणएहिं सवराणूहिं सव्वदरिसीहिं तिलुक्वहितमहितपूइएहिं अप्पडिहय-वरणाणदंसणधरेहिं पणीयं दुवालसंगं गणिपिडगं, तंजहा-आयारो सूअगडो ठगणं समवायो विवाहपराणत्ती नायाधम्मकहायो बासगदसायो अंतगडदसायो अणुत्तरोषवाइअदसायो पराहावागरणाई विवागसुग्रं दिट्ठीवायो अ, से तं लोउत्तरियं नोग्रागमतो भावसुग्रं, से तं नोबागमतो भावसुधे, से तं भावसुधे // सू० 42 // तस्स णं इमे एगट्टिया णाणावोसा णाणावंजणा नामधेजा भवंति, तंजहा-सुश्रसुत्तगंथसिद्धंत-सासणे(पवयणे). प्राणवयण उवएसे / पत्रवण अागमेऽवि अ एगट्ठा पजवा सुत्ते // 4 // से तं सुयं // सू० 43 // से कि तं खंधे ?, 2 चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-नामखंधे टवणाखंधे दव्वखंधे भावखंधे ॥सू० 41 // नामट्ठवणाश्रो(नामठवणाश्रो गयायो) पुत्वभणियाणुकमेण भाणियब्वायो, (से किंतं नाम-खंघे?, 2 जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जाव खंधेति नामं कन्जति, HALHTTETCHER Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 42 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु चतुर्दशमो विमानः से तं नामखंधे / से किं तं ठरणाखंधे ? 2 जगणं कट्टकम्मे वा जाव खंधेइ ठवणा उविज्जति, से तं ठवणाखंधे / णामठवणाणं को पइविसेसो ? नाम श्रावकहियं, ठवणा.. इत्तरित्रा वा होजा श्रावकहिया वा) // सू० 45 // से किं तं। दव्वखंधे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-बागमतो श्र नोबागमतो अ, से किं तं श्रागमयो दव्वखंधे ?, 2 जस्स णं 'संधेत्ति पयं सिक्खियं, सेसं जहा दवावस्सए तहा भाणिअव्वं,नवरं खंधाभिलावो जाव से किं तं जाणवसरीर-भविसरीरवइरित्ते दव्वखंधे ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-सचित्ते अचित्ते मीसए // सू० 46 // से किं तं सचित्ते दव्वखंधे?, 2 अणेगविहे पगणन्ते, तंजहा-हयखंधे गयखंधे किन्नरखंधे किंपुरिसखंधे महोरगखंधे गंधवखंधे उसभखंधे, से तं सचित्ते दव्वखंधे // सू० 47 // से किं तं अचित्ते' दव्वखंधे ?, 2 अणेगविहे पराणते, तंजहा-दुपएसिए तिपएसिए “जापं दसपएसिए संखिजपएसिए असंखिजपएसिए अणंतपएसिए, सेतं अचित्ते दव्वखंधे // सू० 48 // से किं तं मीसए दव्वखंधे ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-सेणाए अग्गिमे खंधे सेणाए मज्झिमे खंधे सेणाए पच्छिमे खंधे, से तं मीसए दव्वखंधे // सू०. 41 // अहवा जाणयसरीर-भविश्रसरीखइरित्ते दव्वखंधे तिविहे पराणत्ते, तंजहा-कसिणखंधे अकसिणखंधे श्रणेगदवियखंधे // सू० 50 // से किं तं कसिणखंधे ?, से चेव हयक्खंधे गयक्खंधे जाव उसभखंधे, से तं कसिणखंधे // सू० 51 // से किं तं अकसिणखंधे ?, 2 सो चेव दुपएसियाइखंधे जाव अणंतपएसिए खंधे, से तं अकसिणखंधे // सू०५२ // से किं तं अणेगदीवयखंधे ?, 2 तस्स चेव देसे अवचिए तस्स चेव देसे उवचिए, से तं अणेगदविश्रखंधे, से तं जाणयसरीर-भवियसरीखइरित्तेदव्वखंधे, से तंनोबागमयो दव्वखंधे, से तं दवखंधे।।सू०५३॥ से किं तं भावखंधे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-बागमत्रो अनोबागमत्रो Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 43 श्र॥ सू० 54 // से किं तं बागमत्रो भावखंधे 1, 2 जाणए उवउत्ते, से तं आगमयो भावखंधे // सू० 55 // से किं तं नोयागमयो भावखंधे ?, 2 एएसिं चे सामाइअमाइयाणं छराहं अज्झयणाणं समुदय-समिइसमागमेणं निप्पन्ने प्रावस्सयसुअखंधे भावखंधेत्ति लब्भइ, से तं नोबागमत्रो भावखंधे, से तं भावखंधे // सू० 56 // तस्स णं इमे एगट्ठिया णाणाघोसा णाणावंजणा नामधेजा भवंति, तंजहा-गण काए अ निकाए खंधे वग्गे तहेव रासी श्र। पुंजे पिंडे निगरे संघाए बाउल समूहे // 5 // (भावखंधस्स पंजाया) से तं खंधे // सू० 57 // श्रावस्सगस्स णं इमे अत्थाहिगारा भवंति, तंजहा-सावजजोगविरई उकित्तण गुणवयो श्र पडिवत्ती / खलिअस्स निंदणा वणतिगिच्छ गुणधारणा चेव // 6 // // सू० 58 // श्रावस्सयस्स एसो पिंडत्थो वरिणयो समासेणं / एत्तो एक्केक्कं पुण अज्झयणं कित्तइस्सामि // 7 // तंजहा-सामाइग्रं चउवीसत्थयो वंदणयं पडिकमणं काउस्सग्गो पञ्चक्खाणं / तत्थ पढमं यज्मयणं सामाइयं, तस्स णं इमे चत्तारि अणुयोगदारा भवंति, तंजहा-उवक्कमे 1 निक्खेवे 2 अणुगमे 3 नए 4 // सू० 51 // से किं तं उवक्कमे ?, 2 छबिहे पराणत्ते, तंजहा-णामोवकमे ठवणोवक्कमे दव्वोवकमे खेत्तोवक्कमे कालोवक्कमे भावोवकमे, नामठवणायो गयात्रो, से किं तं दव्वोवक्कमे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पागमश्रो श्र नोवागमयो अ, जाव जाणगसरीरभविग्रसरीखइरिने दबोक्कमे तिविहे पराणत्ते, तंजहा-सचित्ते अचित्ते मीसए // सू० 60 // से किं तं सचित्ते दव्वोवक्कमे ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-दुपए चउप्पए अपए, एकिक्के पुण दुहिं पराणत्ते, तंजहा-परिक्कमे अ वत्थुविणासे श्र॥ सू० 61 // से किं तं दुपए उवकमे ?, 2 नडाणं नट्टाणं जल्लाणं मल्लाणं मुट्ठियाणं वेलंबगाणं कहगाणं पवगाणं लासगाणं श्राइक्खगाणं लंखाणं मंखाणं तूणइलाणं तुबवीणियाणं Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 44 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः कावो(कावडि)(का)कोयाणं, मागहाणं, से तं दुपए उवकमे // सू० 62 // से किं तं चउप्पए उवकमे ?, 2 चउप्पयाणं थासाणं हत्थीणं इचाइ, से तं चउप्पए उबकमे // सू० 63 // से किं तं अपए उवक्कमे ?, 2 अपयाणं अंबाणं अंबाडगाणं इचाइ, से तं अपनोवकमे, से तं सचित्तदव्योवक्कमे // सू० 64 // से किं तं अचित्तदवोवकमे ?, 2 खंडाईणं गुडाईणं मच्छंडीणं, से तं अचित्तदव्योवक्कमे // सू० 65 // से किं तं मीसए दव्योवकमे ?, 2 से चेव थासग-श्रायंसगाइमंडिए श्रासाइ, से तं मीसए दव्योवकमे, से तं जाणयसरीर-भविसरीरवइरित्ते दव्वोवकमे, (तस्थ दुपयाणं घयाइणा वरणाइकरणं, तहा करणखंधवद्धणं च, चउप्पयाणं सिक्खागुण-विसेसकरणं, एवं अपयाणं रक्खा वद्धणं च, अंबाइ-फलाणं च कोदवपलालाइसु प्पयाणं, वत्थुविणासे सचित्ताणं पुरिसादीणं खग्गादीहिं विणासकरणं, अचित्ताणं गुडादीणं जलणसंजोएणं महुरत्तण-गुण-विसेसकरणं, विणासो य खारादीहिं, मीसदब्वाणं थासगाइविभूसियाणं श्रासादीणं मिक्खा-गुण-विसेसकरणं) से तं नोग्रागमयो दव्वोवकमे, से तं दव्योवकमे // सू० 66 // से किं तं खेत्तोक्कमे ?, 2 जगणं हलकुलियाईहिं खेत्ताई उवकमिज्जति (खेत्तस्स हलकुलियादीहिं जोग्गयाकरणं, विणासकरणं गयबंधणादीहिं) से तं खेत्तोवकमे // सू० 67 // से किं तं कालोवक्कमे ?, 2 ज णं नालियाईहिं कालस्सोवकमणं(कालपरिमाणोवलक्खणं) कीरइ, से तं कालोवकमे / / सू० 68 // से किं तं भावोवकमे ?, 2 दुविहे परणत्ते, तंजहा-यागमयो अ नोआगमश्रो श्र, से किं तं श्रागमो भावोवक्कमे ? 2 जाणए उवउत्ते, से तं पागमश्रो भावोवक्कमे, से किं तं नोबागमयो भावोवकमे ? 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पसत्थे अ अपसत्थे श्र, तत्थ से किं तं अपसत्थे भावोवकमे ? 2 डोडिणि-गणिया-अमचाईणं, से तं अपसत्थे भावोवक्कम, से किं तं पसत्थे भावोवक्कमे ? 2 गुरुमाईणं, Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 45 से तं पसत्थे भावोवकमे, से तं नोयागमयो भावोवकमे, से तं भावोवकमे, से तं उवकमे // सू० 61 // श्रहवा उवक्कमे छबिहे पराणत्ते, तंजहाश्राणुपुव्वी 1 नामं 2 पमाणं 3 वत्तव्वया 4 अत्थाहिगारे 5 समोआरे 6 // सू० 70 // से किं तं श्राणुपुब्बी ?, 2 दसविहा पराणत्ता, तंजहा-नामाणुपुब्बी 1 ठवणाणुपुब्बी 2 दव्वाणुपुव्वी 3 खेत्ताणुपुव्वी 4 कालाणुपुवी 5 उकित्तणाणुपुब्वी 6 गणणाणुपुव्वी 7 संगणाणुपुवी 8 सामाग्रारीवाणुपुव्वी 1 भावाणुपुब्बी 10 // सू० 71 // नामठवणाश्रो गयायो, से किं तं दव्वाणुपुवी ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तं जहा-भागमयो अ नोागमो श्र। से कि तं प्रागमत्रो दव्वाणुपुवी ?, 2 जस्स णं आणुपुग्वित्ति पयं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजियं जाव नो अणुप्पेहाए, कम्हा ?, अणुवयोगो दवमितिकटु, णेगमस्स णं एगो अणुवउत्तो पागमयो एगा दवाणुपुब्बी जाव कम्हा ? जइ जाणए अणुवउत्ते न भवइ, से तं श्रागमयो दव्वाणुपुव्वी 1 / से कि तं नोबागमश्रो दवाणुपुब्बी ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-जाणयसरीरदव्वाणुपुवी भविसरीरदव्वाणुपुब्बी जाणयसरीरभविग्रसरीरवइरित्तादव्वाणुपुब्बी / से किं तं जाणयसरीरदव्वाणुपुवी ? 2 श्राणुपुब्वी-पयत्थाहिगार-जाणयस्स जं सरीरयं ववगय-चुय-चाविय(चइय)चत्तदेहं, सेसं जहा दवावस्सए तहा भाणिग्रव्यं, जाव से तं जाणयसरीरदव्वाणुपुव्वी 2 / से किं तं भविग्रसरीरदब्वाणुपुत्री ?, 2 जे जीवे जोणीजम्मणनिक्खंते सेसं जहा दवावस्सए जाव से तं भविग्रसरीरदव्वाणुब्बी 3 / से किं तं जाणयसरीर-भविश्रसरीरवइरित्ता-दव्वाणुपुब्बी ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-उवणिहिया य अणोवणिहिश्रा य, तत्थ णं जा सा उवणिहिया सा ठप्पा, तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया सा दुविहा पराणत्ता, तंजहानेगमववहाराणं संगहस्स य 4 // सू० 72 // से किं तं नेगमववहाराणं Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 46 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्दशमो विभागः अणोवणिहिया दवाणुपुब्बी ?, 2 पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-अट्ठपयपरूवणया 1 भंगसमुक्त्तिणया 2 भंगोवदंसण्या 3 समोधारे 4 अणुगमे 5 // सू० 73 // से किं तं नेगमववहाराणं अट्ठायपरूवणया ?, 2 तिपएसिए आणुपुव्वी चउप्पएसिए श्राणुपुब्बी जाव दसपएसिए श्राणुपुब्बी संखेजपएसिए आणुपुव्वी असंखिजपएसिए श्राणुपुब्बी अणंतपएसए प्राणुपुव्वी, परमाणुपोग्गले अणाणुपुब्बी, दुपएसिए अवत्तव्यए, तिपएसिया पाणुपुवीयो जाव अणंतपएसियायो ग्राणुपुबीयो,परमाणुपोग्गला अणाणुपुषीयो, दुपएसियाई अवत्तव्वयाई, सेतं णेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया // सू०७४॥ एवाए णं नेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए किं पयोगणं ?, एयाए णं नेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणाए भंगसमुक्त्तिणया कजइ // सू०७५ // सेकि तं नेगमववहाराणं भंगसमुकित्तणया ?, 2 अस्थि पाणुपुब्बी 1 अस्थि श्रणाणुपुब्बी 2 अस्थि अवत्तव्यए 3 अस्थि प्राणुपुञ्चीयो 4 अत्यि अणाणुपुवीयो 5 अस्थि अवत्तव्वयाइं 6, 1 / अहवा अत्थि आणुपुव्वी अ अणाणुपुव्वी श्र 1 अहवा अस्थि ग्राणुपुब्बी अ अणाणुपुवीयो अ 2 अहवा अत्थि प्राणुपुव्वीयो अश्रणाणुपुब्बी अ 3 अहवा अस्थि प्राणुपुव्वीश्रो अ अणाणुपुवीयो अ४ अहवा अस्थि आणुपुवी अ अवत्तव्वए अ५ अहवा अत्थि आणुपुव्वी अ अवत्तव्वयाइंच 6 अहवा अत्थि आणुपुत्वीयो अ अवत्तव्वए अ 7 अहवा अत्थि प्राणुपुब्बीयो श्र अवत्तव्वयाइं च 8 अहवा अस्थि प्रणाणुपुब्बी अ अवत्तव्यए अ१ अहवा अस्थि प्रणाणुपुव्वी श्र अवत्तव्वयाइं च 10 ग्रहवा अस्थि श्रणाणुपुबीयो अ अवत्तव्वए अ 11 अहवा अत्थि अणाणुपुब्बीयो अ अवत्तब्बयाई च 12, 2 / अहवा अत्थि प्राणुपुब्बी अ अणाणुपुवी अ अवत्तव्बए अ 1 अहवा अस्थि आणुपुव्वा अ अणाणुपुव्वी अ अवत्तव्वयाइं च 2 अहवा अस्थि आणुपुवी अ अणाणुपुत्वीयो अ अवत्तव्वए अ 3 अहवा Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [47 अस्थि आणुपुब्बी अ अणाणुपुत्वीयो अ अवत्तव्बयाई च 4 अहवा अस्थि ग्राणुपुत्रीयो अश्रणाणुपुव्वी अवत्तव्वए अ५ अहवा अस्थि श्राणुपुव्वीश्रो अ अणाणुपुब्बी अ अवतव्वयाइं च 6 अहवा अस्थि आणुपुब्वीश्रो श्र श्रणाशुपुत्वीयो अ अवत्तव्वए अ 7 अहवा अस्थि श्राणुपुब्बीयो अ अणाणुपु वीयो अ अवत्तव्वयाइं च 8 एए अड भंगा 3 / एवं सव्वेऽवि छब्बीसं भंगा। से तं नेगमववहाराणं भंगसमुकित्तणया 4 // सू० 76 // एनाए णं नेममववहाराणं भंगसमुक्त्तिणयाए किं पोषणं ? एअाए णं नेगमववहाराणं भंगसमुक्त्तिणयाए भंगोवदंसणया कीरइ // सू० 77 // से किंतं नेगमववहाराणं भंगोवदंसणया ?, 2 तिपएसिए प्राणुपुव्वी 1 परमाणुपोग्गले अणाणुपुब्बी 2 दुपएसए अवत्तव्वए 3, 1 / श्रहवा तिपएसिया थाणुपुत्वीयो परमाणुपोग्गला अणाणुपुत्वीयो दुपएसिया अवत्तव्वयाई 3, 2 ग्रहवा तिपएसिए अ परमाणुपुग्गले अाणुपुव्वी श्र अणाणुपुव्वी श्र 4 चउभंगो, 3 / अहवा तिपएसिए य दुपएसिए अ श्राणुवब्वी अ अवत्तव्वए य चउभंगो, 4 / अहवा परमाणुपोग्गले य दुपएसिए य अणाणुपुवीय अवत्तबए य चउभंगो 12, 5 / ग्रहवा तिपएसिए अपरमाणुपोग्गले अ दुपएसिए अ अणाणुपुवी अ आणुपुव्वी अ अवत्तव्वए श्र 1 ग्रहवा तिपएसिए श्र परमाणुपोग्गले श्र दुपएसिया य आणुपुब्बी अ अणाणुपुब्बी अ अवत्तव्बयाई च 2 ग्रहवा तिपएसिए थ परमाणुपुग्गला अ दुपएसिए य आणुपुव्वी श्र अणाणुपुब्बीयो अ अवत्तवए अ 3 ग्रहवा तिपएसिए अ परमाणुपोग्गला य दुपएसिया श्र पाणुपुब्बी श्र अणाणुपुबीयो अ श्रवत्तव्वयाई च 4 अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गले अ दुपएसिए य श्राणुपुत्वीयो श्र अणाणुपुब्धी श्र अवत्तव्वए अ५ अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गले अ दुपएसिया य प्राणुपुव्वीश्रो श्र अणाणुपुब्बी अ श्रवत्तव्वयाइं च 6 श्रहवा तिपएसिश्रा य परमाणुपोग्गला य दुपएसिए अ श्राणुपुत्वीयो श्र Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो पिनागः अणाणुपुवीयो य अवत्तव्वए य 7 हवा तिपएसिया य परमामुपोग्गला श्र दुपएसिया य आसुपुनीशोथ अणाणुपुबीथो अ अवत्तम्बयाई च 8, 6 / एवं छब्बीसभंगो, से तं नेगमववहाराणं भंगोवदंसणया ७॥सू० 78 // से कि तं समोबारे ?, 2 नेगमववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं कहिं समोअरंति ?, किं आणुपुबीदव्वेहिं समोअरंति ? अणाणुपुब्बीदव्वेहिं समोअरंति ? अवत्तब्धयदव्वेहिं समोअरंति ?, नेगमववहाराणं श्राणु पुवीदव्वाइं आणुपुव्वीदव्वेहि समोअरंति नो अणाणुपुबीदव्वेहिं समोअरंति नो अवत्तव्वयदव्वेहिं समोअरंति 1 / नेगमववहाराणं अणाणुपुबीदव्बाई कहिं समोअरंति ?, किं आणुपुबीदव्वेहि समोअरंति ? अणाणुपुबीदव्वेहिं समोअरंति ? अवत्तव्वयदब्बेहिं समोअरंति ?, नो आणुपुब्बीदव्वेहिं समोअरंति, प्रणाणुपुब्बीदव्वेहिं समोअरंति, नो अवत्तव्ययदव्वेहिं समोअरंति 2 / नेगमववहाराणं अवत्तव्ययदव्वाइं कहिं समोअरंति?, किं आणुपुवीदव्वेहि समोअरंति? अणाणुपुब्वीदव्वेहिं समोअरंति ? अवत्तबयदव्वेहिं समोअरंति ? नो प्राणुपुबीदव्वेहिं समोअरंति नो अणाणु. पुब्बीदव्वेहिं समोअरंति अवतव्वयद वेहिं समोअरंति 3 / से तं समोारे 4 ॥सू० 71 // से किं तं अणुगमे ?, 2 नवविहे पराणत्ते, तंजहासंतपयपरूवणया 1 दव्वपमाणं च 2 खित्त 3 फुसणा य 4 / कालो य 5 अंतरं 6 भाग 7 भाव 8 अप्पाबहुं चेव // 8 // सू० 80 // नेगमववहाराणं प्राणुपुब्बीदव्वाइं कि अत्थि नत्थि ?, णियमा अस्थि, नेगमववहाराणं अणाणुपुब्बीदव्वाइं किं त्थि णस्थि ?, णियमा अत्थि, नेगमववहाराणं श्रवत्तव्वगदब्वाइं कि अस्थि णत्थि ?, नियमा अस्थि // सू० 81 // नेगमववहाराणं श्राणुपुवीदव्वाइं कि संखिजाई असंखिज्जाई अणंताई ?, नो संखिजाइं नो असंखिजाइं अणंताई, एवं अणाणुपुवीदव्वाइं अवत्तवगदवाइं च अणंताई भाणियब्वाइं // सू. 2 // नेगमववहाराणं Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् / [49 आणुपुत्वीदव्वाइं लोगस्स किं संखिजइभागे होजा असंखिजइभागे होजा संखेज्जेसु भागेसु होजा असंखेज्जेसु भागेसु होजा सव्वलोए होजा ?, एगं दव्वं पडुच्च संखेजइभागे वा होजा असंखेजइभागे वा होजा संखेज्जेसु भागेसु वा होजा असंखिज्जेसु भागेसु वा होजा सव्वलोए वा होजा, णाणादव्वाई पडुच्च नियमा सव्वलोए होजा 1 / नेगमववहाराणं अणाणुपुव्वीदव्वाइं कि लोअस्स संखिजइभागे होजा जाव सव्वलोएवा होजा?, एगं दव्वं पडुच नो संखेजइ. भागे होजा असंखिजइभागे होजा नो संखेन्जेसु भागेसु होजा नो असंखेज्जेसु भागेसु होजा नो सव्वलोए होजा, णाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सब्बलोए होजा, एवं अवत्तव्वगदव्वाई भाणियब्वाइं २॥सू० 83 / / नेगमववहाराणं पाणुपुब्बीदवाई लोगस्स किं संखेजइभागं फुसंति असंखेजइभागं फुसंति संखेज्जे भागे फुसंति असंखेज्जे भागे फुसंति सव्वलोगं फुसति ?, एगं दव्वं पडुच्च लोगस्स संखेजइभागं वा फुसंति जोव सब्बलोगं वा फुसंति, णाणादव्वाइं पडुच नियमा सव्वलोगं फुसंति 1 / गेगमववहाराणं अणाणुपुब्बीदव्वाइं लोअस्स किं संखेजइभागं फुसंति जाव सव्वलोगं फुसंति ?, एगं दव्वं पडुच्च नो संखिजइभागं फुसंति अखिजइभागं फुसंति नो संखिज्जे भागे फुसंति नो असंखिज्जे भागे फुसंति नो सबलोयं फुसंति, नाणादब्वाइं पडुच्च नियमा सबलोयं फुसंति, एवं अवत्तव्वगदव्वाई भाणिग्रवाई 2 (एवं फुसणावि णायव्या) // सू० 84 // णेगमववहाराणं प्राणुपुब्बीदव्वाइं कालयो केवचिरं होंति ?, एगं दव्वं पडुच्च जहराणेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं, णाणादव्वाइं पडुच्च णियमा सव्वद्धा, श्रणाणुपुब्बीदवाइं अवत्तव्वगदब्वाइं च एवं चेव भाणिअब्वाई // सू० 85 // गमववहाराणं प्राणुपुत्वीदव्वाणं अंतरं कालयो केचिरं होइ ?, एगं दव्वं पडुच्च जहन्नेणं एगं समयं उकोसेणं अणंतं कालं, नाणादव्वाइं पडुच्च णत्थि अंतरं 1 / गमववहाराणं. अणाणुपुबीदव्वाणं Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः अन्तरं कालो केव चिरं होइ ?, एग दव्वं पडुच्च जहराणेणं एगं समयं उकोसेणं असंखेज्ज कालं, नाणादव्वाइं पडुच्च णत्थि अंतरं 2 / गमववहाराणं अवत्तव्वगदव्वाणं अंतरं कालयो केवचिरं होइ ? एगं दव्वं पडुच्च जहन्नेणं एगं समयं उकोसेणं अणंतं कालं, नाणादव्वाइं पडुच्च णत्थि अंतरं 3 // सू० 86 // णेगमववहाराणं ग्राणुपुवीदव्बाई सेसदव्वाणं कइभागे होजा ? किं संखिजइभागे होजा असंखिज्जइभागे होजा संखेज्जेसु भागेसु होजा असंखेज्जेसु भागेसु होजा?, नो संखिजइभागे होजा नो संखिजइभागे होजा नो संखेज्जेसु भागेसु होजा नियमा असंखेज्जेसु भागेसु होजा 1 / गमववहाराणं अणाणुपुब्बीदबाई सेसदव्याणं कइभागे होज्जा ? किं संखिजइभागे होजा असंखिजइभागे होज्जा संखेज्जेसु भागेसु होजा असंखेज्जेसु भागेसु होजा ?, नो संखेजइभागे होजा नो असंखेजंइभागे होजा नो संखेज्जेसु भागेसु होजा नो असंखेज्जेसु भागेसु होजा 2 / एवं अवत्तव्वगदव्वाणिवि भाणिवाणि 3 // सू० 87 // णेगमववहाराणं ग्राणुपुब्बीदव्वाई कतरंमि होजा ? किं उदइए भावे होजा उपसमिए भावे होजा खइए भावे होजा खयोवसमिए भावे होजा पारिणामिए भावे होजा संनिवाइए भावे होजा ?, णियमा साइपारिणामिए भावे होजा, श्रणाणुपुव्वीदव्वाणि अवत्तव्वगदव्वाणि अ एवं चेव भाणिवाणि // सू० 88 // एएसिं णं भंते ! गमववहाराणं आणुपुब्बीदव्वाणं अणाणुपुञ्वीदव्वाणं अवत्तव्वगदव्वाण य दबट्टयाए पएसट्टयाए दबट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवाइं गमववहाराणं श्रवत्तबगदव्वाइं दबट्टयाए अणाणुपुव्वीदव्वाइं दवट्ठयाए विसेसाहिबाई आणुपुव्वीदव्वाइं दबट्टयाए असंखेजगुणाई,पएसट्टयाए णेगमववहाराणं सव्वत्थोवाइंश्रणाणुपुव्वीदव्वाइं अपएसट्टयाए Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 51 भीमनुयोगद्वार-सूत्रम् ] अवत्तव्वगदव्वाइं पएसट्टयाए विसेसाहिबाई आणुपुत्वीदव्वाइं पएसट्टयाए अणंतगुणाई, दवट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवाइं णेगमववहाराणं अवत्तव्वगदब्वाइं दबट्टयाए अणाणुपुबीदव्वाइं दवट्ठयाए अपएसट्टयाए विसेसाहियाई यवतव्वगदबाइं पएसट्टयाए विसेसाहिबाई श्राणुपुब्बीदवाई दव्वट्ठयाए असंखेजगुणाई, ताई चेव पएसट्टयाए अणंतगुणाई, से तं अणुगमे, से तं नेगमववहाराणं श्रणोवणिहिया दव्वाणुपुवी // सू० 81 // से किं तं. संगहस्स अणोवणिहिया दव्वाणुपुब्वी ?, 2 पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-अट्ठपयपरूवणया 1 भंगस मुकित्तणया 2 भंगोवदंसणया 3 समोथारे 4 अणुगमे 5 // सू० 10 // से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया ?, 2 तिपएसिए श्राणुपुब्बी चउप्पएसिए आणुपुवी जाव दसपएसिए श्राणुपुब्बी संखिजपएसिए श्राणुपुव्वी असंखिजपएसिए थाणुपुव्वी अणंतपएसिए श्राणुपुव्वी परमाणुपोग्गले श्रणाणुपुब्धी, दुपएसिए अवत्तव्वए, से तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया / / सू० 11 // एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए कि पोपणं ?, एमाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए संगहस्स भंगसमुक्त्तिणया कजइ 1 / से कि तं संगहस्स भंगसमुक्त्तिणया ?, 2 अत्थि आणुपुव्वी 1 अत्थिं अणाणुपुवी 2 अस्थि अवत्तव्वए 3, श्रहवा अत्थि प्राणुपुवी अ अणाणु. पुवी श्र 4 ग्रहवा अत्थि प्राणुपुव्वी अ अवतव्वाए श्र५ अहवा अस्थि श्रणाणुपुव्वी अ अवतव्वए अ६ ग्रहवा अत्थि प्राणुपुब्बी अ अणाणुपुव्वी अ अवत्तव्वए अ७, एवं सत्त भंगा, से तं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया 2 / एयाए णं संगहस्स भंगसमुक्त्तिणयाए किं पयोयणं ?, एयाए णं संगहस्स भंगसमुकित्तणयाए संगहस्स भंगोवदंसणया कीरइ 3 // सू० 12 // से किं ते संगहस्स भंगोवदंसणया ?, 2 तिपएसिया श्राणुपुवी परमाणुपोग्गला अणाणुपुवी दुपएसिया अवत्तव्यंए, अहवा लणया 2 / एमालए य 5 एवं सत्तबा अस्थि प्राणप यहवा अस्थि Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 52 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विमानः तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य आणुपुब्बी य अणाणुपुब्बी य, अहवा तिपएसिया य दुपएसिया य श्राणुपुव्वी य अवत्तव्वए य अहवा परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य श्रणाणुपुव्वी य श्रवत्तव्वए य श्रहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य ग्राणुपुव्वी य अणाणुपुब्वी य श्रवत्तव्वए य, से तं संगहस्स भंगोवदंसणया // सू० 13 // से किं तं संगहस्स समोयारे ?, 2 संगहस्स प्राणुपुब्बीदव्बाई कहिं समोयरंति ?, किं श्राणुपुत्वीदव्वेहिं समोयरंति? अणाणुपुब्बीदव्वेहिं समोयरंति ? अवत्तव्वगदव्वेहि समोयरंति ? संगहस्स प्राणुपुब्बीदव्वाइं श्राणुपुत्वीदव्वेहि समोयरंति नो अणाणुपुब्बीदव्वेहिं समोयरंति नो अवत्तव्वगदव्वेहिं समोयरंति, एवं दोनिवि सट्टाणे सट्टाणे समोयरंति, से तं समोयारे॥ सू० 14 // से किं तं अणुगमे ?,.2 अट्ठविहे पन्नत्ते, तंजहा-संतपयपरूवणया दव्वपमाणं च खित्त फुसणा य / कालो य अंतरं भाग भावे अप्पाबहुं नत्थि // 1 // संगहस्स आणुपुब्बीदव्वाइं कि अत्थि णत्थि ?, नियमा अत्थि, एवं दोनिवि 1 / संगहस्स पाणुपुब्बीदवाइं किं संखिजाई असंखेजाइं अणंताई ?, नो संखेन्जाइं नो असंखेजाइं नो श्रणंताई, नियमा एगो रासी, एवं दोनिवि 2 / संगहस्स श्राणुपुब्बीदव्वाई लोगस्स कइभागे होजा ? किं संखेजइभागे होजा असंखेजइभागे होजा संखेज्जेसु भागेसु होजा असंखेज्जेसु भागेसु होजा सवलोए होजा ?, नो संखेजइभागे होजा नो असंखेजइभागे होजा नो संखेज्जेसु भागेसु होजा नो असंखेज्जेसु भागेसु होजा, नियमा सव्वलोए होजा, एवं दोनिवि 3 / संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाइं लोगस्स किं संखेजइभागं फुसंति असंखेजइभागं फुसंति संखिज्जे भागे फुसंति असंखिज्जे भागे फुसंति सव्वलोगं फुसंति ?, नो संखेजइभागं फुसंति जाव नियमा सव्वलोगं फुसंति, एवं दोनिवि 4 / संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाई कालो केवचिरं Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [53 होंति ?, सव्वद्धा, एवं दोगिणवि 5 / संगहस्स पाणुपुव्वीदव्वाणं कालतो केवचिरं अंतरं होंति ?, नत्थि अंतरं, एवं दोरिणवि 6 / संगहस्स श्राणुपुवीदवाइं सेसदव्वाणं कइभागे होजा ? किं संखेजइभागे होजा असंखेजइभागे होजा संखेज्जेसु भागेसु होजा असंखेज्जेसु भागेसु होजा ?, नो संखेजइभागे होजा नो असंखेजइभागे होजा नो संखेज्जेसु भागेसु होजा नो असंखेज्जेसु भागेसु होजा, नियमा तिभागे होजा, एवं दोनिवि 7 / संगहस्स आणुपुव्वीदवाई कयरंमि भावे होजा ?, नियमा साइपारिणामिए भावे होजा, एवं दोनिवि 8 / अप्पाबहुं नत्थि / से तं अणुगमे, से तं संगहस्स अणोवणिहिया दव्वाणुपुब्बी, से तं अणोवहिया दव्वाणुपुव्वी 1 // सू० 15 // से किं तं उवणिहिया दवाणुपुवी ?, 2 तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुव्वी य // सू० 16 // से कि तं पुव्वाणुपुव्वी ?, 2 धम्मस्थिकाए अधम्मत्थिकाए भागासथिकाए जीवत्थिकाए पोग्गलस्थिकाए अद्धासमए, से तं पुव्वाणुपुव्वी 1 / से किं तं पच्छाणुपुवी ?, 2 श्रद्धासमए पोग्गलत्थिकाए जीवत्थिकाए अागास. स्थिकाए अहम्मत्थिकाए धम्मत्थिकाए, से तं पच्छाणुपुव्वी 2 / से किं तं अणाणुपुब्बी ?, 2 एयाए चेव एगाइआए एगुत्तरित्राए छगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्भासो दूरूवूणो, से तं श्रणाणुपुव्वी 3 // सू० 17 // श्रहवा उवणिहिश्रा दव्वाणुपुव्वी तिविहा पनत्ता, तंजहा-पुव्वाणुपुची पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुब्बी, से किं तं पुव्वाणुपुवी ?, 2 परमाणुपोग्गले दुपएसिए तिपएसिए जाव दसपएसिए संखिजपएसिए असंखिजपएसिए अणंतपएसिए, से तं पुव्वाणुपुत्वी 1 / से किं तं पच्छाणुपुवी, 2 अणंतपएसिए असंखिजपएसिए संखिजपएसिए जाव दसपएसिए जाव तिपएसिए दुपएसिए परमाणुपोग्गले, से तं पच्छाणुपुव्वी 2 / से किं तं श्रणाणुपुब्बी ?, 2 एअाए चेव एगाइपाए एगुत्तरित्राए अणंतगच्छगयाए Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागा सेढीए अन्नमगणभासो दुरूवूणो, से तं श्रणाणुपुवी 3 / से तं उवणि· हिया दव्वाणुपुव्वी, से तं जाणगवइरित्ता दव्वाणुपुव्वी, से तं नोबागमत्रो 'दव्वाणुपुव्वी, से तं दव्वाणुपुव्वी 4 // सू० 18 // से किं तं खेत्ताणु'पुवी ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-उवणिहिश्रा य श्रणोवणिहिया य // सू० 11 // तत्थ णं जा सा उवाणिहिया सा ठप्पा, तत्थ णं जा सा श्रणोवणिहिया सा दुविहा पराणत्ता, तंजहा-णेगमववहाराणं संगहस्स य॥ सू०, 100 // .. से किं तं गमववहाराणं गुणोवणिहिया खेत्ताणुपुब्बी ?, 2 पंचविहा पराणात्ता, तंजहा-अट्ठपयपरूवणया भंगसमुक्त्तिणया भंगोवदंसणया समोारे अणुगमे 1 / से किं तं गमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया ?, 2 तिपएसोगाढे पाणुपुवी जाव दसपएसोगाढे आणुपुव्वी जाव संखिजपएसोगाढे श्राणुपुब्वी असंखिजपाएसोगाढे पाणुपुवी, एगपएसोगाढे अणाणुपुव्वी, दुपएसोगाढे अवत्तव्बए, 'तिपएसोगाढायो * श्राणुपुब्बीयो जाव दसपएसोगाढायो ग्राणुपुवीयो जाव असंखिजपएसोगाडाथो ग्राणुपुवीयो एगपएसोगाढायो अणाणुपुवीयो दुपएसोगाढाई अवत्तव्वगाई, से तं गोगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया 2 / एपाए णं णेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए किं पयोषणं ?, एयाए णेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणंयाए णेगमववहाराणं भंगसमुकित्तणया कज्जइ 3 / से किं तं गमववहाराणं भंगसमुक्त्तिणया ?, 2 अस्थि प्राणुपुवी अस्थि अणाणुपुब्बी अस्थि अवत्तव्वए, एवं दव्वाणुपुविगमेणं खेताणुपुब्बीएऽवि ते चेव छव्वीसं भंगा भाणिग्रव्वा, जाव से तं गमववहाराणं भंगसमुकित्तणया 4 / एपाए णं णेगमववहाराणं भंगसमुक्त्तिणयाए किं पोत्रणं ?, एथाए णं णेगमववहाराणं भंगसमुक्त्तिणयाए णेगमववहाराणं भंगोवदंसणया कज्जइ 5 / से किं तं गमववहाराणं भंगोवदंसणया ?, 2 Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 55 तिपएसोगाढे आणुपुव्वी एगपएसोगाढे अणाणुपुव्वी दुपएसोगाढे अवत्तव्वए तिपएसोगाढायो आणुपुत्वीयो एगपएसोगाढायो अणाणुपुवीयो दुपएसोगाढाई अवत्तव्वगाई, ग्रहवा तिपएसोगाढे अ एगपएसोगाढे अ आणुपुवी श्र अणाणुपुव्वी अ एवं तहा चेव दव्वाणुपुबिगमेणं छब्बीसं भंगा भाणिवा जाव से तं गमववहाराणं भंगोवदसणया 6 / से किं तं समोयारे ?, 2 गमववहाराणं प्राणुपुवीदव्वाई कहिं समोअरंति ? किं पाणुपुव्वीदव्वेहिं समोअरंति ? अणाणुपुव्वीदव्वेहिं समोअरंति ? अवत्तबगदव्वेहि समोअरंति ?, प्राणुपुब्बीदव्बाई आणुपुवीदव्वेहि समोअरंति नो अणाणुपुत्वीदव्वेहिं समोयरंति, नो अवत्तव्वयदव्वेहि समोअरंति, एवं तिरिणवि सट्टाणे समोअरंतित्ति भाणियब्वं, से तं समोबारे 7 / से किं तं अणुगमे ?, 2 नवविहे पराणत्ते, तंजहा-संतपयपरूवणया जाव अप्पाबहुं चेव // 10 // 8 / गमववहाराणं ग्राणुपुब्विदव्वाइं किं अत्थि ?, णत्थि, ? णियमा अस्थि, एवं दुरिणवि / णेगमववहाराणं प्राणुपुग्विदवाइं किं संखिजाइं असंखिजाई अणंताई ?, नो संखिजाइं असंखिजाइं नो अणंताई, एवं दुरिणवि 1 / णेगमववहाराणं आणुपुब्बीदवाइं लोगस्स किं संखिजइभागे होजा थसंखिजइभागे होजा जाव सबलोए होजा ?, एगं दव्वं पडुच्च लोगस्स संखिजइभागे वा होजा असंखिजइभागे वा होजा संखेज्जेसु वा भागेसु होजा असंखेज्जेसु वा भागेसु होजा, देसूणे वा लोए होजा, नाणादबाई पडुच्च नियमा सब्बलोए होजा, णेगमववहाराणं अणाणुपुब्बीदव्वाणं पुच्छाए एगदव्वं पडुच नो संखिजइभागे होजा असंखिजइभागे होजा नो संखेज्जेसु वा भागेसु होजा, नो असंखेज्जेसु वा भागेसु होजा नो सव्वलोए होजा, नाणादबाई पडुच्च नियमा सव्वलोए होजा, एवं श्रवत्तव्यगदव्वाणिवि भाणिवाणि (अणाणुपुब्बीदव्वाइं अवत्तव्वगदव्वाणि जहेव हेट्ठा तहेव Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 56 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः नेयवाणि) 10 / गमववहाराणं आणुपुब्बीदव्वाइं लोगस्स कि संखेजइभागं फुसंति असंखिजइभागं फुसंति संखेज्जे भागे फुसंति जाव सव्वलोग्रं फुसंति ?, एगं दव्वं पडुच्च संखिजइभागं वा फुसंति असंखिजइभागं असंखिजइभागे असंखेज्जे वा भागे देसूणं वा लोग(संखेज्जे वा भागे असंखेज्जे वा भागे सबलो) फुसइ, णाणादव्वाइं पडुच्च णियमा सब्बलोयं फुसंति, अणाणुपुब्बीदव्वाइं अवत्तव्वगदव्वाइं च जहा खेत्तं नवरं फुसणा भाणियव्वा 11 / ोगमववहाराणं प्राणुपुब्बीदवाई कालो केवञ्चिरं होंति ?, पगं दव्वं पडुच्च जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखिज्ज कालं, नाणादव्वाइं पडुच्च णियमा सव्वद्धा, एवं दोगिण वि, 12 / णेगमववहाराणं आणुपुब्बीदव्वाणमंतरं कालयो केवचिरं होड ?, तिराहपि एगं दव्वं पडुच्च जहरणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं, नाणादब्वाई पडुच्च णत्थि अंतरं 13 / गमववहाराणं आणुपुब्बीदव्वाइं सेसदव्वाणं कइभागे होजा ?, तिरिणवि जहा दवाणुपुवीए 14 / णेगमववहाराणं प्राणुपुब्बीदव्वाइं कयरंमि भावे होजा ? णियमा साइपारिणामिए भावे होजा, एवं दोरिणवि 15 / एएसि णं भंते ! णेगमववहाराणं श्राणुपुवीदव्वाणं प्रणाणुपुब्बीदव्याणं अवत्तव्वगदव्वाण य दवट्ठयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुश्रा वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सम्वत्थोवाइं णेगमववहाराणं अवत्तव्वगदव्वाइं दबट्टयाए अणाणुपुब्बीदव्वाइं दवट्टयाए विसेसाहियाइं ग्राणुपुब्बीदव्वाइं दवट्टयाए असंखेजगुणाई, पएसट्टयाए सब्बत्थोवाइं गोगमववहाराणं श्रणाणुपुवीदव्वाइं अपएसट्टयाए अवतव्वगदव्वाई पएसट्टयाए विसेसाहियाई श्राणुपुव्वीदव्वाई पएसट्टयाए असंखेजगुणाई, दबट्ठपएसट्ठयाए सव्वत्थोवाइं गमववहाराणं श्रवत्तव्वगदव्वाइं दबट्टयाए अणाणुपुवीदब्वाइं दबट्टयाए अपएसट्टयाए विसेसाहिबाई अवत्तव्वंगदव्वाई Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् [ 57 पएसट्टयाए विसेसाहियाइं प्राणुपुथ्वीदव्वाई दव्वट्टयाए असंखेजगुणाई ताई चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणाई, से तं अणुगमे 16 / से तं णेगमववहाराणं श्रणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी 17 // सू० 101 // से किं संगहस्स अणोवणिहिया खेत्ताणुपुब्बी 1, 2 पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-पट्ठपयपरूवणया भंगसमुकित्तणया भंगोवदंसणया समोबारे अणुगमे 1 / से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया ?, 2 तिपएसोगाढे प्राणुपुत्वी चउप्पएसोगाढे आणुपुवी जाव दसपएसोगाढे पाणुपुब्बी संखिजपएसोगाढे पाणुपुब्बी असंखिजपएसोगाढे पाणुपुव्वी एगपएसोगाढे अणाणुपुवी दुपएसोगाढे अवत्तव्वए, से तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया 2 / एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए कि पत्रोत्रणं ?, एपाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए संगहस्स भंगसमुकित्तणया कज्जइ 3 / से किं तं संगहस्स भंगसमुकित्तणया ?, अस्थि आणुपुव्वी अस्थि अणाणुपुव्वी अस्थि अवत्तव्वए, अहवा अत्थि श्राणुपुब्बी अ अणाणुपुव्वी श्र एवं जहा दव्वाणुपुबीए संगहस्स तहा भाणिअव्वं जाव से तं संगहस्स भंगसमुकित्तणया 4 / एयाए णं संगहस्स भंगसमुक्त्तिणयाए कि पत्रोत्रणं ?, एमाए णं संगहस्स भंगसमुक्त्तिणयाए संगहस्स भंगोवदंसणया कजइ 5 / से किं तं संगहस्स भंगोवदंसणया ?, 2 तिपएसोगाढे अाणुपुव्वी एगपएसोगाढे अणाणुपुवी दुपएसोगाढे अवत्तव्वए अहवा तिपएसोगाढे अ एगपएसोगाढे अाणपुवी अ अणाणुपुब्बी अ, एवं जहा दवाणुपुवीए संगहस्स तहा खेत्ताणुपुवीएवि भाणिग्रव्वं जाव से तं संगहस्स भंगोवदंसणया 6 / से किं तं समोबारे ?, 2 संगहस्स आणुपुब्बीदव्वीई कहि समोअरंति ? किं प्राणुपुथ्वीदव्वेहि समोअरंति अणाणुपुव्वीदव्वेहिं अवत्तव्वगदब्वेहिं ?, तिरिणवि सट्टाणे समोअरंति, से तं समोथारे 7 / से किं तं अणुगमे ?, 2 अट्ठविहे पराणत्ते, तंजहा-संतपयपरूवणया जाव अप्पाबहुँ नत्थि // 11 // 8 / संगहस्त Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 58 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः आणुपुब्बीदवाइं किं अस्थि णत्थि ?, नियमा अस्थि, एवं तिरिणवि, सेसगदाराई जहा दवाणुपुब्बीए संगहस्स तहा खेत्ताणुपुवीएवि भाणिअब्वाई, जाव से तं अणुगमे 1 / से तं संगहस्स अणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी 10 / से तं अणोवणिहिश्रा खेत्ताणुपुव्वी 11 // सू० 102 // से किं तं उपणिहिया खेत्ताणुपुब्धी ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहापुवाणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुवी 1 / से कि तं पुव्वाणुपुवी?, 2 ग्रहोलोए तिरिअलोए उड्डलोए, से तं पुवाणुपुब्वी 2 / से किं तं पच्छाणुपुवी ?, 2 उडलोए तिरिअलोए ग्रहोलोए, से तं पच्छाणुपुव्वी 3 / से किं तं अणाणुपुवी ?, 2 एकाए चेव एगाइअाए एगुत्तरियाए तिगच्छगयाए सेटीए अन्नमनभासो दूरुवूणो, से तं श्रणाणुपुब्बी 4 / ग्रहोलोअखेत्ताणुपुब्बी तिविहा पराणत्ता, तंजहा-पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुत्री अणाणुपुब्बी 5 / से किं तं पुव्वाणुपुब्बी ?, 2 रयणप्पभा सकरप्पभा वालुअप्पभा पंकप्पभा धूमप्पभा तमप्पभा(तमा) तमतमप्पभारतमा), से तं पुव्वाणुपुव्वी 6 / से किं तं पच्छाणुपुव्वी ?, 2 तमतमा जाव रयणप्पभा, से तं पच्छाणुपुव्वी 7 / से किं तं अणाणुपुब्बी ?, 2 एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरित्राए सत्तगच्छगयाए सेटीए अन्नमनभासो दुरूवूणो, से तं श्रणाणुपुब्बी 8 / तिरियलोअखेत्ताणुपुव्वी तिविहा पराणत्ता, तंजहा-पुब्बाणुपुव्वी पच्छाणुपुब्वी अणाणुपुष्वी 1 / से किं तं पुवाणुपुब्बी ?, 2 जंबुद्दीवे लवणे धायइ कालोप पुक्खरे वरुणे / खीर घय खोत्र नंदी अरुणवरे कुंडले रुअगे॥ 12 // जंबुद्दीवायो खलु निरंतरा सेसया असंखइमा। भुयगवर-कुसवरा वि य कोंचवराऽभरणमाईया // श्राभरणवत्थगंधे उप्पलतिलए श्र पुढवि(पउम)निहिरयणे / वासहरदहनईश्रो विजया वक्खारकप्पिंदा // 13 // कुरुमंदरावासा कूड़ा नक्खत्तचंदसूरा य / देवे नागे जक्खे भूए. अ सयंभुरमणे श्र॥ 14 // से तं Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुत्री व असंखेजग / उहलोअपुथ्वी 13 श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [59 पुव्वाणुपुब्बी 10 / से किं तं पच्छाणुपुव्वी ?, 2 सयंभूरमणे अ भूए य जाव जंबदीवे, से तं पच्छाणुपुब्वी 11 / से किं तं पणाणुपुव्वी ?, 2 एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरिाए असंखेजगच्छगयाए सेढीए अण्णमराणभासो दुरूवूणो, से तं अणाणुपुव्वी 12 / उड्डलोअखेत्ताणुपुब्वी तिविहा पराणत्ता, तंजहा-पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुब्वी 13 / से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ?, 2 सोहम्मे ईसाणे सणकुमारे माहिंदे बंभलोए लंतए महासुक्के सहस्सारे पाणए पाणए श्रारणे अच्चुए गेवेजविमाणे अणुत्तरविमाणे ईसिपब्भारा, से तं पुवाणुपुव्वी 14 / से किं तं पच्छाणुपुब्वी ?, 2 ईसिपब्भारा जाव सोहम्मे, से तं पच्छाणुपुब्बी 15 / से कि तं अणाणुपुव्वी ?, 2 एश्राए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए पन्नरसगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो, से तं अणाणुपुव्वी 16 / अहवा उवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी तिविहा पराणत्ता, तंजहा-पुब्वाणुपुब्बी पच्छाणुपुब्बी अणाणुपुव्वी 17 / से किं तं पुव्वाणुपुब्वी ?, 2 एगपएसोगाढे दुपएसोगाढे जाव दसपएसोगाढे जाव संखिजपएसोगाढे असंखिजपएसोगाढे, से तं पुवाणुपुवी 18 / से किं तं पच्छाणुपुव्वी ?, 2 असंखिजपएसोगाढे संखिजपएसोगाढे जाव एगपएसोगाढे, से तं पच्छाणुपुव्वी 16 / से किं तं अणाणुपुब्बी ?, 2 एयाऐ चेव एगाइबाए एगुत्तरियाए असंखिजगच्छगयाए सेटीए अन्नमन्नब्भासो दुरुबूणो, से तं प्रणाणुपुब्बी 20 / से तं उवणिहिया खेत्ताणुपुब्बी 21 / से तं खेत्ताणुपुब्बी 22 // सू० 103 // से किं तं कालाणुपुवी ?, 2 दुविहा पण्णत्ता, तंजहाउवणिहिया य श्रणोवणिहिया य // सू० 104 // तत्थ णं जा सा उवणिहिश्रा सा ठप्पा, तत्थ णं जा सा अणोवणिहिश्रा. सा दुविहा पराणत्ता, तंजहा-णेगमववहाराणं संगहस्स य // सू० 105 // से किं तं गमववहाराणं अणोवणिहिया कालाणुपुब्वी ?, 2 Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु: चतुर्दशमो विमागः पंचविहा परणत्ता, तंजहा-अट्ठपयपरूवणया भंगसमुक्त्तिणया भंगोवदंसणया समोबारे अणुगमे // सू० 106 // से किं तं गमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया ?, 2 तिसमयट्टिईए श्राणुपुव्वी जाव दससमयट्टिईए आणुपुब्बी संखिजसमयट्टिईए आणुपुव्वी असंखिजसमयट्टिईए श्राणुपुव्वी एगसमयट्टिईए अणाणुपुब्बी दुसमयट्टिईए अवत्तव्बए, तिसमयठिईश्राश्रो श्राणुपुवीयो एगसमयट्टिईश्राश्रो श्रणाणुपुव्वीश्रो दुसमयट्टिईश्रायो अवत्तव्वगाई, से तं गमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया 1 / एमाए णं णेगमबवहाराणं अट्ठपयपरूवणायाए कि पयोअणं ?, एयाए णं णेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए णेगमववहाराणं भंगसमुकित्तणया कजइ 2 // सू० 107 // से किं तं गमववहाराणं भंगसमुकित्तणया ?, 2 अस्थि श्राणुपुवी अस्थि अणाणुपुव्वी अस्थि अवत्तव्वए, एवं दवाणुपुव्वीगमेणं कालाणुपुवीएवि ते चेव छब्बीसं भंगा भाणिया जाव से तं गमववहाराणं भंगसमुक्त्तिणया 1 / एयाए. णं णेगमववहाहाराणं भंगसमुक्त्तिणयाए किं पोषणं ?, एमाए णं णेगमववहाराणं भंगसमुक्त्तिणयाए णेगमववहाराणं भंगोवदंसणया कजई 2 ॥सू. 108 // से किं तं गमववहाराणं भंगोवदंसणया ?, 2 तिसमयट्टिईए श्राणुपुवी एगसमयढिईए अणाणुपुव्वी दुसमयट्टिईए अवत्तव्वए, तिसमयट्टिईया श्रणाणुपुत्वीयो एगसमट्टिईया अणाणुपुत्वीयो दुसमयट्टिईश्रा श्रवत्तव्वगाई, हवा तिसमयट्टिईए अ एगसमयट्टिईए अ श्राणुपुब्बी अणाणुपुव्वी अ 1 / एवं तहा चे दवाणुपुबीगमेणं छव्वीसं भंगा भाणिश्रव्वा, जाव से तं गमववहाराणं भंगोवदंसणया 2 // सू० 101 // से किं तं समोधारे ? 2 गमववहाराणं आणुपुवीदव्वाइं कहिं समोअरंति ? किं श्राणुपुब्बीदव्वेहिं समोअरंति ? अणाणुपुव्वीदव्वेहिं ?, एवं तिरिणवि सट्ठाणे समोअरंति इति भाणिश्रव्वं 1 / से तं समोसारे 2 // सू० 110 // Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] . [ 61 से किं तं अणुगमे ?, 2 णवविहे पराणत्ते, तंजहा–संतपयपरूषणया जाव अपाबहुं चेव // 15 // 1 / णेगमववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं किं अस्थि णत्थि ?, नियमा तिरिणवि अस्थि 2 / णेगमववहाराणं प्राणुपुवीदव्वाइं कि संखेज्जाइं असंखेजाई अणंताई ?, तिरिणवि नो संखिजाई असंखेजाइं नो अणंताई 3 / णेगमववहाराणं श्राणुपुव्वीदव्वाई लोगस्स किं संखिज्जइभागे होजा ? असंखिजइभागे होजा ? संखेज्जेसु भागेसु वा होजा ? असंखेज्जेसु भागेसु वा होजा ? सव्वलोए वा होजा ?, एगं दव्वं पडुच्च संखेजइभागे वा होजा असंखे जइभागे वा होजा संखेज्जेसु वा भागेसु होजा असंखेज्जेसु वा भागेसु होजा देसूणे वा लोए होजा, नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सबलोए होजा 4 / एवं अणाणुपुबीदव्वं, थाएसंतरेण वा सव्वपुच्छासु होजा, एवं अवत्तव्वगदव्वाणिवि जहा खेत्ताणुपुबीए 5 / फुसणा कालाणुपुब्बीएवि तहा चेव भाणिअव्वा 6 / गोगमववहाराणं प्राणुपुबीदव्वाइं कालयो केवचिरं होति ?, एगं दव्वं पडुच्च जहराणेणं तिरिण समया उकोसेणं असंखेज्जं कालं, नाणादव्वाइं पडुच्च सव्वद्धा 7 / गोगमववहाराणं अणाणुपुव्वीदव्वाइं कालयो केवच्चिरं होति ?, एमं दव्वं पडुच्च अजहन्नमणुकोसेणं एक्कं समयं नाणादव्याई पडुच्च सम्बद्धा 8 / अवत्तबगदवाणं पुच्छा, एगं दव्वं पडुच्च अजहराणमणुकोसेणं [एक्कंदो समया नाणादबाई पडुन सम्बद्धा 1 / गमवव. हाराणं प्राणुपुबीदव्वाणमंतरं कालयो केवच्चिरं होइ ?, एगं दव्वं पडुच्च जहरणेगां एगं समयं उकासेणं दो समया नाणादव्वाइं पडुच्च नत्थि अंतरं 10 / णेगमववहाराणं अणाणुपुब्बीदवाणमंतरं कालयो केवचिरं होइ ?, एगं दव्वं पडुच्च जहराणेणं दो समया उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं, णाणादवाइं पडुच्च णत्थि अंतरं 11 / णेगमववहाराणं अवत्तव्वगदव्वाणं पुच्छा, एगं दव्वं पडुच्च जहराणेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं, Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 62 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः:: चतुर्दशमो विभागः णाणादब्वाइं पडुच्च णत्थि अंतरं 12 / भागभावअप्पाबहुं चेव जहा खेताणुपुवीए तहा भाणिग्रवाई, जाव से तं अणुगमे 13 / से तं गमववहाराणं श्रणोवणिहिया कालाणुपुव्वी 14 // सू० 111 // से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी ?, 2 पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-अट्ठपयपरूवणया भंगसमुक्त्तिणया भंगोवदंसणया समोथारे अणुगमे // सू० 112 // से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया ?, 2 एअाई पंचवि दाराई जहा खेत्ताणुपुवीए संगहस्स तहा कालाणुपुब्बीएवि भाणिव्वाणि, णवरं ठिइअभिलावो, जाव से तं अणुगमे / से तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुब्बी // सू० 113 // से किं तं उवणिहिया कालाणुपुब्बी ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-पुवाणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुव्वी 1 / से किं तं पुवाणुपुब्बी ?, 2 एगसमयट्टिइए दुसमयट्टिइए तिसमयटिइए जाव दससमयटिइए संखिजसमयट्टिइए, असंखिजसमयट्टिइए, से तं पुवाणुपुवी 2 / ते किं तं पच्छाणुपुब्बी ? 2 असंखिजसमयटिइए जाव एगसमयटिइए, से तं पच्छाणुपुब्वी 3 / से कि तं अणाणुपुटवी ?, 2 एयाए चेव एगाइश्राए एगुत्तरिाए असंखिजगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नभासो दुरूवूणो, से तं अणाणुपुव्वी 4 / अहवा उवणिहिया कालाणुपुवी तिविहा पराणत्ता, तंजहा-पुव्वाणुपुब्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुव्वी 5 / से किं तं पुव्वाणुपुवी ?, 2 समए श्रावलिथा घाण पाणू थोवे लवे मुहुत्ते अहोरत्ते पक्खे मासे उऊ अयणे संवच्छरे जुगे वाससए वाससहस्से वाससयसहस्से पुव्वंगे पुब्वे तुडिअंगे तुडिए अडडंगे अडडे अववंगे अववे हुहुअंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे णलिणंगे णलिणे अत्थनिऊरंगे अत्थनिऊरे अउअंगे अउए नउअंगे नउए पउअंगे पउए चूलिअंगे चूलिया सीसपहेलिअंगे सीसपहेलिश्रा पलिग्रोवमे सागरोवमे श्रोसप्पिणी उस्सप्पिणी पोग्गलपरिघट्टे अतीतद्धा अणागतद्धा सव्वद्धा, से तं पुव्वाणुपुव्वी 6 / से किं तं Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [63 पच्छाणुपुब्बी, 2 सव्वद्धा अणागतद्धा जाव समए, से तं पच्छाणुपुव्वी 7 / से किं तं श्रणाणुपुब्बी ?, 2 एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरित्राए अणंतगच्छगयाए सेढीए अण्णमराणभासो, दुरूवूणो, से तं अणाणुपुव्वी 8 / से तं उणिहिया कालाणुपुवी, से कालाणुपुब्बी 1 // सू० 114 // से किं तं उकित्तणाणुपुब्वी ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुब्बी अणाणुपुव्वी 1 / से किं तं पुव्वाणुपुब्वी ?, 2 उसमे अजिए संभवे अभिणंदणे सुमती पउमप्पहे सुपासे चंदप्पहे सुविहि सीतले सेज्जसे वासुपुज्जे विमले अणते धम्मे संती कुथू अरे मल्ली मुणिसुव्वए णमी अरिट्ठणेमी पासे वद्धमाणे, से तं पुव्वाणुपुब्वी 2 / से किं तं पच्छाणुपुन्वी ?, 2 वद्धमाणे जाव उसभे, से तं पच्छाणुपुब्वी 3 / से किं तं अणाणुपुब्बी ?. 2 एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरित्राए चउवीसगच्छगयाए सेढीए अण्णमराणभासो दुरूवूणो, से तं श्रणाणुपुब्बी 4 / से तं उक्वित्तणाणुपुब्धी 5 // सू० 115 // से किं तं गणणाणुपुब्बी ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-पुव्वाणुपुब्बी पच्छाणुपुब्बी अणाणुपुब्बी 1 / से किं तं पुव्वाणुपुब्बी ?, 2 एगो दस सयं सहस्सं दस सहस्साई सयसहस्सं दस सयसहस्साई कोडी दस कोडीयो कोडीसयं दस कोडिसयाई, से तं पुव्वाणुपुब्बी 2 / से किं तं पच्छाणुपुब्बी ?, 2 दस कोडिसयाइं जाव एको, से तं पच्छाणुपुव्वी 3 / से किं तं अणाणुपुब्वी ?, 2 एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए दसको. डिसयगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नन्भासो दुरूवूणो, से तं अणाणुपुषी 4 / से तं गणणाणुपुव्वी 5 // सू० 116 // से किं तं संठाणाणुपुव्वी ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-पुवाणुपुब्बी पच्छाणुपुब्वी अणाणुपुव्वी 1 / से किं तं पुव्वाणुपुब्बी ?, 2 समचउरंसे निग्गोहमंडले सादी खुज्जे वामणे हुंडे, से तं पुव्वाणुपुवी 2 / से कि तं पच्छाणुपुखी ?, 2 हुंडे जाव Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 64] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः समचउरसे, से तं पच्छाणुपुष्वी 3 / से किं तं श्रणाणुपुब्वी ?, 2 एपाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए छगच्छगयाए सेढीए अन्नमनभासो दुरूवूणो, से तं श्रणाणुपुब्बी 4 / से तं संठाणाणुपुव्वी 5 // सू० 117 // से कि तं सामायारीबाणुपुवी ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-पुव्वाणुपुवी पच्छाणुपुवी प्रणाणुपुवी 1 / से कि तं पुव्वाणुपुब्वी ?, 2 इच्छामिच्छातहकारो श्रावस्सिया य निसीहिया। श्रापुच्छणा य पडिपुच्छा छंदणा य निमंतणा // 16 // उपसंपया य काले सामायारी भवे. दसविहा उ॥ से तं पुवाणुपुब्धी 2 / से किं तं पच्छाणुपुव्वी ?, 2 उपसंपया जाव इच्छागारो, से तं पच्छाणुपुव्वी 3 / से किं तं श्रणाणुपुवी ?, 2 एपाए चेव एगाइयाए एगुत्तरित्राए दसगच्छगयाए सेटीए अन्नमनभासो दुरूवूणो, से तं अणाणुपुब्बी 4 / से तं सामायारीबाणुपुव्वी 5 / // सू० 118 // से किं तं भावाणुपुवी ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहापुव्वाणुपुब्धी पच्छाणुपुब्बी श्रणाणुपुब्बी 1 / से किं तं पुवाणुपुब्वी ?, 2 उदइए उवसमिए खाइए खोवसमिए पारिणामिए संनिवाइए, से तं पुवाणुपुबी 2 / से किं तं पच्छाणुपुवी ?, 2 सन्निवाइए जाव उदइए, से तं पच्छाणुपुब्बी 3 / से कि तं श्रणाणुपुवी ?, 2 एपाए चेव एगाइपाए एगुत्तरित्राए छगच्छगयाए सेढीए. अन्नमनभासो दुरूवृणो, से तं श्रणाणुपुव्वी 4 / से तं भावाणुपुव्वी, से तं प्राणुपुव्वी 5 / पाणुपुब्बित्ति पदं समत्तं // सू० 111 // से किं तं णामे ?, णामे दसविहे पराणत्ते, तंजहा-एगणामे दुणामे तिणामे चउणामे पंचणामे छणामे सत्तणामे अट्ठणामे नवणामे दसणामे ॥सू. 120 // से किं तं एगणामे ?, 2 णामाणि जाणि काणिवि दव्वाण गुणाण पजवाणं च / तेसिं पागमनिहसे नामंति परुविना सराणा // 17 // से तं एगणामे / / सू० 121 // से कि तं दुनामे ?, 2 दुविहे Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 65 पराणत्ते, तं जहा-एगक्खरिए अ अणेगक्खरिए अ १।से किं तं एगक्खरिए ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-हीः श्रीः धीः स्त्री, से तं एगक्खरिए 2 / से किं तं अणेगक्खरिए ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-कन्ना वीणा लता माला, से तं अणेगक्खरिए 3 ।अहवा दुनामे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-जीवनामे अ अजीवनामे अ 4 / से किं तं जीवणामे ?, 2 अणेगविहे पण्णत्ते, तंजहादेवदत्तो जगणदत्तो विराहुदत्तो सोमदत्तो, से तं जीवनामे 5 / से किं तं अजोवनामे ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-घडो पडो कडो रहो, से तं अजीवनामे 6 / अहवा दुनामे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-विसेसिए श्र अविसेसिए अ७ / अविसेसिए दव्वे विसेसिए जीवदव्वे अजीवदव्वे श्र, अविसेसिए जीवदव्वे विसेसिए णेरइए तिरिक्खजोणिए मणुस्से देवे, अविसेसिए णेरइए विसेसिए रयणप्पहाए सकरप्पहाए वालुअप्पहाए पंकप्पहाए धूमप्पहाए तमाए तमतमाए, अविसेसिए रयणप्पहापुढविणेरइए विसेसिए पजत्तए अ अपजत्तए अ 8 / एवं जाव अविसेसिए तमतमापुढवीणेरइए विसेसिए पजत्तए अपजत्तए अ१ / अविसेसिए तिरिक्खजोणिए विसेसिए एगिदिए बेइंदिए तेइंदिए चउरिदिए पंचिंदिए, अविसेसिए एगिदिए विसेसिए पुढविकाइए बाउकाइए तेउकाइए वाउकाइए वणस्सइकाइए, अविसेसिए पुढविकाइए विसेसिए सुहुमपुढविकाइए अ बादरपुढविकाइए अ, अविसेसिए सुहुमपुढविकाइए विसेसिए पजत्तय-सुहुमपुढविकाइए अ अपजत्तय-सुहुमपुढविकाइए श्र, अविसेसिए अ बादरपुढविकाइए विसेसिए पजत्तय-बादरपुढविकाइए अ अपजत्तय-बादरपुढविकाइए 1 10 / एवं बाउकाइए तेउकाइए वाउकाइए वणस्सइकाइए अविसेसित्र-विसेसिश्र-पजत्तय-अपजत्तयभेदेहिं भाणिवा 11 / अविसेसिए बेइंदिए विसेसिए पजत्तयबेइंदिए श्र अपज्जत्तयबेइंदिए अ, एवं तेइंदिअचउरिदिशावि भाणिअव्वा 12 / अविसेसिए पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए विसेसिए जलयर-पंचिंदियतिरिवख Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः जोणिए थलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए खहयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए 13 / अविसेसिए जलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए विसेसिए समुच्छिमजलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए अ गब्भवतिय जलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिए अ 14 / अविसेसिए समुच्छिम-जलयर-पंचेंदियतिरिक्खजोणिए विसेसिए श्र पजत्तय-समुच्छिम-जलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए अ अपजत्तय-समुच्छिम-जलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए 15 / अविसेसिए गम्भववतिय-जलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोगिए. विसेसिए पजत्तय-गम्भवक्कंतित्र-जलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए अ अपजत्तय-गम्भवक्कंतित्रजलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए श्र 16 / अविसेसिए थलयर-पंचिंदित्रतिरिक्खजोणिए विसेसिए चउप्पय-थलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए अ परिसप्प-थलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए अ 17 / अवसेसिए चउप्पय-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिए विसेसिए ... समुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए अ गम्भवक्कंतित्र-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोगिए अ 18 / अविसेसिए समुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिए विसेसिए पजत्तय-समुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए अ अपजत्तय-संमुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिए श्र 11 / अविसेसिए गम्भवक्कंतित्र-वउप्पय-थलयर-पंचिंदिय तिरिक्खजोणिए विसेसिए पजत्तय गम्भवक्कंतित्र-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए थ अपजत्तय-गम्भवक्कंतित्र-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए अ 20 / अविसेसिए परिसप्प-थलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए विसेसिए उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए अ भुपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए श्र 21 / एतेऽवि समुच्छिमा पजत्तगा अपजत्तगा य गम्भवक्कंतित्रावि पजत्तगा अपजत्तगा य भाणिव्वा 22 / अविसेसिए खहयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए विसेसिए समुच्छिम-खहयर Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [67 पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए अ गब्भवक्कंतित्र-खहयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए अ 23 / अविसेसिए समुच्छिम-खहयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिए विसेसिए पजत्तय-संमुच्छिम-खहयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए थ अपजत्तयसंमुच्छिम-खहयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए 24 / अविसेसिए गम्भवक्कं. तिथ-खहयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए विसेसिए पजत्तय-गब्भवक्कतिय खहयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिए अ अपजत्तय-गम्भवक्कंतित्र-खहयर-पंचिंदिअतिरिक्खजोणिए य 25 / अविसेसिए मणुस्से विसेसिए समुच्छिममगुस्से अ गब्भवक्कंतिश्रमणुस्से अ 26 / अविसेसिए समुच्छिममणुस्से विसेसिए पजत्त-संमुच्छिममणुस्से अ अपजत्त-संमुछिममणुम्से अ 27 / अविसिसेए गभवक्कंतित्रमणुस्से विसेसिए कम्मभूमियो य अकम्मभूमिश्रो य अंतरदीवयो य संखिजवासाउय असंखिजवासाउय पजत्तापजत्तयो 28 / अविसेसिए देवे विसेसिए भवणवासी वाणमंतरे जोइसिए वेमाणिए अ 21 / अविसेसिए भवणवासी विसेसिए असुरकुमारे नागकुमारे सुवरणकुमारे विज्जुकुमारे अग्गिकुमारे दीवकुमारे उदधिकुमारे दिसाकुमारे वाउकुमारे थणियकुमारे 30 / सव्वेसिपि अविसेसिब-विसेसित्र-पजत्तगअपजत्तगभेदा भाणिव्या 31 / अविसेसिए वाणमंतरे विसेसिए पिसाए भए जक्खे रक्खसे किराणरे किंपुरिसे महोरगे गंधव्वे 32 / एतेसिपि अविसेसित्र-विसेसिअ-पजत्तय-अपजतगभेदा भाणियव्वा 33 / अविसेसिए जोइसिए विसेसिए चंदे सूरे गहगणे नक्खत्ते तारारूवे 34 / एतेसिपि अविसेसिय-विसेसिय-पजत्तय-अपजत्तयभेया भाणिव्वा 35 / अविसेसिए वेमाणिए विसेसिए कप्पोवगे अ कप्पातीतगे अ 36 / अविसेसिए कप्पोवगे विसेसिए सोहम्मऐ ईसाणए सणंकुमारए माहिदिए बंभलोए लंतयए महासुकए सहस्सारए ग्राणयए पाणयए धारणए अच्चुयए 37 / एतेसिपि अविसेसियविसेसित्र-अपजत्तग-पजत्तगभेदा भाणिवा 38 / अविसेसिए कप्पातीतए Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 68] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः विसेसिए गेवेजए अ अणुत्तरोववाइए अ 31 / अविसेसिए गेवेन्जए विसेसिए हेट्ठिम, मज्झिम, उवरि, अविसेसिए हेट्ठिमगेवेजए विसेसिए हेट्ठिम-हेट्ठिमगेवेजए हेट्ठिम-मझिमगेवेजए, हिटिम-उवरिमगेवेजए 40 / अविसेसिए मज्झिमगेविजए विसेसिए हिट्ठिम-मझिमगेविजए मज्झिम-मज्झिमगेवेजए मन्झिम-उवरिमगेवेजए 41 / अविसेसिए उवरिमगेवेजए विसेसिए उपरिम-हेट्ठिमगेवेजए उबरिम-मझिमगेवेजए उवरिम-उवरिम-गेवेजए अ४२। -एतेसिपि सव्वेसिं अविसेसित्र-विसेसित्र-पजत्तगापजत्तगभेदा भाणिश्रव्वा 43 / अविसेसिए अणुत्तरोववाइए विसेसिए विजयए वेजयंतए जयंतए 'अपराजिए सवट्ठसिद्धंए श्र४४ / एतेसिपि सव्वेसिं अविसेसित्रविसेसिअ-पजत्तगापजत्तगभेदा भाणिव्वा 45 / अविसेसिए अजीवदव्वे विसेसिए धम्मत्थिकाए अधम्मस्थिकाए अागासत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए श्रद्धासमए अ 46 / अविसेसिए पोग्गलत्थिकाए विसेसिए परमाणुपोग्गले दुपएसिए तिपएसिए जाव अणंतपएसिए अ 47 / से तं दुनामे 48 // सू० 122 // से किं तं तिनामे ?, 2 तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-दव्वाणामे गुणणामे पजवणामे श्र 1 / से किं तं दव्वणामे ?, 2 छविहे परणत्ते, तंजहाधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए श्रागासस्थिकाए जीवत्थिकाए पुग्गलत्थिकाए श्रद्धासमए अ, से तं दव्वनामे 2 / किं तं गुणणामे ?, 2 पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-वराणणामे गंधणामे रसणामे फासणामे संगणणामे / से किं तं वराणणामे ?, 2 पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-कालवराणनामे नीलवराणनामे लोहिअवराणनामे हालिद्दवराणनामे सुकिल्लवगणणामे, से तं वगणनामे / से किं तं गंधनामे ?, 2 दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-सुरभिगंधनामे श्र दुरभिगं. * धनामे अ, से तं गंधनामे। से किं तं रसनामे ?, 2 पंचविहे . पराणत्ते, . तंजहा-तित्तरसणामे कडुअरसणामे कसायरसणामे अंबिलरसणामे महुररस सकससे किं तं दवणाम, जीवस्थिकाए पुग्गलाया Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 66 णामे अ, से तं रसणामे / ते किं तं फासणाम?, 2 अट्टविहे पराणत्ते, तंजहाकक्खडफासणामे मउफासणामे गरुअफासणामे लहुअफासणामे सीतफासणामे उसिणफासणामे णिद्धफासणामे लुक्खफासणामे, से तं फासणामे / से किं तं संठाणनामे ?, 2 पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-परिमंडलसंगणनामे वट्टसं. ठाणनामे तंससंगणनामे चउरंससंठगणनामे पायतसंगणणामे, से तं संठाणानामे से तं गुणणामे 3 / से किं तं पजवणामे ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-एगगुणकालए दुगुणकालए तिगुणकालए जाव दसगुणकालए संखिजगुणकालए असंखिजगुणकालए अनंतगुणकालए, एवं नील-लोहिश्रहालिद्द-सुकिलावि भाणिव्वा / एगगुणसुरभिगंधे दुगुणसुरभिगंधे तिगुणसुरभिगंधे जाव अणंतगुणसुरभिगंधे एवं दुरभिगंधोऽवि भाणियो। एगगुणतित्ते जाव अणंतगुणतित्ते, एवं कडुअकसायअंबिलमहुरावि भाणिव्वा / एगगुणाकक्खडे जाव अणंतगुणकक्खडे, एवं मउग्र-गरुअ-लहुअ-सीत-उसिण-णिद्ध-लुक्खावि भाणियब्वा, से तं पज्जवणामे 4 / तं पुण णामं तिविहं इत्थी पुरिसं णपुंसगं चेव / एएसिं तिरहंपि अ अंतमि अ परूवणं वोच्छं // 18 // तत्थ पुरिसस्स अंता आईऊो हवंति चत्तारि / ते चेव इत्थियात्री हवंति श्रोकारपरिहीणा // 16 // अंतित्र इंतिथ उंतित्र थताउ णसंगस्स बोद्धव्वा / एतेसिं तिराहंपि श्र वोच्छामि निदंसणे एत्तो // 20 // श्रागारंतो राया ईगारंतो गिरी असिहरी श्र। ऊगारंतो विराहू दुमो अ अंता उ पुरिसाणं // 21 // श्रागारंता माला ईगारंता सिरी अ लच्छी श्र। ऊगारंता जंबू बहू थ अंताउ इत्थीणं // 22 // अंकारंतं धन्नं इकारंतं नपुसगं अत्यिं / उकारंतो पीलुमहुं च अंता णपुंसाणं // 23 // से तं तिणामे 5 // सू० 123 // से किं तं उणामे?, 2 चउबिहे पण्णत्ते, तंजहा–बागमेणं लोवेणं पयईए विगारेणं 1 / से किं तं आगमेणं ?, 2 पद्मानि पयांसि कुण्डानि, से तं श्रागमेणं 2 / Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 70 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः से किं तं लोवेणं ?, 2 ते अत्र तेत्र पटो अत्र पटोत्र घटो अत्र घटोऽत्र, से तं लोवेणं 3 / से किं तं पगईए ?, 2 अन्नी एतौ पटू इमौ शाले एते माले इमे, से तं पगईए 4 / से किं तं विगारेणं ?, 2 दण्डस्य अग्रं दराडा सा भागता साऽऽगता दधि इदं दधीदं नदी इह नदीह मधु उदकं मधूदकं वधू ऊहः वधूहः, से तं विगारेणं 5 / से तं चउनामे 6 // सू० 124 // से किं तं पंचनामे ?, 2 पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-नामिकं नैपातिकं आख्यातिकं औपसर्गिकं मित्रं च 1 / अश्व इति नामिकम्, खल्लिति नैपातिकम् धावतीत्याख्यातिकम्, परीत्यौपसर्गिकम्, संयत इति मिश्रम् 1 / से तं पंचनामे 3 // सू० 125 // से किं तं छराणामे ?, 2 छविहे पराणत्ते, तंजहा-उदइए उवसमिए खइए खोवसमिए पारिणामिए संनिवाइए 1 / से किं तं उदइए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-उदइए अ उदयनिष्फराणे श्र। से किं तं उदइए ?, 2 अट्टराहं कम्मपयडीणं उदएणं, से तं उदइए 2 / से किं तं उदयनिष्फन्ने ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-जीवोदयनिष्फन्ने अ अजीवोदयनिप्फन्ने अ 3 / से किं तं जीवोदयनिष्फन्ने ? 2 अणेगविहे पण्णत्ते तंजहा-गोरइए तिरिक्खजोणिए मणुस्से देवे पुढविकाइए जाव तसकाइए कोहकसाई जाव लोहकसाई इत्थीवेदए पुरिसवेयए णपुंसगवेदए कराहलेसे जाव सुक्कलेसे मिच्छादिट्ठी 3 अविरए असराणी अण्णाणी पाहारए छउमत्थे सजोगी संसारत्थे असिद्धे, से तं जीवोदयनिष्फन्ने 4 / से कि तं अजीवोदयनिष्फन्ने ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-उरालियं वा सरीरं उरालिग्रसरीर-पयोगपरिणामियं वा दव्वं, वेउव्वियं वा सरीरं वेउब्बियसरीर-पयोगपरिणामियं वा दव्वं, एवं श्राहारगं सरीरं तेअगं सरीरं कम्मगसरीरं च भाणिवं, पयोगपरिणामिए वराणे गंधे रसे फासे, से तं अजीवोदयनिष्फरणे 5 / से तं उदयनिष्फराणे 6 / से तं Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ) [ 71 उदइए 7 / से किं तं उपसमिए ?, 2 दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-उवसमे अ उवसमनिष्फराणे अ 8 / से किं तं उवसमे ?, 2 मोहणिजस्स कम्मस्स उसमेणं, से तं उसमे 1 / से किं तं उवसमनिष्फरणे ?, 2 अणेगविहै पराणत्ते, तंजहा-उवसंतकोहे जाव उवसंतलोभे उवसंतपेज्जे उवसंतदोसे उवसंतदंसणमोहणिज्जे उवसंतमोहणिज्जे उवसमिया सम्मत्तलद्धी उवसमिया चरित्तलद्धी उवसंतकसाय-छउमत्थवीयरागे, से तं उवसमनिष्फराणे 10 / से तं उवसमिए 11 / से किं तं खइए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहाखइए अ खयनिफरणे श्र 12 / से किं तं खइए ?, 2 अट्ठरहं कम्मपयडीणं खएणं, से तं खइए 13 / से किं तं खयनिष्फराणे ?, 2 अणेगबिहे पराणत्ते, तंजहा-उप्पराण-णाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली खीण-श्राभिणिवोहिथ-णाणावरणे खीण-सुश्र-णाणावरणे खीण-श्रोहिणाणावरणे खीण-मणपजव-णाणावरणे खीण-केवल-णाणावरणे अणावरणे निरावरणे खीणावरणे णाणावरणिज-कम्मविप्पमुक्के केवलदंसी सव्वदंसी खीणनिद्दे खीणनिहानिद्दे खीणपयले खीणपयलापयले खीण-थीणगिद्धी खीण-चक्खु. दंसणावरणे खीण-अचक्खुदंसणावरणे खीण-श्रोहिदंसणावरणे खीण-केवलदसणावरणे अणावरणे निरावरणे खीणावरणे दरिसणावरणिज-कम्मविप्पमुक्के खीण-सायावेयणिज्जे खीण-असायावेअणिज्जे अवेषणे निव्वेषणे खीणवेषणे सुभासुभ-वेअणिज-कम्मविप्पमुक्के खीणकोहे जाव खीणलोहे खोणपेज्जे खीणदोसे खीणदसणमोहणिज्जे खीणचरित्तमोहणिज्जे अमोहे निम्मोहे खीणमोहे मोहणिजकम्मविप्पमुक्के खीण-गेरइयाउए खीण-तिरिक्खजोणियाउए खीण-मणुस्साउए खीण-देवाउए अणाउए निराउए खीणाउए श्राउकम्म-विप्पमुक्के गइजाइ-सरीरंगोवंगबंधण-संघायण संघयण-संठाण-प्रणेगबोंदिविंद-संघायविप्पमुक्के खीण-सुभनामे खीण-असुभणामे अणामे निराणामे खीणनामे सुभासुभ-णाम-कम्मविप्पमुक्के खीणउच्चागोए. खीण Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 72 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः णीयागोए अगोए निग्गोए खीणगोए उच्चणीय-गोत्तकम्मविष्पमुक्के खीण-दाणंतराए खीणलाभंतराए खीण-भोगंतराए खीण-उवभोगंतराए खीण-विरियंतराए अणंतराए णिरंतराए खीणंतराए अंतराय-कम्मविप्पमुक्के सिद्धे बुद्धे मुत्ते परिणिन्दुए अंतगडे सव्वदुक्खप्पहीणे, से तं खयनिष्फणे 14 / से तं खइए 15 ।से किं तं खोवसमिए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहाखग्रोवसमिए य खोवसमनिष्फरणे य 16 / से किं तं खोवसमे ?, 2 चउराहं घाइकम्माणं खग्रोवसमेणं, तंजहा-णाणावरणिजस्स दंसणावरणिजस्स मोहणिजस्स अंतरायस्स खोवसमेणं, से तं खग्रोवसमे १७।से किं तं खोवसमनिष्फराणे ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-खोवसमिया भाभिणिबोहित्रणाणलद्धी जाव खग्रोवसमिश्रा मणपजवणाणलद्धी खोवसमित्रा मइअण्णाणलद्धी खयोवसमिया सुअराणाणलद्धी खयोवसमिया विभंगणाणलद्धी खोवसमिश्रा चक्खुदंसणलद्धी अचक्खुदंसणलद्धी योहिदसणलद्धी, एवं सम्मदंसणलद्धी मिच्छादसणलद्धी. सम्ममिच्छादंसणलद्धी खग्रोवसमिश्रा सामाइअचरित्तलद्धी, एवं छेदोवट्ठावणलद्धी परिहारविसुद्धिलद्धी सुहुमसंपरायचरित्तलद्धी, एवं चरित्ताचरित्तलद्धी खोवसमिया दाणलद्धी, एवं लाभलद्धी भोगलद्धी उवभोगलद्धी खयोवसमिया वीरिअलद्धी, एवं पंडिअवीरिअलद्धी बालवीरिअलद्धी बालपंडिअवीरिअलद्धी खोवसमिया सोइंदिअलद्धी जाव खोवसमिया फासिंदिवलद्धी खग्रोवसमिए पायारंगधरे, एवं सुश्रगडंगधरे ठाणंगधरे समवायंगधरे विवाहपराणत्तिधरे नायाधम्मकहाधरे उवासगदसाधरे अंतगडदसाधरे अणुत्तरोववाइअदसाधरे पराहावागरणधरे विवागसुत्रधरे खोवसमिए दिट्टिवायधरे खोवसमिए णवपुव्वी जाव चउद्दसपुब्बी खोवसमिए गणी खोवसमिए वायए, से तं खग्रोवसमनिष्फराणे 18 / से तं खग्रोवसमिए 11 / से किं तं पारिणामिए ?, 2 Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ) [ 73 दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-साइपारिणामिए श्र श्रणाइपारिणामिए श्र 20 / से किं तं साइपारिणामिए ?, 2 अणेगविहे परणते तंजहा-जुराणसुरा जुगणगुलो जुराणघयं जुगणतंदुला चेव / अब्भा य अब्भरुक्खा संझा गंधवणगरा य // 24 // उकावाया दिसादाहा गजियं विज्जू णिग्घाया जूवया जक्खादित्ता धूमिश्रा महिया रयुग्घाया चंदोवरागा सूरोवरागा चंदपरिवेसा सूरपरिवेसा पडिचंदा पडिसूरा इंदधणू उदगमच्छा कविहसिया अमाहा वासा वासधरा गामा णगरा घरा पव्वता पायाला भवणा निरया रयणप्पहा सकरप्पहा वालुअप्पहा पंकप्पहा धूमप्पहा तमप्पहा तमतमप्पहा सोहम्मे जाव अच्चुए. गेवेज्जे अणुत्तरे ईसिप्पभारा परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव अणंतपएसिए, से तं साइपारिणामिए 21 / से. किं तं अणाइपारिणामिए ?, 2 धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए अागासत्थिकाए जीवस्थिकाए पुग्गलस्थिकाए श्रद्धासमए लोए अलोए भवसिद्धिा अभवसिद्धिश्रा, से तं श्रणाइपारिणामिए 22 1 से तं पारिणामिए 23 / से किं तं मरिणवाइए ?, 2 एएसिं चेव उदइथ-उपसमिश्र-खड्ग-खोवसमिश्र-पारिणामिश्राणं भावाणं दुगसंजोएणं. तियसंजोएणं चउक्कसंजोएणं पंचगसंजोएणं जे निष्फजइ सव्वे से सन्निवाइए नामे तत्थ णं दस दुअसंजोगा दस तिअसंजोगा पंच चउकसंजोगा एगे पंचकसंजोगे. 24 / एत्थ णं जे ते दस दुगसंजोगा ते णं. इमे-अस्थि णामे उदइए उवसमनिष्फराणे 1 अत्थि णामे उदइए-खाइगनिप्फराणे 2 अत्थि णामे उदइएखग्रोवसमनिष्फराणे 3 अस्थि णामे उदइए-पारिणामिअनिष्फराणे 4 अस्थि णामे उपसमिए-खयनिष्फणे 5 अस्थि णामे उवसमिए-खोवसमनिष्फराणे 6 अस्थि ‘णामे उपसमिए-पारिणामिअनिप्फराणे 7 अस्थि णामे खइएखग्रोवसमनिष्फराणे = अस्थि णामे खइए-पारिणामित्रनिष्फणे 1 अस्थि णामे खोवसमिए-पारिणामिअनिष्फरणे 10, 25 / कयरे से नामे 10 Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 74 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः उदइए-उवसमनिष्फणे ?, उदइएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया, एस णं से णामे उदइए-उवसमनिष्फराणे 1, कयरे से णामे उदइए-खयनिष्फराणे ?, उदइएति मगुस्से खड्गं सम्मत्तं, एस णं से नामे उदइए-खयनिष्फणे 2, कयरे से णामे उदइए-खोवसमनिष्फराणे ?, उदइएत्ति मणुस्से खोवसमिश्राई इंदिश्राई, एस णं से णामे उदइए-खोवसमनिष्फराणे 3, कयरे से णामे उदइए-पारिणामित्रनिष्फराणे ?, उदइएत्ति मणुस्से पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए-पारिणामिअनिष्फराणे 4, कयरे से णामे उवसमिएखयनिष्फराणो ?, उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं, एस णं से णामे उवसमिए. खयनिष्फराणे 5 कयरे से णामे उबसमिए-खोवसमनिष्फराणे ?, उवसंता कसाया खयोवसमिश्राइं इंदिवाई, एस णं से णामे उवसमिए-खयोवसमनिष्फराणे 6, कयरे से णामे उअसममिए-पारिणामिनिष्फराणे ?, उवसंता कसाया पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उवसमिए-पारिणामिनिष्फराणे 7, कयरे से णामे खइए-खोवसमनिष्फराणे ?, खइयं सम्मत्तं खग्रोवसमिश्राई इंदिवाइं, एस णं से णामे खइए-खयोवसमनिष्फराणे 8, कयरे से णामे खइए-पारिणामिनिष्फराणे ?, खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे खइए-पारिणामिनिष्फराणे 1, कयरे से णामे खग्रोवसमिए-पारिणामित्रनिष्फराणे ?, खोवसमिश्राइं इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे खोवसमिए-पारिणामिनिष्फराणे 10, 26 / तत्थ णं जे ते दस तिगसंजोगा ते णं इमे-अस्थि णामे उदइए-उवसमिए-खयनिष्फराणे 1 अस्थि णामे उदइए-उवसमिए-खश्रोवसमनिष्फराणे 2 अत्थि णामे उदइए-उपसमिएपारिणामिनिष्फराणे 3 अत्थि णामे उदइए-खइए-खयोवसमनिष्फराणे 4 अस्थि णामे उदइए-खइए-पारिणामिअनिष्फराणे 5 अस्थि णामे. उदइएखोवसमिए-पारिणामिनिष्फराणे 6 अत्थि णामे उपसमिए-खइए-खो. वसमनिष्फराणे 7 अत्थि णामे उपसमिए-खइए-पारिणामिअनिष्फराणे - Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 75 श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] अत्थि णामे उपसमिए-खयोवसमिए-पारिणामियनिष्फराणे 1 अस्थि णाम खइए-खोवसमिए-पारिणामिनिष्फराणे 10 27 / कयरे से णामे उदइए-उपसमिए-खयनिष्फरणे ? उदइएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया खइग्रं सम्मत्तं, एस णं से णामे उदइए-उवसमिए-खयनिप्फराणे 1, कयरे से णामे उदइए-उपसमिए-खयोवसमियनिष्फरणे ?, उदइएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया खयोवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उदइए-उवसमिएखयोवसमनिप्फरणे 2, कयरे से णामे उदइए-उवसमिए-पारिणामित्रनिष्फरणे ? उदइएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए-उपसमिए-पारिणामिनिष्फराणे 3, कयरे से णामे उदइएखइए-खयोवसमनिप्फराणे ?, उदइएत्ति मणुस्से खइयं सम्मत्तं खोवसमिश्राई इंदियाई, एस णं से णामे उदइए-खइए-खयोवसमनिष्फराणे 4, कयरे से णामे उदइए-खइए-पारिणामिनिष्फराणे ?, उदइएत्ति मणुस्से खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से नामे उदइए-खइए-पारिणामिनिष्फराणे 5, कयरे से णामे उदइए-खोवसमिए-पारिणामिअनिप्फरणे ?, उदइएति खइए मणुस्से खयोवसमियाइं इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए-खयोवसमिए-पारिणामिअनिष्फरणे 6, कयरे से णामे उवसमिए-खइएखयोवसमनिप्फरणे ?, उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं खयोवसमियाई इंदियाई, एस णं से णामे उपसमिए-खइए-खोवसमनिप्फराणे 7, कयरे ले णामे उवसमिए-खइए-पारिणामिअनि फराणे ?, उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उपसमिए-खइए पारिणामिअनिप्फराणे 8, कयरे से णामे उपसमिए-खोवसमिए-पारिणामिनिष्फराणे ?, उपसंता कमाया खयोवसमिश्राइं इंदिग्राइं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उवसमिए-खग्रोवसमिए-पारिणामिनिष्फराणे 1, कयरे से णामे खइए-खोवसमिए-पारिणामिनिष्फराणे ?, खइग्रं सम्मत्तं खयोवसमिश्राई. इंदिवाई Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 76 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्दशमो विभागः पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे खइए-खग्रोवसमिए-पारिणामियनिष्फराणे 10, 28 / तत्थ णं जे ते पंच चउकसंजोगा ते णं इमे-अस्थि णामे उदइए-उवसमिए-खइए-खग्रोवसमनि फराणे 1 अस्थि णामे उदइए-उवसमिएखइए-पारिणामियनिष्फराणे 2 अस्थि णामे उदइए-उपसमिए-खयोवसमिएपारि-णामित्रनिकरणे 3 अस्थि णामे उदइए-खइए-खग्रोवसमिए-पारिणामिश्रनिष्फराणे 4 अस्थि णामे उवसमिए-खइए-खोवसमिए-पारिणामिनिष्फराणे 5, 26 / कयरे से णामे उदइए-उपसमिए-खइए-खोवसमनिप्फराणे ?, उदइएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया खइग्रं सम्मत्तं खरोवसमिश्राइं इंदिवाई, एस णं से णामे उदइए-उपसमिए-खइए-खग्रोवसमनिष्फराणे 1, कयरे से णामे उदइए-उवसमिए-खइए-पारिणामित्रनिप्फराणे ?, उदइएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए-उपसमिएखइए-पारिणामिअनिष्फराणे 2, कयरे से णामे उदइए-उपसमिए-खयोवसमिएपारिणामित्रनिप्फराणे ?, उदइएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया खग्रोवसमियाई इंदिग्राइं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए-उपसमिए-खयोरमिएपारिणामिअनिष्फराणे 3, कयरे से णामे उदइए-खइए-खोवसमिए पारिणामित्रनिष्फराणे ?, उदइएत्ति मणुस्से खइयं सम्मत्तं खयोवसभित्राइं इंदिवाई पारिणामिए जीवे, एस णं से नामे उदइए-खइए-खग्रोवसमिए-पारिणामिअनिष्फन्ने 4, कयरे से नामे उपसमिए-खइए-खोवसमिए-पारिणामित्रनिष्फन्ने ?, उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं खयोबसमिया इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस णं से नामे उपसमिए-खइए-खयोवसमिए-पारिणामिअनिष्फराणे 5, 30 / तत्थ णं जे से एक्के पंचगसंजोए से णं इमे-अस्थि नामे उदइए-उपसमिए-खोवसमिए-खइए-पारिणामिनिष्फराणे 1, 31 / कयरे से नामे उदइए-उवसमिए-खइए-खोवसमिए-पारिणामिअनिष्फराणे ?, उइदएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं खग्रोवसमिश्राई इंदिलाई Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 77 पारिणामिए जीवे 32 / एस णं से णामे जाव पारिणामिनिष्फराणे 33 / से तं सन्निवाइए, से तं छराणामे 34 // सू० 126 // से किं तं सत्तनामे ?, 2 सत्त सरा पराणत्ता, तंजहा-सज्जे रिसहे गंधारे, मज्झिमे पंचमे सरे धे(रे)वए चेव नेसाए, सरा सत्त विश्राहिया // 25 // एएसि णं सत्तरहं सराणं सत्त सरट्ठाणा पराणत्ता, तंजहा-सज्ज च अग्गजीहाए, उरेण रिसहं सरं। कंठुग्गएण गंधारं, मज्झजीहाएँ मझिमं // 26 // नासाए पंचमं बूथा, दंतोटेण अधे(रे)वतं / भमुहक्खेवेण सायं, सरढाणा विश्राहिया // 27 // सत्त सरा जीवणिस्सिया पराणत्ता, तंजहा-सज्जं रखइ मऊरो, कुक्कुडो रिसभं सरं / हंसो रखइ गंधारं, मज्झिमं च गवेलगा // 28 // अह कुसुमसंभवे काले, कोइला पंचमं सरं / छ8 च सारसा कुंचा, नेसायं सत्तमं गयो // 21 // सत्त सरा अजीवनिस्सिया पराणत्ता, तंजहा-सज्जं रखइ मुअंगो, गोमुही रिसहं सरं / संखो रवइ गंधारं, मज्झिमं पुण झल्लरी // 30 // चउच्चरणपइट्टाणा, गोहिया पंचमं सरं / श्राडंबरो रेवइयं, महाभेरी श्र सत्तमं // 31 // एएसि णं सत्तरहं सराणं सत्त सरलक्खणा पराणत्ता, तंजहा-सज्जेण लहई वित्ति, कयं च न विणस्सइ / गावो पुत्ता य मित्ता य, नारीणं होइ वल्लहो // 32 // रिसहेण उ एसज्ज (पसे(पास-पेस)ज्ज), सेणावच्चं धणाणि / वस्थगंधमलंकारं, इथियो सयणाणि य // 33 // गंधारे गीतजुत्तिराणा, वजवित्ती कलाहिया। हवंति कइणो धराणा, जे अरणे सस्थपारगा // 34 // मज्झिमसरमंता उ, हवंति सुहजीविणो / खायई पियई देई, मझिमसरमस्सियो // 35 // पंचमसरमंता उ, हवंति पुहवीपई। सूरा संगहकत्तारो, अणेगगणनायगा // 36 // रेवयसरमंता उ, हवंति दुह(बहु) जीविणो(कलहप्पिया)। साउपिया वाउरिया सोयरिया य मुट्ठिया (कुचेला य कुवित्ती य, चोरा चंडालमुट्ठिया) // 37 // णिसायसरमंता उ, होति Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 78 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्दशमो विभागा कलहकारगा। जंघाचरा लेहवाहा, हिंडगा भारवाहगा॥ 38 // (सोयरिया मच्छबंधा य // 37 // चंडाला मुट्ठिया मेता, जे यऽगणे पावकारिणो / गोघातका य चोरा य नेसातं सरमस्सिता // 38 // ) एएसिं णं सत्तरहं सराणं तो गामा पराणत्ता, तंजहा-सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे, सज्जगामस्स णं सत्त मुच्छणायो, पराणत्तायो, तंजहा-मंग्गी(मग्गी) कोरविया हरिया, रयणी असारकंता य। छट्ठी असारसी नाम, सुद्धमजा य सत्तमा // 31 // मज्झिमग्गामस्त णं सत मुच्छणाओ पराणत्ताओ, तंजहाउत्तरमंदा रयणी, उत्तरा उत्तरासमा / समोक्कंता (अस्सोकंता, अस्सकन्ना) य सोवीरा, अभिरुवा होइ सत्तमा // 40 // गंधारग्गामस्स णं सत्त मुच्छणायो पराणत्तायो, तंजहा-नंदी(नट्ठी) अ खुड्डिा पूरिमा य चउत्थी अ सुद्धगंधारा / उत्तरगंधारावि अ सा पंचमिया हवइ मुच्छा // 41 // सुठ्ठत्तरमायामा सा छट्ठी सवयो य(नियमसो उ) णायब्वा। अह उत्तरायया कोडिमा य सा सत्तमी मुच्छा // 42 // सत्त सरा कयो हवंति ? गीयस्स का हवइ जोणी / कइसमया योसासा, कइ वा गीयस्स यागारा // 43 // सत्त सरा नाभीयो हवंति गीयं च रुझ्यजोणी / पायसमा उसासा तिरिण य गीयस्स आगारा // 44 // श्राइमउ अारभंता' समुन्वहन्ता य मज्मयारंमि। अवसाणे झवेता (उज्झता) तिन्निवि गीयस्स श्रागारा // 45 // छद्दोसे अद्वगुणे तिगिण अ वित्ताई दो य भणिईयो। जो नाही सो गाहिइ, सुसिक्खियो रंगमञ्झमि // 46 // भीयं दुधे उप्पिच्छं (रहस्स) उत्तालं च कमसो मुणेयम् / कागस्सरमणुणासं छदोसा होति गेअस्स // 47 // पुराणं रत्तं च अलंकियं च वत्तं च तहेवमविघुटुं / महुरं समं सुललिग्रं(समजुकुमार) अट्ट गुणा होति गेग्रस्स // 48 // उरकंठसिर. विसुद्धं च गिज्जते मउपरिभित्रपदबद्धं / समतालपडुक्खेवं सत्तस्सरसीभरं गीयं // 41 // अक्खरसमं पदसमं तालमं लयसमं च गेहसमं / Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कालावधं हुतं अंधामा, मुच्छणा // 127 // से पिटमा होइ, बिमा भीमदनुयोगदार-स्त्रम् / [76 नीससियोससिअसमं संचारसमं सरा सत्त॥५०॥निदोसं सारमंतं च, हेउजुत्तमलंकियं / उवणीअं सोवयारं च, मित्रं महुरमेव य // 51 // समं श्रद्धसमं चेव, सम्वत्थ विसमं च जं। तिगिण वित्तपयाराई, चउत्थं नोवलब्भइ // 52 // सक्या पायया चेव, भणिईओ होंति दोरिण वा / सरमंडलंमि गिज्जते, पसत्था इसिभासिया // 53 // केसी गायइ महुरं केसी गायइ खरं च रुक्खं च / केसी गायइ चउरं केसी अविलंविध. दुतं केसी ? // 54 // विस्सरं पुण केरिसी। (गाथाऽधिकमिदं) गोरी(सामा) गायति महुरं सामा (काली) गायइ खरं च रुक्खं च। काली(गोरी) गायइ चउरं काणा य विलंबिधे दुतं अंधा // 55 // विस्सरं पुण पिंगला / (गाथाधिकमिदमपि)। सत्त सरा तो गामा, मुच्छणा इक्वीसई / ताणा एगणपण्णासं सम्मत्तं सरमंडलं // 56 // से तं सत्तनामे // 127 // से किं तं अट्ठनामे ?, 2 अट्टविहा वयणविभत्ती पराणत्ता, तंजहा-निद्दे से पढमा होइ, बितिश्रा उवएसणे / तइया करणंमि कया, चउत्थी संपयावणे // 57 // पंचमी श्र अवायाणे, छट्ठी सस्सामिवायणे / सत्तमी सगिणहाणत्थे, अट्ठमाऽऽमंतणी भवे // 58 // तत्थ पढमा विभत्ती उिद्दे से सो इमो अहं वत्ति / बिइया पुण उवएसे भण कुणसु इमं व तं वत्ति // 51 // तइया करणंमि कया भणियं च कयं च तेण व मए वा। हंदि णमो साहाए हवइ चउत्थी पयामि // 60 // श्रवणय गिराह य एत्तो इउत्ति वा पंचमी अवायाणे / छट्ठी तस्स इमस्स व गयस्स वा. सामिसंबंधे // 61 // हवइ पण सत्तमी तं इमंमि श्राहारकालभावे श्र। आमंतणी भवे अट्ठमी उ जह हे जुवाणत्ति // 62 // से तं.अट्ठणामे // सू० 128 // से किं तं नवनामे ?, 2 णव कव्वरसा पराणत्ता, तंजहा-वीरो सिंगारो श्रभुत्रो श्र रोदो श्र होइ बोद्धव्यो / वेलणश्रो बीभच्छो हासो कलुणो पसंतो अ॥ 63 // तत्थ परिचायंमि अ तवचरणे सत्तुजणविणासे श्र। अणणुसय-धिति-परक्कमलिंगो Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 80] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः वीरो रसो होइ // 64 // वीरो रसो जहा सो नाम महावीरो जो रज्जं पयहिऊण पब्वइयो / कामकोह-महासत्तु-पक्खनिग्घायणं कुणइ // 65 // सिंगारो नाम रसो रतिसंजोगाभिलास-संजणणो। मंडण-विलास-विब्बोत्रहास-लीला-रमणलिंगो // 66 // सिंगारो रसो जहा-महुर-विलाससललिगं हिय-उन्मादणकरं जुवाणाणं / सामा सदुद्दामं दाएती मेहलादामं // 67 // विम्हयकरो अपुरो अनुभुपुवो य जो रसो होइ / हरिसविसाउप्पत्ती-लक्खणो अब्भुश्रो नाम // 68 // अभुत्रो रसो जहा-अब्भुअतरमिह एतो अन्नं किं अस्थि जीवलोगंमि / जं जिणवयणेणऽत्या तिकालजुत्ता विण(मुणि)ज्जति ? // 7 // भयजणण-रूवसद्द धयार-चिंता-कहासमुप्पराणो / संमोह-संभम-विसाय-सरणलिंगो रसो रोदो // 70 // रोदो रसो जहा-भिउडी-विडंबिय-मुहा ! संदट्ठोट्ट ! इत्र रुहिरमाकिरण ! / हणसि पसु असुरणिभा ? भीमरसित्र ? अइरोह ! रोदोऽसि // 71 // विणयोवयार-गुज्म-गुरुदार-मेरावइक्कमुप्पराणो / वेलणश्रो नाम रसो लज्जासंका-करणलिंगो // 72 // वेलणयो रसो जहा-कि लोइअकरणीयो लजणीअतरंति लजयामुत्ति ? / वारिज्मी गुरुयणो परिवंदइ जं वहुप्पोत्तं // 73 // असुइ-कुणवदुईसण-संजोगभास-गंधनिष्फराणो / निव्वेअविहिं. सालक्खणो रसो होइ बीभत्सो // 74 // बीभत्सो रसो जहा-ग्रसुइमलभरिय-निज्मर-सभाव-दुग्गंधि सव्वकालंपि / धराणा उ सरीरकलिं बहुमलकलुसं विमुचंति // 75 // रूववय-वेसभासा विवरीअ-विलंबणासमुप्पराणो / हासो मणप्पहासो पगासलिंगो रसो होइ // 76 // हासो रसो जहा-पासुत्तमसी-मंडिअ-पडियुद्धं देवरं पलोअंती / ही जह थणभर. कंपण-पणमिश्र-मझा हसइ सामा // 77 // पिअविष्पयोग-बंधवह-वाहिविणिवाय-संभमुप्पराणो। सोइअ-विलवित्र-पम्हाण-रुगणलिंगो रसो करुणो // 78 // करुणो रसो जहा-पज्झायकिलामिश्रयं बाहागयप्पपुअच्छिणं Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमदनुयोगटार-सूत्रम् ] [81 बहुसो / तस्स वियोगे पुत्तिय ! दुब्बलयं ते मुहं जायं // 7 // निदोस-मणसमाहाण-संभवो जो पसंतभावेणं / अविकार-लक्खणो सो रसो पसंतोत्ति णायव्वो // 80 // पसंतो रसो जहा-सम्भाव-निविगारं उवसंत-पसंत-सोमदिट्ठीअं / ही जह मुणिणो सोहइ मुहकमलं पीवरसिरीयं // 81 // एए नव कव्वरसा बत्तीसादोसविहि-समुप्पण्णा / गाहाहिं मुणियव्वा हवंति सुद्धा व मीसा वा // 82 // से तं नवनामे।सू० 126 // से किं तं दसनामे ?, 2 दसविहे पगणत्ते, तंजहा-गोराणे नोगोराणे यायाणपएणं पडिवक्सपएणं पहाणयाए अणाइअसिद्धतेणं नामेणं अवयवेणं संजोगेणं पमाणेणं 1 / से किं तं गोराणे ?, 2 खमईत्ति खमणो तवइत्ति तवणो जलइत्ति जलणो पवइत्ति पवणो, से तं गोराणे 2 / से किं तं नोगोराणे ?, अकुतो सकुतो अमुग्गो. समुग्गो अमुद्दो समुद्दो अलालं पलालं अगलेश्रा सउलिया नो पलं असइत्ति पलासो अमाइवाहए माइवाहए अबीयवावर बीवावर नो इंदगोवए इंदगोवे, से तं नोगोराणे 3 / से किं तं श्रायाणपएणं ?, 2 (धम्मोमंगलं चूलिया) श्रावंती चाउरंगिज्ज असंखयं अहातत्थिज्जं अद्दइज्ज जराणइज्जं पुरिसइज्ज (उसुकारिज्ज) एलइज्जं वीरीयं धम्मो मग्गो समोसरणं जंमइग्रं, से तं पायाणपएणं 4 / से किंतं पडिवक्खपएणं ?, 2 नवेसु गामागर-णगर-खेडकब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणामस-संवाहसन्निवेसेसु संनिविस्समाणेसु असिवा सिवा अग्गी सीलो विसं महुरं कल्लालघरेसु अंबिलं साउग्रं जे रत्तए से अलत्तए जे लाउए से अलाउए जे सुभए से कुसुभए पालवंते विवलीअभासए, से तं पडिवक्खपएणं 5 / से कि तं पाहरणयाए ?, असोगवणे सत्तवराणवणे चंपगवणे चूअवो नागवणे पुन्नागवणे उच्छवणे दक्खवणे सालिवणे, से तं पाहराणयाए 6 / से किं तं श्रणाइसिद्धतेणं ?, धम्मत्थिकाए: अधम्मस्थिकाए श्रागसत्थिकाए जीवत्थि Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 82 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विमागा काए पुग्गलत्थिकाए श्रद्धासमए, से तं श्रणाइयसिद्धतेणं 7 / सं किं तं नामेणं ?, 2 पिउपियामहस्स नामेणं उन्नामिजइ(ए), से तं णामेणं 8 / से किं तं अवयवेणं ?, २-सिंगी सिही विसाणी दाडी पक्खी खुरी नही वाली / दुपय चउप्पय बहुपया नंगुली केसरी कउही // 83 // परिअरबंधेण भडं जाणिज्जा महिलिगं निवसणेणं / सित्थेण दोणपागं कविं च इक्काए गाहाए // 84 // से तं अवयवेणं 1 / से किं तं संजोएणं ?, संजोगे चउब्विहे पराणत्ते, तंजहा-दबसंजोगे खेत्तसंजोगे कालसंजोगे भावसंजोगे 10 / से किं तं दबसंजोगे ? 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-सचित्ते अचित्ते मीसए / से किं तं सचित्ते ?, 2 गोहिं गोमिए महिसीहिं महिसए ऊरणीहिं उरणीए उट्टीहिं उट्टीवाले, से तं सचित्ते / से किं तं अचित्ते ?, 2 छत्तेण छत्ती दंडेन दंडी पडेण पडी घडेण घडी कडेण कडी, से तं अत्रित्ते / से किं तं मीसए ?, 2 हलेण हालिए सगडेणं सागडिए रहेणं रहिए नावाए नाविए, से तं मिसए से तं दव्वसंजोगे 11 / से किं तं खित्तसंजोगे ?, 2 भारहे एरवए हेमवए एरराणवए हरिवासए रम्मगवासए देवकुरुए उत्तरकुरुए पुव्वविदेहए अवरविदेहए, अहवा मागए मालवए सोरट्ठए मरहट्ठए कुंकणए कोसलए, से तं खेत्तसंजोगे 12 / से किं तं कालसंजोगे ?, 2 सुसमसुसमाए सुसमाए सुसमदूसमाए दूसमसुसमाए दूसमाए दूसमदूसमाए, अहवा पावसए वासारत्तए सरदए हेमंतए वसंतए गिम्हए, से तं कालसंजोगे 13 / से किं तं भावसंजोगे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पसत्थे अ अपसत्थे अ, से किं तं पसत्थे ?, 2 नाणेणं नाणी दंसणेणं दंसणी चरित्तेणं चरित्ती, से तं पसत्थे, से किं तं अपसत्थे ?, 2 कोहेणं कोही माणेणं माणी मायाए मायी लोहेणं लोही, से तं अपसत्थे, से तं भावसंजोगे 14 / से तं संजोएणं 15 / से किं तं पमाणेणं ?, 2 चउब्धिहे पराणत्ते, तंजहा-नामप्पमाणे ठवणप्पमाणे दव्वप्पमाणे भावप्पमाणे 16 / से किंतं नामप्पमाणे ?, 2 Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वर-सूत्रम् ] [ 3 जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा पमाणेत्ति नाम कजइ से तं णामप्पमाणे 17 / से किं तं ठवणप्पमाणे ?, 2 सत्तविहे पराणत्ते, तं जहा–णक्खत्तदेवयकुले पासंडगणे श्र जीविधाहेउं / श्राभिप्पाइअणामे ठवणानामं तु सत्तविहं // 85 // 18 / से किं तं णक्खत्तणामे ?, 2 कित्तिवाहिं जाए कित्तिए कित्तियादिराणे कित्तिाधम्मे कित्तिासम्मे कित्तिादेवे कित्तिपादासे कित्तिासेणे कित्तिश्रारक्खिए रोहिणीहिं जाए रोहिणिए रोहिणिदिन्ने रोहिणिधम्मे रोहिणिसम्मे रोहिणिदेवे रोहिणिदासे रोहिणिसेणे रोहिणिरक्खिए य, एवं सवनक्खत्तेसु नामा भाणिवा / एत्थं संगहणिगाहायो-कित्तिरोहिणिमिगसिरश्रद्दा य पुणव्वसू श्र पुस्से श्र। तत्तो अ अस्सिलेसा महा उ दो फग्गुणीश्रो श्र॥८६ // हत्थो चित्ता साती विसाहा तह य होइ अणुराहा / जेट्टा मूला पुवासाढा तह उत्तरा चेव // 87 // अभिई सवण धणिट्ठा सतभिसदा दो अ होंति भद्दवया / रेवई अस्सिणि भरणी एसा नक्खत्तपरिवाडी // 88 // से तं नक्खत्तनामे 11 / से किं तं देवयाणामे ?, 2 अग्गिदेवयाहिं जाए अग्गिए अग्गिदिराणे अग्गिसम्मे अग्गिधम्मे अग्गिदेवे अम्गिदासे अग्गिसेणे अग्गिरक्खिए, एवं सब्वनक्खत्तदेवयानामा भाणियव्वा / एत्थंपि संगहणिगाहायो-अग्गि पयावइ सोमे रुद्दो अदिती बिहस्सई सप्पे / पिति भग अजम सवित्रा तट्टा वाऊ अ इंदग्गी // 81 // मित्तो इंदो निरई श्राऊ विस्सो श्र बंभ विगहूया / वसु वरुण अय विवद्धि पूसे श्रासे जमे चेव // 10 // से तं देवयाणामे 20 / से किं तं कुलनामे ?, 2 उग्गे भोगे रायराणे खत्तिए इक्खागे णाते कोरवे, से तं कुलनामे. 21 / से किं तं पासंङनामे ?, 2 समणे य पंडुरंगे भिक्खू कावालिए अ तावसए / परिवायगे, से तं पासंडनामे 22 / से किं तं गणनामे ?, 2 मल्ले मल्लदिन्ने मल्लधम्मे मल्लसम्म मल्लदेवे Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 84] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः मलदासे मल्लसेणे मल्लरक्खिए, से तं गणनामे 23 / से किं तं जीवियहेउँ(नामे) ?, 2 अकरए उक्कुरुडए उझिए कजवए सुप्पए, से तं जीवियहे(नामे) 24 / से किं तं आभिप्पाइअनामे ?, अंबए निंबए बकुलए पलासए सिणए पिलूए करीरए, से तं श्राभिप्पाइअनामे 25 / से तं वसप्पमाणे 26 / से किं तं दवप्पमाणे ?, 2 छबिहे पराणत्ते, तंजहा-धम्मस्थिकाए जाव श्रद्धासमए, से तं दव्वप्पमाणे 27 / से किं तं भावप्पमाणे ?, 2 चउविहे पराणत्ते, तंजहा-सामासिए तद्धियए धाउए निरुत्तिए 28 / से किं तं सामासिए ?, 2 सत्त समासा भवंति, तंजहादंदे श्र बहुव्वीही, कम्मधारय दिग्गु / तप्पुरिस अव्वईभावे, एकसेसे अ सत्तमे // 11 // से किं तं ददे ?, 2 दन्ताश्च श्रोष्ठौ च दन्तोष्ट, स्तनौ च उदरं च स्तनोदरं, वस्त्रं च पात्रं च वस्त्रपात्रम्, अश्वाश्च महिषाश्च अश्वमहिषम, अहिश्च नकुलश्च अहिनकुलं, से तं दंदे समासे / से किं तं बहुव्वीहीसमासे ? 2 फुल्ला इमंमि गिरिमि कुडयकयंवा सो इमो गिरी फुल्लियकुडयकयंबो (अलंकिताई इमस्स नगरस्स दाराई कवाडाइं तोरणाइं तं इमं नगरं अलंकितदारकवाडतोरणं), से तं बहुब्बीहीसमासे / से किं तं कम्मधारए ?, 2 धवलो वसहो धवलवसहो, किराहो मियो किराहमियो, सेतो पडो सेतपडो, रत्तो पडो रत्तपडो, से तं कम्मधारए / से किं तं दिगुसमासे ?, 2 तिरािण कडगाणि तिकडगं, तिरिण महुराणि तिमहुरं, तिरिण गुणाणि तिगुणं, तिगिण पुराणि तिपुरं, तिरिण सराणि तिसरं, तिरािण पुक्खराणि तिपुक्खरं, तिगिण बिंदुआणि तिबिंदुओं, तिरिण पहाणि तिपहं, पंच नईयो पंचणयं, सत्त गया सत्तगयं, नव तुरंगा नवतुरंगं, दस मामा दसगाम, दस पुराणि दसपुरं, से तं दिगुसमासे / से किं तं तत्पुरिसे ?, 2 तित्थे कागो तित्थकागो, वणे हत्थी वणहत्थी, वणे वराहो वणवराहो, Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगदार-स्त्रम् ] [85 वणे महिसो वणमहिसो, वणे मयूरो वणमयूरो(वणे कवोतो वणकवोतो), से तं तप्पुरिसे / से किं तं अब्बईभावे ?, 2 अणुगामं अणुणइयं अणुफरिहं अणुचरित्रं, से तं अव्वईभावे समासे / से किं तं एगसेसे ?, 2 जहा एगो पुरिसो तहा बहवे पुरिसा जहा बहवे पुरिसा तहा एगो पुरिसो, जहा एगो करिसावणो तहा बहवे करिसावणा जहा बहवे करिसावणा तहा एगो करिसावणो, जहा एगो साली तहा बहवे साली जहा बहवे साली तहा एगो साली, से तं एगसेसे समासे / से तं सामासिए 21 / से किं तं तद्धितए ?, 2 अट्टविहे पराणत्ते, तंजहा-कम्मे सिप्पसिलोए संजोगसमीश्रवो श्र संजूहो / इस्सरिय अवच्चेण य तद्धितणामं तु अट्टविहे // 12 // से किं तं कम्मणामे ?, 2 दोसिए सोत्तिए कप्पासिए भंडवेथालिए कोलालिए (तणहारए . कट्टहारए पत्तहारए), (गरदावणिए), से तं कम्मनामे / से किं तं सिप्पनामे ?, 2 वथिए तंतिए तुराणए तंतुवाए पट्टकारे उए? बरुडे मुंजकारे कट्टकारे छत्तकारे वज्मकारे पोत्थकारे चित्तकारे दंतकारे लेप्पकारे सेलकारे कोट्टिमकारे, से तं सिप्पनामे / से किं तं सिलोअनामे ?, 2 समणे माहणे सव्वा(च)तिही, से तं सिलोअनामे / से किं तं संजोगनामे ?, 2 रगणो ससुरए रराणो जामाउए रगणो साले (रगणो सडढुए) रराणो भाउए रराणो भगिणीवई, से तं संजोगनामे / से किं तं समीवनामे ?, 2 गिरिसमीवे णयरं गिरिणयर, विदिसासमीवे णयरं वेदिसं णयर, बेन्नाए समीवे णयरं बेन्नायडं, तगराए समीवे णयरं तगरायडं, से तं समीवनामे / से किं तं संजूहनामे ?, 2 तरङ्गवइकारे मेलयवइकारे अत्ताणुसट्टिकारे बिंदुकारे, से तं संजूहनामे / से किं तं ईसरिअनामे ?, 2 राईसरे तलवरे माडंबिए कोडुबिए इब्भे सेट्टी सत्थवाहे सेंणावई, से तं ईसरिअनामे / से किं तं श्रवचनामे ? 2 अरिहंतमाया चकवट्टिमाया बलदेवमाया वासुदेवमाया रायमाया मु(ग)णिमाया वायगमाया, से तं श्रवचनामे / से 2 समणे माहगार कोट्टिमकारे, समकारे पोत्यकार पट्टकारे उरावक Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 86 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमों विभागः तं तद्धितए 30 / से किं तं धाउए ? 2 भू सत्तार्या परस्मैभाषा एध वृद्धौ स्पर्द्ध संहर्षे गाध प्रतिष्ठालिप्सयोग्रन्थे च बाध लोडने, से तं धाउए 31 / से कि त निरुत्तिए ?, 2 मह्यां शेते महिषः, भ्रमति च रौति च भ्रमरः, मुहुर्मुहुर्लसतीति मुसलं, कपेरिव लम्बते त्थेति च करोति कपित्थं चिदितिकरोति खल्लं च भवति चिक्खल्लं, उर्वकर्णः उलूकः, मेखस्य माला मेखला, से तं निरुत्तिए 32 / से तं भावपमाणे 33 / से तं पमाणनामे 34 / से तं दसनामे 35 / से तं नामे 36 / नामति पयं समत्तं // सू० 130 // से किं तं पमाणे ?, 2 चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-दव्वपमाणे खेत्तपमाणे कालप्पमाणे भावप्पमाणे // सू० 131 ॥से किं तं दव्वपमाणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पएसनिष्फरणे अ विभागनिप्पणे अ 1 / से किं तं पएसनिष्फराणे ? 2 परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव दसपएसिए संखिजपएसिए असंखिजपएसिए अणंतपएसिए, से तं पएसनिप्फराणे / से किं तं विभागनिफराणे ?, 2 पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-माणे उम्माणे अवमाणे गणिमे पडिमाणे 2 / से किं तं माणे ?. 2 दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-धन्नमाणप्पमाणे अ रसमाणप्पमाणे 13 / से कि तं धनमाणप्पमाणे ?, 2 दो असईयो पसई दो पसईयो सेतिया चत्तारि सेइयायो कुलश्रो चत्तारि कुलयां पत्थो चत्तारि पत्थया श्रादगं चत्तारि बाढगाइ दोणो सट्टि बाढयाई जहन्नए कुभे असीइ बाढयाई मज्झिमए कुभे पाढयसयं उक्कोसए कुभे अट्ठ य ाढयसइए वाहे, एएणं धराणमाणप्पमाणेणं किं पत्रोत्रणं ?, एएणं धरणमाणप्पमाणेणं मुत्तोलीमुख-इदुर-अलिंद-प्रोचार-संसियाणं धराणाणं धराणमाणप्पमाण-निवित्तिलक्खणं भवइ, से तं धराणमाणप्पमाणे 4 / से किं तं रसमाणप्पमाणे ?, 2 धराणमाणप्पमाणाश्रो चउभागविवडिए अभितरसिहाजुत्ते रसमाणप्पमाणे विहिजइ, तंजहा-चउसट्ठिया उपलपमाणा 4 बत्तीसिया 8 सोलसिया 16 अट्ठभाइबा 32 चउभाइथा 64 श्रद्धमाणी 128 माणी 256 दों Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ) [87 चउसट्टीबायो बत्तीसिया दो बत्तीसिधाश्रो सोलसिया दो सोलसिपात्रो अट्ठभाइथा दो अट्ठभाइअाश्रो चउभाइया दो चउभाइयायो श्रद्धमाणी दो अद्धमाणीयो माणी, एएणं रसमाणप्पमाणेणं किं पयोधणं ?, 2 एएणं रसमाणेणं वारक-घडक-करक(कलसित्र)-गागरि(ककरि)दइअ-करोडिय-कुडिश्र-सं(घोस)सियाणं रसाणं रसमाणप्पमाण-निवित्तिलक्खणं भवइ, से तं रसमाणपमाणे 5 / से तं माणे 6 / से किं तं उम्माणे ?, 2 जगणं उम्मिणिजइ, तंजहा-श्रद्धकरिसो करिसो पलं श्रद्धपलं श्रद्धतुला तुला अद्धभारो भारो, दो अद्धकरिसा करिसो दो करिसा अद्धपलं दो श्रद्धपलाई पलं पंच(पंचुत्तर)पलसइया तुला दस तुलाश्रो श्रद्धभारो वीसं तुलायो भारो, एएणं उम्माणपमाणेणं किं पयोगणं ?, एएणं उम्माणपमाणेणं पत्त-अगर(रु, लु)तगर-चोथ कुकुमखंड-गुल-मच्छंडिआईणं दव्वाणं उम्माणपमाण-निवित्तिलक्खणं भवइ, से तं उम्माणपमाणे 7 से किं तं श्रोमाणे ?, 2 जराणं श्रोमिणिज्जइ, तंजहा-हत्थेण वा दंडेण वा धणुक्केण वा जुगेण वा नालियाए वा अक्खेण वा मुसलेण वा-दंडधणूजुगनालिया य अक्खमुसलं च चउहत्थं / दसनालिगं च रज्जु विप्राण प्रोमाणसगणाए // 13 // वत्थु मि हत्थमज्जं खित्ते दंडं धणुच पत्थंमि / खायं च नालिबाए विश्राण श्रोमाणसराणाए // 14 // एएणं अवमाण-पमाणेणं किं पोषणं ?, एएणं अवमाणपमाणेणं खाय-चित्र-रइन-करकचिय-कडपड-भित्ति-परिक्खेव-संसियाणं दवाणं अवमाणपमाण-निवित्ति-लक्खणं भवइ, से तं अवमाणे 8 / से किं तं गणिमे ?, 2 जगणं गणिजइ, तंजहा-एगो दस सयं सहस्सं दस सहस्साई सयसहस्सं दस सयसहस्साई कोडी, एएणं गणिमप्पमाणेणं कि पत्रोणं ?, एएणं गणिमपमाणेणं भित्तग-भिति-भत्त-वेषण-श्रायव्यय संसिवाणं दव्वाणं गणियप्पमाण-निवित्तिलक्खणं भवइ, से तं गणिमे 1 / से Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 88] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विमागः किं तं पडिमाणे ?, 2 जगणं पडिमिणिजइ, तंजहा-गुंजा कागणी निष्फानो कम्ममासो मंडलयो सुवराणो, पंच गुंजात्रो कम्ममासो, कागरायपेक्षया, चत्तारि कागणीयो कम्ममासश्रो, तिरिण निप्फावा कम्ममासयो, एवं चउको कम्ममासश्रो काकरायपेक्षयेत्यर्थः, बारस कम्ममासया मंडलयो एवं अडयालिसं कागणीयो मंडलो, सोलस कम्ममासया सुवराणो एवं चउसट्टि कागणीयो सुवराणो 10 / एएणं पडिमाणपमाणेणं किं पत्रोत्रणं ?, एएणं पडिमाणपमाणेणं सुवरण-रजत-मणि-मोत्तित्रसंखसिलप्पवालाईणं दवाणं पडिमाणप्पमाण-निवित्तिलक्खणं भवइ, से तं पडिमाणे 11 / से तं विभागनिप्फराणे / से तं दव्वपमाणे 12 // सू० 132 // से किं तं खेत्तपमाणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पएसणिष्फराणे अ विभागणिप्फराणे अ 1 / से किं तं पएसणिष्फराणे ?, 2 एगपएसोगाढे दुपएसोगाढे तिपएसोगाढे संखिजपएसोगाढे असंखिजपएसोगाढे, से तं पएसणिफराणे 2 / से किं तं विभागणिप्फराणे ?, २-अंगुलविहत्थिरयणी कुच्छी धणु गाउग्रं च बोद्धव्वं / जोयण सेढी पयरं लोगमलोगऽवि अ तहेव // 15 // 3 / से कितं अंगुले ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहाश्रायंगुले उस्सेहंगुले पमाणंगुले 4 / से किं तं श्रायंगुले ?, 2 जे णं जया मणुस्सा भवंति तेसि णं तया अप्पणो अंगुलेणं दुवालसगुलाई मुहं नवमुहाई पुरिसे पमाणजुत्ते भवइ, दोगिणए पुरिसे माणजुत्ते भवइ, श्रद्धभारं तुल्लमाणे पुरिसे उम्माणजुत्ते भवइ 5 / माणुम्माणपमाणजुत्ता(णय) लक्खणवंजणगुणेहिं उअवेया। उत्तमकुलप्पसूया उत्तमपुरिसा मुणेश्रव्वा // 16 // होंति पूण अहियपुरिसा अट्ठसयं अंगुलाण उबिद्धा। छराणउइ अहमपुरिसा चउत्तरं मज्झिमिल्ला उ // 17 // हीणा वा अहिया वाजे खलु सरसत्तसारपरिहीणां / ते उत्तमपुरिसाणं अवसा पेसत्तणमुवेति . Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [8t श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] // 18 // एएणं अंगुलपमाणेणं छ अंगुलाई पायो दो पाया विहत्थी दो विहत्थीयो रयणी दो रयणीयो कुच्छी दो कुच्छीयो दंडं धणू जुगे नालिया अक्खे मुसले दो धणुसहस्साइं गाउग्रं चत्तारि गाउपाइं जोयणं 6 / एएणं श्रायंगुलपमाणेणं किं पयोषणं ?, 2 एएणं श्रायंगुलेणं जे णं जया मणुस्सा हवंति तेसि णं तया णं श्रायंगुलेणं अगड-तलाग-दह-नदीवावि-पुक्खरिणी-दीहिय-गुजालिबायो सरा सरपंतित्रायो सरसरपंतिपात्रो बिलपंतियाश्रो पारामुजाण-काणण-वणवणसंड-वणराईयो देवउल-सभापवा-थूभ-खाइअ-परिहायो पागार-अट्टालय-चरिथ-दार-गोपुर-पासाय-घर-सरण-लयण-श्रावण-सिंघाडग-तिग-चउक-चच्चर-चउम्मुह महापह-पह-सगड-रह-जाणजुग्ग-गिल्लिथिल्लिसीय(सिवित्र)-संदमाणियानो लोही-लोहकडाह-कडिल्लयभंडमत्तोवगरण-माईणि अजकालिग्राइं च जोषणाई मविज्जति 7 / से समासयो तिविह पराणत्ते, तंजहा-सूईअंगुले, पयरंगुले, घणंगुले, अंगुलायया एगपएसिया सेढी सूइअंगुले, सुई सूईगुणिया पयरंगुले, पयरं सूइए गुणितं घणंगुले 8 / एएसि णं भंते ! सूइअंगुल-पयरंगुल-घणंगुलाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?, सव्वथोवे सूइगुले, पयरंगुले असंखेजगुणे, घणंगुले असंखिजगुणे, से तं श्रायंगुले 1 / से किं तं उस्सेहंगुले ? 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहापरमाणू तसरेणू रहरेणू अग्गयं च वालस्स / लिक्खा जूत्रा य जवो अट्टगुणविड्डिया कमसो // 11 // 10 / से किं तं परमाणू ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सुहुमे अ ववहारिए अ 11 / तत्थ णं जे से सुहुमे से उप्पे 12 / से किं तं ववहारिए ? 2 अणंताणताणं सुहुमपरमाणुपोग्गलाणं समुदयसमितिसमागमेणं से एगे ववहारिए परमाणुपोग्गले निप्फब्बल 13 / से णं भंते ! असिधारं वा खुरधारं वा श्रोगाहेजा ?, हन्ता श्रोगाहेजा 14 / से णं तत्थ छिज्जेज वा भिज्जेज वा?, नो इणढे सम8, नो Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः खलु तत्थ सत्थं कमइ 15 / से णं भंते ! अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा ?, हंता विश्वएजा 16 / से णं भंते ! तत्थ डहेजा ? नो इणढे सम8, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ 17 / से णं भंते ! पुरकलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमझेगां वीइवएजा ?, हंता वीइवएजा 18 / से णं तत्थ उदउल्ले सिया ?, नो इणढे सम?, णो खलु तत्थ सत्थं कमइ 11 / से णं भंते ! गंगाए महाणईए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा ?, हंता हव्वमागच्छेजा 20 / से णं तत्थ विणिघायमावज्जेजा?, नो इण8 सम8, णो खलु तत्थ सत्थं कमइ 21 / से णं भंते !उदगावत्तं वा उदगबिंदुवा ओगाहेजा ? हंता योगाहेजा 22 / सेणं तत्थ कुच्छेजा वा ? परियावज्जेज वा ?,णो इण? समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ,-सत्येण सुतिक्खेणवि छित्तु भेत्तुं च जं किर न सका / तं परमाणु सिद्धा वयंति पाइं पमाणाणं // सू० 100 // 23 / अणंताणं ववहारिश्र-परमाणु-पोग्गलाणं समुदय-समिति-समागमेणं सा एगा उसराहसरिहाइवा सराहसरिहाइ वा उड्डरेणू इ वा तसरेणू इ वा रहरेणू इवा, अट्ठ उसहरासगिहायो सा एगा सराहसरिहया, अट्ठ सराहसरिहायो सा एगा उड्ढरेणू, अट्ठ उड्डरेणुगो सा एगा तसरेणू, अट्ठ तसरेणूयो सा एगा रहरेणू, श्रट्ठ रहरेणूबो देवकुरुउत्तरकुंरूणं मणुश्राणं से एगे वालग्गे, अट्ट देवकुरुउत्तरकुरूणं मणुयाण वालग्गा हरिवासरम्मगवासाणं मणुभाग से एगे वालग्गे, अट्ट हरिवस्सरम्मगवासाणं मणुस्साणं वालग्गा हेमवयहेरण्णवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ट हेमवयहेरगणवयाणं मणुस्साणं वालग्गा पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ठ पुवविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं वालग्गा भरहएरवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ठ भरहेरवयाणं मणुस्साणं वालग्गा सा एगा लिक्खा, अट्ट लिक्खायो सा एगा जूत्रा, अट्ठ जूत्रायो Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] - [1 से एगे जवमन्झे, अट्ट जवमज्मे से एगे अंगुले / एएणं अंगुलाणं पमाणेणं छ अंगुलाई पादो, बारस अंगुलाई विहत्थी, चउवीसं अंगुलाई रयणी, अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी, छन्नवइ अंगुलाई से एगे दडे इ वा धरा इ वा जुगे इ वा नालिया इ वा अक्खे इवा, मुसले इ वा, एएणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साई गाउअं, चत्तारि गाउपाइं जोत्रणं 24 / एएणं उस्सेहंगुलेणं किं पयोधणं ?, एएणं उस्सेहंगुलेणं णेरइअतिरिक्खजोणित्रमणुस्तदेवाणं सरीरोगाहणा मविजति 25 / णेरडाणं भंते ! के महालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहाभवधारणिजा य उत्तरवेउन्विश्रा य, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा णं जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं पंच धणुसयाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउविधा सा जहरणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं धणुसहस्सं 26 / रयणप्पहाए पुढवीए नेरइयाणं भंते ! के महालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा परापत्ता, तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउब्विया य, तत्थ णं जा सा भवधारणिजा सा जहन्नेणं यंगुलस्स असंखिजइभागं उकोसेणं सत्त धणूई तिरिण रयणीयो छच्च अंगुलाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउवित्रा सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेज्जइभागं उक्कोसेणं पराणरस धणू दोनि रयणीयों बारस अंगुलाई 27 / सकरप्पहापुढवीए णेरइत्राणं भंते ! के महालिया सरीसेगाहणा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउवित्रा य, तत्थ णं जा सा भवधारणिजा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखिज्जइभागं उक्कोसेणं पराणरस धणूई दुरिण रयणीयो बारस अंगुलाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउब्विया सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उकोसेणं एकतीसं धणूई इकरयणी अ 28 / वालुअप्पहापुढवीए णेरइयाणं भंते ! के महालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 92) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्दशमो विभागः तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउविश्रा य, तत्थ णं जा सा भवधारणिजा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखिजइभागं उकोसेणं एकतीसं धणूई इक्करयणी अ, तत्य णं जा सा उत्तरवेउविश्रा सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उकोसेणं बासट्टि धण्इं दो रयणीयो श्र, एवं सवासिं पुढवीणं पुच्छा भाणियव्वा 21 / पंकप्पहाए पुढवीए भवधारणिजा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखिजइभागं उक्कोसेणं बासट्टि धणूई दो रयणीयो श्र, उत्तरवेउविया जहन्नेणं अंगुलस्स संखिजइभागं उक्कोसेणं पणवीसं धणुसयं 30 / धूमप्पहाए भवधारणिजा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखिजइभागं उकोंसेणं पणवीसं धणुसयं, उत्तरवेउविश्रा सा जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उकोसेणं अड्डाइजाई घणुसयाई, तमाए भवधारणिजा जहराणेणं अंगुलस्स असंखिजइभागं उक्कोसेणं अड्डाइजाइं धणुसयाई, उत्तरवेउविश्रा सा जहराणेणं अंगुलस्स संखिइजभागं उक्कोसेणं पंच धणुसयाई 31 / तमतमाए पुढवोए नेरइयाणं भंते ! के महालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउवित्रा य, तत्थ णं जा सा भवधारणिजा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखिजइभागं उकोसेणं पंच धणुसयाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउविधा सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखिजइभागं उकोसेणं धणुसहस्साई 32 / असुरकुमाराणं भंते ! के महालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता ? गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउबिश्रा य, तत्थ णं जा सा भवधारणिजा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखिजइभागं उक्कोसेणं सत्त रयणीयो, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउविश्रा सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखिजइभागं उक्कोसेणं जोयणसयसहस्सं, एवं असुरकुमारगमेणं जाव थणियकुमाराणं भाणिश्रव्वं 33 / पुढविकाइयाणं भंते ! के. महालिया सरीरोगाहणा परणता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स अखंखेजइभागं Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [61 उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं, एवं सुहुमाणं श्रोहियाणं अपजत्तगाणं पजत्तगाणं च भाणिअव्वं, एवं जाव बादरवाउकाइयाणं पजत्तगाणं भाणियब्बं 34 / वणस्सइकाइयाणं भंते ! के महालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं, सुहुमवणस्सइकाइयाणं श्रोहियाणं अपजत्तगाणं पजत्तगाणं तिराहंपि जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं बादरवणस्सइकाइयाणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभाग उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं, अपजत्तगाणं जहरणेगां अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं, पजत्तगाणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं सातिरेगं जोश्रणसहस्सं 35 / बेइंदित्राणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं बारस जोत्रणाइं, अपजत्तगाणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं, पजत्तगाणं जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं बारस जोषणाई 36 / तेइंदित्राणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं तिरिण गाउबाउं, अपजत्तगाणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणवि अंगुलस्सअसंखेजइभागं, पजत्तगाणं जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं तिरिण गाउाई 37 / चरिंदित्राणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं चत्तारि गाउाई, अपजत्तगाणं जहन्नेणं उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं, पजत्तगाणं जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई 38 / पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं के महालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं असंखेजइभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं, जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! एवं चेव, संमुच्छिम-जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 64 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं, अपजत्तग-संमुच्छिम-जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, जहन्नेणं अंगुलस्स असंखिजइभागं उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं पजत्तग-संमुच्छिम-जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उकोसेणं जोयणसहस्सं, गम्भवक्कंतिय-जलयर-पंचिंदिय पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखिज्जइभागं उकोसेणं जोयणसहस्सं, अपजत्तग-गब्भवक्कंतिय-जलयरपंचिंदिय पुन्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंग्वेजइभागं उक्कोसेणवि यंगुलस्स असंखेजइभागं पजत्तग-गब्भवक्कंतिय-जलयरपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उकोसेणं जोत्रणसहस्सं 31 / चउप्पय-थलयरपंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं छ गाउाई, संमुच्छिम-चउप्पय-थलयरपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं यंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं गाउअपुहुत्तं, अपज्जत्तग-समुच्छिम-चउप्पय-थलयरपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं, पजत्तग-संमुच्छिम-चउप्पय-थलयरपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं गाउअपुहुत्तं, गम्भवक्कंतित्र-चउप्पयथलयरपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं छ गाउपाइं, अपजत्तग-गम्भवक्कंतित्र-चउप्पय-थलयरपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं, पजत्तग-गम्भवक्कंतिग्र-चउप्पय-थलयरपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं छ गाउाई, उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं जोअणसहस्सं, संमुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयरपुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं जोपणपुहुत्तं, अपजत्तग-संमुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं अंगुलस्स असंखेजइभाग उकोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं पजत्तग-सम्मुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयरपुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं जोश्रणपुहुत्तं, गब्भवक्कंतिय-उरपरिसप्प-थलयरपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं जोअणसहस्सं, अपज्जत्तग-गब्भवक्कंतिय-उरपरिसप्प-थलयरपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभाग उकोसेणवि असंखेजइभागं, पजत्तग-गब्भवक्कंतिय-उरपरिसप्प-थलयर पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं जोत्रणसहस्सं, भुत्रपरिसप्प-थलयर-पंचिंदियाणं पुच्छा गोयमा ! जहगणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं गाउअपुहुत्तं, समुच्छिम-भुत्र परिसप्प-थलयरपंचिदियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं धणुपुहत्तं, अपजत्तग-संमुच्छिम-भुपरिसप्प-थलयरपंचिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं, पजत्तग-संमुच्छिम-भुपरिसप्प-थलयरपंचिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं असंखेजइभागं संखेजइभागं उक्कोसेणं धणुपुहृत्तं, गभवक्कंतिय-भुषपरिसप्प-थलयरपंचिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं गाउअपहुत्तं, अपजत्तग-गम्भवतियभुअपरिसप्प-थलयरपंचिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेण अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं, अपजत्तग-गम्भवक्कंतिय-भुत्रपरिसप्प-थलयरपंचिंदियाणं पुच्छा, गोयमा! जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं गाउअपहृत्तं 40 / खहयरपंचिंदिय-तिरिक्खनोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं धणुपुहुत्तं, समुच्छिमखहयराणं जहा भुपरिसप्पसंमुच्छिमाणं, तिसुवि गमेसु तहा भाणिग्रव्वं, गम्भवक्कंतित्र-खहयरपुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्दशमों विभागः उकोसेणं धणुपुहुतं, अपजत्तग-गब्भवक्कतिय-खहयरपुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणवि अंसेखेजइभागं, पजत्तग-गब्भवक्कंतिय-खहयर पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उकोसेणं धणुपुहुतं 41 / एत्य संगहणिगाहायो भवंति, तंजहा-जोत्रणसहस्सगाउयपुहुत्त तत्तो श्र जोश्रणपुहृत्तं / दोरहं तु धणुपुहुत्तं समुच्छिमे होइ उच्चत्तं // 101 // जोयणसहस्स छग्गाउाई तत्तो श्र जोयणसहस्सं / माउअपहुत्त भुश्रगे पक्खीसु भवे धणुपुहुत्तं॥१०२॥ 42 // मणुस्साणं भंते ! के महालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स अंसं. खेजइभागं उकोसेणं तिरिण गाउाई, समुच्छिममणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं, अपजत्तग-गब्भवक्कंतिय-मगुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं, पजत्तग-गब्भवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं निरिण गाउाई 43 / वाणमंतराणं भवधारणिजा य उत्तरवेउविया य जहा असुरकुमाराणं तहा भाणियबा, जहा वाणमंतराणं तहा जोइसियाणवि 44 / सोहम्मे कप्पे देवाणं भंते ! के महालिया सरीरोगाहणा पराणता ? गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, संजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउविश्रा य, तत्थ णं जा सा भवधारणिजा सा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं सत्त रयणीयो, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउविश्रा सा जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं जोयणसयसहस्सं, एवं ईसाणकप्पेऽवि भाणियब्वं, जा सोहम्मकप्पाणं देवाणं पुच्छा तहा सेसकप्पदेवाणं पुच्छा भाणिवा जाव अचुकप्पो / सणंकुमारे कप्पे भवधारणिजा जहराणेणं. अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं छ रयणीयो. उत्तरवेउव्विथा जहा सोहम्मे, Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगदार-मूत्रम् ] [ 97 जहा सणंकुमारे तहा माहिदेवि भाणियव्वा, बंभलंतगेसु भवधारणिजा जहराणेणं यंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं पंच रयणीयो, उत्तरवेउचिया जहा सोहम्मे, महासुक्कसहस्सारेसु भवधारणिजा जहराणेणं यंगुलम्स असंखजइभागं उक्कोसेणं चतारि रयणीयो, उत्तरवेउविया जहा सोहम्मे, ग्राणतपाणतारणअच्चुएसु चउसुवि भवधारणिज्जा जहन्नेणं यंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं तिगिण रयणीयो, उत्तरवेउलिया जहा सोहम्मे 45 / गेवेजगदेवाणं भंते ! के महालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता ? गोयमा ! एगे भवधारणिज्जे सरीरगे पराणत्ते, से जहगणणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं दुन्नि रयमीयो 46 / यानराववाइयदेवाणं भंते ! के महालिया सरीरोगाहणा पराणता ?, गोयमा ! एगे भवधारणिजए सरीरए पराणत्ते, से जहराणणं अंगुलस्स यसंग्वेजइभागं उकोसणं एगा रयणी उ 47 / से समासयो तिविहे पगाते, तंजहा-सूइयंगुले पयरंगुले घणंगुले, एगंगुलयया एगपएसिया मटी सूईयंगुले, सूई सूईए गुणिया पयरंगुले, पयरं सूईए गुणियं घणगुल्ने, एएसि णं सूईयंगुलपयरंगुलघणंगुलाणं कयरे कयरेहितो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा विसेसाहिए वा ?, सव्वथोवे सूइयंगुले, पयरंगुले यमंखजगुणे, घणंगुले असंखेजगुणे, से तं उस्सेहंगुले 48 / से किं तं पमाणंगुले ?, पमाणंगुले एगमेगस्स रगणो चाउरंतचकवट्टिस्स अट्ठसोवगिणए कागणारयण छत्तले दुवालसंसिए थट्टकगिणए अहिगरणसंठाणमंठिए पराणत्ते, तस्स णं एगमेगा कोडी उस्सेहंगुलविक्खंभा तं समणस्स भगवयो महावीरस्स पद्धंगुलं, तं सहस्सगुणं पमाणंगुलं भवइ, एएणं यंगुलपमाणेणं छ अंगुलाई पादो दुवालसंगुलाई विहत्थी दो विहत्थीयो रयणी दो रयणीयो कुच्छी दो कुच्छीयो धणू दो घणुसहस्साई गाउग्रं चत्तारि गाउपाइं जोयणं 41 / एएणं पमाणंगुलेणं किं पयोगणं ?, Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्दशमो विभागः एएणं पमाणंगुलेणं पुढवीणं कंडाणं पातालाणं भवणाणं भवणपस्थडाणं निरयाणं निरयावलियाणं निरंयपत्थडाणं कप्पाणं विमाणाणं विमाणावलीणं विमाणपत्थडाणं टंकाणं कूडाणं सेलाणं सिहरीणं पम्भाराणं विजयाणं वक्खाराणं वासाणं वासहराणं वासहरपब्बयाणं वेलाणं [ वलयाणं ] वेइयाणं दाराणं तोरणाणं दीवाणं समुदाणं अायामविक्खंभोच्चत्तोब्वेहपरिक्खेवा मविजंति 50 / से समासश्रो तिविहे पराणत्ते, तंजहा-सेढीगुले पयरंगुले घणंगुले, असंग्वेज्जायो जोयणकोडाकोडीयो सेढी, सेढी सेटीए गुणिया पयरं, पयरं सेढीए गुणियं लोगो, संखेजएणं लोगो गुणियो संखेजा लोगा असंखेजएणं लोगो गुणियो असंखेजा लोगा अणंतेणं लोगो गुणियो अणंता लोगा 51 / एएसि णं सेढीअंगुलपयरंगुलघणंगुलाणं कयरे कयरेहितो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा विसेसाहिए वा ?, सव्वथोवे सेढी अंगुले, पयरंगुले असंखेजगुणे, घणंगुले असंखिजगुणे, से तं पमाणंगुले 52 / से तं विभागनिष्फराणे 53 / से तं खेत्तप्पमाणे 54 // सू० 133 // से किं तं कालप्पमाणे ?. 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पएसनिष्फरणे अ विभागनिष्फराणे श्र॥ सू० 134 ॥से किं तं पएसणिप्फराणे ?, 2 एगसमयट्टिईए दुसमयट्टिईए तिसमयट्टिईए जाव दससमयट्टिईए जाव असंखिजसमयट्ठिईए, सं तं पएसनिप्फराणे // सू० 135 // से किं तं विभागनिप्फराणे ?,समयावलि अ-मुहुता दिवस-अहोरत्त-पक्ख-मासा य / संवच्छर-जुग-पलिया सागर-योसप्पि-परिघट्टा॥ 103 // सू० 136 // से किं तं समए ?, समयस्स णं परूवणं करिस्सामि, से जहानामए तुराणागदारए सिया तरुणे बलवं जुग जुवाणे अप्पातके थिरग्गहत्थे दढ-पाणिपायपास-पिटुतरोरुपरिणते तल-जमल-जुयल-परिघ-णिभवाहू चम्मट्ठग-दुहणमुट्टिअ-समाहत-निचितगत्तकाए उरस्सबलसमराणागए लंघण-पंवण-जइण-वाया Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [88 ले तंतू छिराण समिति-समागम श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] मसमत्थे छेए दक्खे पत्त? कुसले मेहावी निउणे निउणसिप्पोवगए एगं महतीं पडसाडियं वा पट्टसाडियं वा गहाय सयराहं हत्थमेत्तं श्रोसारेजा, तत्थ चोपए परणवयं एवं वयासी-जेणं कालेणं तेणं तुराणागदारएणं तीसे पडसाडिबाए वा पट्टसाडिबाए वा सयराहं हत्थमेत्ते श्रोसारिए से समए भवइ ?, नो इण? सम?, कम्हा ?, जम्हा संखेजाणं तंतूणं समुदयसमितिसमागमेणं एगा पडसाडिया निष्फजइ, उवरिल्लंमि तंतुमि अच्छिराणे हिडिल्ले तंतू न छिजइ, अरणमि काले उवरिल्ले तंतू छिजइ अराणंमि काले हिट्ठिल्ले तंतू छिजइ, तम्हा से समए न भवइ 1 / एवं वयंत पराणवयं चोयए एवं वयासी-जेणं कालेणं तेणं तुराणागदारएणं तीसे पडसाडियाए वा पट्टसाडियाए वा उवरिल्ले तंतू छिराणे से समए भवइ ?, न भवइ, कम्हा ?, जम्हा संखेजाणं पम्हाणं समुदय-समिति-समागमेणं एगे तंतू निप्फजइ, उवारल्ले पम्हे अछिराणे हेडिल्ले पम्हे न छिजइ, अराणमि काले उवरिल्ले पम्हे छिजइ थराणंणि काले हेट्ठिल्ले पम्हे छिजइ, तम्हा से समए न भवइ 2 / एवं वयंतं पराणवयं चोपए एवं वयासी-जेणं कालेणं तेणं तुराणागदारएणं तस्स तंतुस्स उपरिल्ले पम्हे छिराणे से समए भवइ ?, न भवइ, कम्हा ?, जम्हा अणंताणं संघायाणं समुदयसमितिसमागमेणं एगे पम्हे निष्फजइ, उवरिल्ले संघाए अविसंघाइए हेट्ठिल्ले संघाए न विसंघाइज्जइ, अराणंमि काले उवरिल्ले संघाए विसंघाइजइ अराणंमि काले हिट्ठिले संघाए विसंघाइज्जइ, तम्हा से समए न भवइ 3 / एत्तोऽवि श्रणं सुहुमतराए समए पराणत्ते समणाउसो ! 4 / असंखिजाणं समयाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा श्रावलिअत्ति वुच्चइ, संखेज्जायो श्रावलियो ऊसासो, संखिजायो श्रावलियायो नीसासो,-हट्ठस्स अणवगल्लस्स, निरुवकिट्ठस्स जंतुणो / एगे ऊसासनीसासे, एस पाणुत्ति वुच्चइ // 104 // सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाणि से लवे / लवाणं सत्तहत्तरीए, एस मुहुत्ते विवाहिए // 105 // अगणमि Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 100 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागा तिरािण सहस्सा सत्त य सयाई तेहुत्तरिं च ऊसासा / एस मुहत्तो भणियो सव्वेहिं अणंतनाणीहिं // 106 // 5 / एएणं मुहुत्तपमाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरत्तं, परागरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा ऊऊ, तिरिण ऊऊ अयणं, दो श्रयणाई संवच्छरे, पंच संवच्छराई जुगे, वीसं जुगाई सससयं, दस वाससयाई वाससहस्सं, सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्सं, चोरासीई वाससयसहस्साइं से एगे पुव्वंगे, चउरासीई पुव्वंगसयसहस्साई से एगे पुव्वे, चउरासीई पुब्बसयसहस्साइं से एगे तुडिअंगे, चउरासीइं तुडिअंगसयसहस्साइं से एगे तुडिए, चउरासीइं तुडिअसयसहस्साइं से एगे यडडंगे, बोरासीई अडडंगसयसहस्साइं से एगे अडडे, एवं श्रववंगे अववे हुहुअंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे नलिणंगे नलिणे अच्छनिऊरंगे अच्छनिउरे अउअंगे अउए पउग्रंगे पउए णउअंगे णउए चूलिअंगे चूलिया सीसपहेलियंगे चउरासीइं सीसपहेलियंग सयसहस्साइं सा एगा सीसपहेलिया 6 / एयावया चेव गणिए, एयावया चेव गणियस्स विसए, अतः परं (एत्तोऽत्ररं) योवमिए पवत्तइ 7 // सू० 137 // से किं तं ग्रोवमिए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पलियोवमे य सागरोवमे य 1 / से कि तं पलिग्रोवमे ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहाउद्धारपलियोवमे श्रद्धापलिश्रोवमे खेत्तपलियोवमे अ 2 / से किं तं उद्धारपलियोवमे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सुहुमे श्र वावहारिए अ, तत्थ णं जे से सुहुमे से ठप्पे, तत्य णं जे से ववहारिए से जहानामए पल्ले सिधा जोयणं थायामविक्खंभेणं जोत्रणं उड्ड उच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहिन-बेत्राहि-तेबाहिश्र जाव उकोसेणं सत्तरत्त-परूढाणं संम8 संनिचिते भरिए वालग्गकोडीणं, ते णं वालग्गा नो अग्गी डहेजा नो वाऊ हरेजा नो कुहेजा नो पलिविद्धंसिजा.णो पूइत्ताए हब्बभागच्छेजा, तो णं समए 2 एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] . [ 101 कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे णिट्ठिए भवइ से तं ववहारिए उद्धारपलिग्रोवमे 3 / एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिया / तं ववहारिश्रस्स उद्धार-सागरोवमस्स एगस्स भवे परिमाणं // 107 // एएहिं वावहारिप-उद्धार-पलिग्रोवम-सागरोवमेहि किंपयोगणं ?; एएहिं वावहारिपउद्धार-पलिग्रोवम-सागरोवमेहिं णस्थि किंचिप्पश्रोत्रणं, केवलं पराणवणा पराणविजइ, से तं वावहारिए उद्धारपलियोवमे 4 / से किं तं सुहुमे उद्धारपलियोवमे ?, 2 से जहानामए पल्ले सिधा जोत्रणं आयामवि खंभेणं जोत्रणं उव्वेहेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहिबेग्राहियतेबाहिश्र उकोसेणं सत्तरत्तपरूढाणं संस? संनिचिते भरिए वालग्गकोडीणं, तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखिज्जाइं खंडाई कजइ, ते णं वालग्गा दिट्ठीयोगाहणायो असंखेजइभागमेत्ता सुहुमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणाउ असंखेजगुणा, ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेजा णो वाऊ हरेजा णो कुहेजा णो पलिविद्धंसिजा णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेजा, तो णं समए 2 एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएण कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे णिट्ठिए भवइ, से तं सुहुमे उद्धारपलि. श्रोवमे 5 / एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिया / तं सुहमस्स उद्धारसागरोवमस्स एगस्स भवे परिमाणं // 108 // एएहिं सुहुम-उद्धारपलिग्रोवम-सागरोवमेहिं किं पयोगणं ?, एएहिं सुहुम-उद्धार-पलिग्रोवमसागरोवमेहिं दीवसमुदाणं उद्धारो घेप्पइ 6 / केवइया णं भंते ! दीवसमुद्दा उद्धारेणं पराणत्ता ?, गोयमा ! जावइयाणं अड्डाइजाणं उद्धारसागरोवमाणं उद्धारसमया एवइया णं दीवसमुद्दा उद्धारेणं पराणत्ता 7 / से तं सुहुने उद्धारपलिश्रोवमे / से तं उद्धारपलिश्रोवमे 8 / से किं तं श्रद्धापलिश्रोवमे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सुहुमे अवावहारिए अ, तत्थ णं जे से सुहुमे से ठप्पे, तत्थ णं जे से वावहारिए से जहानामए पल्ले सिया Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 102 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमी विमागः जोत्रणं आयामविक्खंभेणं जोत्रणं उड्ढउच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहिश्र बेत्राहि-त्राहि जाव भरिए वालग्गकोडीण, ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेजा नो वाऊ हरेजा नो कुच्छेजा णो पलिविद्धंसिजा नो पइत्ताए हव्वमागच्छेजा, तो णं वाससए 2 एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे निट्ठिए भवइ, से तं वावहारिए श्रद्धापलिश्रोवमे 1 / एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी भविज दसगुणिया। तं ववहारिअस्स श्रद्धासागरोवमस्स एगस्स भवे परिमाणं // 101 // एएहिं ववहारिएहिं श्रद्धापलियोवम-सागरोवमेहिं किं पोयणं ?, एएहिं ववहारिएहिं श्रद्धापलिश्रोवमसागरोवमेहिं नत्थि किंचिप्पलोणं, केवलं-पण्णवणा पराणविजइ, से तं ववहारिए श्रद्धापलिश्रोवमे 10 / से किं तं सुहुने श्रद्धापलिश्रोवमे ?, 2 पल्ले सिधा जोत्रणं अायामविक्खंभेणं जोत्रणं उड्ड उच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवणं, से णं पल्ले एगाहिबेत्राहि-तेत्राहिय जाव भरिए वालग्गकोडीणं, तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखेजाइं खंडाई कजइ, ते णं वालग्गा दिट्ठीयोगाहणाश्रो असंखेजइभागमेत्ता सुहुमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणायो असंखेजगुणा, तं णं वालग्गा णो अग्गी जाव नो पलिविद्धंसिजा नो पूइत्ताए हव्वमागच्छेजा. तो णं वाससए 2 गते एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे णिट्ठिए भवइ, से तं सुहमें श्रद्धापल्लियोवमे 11 / एएसिं पल्लाणं कोडाकोडि भवेज दसगुणिया। तं सुहुमस्स श्रद्धासागरोवमस्स एगस्स भवे परिमाणं // 11 // एएहिं सुहुमेहिं श्रद्धापलियोवम-सागरोवमेहिं किं पत्रोत्रणं ?, एएहि सुहुमेहिं श्रद्धापलिश्रोवम-सागरोवमेहिं नेरइन-तिरिक्ख-जोणि अ-मणुस्सदेवाणं श्राउणं मविजइ 12 // सू० 138 // णेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] . [ 103 दस वाससहस्साई उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं 1 / रयणप्पहा-पुढविणेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं एगं सागरोवमं 2 / अपजत्तग-रयणप्पहा-पुढविणेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं टिई पराणता ?, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 3 / पजत्तग-रयणप्पहा-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइकालं ठिई पराणता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं एगं सागरोवमं अंतोमुहुत्तोणं 4 / सकरप्पहा-पुढविनेरइत्राणं भंते ! केवइकालं ठिई पराणता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं सागरोवमं उक्कोसेणं तिरिण सागरोवमाइं 5 / एवं सेसपुढवीसु पुच्छा भाणियव्वा 6 / वालुअप्पहा-पुढविनेरइयाणं जहरणेणं तिगिण सागरोवमाई उक्कोसेणं सत्त सागरोधमाई 7 / पंकप्पहापुढवि-नेरइयाणं जहराणेणं सत्तसागरोवमाइं उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं 8 / धूमप्पहापुढविनेरइयाणं जहराणेणं दस सागरोवमाई उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवमाई 1 / तमप्पहापुढवि-नेरइयाणं जहराणेणं सत्तरससागरोवमाई उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाई 10 / तमतमा-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइकालं ठिई पराणत्ता ? गोयमा ! जहराणेणं बावीसं सागरोवमाइं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं 11 / असुरकुमारणं भते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं उक्कोसेणं सातिरेगं सागरोवमं 12 / असुरकुमारदेवीणं भंते ! केवइयं कालं पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उकोसेणं श्रद्धपंचमाइं पलिग्रोवमाई 13 / नागकुमाराणं भंते ! केवइग्रं कालं ठिई परणत्ता ?, गोयमा ! जहरणेणं दम वाससहस्साई उकोसेणं देसूणाई दुगिण पलिग्रोवमाई 14 / नागकुमारीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं दस वाससहस्साई उकोसेणं देसूर्ण पलियोवमं 15 / एवं जहा णागकुमाराणं देवानां देवीण य. तहा जाव Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 104 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्दशमो विमागः थणियकुमाराणं देवाणं देवीण य भाणियव्वं 16 / पुढवीकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई 17 ।सुहुमपुढवीकाइयाणं श्रोहियाणं अपजत्तयाणं पजत्तयाण य तिरिणवि पुच्छा, गोयमा ! जहाणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 18 / बादरपुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं बावीसं वाससहस्साई 11 / अपजत्तग-बादरपुढविकाइयाणं पुच्छा गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 20 / पज्जत्तग-बादरपुढविकाइयाणं पुच्छा गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तणाई 21 / एवं सेसकाइयापि पुच्छावयां भाणियव्वं, 22 / भाउकाइयाणां जहरणेगां अंतोमुहुत्तं उक्कोसेगां सत्त वाससहस्साई 23 / सुहुम-ग्राउकाइयाग श्रोहियागां अपजत्तगाणं पजत्तगाणं तिराहवि जहराणेणवि अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं बादर-भाउकाइयाणं जहा श्रोहियाणं 24 / अपजत्तग-बादरभाउकाइयाणं जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 25 / पजत्तग-बादराउकाइयाणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई 26 / तेउकाइयाणं जहगणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तिगिणं राइंदिअाई 27 / सुहुमतेउकाइयाणं श्रोहियाणं अपजत्तगाणं पजत्तगाणं तिराहवि जहराणेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं 28 / बादरतेउकाइयाणं जहराणेणं अन्तोमुहुत्तं उकोसेणं तिरिण राइंदिवाई 21 / अपजत्तबादरतेउकाइयाणं ते जहन्नेणवि अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणं अन्तोमुहुत्तं 30 / पजत्तगवादरतेउकाइयाणं जहराणेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं तिरिण राइदिवाई अंतोमुहुत्तूणाई 31 / वाउकाइयाणं जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तिरिण वाससहस्साई 32 / सुहुमवाउकाइयाणं श्रोहियाणं अपजत्तगाणं पजत्तगाण य तिराहवि जहराणवि अंतोमुहुत्तं उकोसेणं अंतोमुहुत्तं 33 / बादरवाउकाइयाणं राउकाइयाण नणं अंतोमुहुत जमा राइंदियाई अनादर Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 1.5 जहगणेणं अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिगिण वाससहस्साई 34 / अपज्जत्तगबादरवाउकाइयाणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 35 / पजत्तग-बादरवाउकाइयाणं जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिरािण वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई 36 / वणस्सइकाइयाणं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दस वाससहस्साई 37 / सुहुम-बणस्सइकाइयाणं श्रोहियाणं अपजत्तगाणं पजत्तगाण य तिराहवि जहरणेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 38 / बादर-वणस्मइकाइयाणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं दस वाससहस्साई 31 / अपजत्तग-बादरवणस्सइकाइयाणं जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 40 / पजत्तग-बादरवणस्सइकाइयाणं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई. 41 / बेइंदित्राणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं बारस संवच्छराणि 42 / अपजत्तग-बेइंदित्राणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुसं * 43" पजत्तग-बेइंदिश्राणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बारस संवच्छराणि अंतोमुहुत्तूणाई 44 / तेइंदिग्राणं पुच्छा, गोयमा ! जहरानेणं अंतोमुहृत्तं उक्कोसेणं एगुणपराणासं राइंदियाणं 45 / अपजत्तग-तेइंदित्राणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 46 / पजत्तग-तेइंदित्राणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं एगुणपराणासं राइंदिवाइं अंतोमुहुत्तूणाई 47 / चउरिंदित्राणां भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणता ?, गोयमा ! जहराणेगां अंतोमुहुत्तं उक्कोसेगां छम्मासा 48 / अपजत्तग-चउरिंदित्राणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 41 / पजतग-चरिंदिवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेगां अंतोमुहुवं. उक्कोसेणं तुम्मासा अंतोमुहुत्तूणाई 50 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिप्राणां भंते ! केवइयं कालं टिई पराणत्ता ? गोयमा ! जहर पेणं अंतोमुत्तं उक्कोसेणं 14 Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बकोडी, अपजतना पजत्तयाणं पुछा गमवक्कतियपागा तिगिण 106:] [ श्रीमदाममसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विमागः विरिण पलिग्रोवमाई 51 / (अपजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिरिण पलियोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी, अपजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तूणा, गम्भवक्कतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेगां तिरिण पलियोवमाई, अपज्जत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेगां अंतोमुहुत्तं, उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पजत्तयागां पुच्छा, गोयमा ! जहरणेगां अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणां तिगिण पलिश्रोवमाइं अन्तोमुहुत्तूणाई)जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणां भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेगां अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेगां पुत्वकोडी 52 / समुच्छिम जलयरपंचिंदिय पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेगां पुवकोडी 53 / अपजत्तय-संमुच्छिम-जलयरपंचिंदियपुन्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि अन्तोमुहुत्तं उकासेणवि अन्तोमहत्तं 54 / पजत्तयसंमुच्छिम-जलयर-पंचिदियपुच्छा, गोयमा ! जहराणेगां अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणां पुवकोडी अन्तोमुहुत्तूणा 55 / गम्भवक्कंतिय-जलयर-पंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेगा अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेगां पुव्वकोडी 56 / अपजतग गम्भवक्कंतिय-जलयर-पंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 57 / पजत्तग-गब्भवतियजलयर-पंचिंदियपुच्छा गोयमा ! जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुषकोडीअंतोमुहुत्तृणा 58 | चउप्पय-थलयर-पंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिगिण पलिश्रोवमाई 51 | संमुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय जाव Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगशास्सूत्रम् ] [ 107 गोयमा ! जहराणेणं अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणं चउरासीइं वाससहस्साई 60 / अपजत्तय-संमुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहन्नेणवि अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अन्तोमुहुत्तं 61 / पजत्तय-समुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं चउरासीई वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई 62 / गम्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणां अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेगां तिरिण पलिश्रोवमाई 63 / अपजत्तग-गम्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणवि अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 64 / पजत्तग-गब्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिगिण पलियोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 65 / उरपरिसप्प-थलयरपंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! जहराणेगां अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेगां पुश्वकोडी 66 / संमुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! जहरणेणां अन्तोमुहुत्तं उकोसेगां तेवन्नं वाससहस्साई 67 / अपजत्तय-संमुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणवि अन्तोमुहुत्तं उकोसेणवि अन्तोमुहुत्तं 68 / पजत्तय-संमुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणं अतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तेवराणां वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई 61 / गम्भवक्कंतिय-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी 70 / अपजत्तगगम्भवक्कंतिय उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 71 / पजत्तय-गम्भवक्कंतिय-उरपरिसप्पथलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणं अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुत्वकोडी अन्तोमुत्तूणा 72 / भुपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहरणेणं अन्तोमुहुत्तं उकोसेणं पुव्वकोडी 73 / संमुच्छिम-भुयपरिसप्प-थलयरपंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणं अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणं बायालीसं वास Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 108 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: चतुर्दशमो विभागः सहस्साइं 74 / अपजत्तय संमुच्छिम-भुपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिव जाव गोयमा ! जहराणेणं अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणं अन्तोमुहुत्तं 75 / पजत्तगसंमुच्छिम-भुपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहरणेणां अन्तोमुहुत्तं उकोसेगां बायालीसं वाससहस्साई अन्तोमुहुत्तूणाई 76 / गब्भवक्कंतिय-भुअपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहरणेगां अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणां पुत्वकोडी 77 / अपजत्तय गम्भवक्कंतिय भुपरिसप्पथलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहन्नेणवि अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अन्तोमुहुत्तं 78 / पजत्तय-गम्भवक्कंतिय-भुपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणां अन्नोमुहुत्तं उक्कोसेगां पुव्वकोडी अन्तोमुहुत्तूणा 71 / खहयरपंचिंदिय जाव गोयमा ! जहरणेणां अन्तोमुहुत्तं उकोसेगां पलियोवमस्स असंखेजइभागो 80 / समुच्छिम-खहयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहरणेगां अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेगां बावत्तरि वाससहस्साई 81 / * अपजत्तग-संमुच्छिम-खहयर-पंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! जहरणेणां अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अन्तोमुहुत्तं 82 / पजत्तग-संमुच्छिम-खहयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहन्नेगां अन्तोमुहुत्तं उकोसेगां बावत्तरि वाससहस्साई अन्तोमुहुत्तूणाई 83 / गम्भवक्कंतिय-खहयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेगां अन्तोमुहुत्तं उकोसेगां पलिग्रोवमस्स. असंखेजइभागो 84 / अपजत्तग-गब्भवक्कंतिय-खहयरपंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणवि अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणां अंतोमुहुत्तं 85 / पजत्तग-खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिश्राणां भत्ते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता, गोयमा ! जहराणेगां अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेगां पलिग्रोवमस्स असंखिजइभागो. अंतोमुहुत्तूणो 86 / एत्थ एएसि गां संगहणिगाहायो भवंति, तंजहासमुच्छिमपुव्वकोडी चउरासीइं भवे सहस्साइं / तेवराणा बायाला बावत्तरिमेव पक्खीणं // 111 // गभंमि पुवकोडी तिगिण य Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-तत्रम् ) . ., ... [106 पलियोवमाइं परमाऊ। उरगभुपुवकोडी पलिश्रोवमासंखभागो श्र। // 112 // 87 / मणुस्साणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिरिण पलिश्रोवमाई 88 / समुच्छिममणुस्साणं जाव गोयमा ! जहराणेणवि अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अन्तोमुहुत्तं 81 / गभवक्कंतिय-मणुस्साणं जाव गोयमा ! जहराणेणं अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिगिण पलिश्रोवमाई 10 / अपजत्तग-गब्भवक्कंतिय-मणुस्साणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणता ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं अन्तोमुहुत्तं 11 / पज्जत्तग-गब्भवक्कैतिय-मणुस्साणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता? गोयमा ! जहणेरणं अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिरिण पलिश्रोवमाइं अन्तोमुहुत्तूणाई 12 / वाणमंतराणं देवाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ? गोयमा ! जहराणेणं, दस वाससहस्साई उकोसेणं पलिश्रोवमं 13 / वाणमंतरीणं देवीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं श्रद्धपलिश्रोवमं 14 / जोइसियाणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?,गोयमा ! जहराणेणं सातिरेगं अट्ठभागपलिग्रोवमं उक्कोसेणं पलिग्रोवमं वाससयसहस्समब्भहियं 15 / जोइसियदेवीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठभागपलियोवमं उक्कोसेणं अद्धपलिग्रोवमं पराणासाए वाससहस्सेहिं अब्भहिनं 16 / चंदविमाणाणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं चउभागपलिश्रोवमं उक्कोसेणं पलिश्रोवमं वाससयसहस्समब्भहिनं 17 / चंदविमाणाणं भंते ! देवीणं गोयमा ! जहराणेणं चउभागपलिश्रोवमं उकोसेणं श्रद्धपलिग्रोवमं पराणासाए वाससहस्सेहिं अब्भहिनं 18 / सूरविमाणाणं भंते ! देवाणं, गोयमा ! जहराणेणं चउभागपलिग्रोवमं उकोसेणं पलियोवमं वाससहस्समभहिनं 11 / सूरविमाणाणं देवीणं गोयमा ! जहराणयां चउभागप Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 11. ] ___ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः लिश्रोक्म उकोसेगां अद्धपलिश्रोम, पंचहिं वाससएहिं अभहिनं 100 / गहविमाणाणां देवाणां गोयमा ! जहराणेणां उभागपलियोवमं उक्कोसेगां पलिश्रोवमं 101 / गहविमाणाणां भंते ! देवीणां, गोयमा ! जहराणेगां चउभागपलिश्रोवमं उक्कोसेणां श्रद्धपलियोवमं 102 / णक्खत्तविमाणाणां भंते ! देवागा, गोयमा ! जहरणेगां चउभागपलियोवमं उकोसेगां श्रद्धपलिश्रोवमं 103 / णक्खत्तविमाणाणं भंते ! देवीणं गोयमा ! जहराणेणां चउभागपलिग्रोवमं उकासेगां सातिरेगं चउ. भागपलिग्रोवमं 104 / ताराविमाणाणं भंते ! गोयमा ! जहरागोणं साइरेगं अट्ठभागपलियोवमं उकोसेणं चउभागपलियोवमं 105 / तारावि. माणणं देवीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं अट्ठभागपलिश्रोवमं उक्कोसेणं साइरेगं अट्ठभागपलिश्रोवमं 106 / वेमाणिआणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं पलिग्रोवमं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई 107 / वेमाणियाणं भंते ! देवीणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहरणेणं पलियोवमं उकोसेणं पणपराणं पलिग्रोवमाइं 108 / सोहम्मे णं भंते ! कप्पे देवाणं, गोयमा ! जहराणेणं पलिग्रोवमं उक्कोसेणं दो सागरोवमाई 101 / सोहम्मे णं भंते ! कप्पे परिग्गहिनादेवीगां, गोयमा ! जहराणेणां पलिश्रो. वमं उक्कोसेगां सत पलिश्रोवमाई 110 / सोहम्मे णं अपरिग्गहिश्रादेवीगां! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहगणेणं पलिग्रोवमं उक्कोसेणं पराणासं पलिश्रोवमाइं 111 / ईसाणे णं भंते ! कप्पे देवाणं, गोयमा ! जहराणेणां साइरेगं पलिश्रोवमं उक्कोसेगां साइरेगाइं दो सागरोवमाई 112 / ईसाणे णं भंते ! कप्पे परिग्गहिश्रादेवीणं, गोयमा ! जहगणेणं साइरेगं पलिग्रोवमं उक्कोसेणं नव पलिश्रोवमाई 113 / अपरिग्गहिश्रादेवीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं साइरेगं Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] ... [ 111 पलियोवमं उक्कोंसेणं पणपरणं पलिग्रोवमाइं 114 / सणंकुमारे णं भंते ! कप्पे देवाणं, गोयमा ! जहराणेणं दो सागरोवमाइं उकोसेणं सत्त सागरोवमाइं 115 ।माहिंदे णं भंते ! कप्पे देवाणं, गोयमा ! जहरणेणं साइरेगाई दो सागरोवमाई उकोसेगां साइरेगाई सत्त सागरोवमाई 116 / बंभलोए णां भंते ! कप्पे देवाणां, गोयमा ! जहरणेगां सत्त सागरोवमाई उक्कोसेगां दस सागरोवमाइं 117 / कप्पे कप्पे केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! एवं भाणियव्वं-लंतए जहराणेणां दस सागरोवमाई उक्कोसेगां चउद्दस सागरोवमाइ 118 / महासुक्के जहराणेगां चउद्दस सागरवमाई उक्कोसेगां सत्तरस सागरोवमाई 111 / सहस्सारे जहराणेणां सत्तरस सागरोवमाई उक्कोसेणां अट्ठारस सागरोवमाई 120 / श्राणए जहराणेणां अट्ठारससागरोवमाई उक्कोसेण एगूणवीसं सागरोवमाई 121 / पाणए जहराणेणां एगूणवीसं सागरोवमाइ उक्कोसे वीसं सागरोवमाई 122 / श्रारणे जहराणे वीसं सागरोवमाई उकोसेा एकवीसं सागरोवमाई 123 / अञ्चुए जहराणेगां एकवीसं सागरोवमाइ उक्कोसेगां बावीसं सागरोवमाई 124 / हेट्टिमहेट्ठिमगेविजविमाणेसु णं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं बावीमं सागरोवमाई उकोसेणं तेवीसं सागरोवमाई 125 / हेट्ठिम-मज्झिम-गेवेजविमाणेसु णं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं तेवीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं चउवीसं सागरोवमाइ, 126 / हेट्ठिम-उवरिम-गेवेजविमाणेसु णं भंते ! देवाणं, गोयमा ! जहरणेणं चउवीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं पंचवीसं सागरोवमाई 127 / मज्झिम-हेट्ठिम-गेवेजविमाणेसु केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं पणवीसं सागरोवमाई उकोसेणं छव्वीसं सागरोवमाई 128 / मज्झिम-मझिम-गेवेजविमाणेमु णं भंते ! गोयमा ! जहराणेणं छब्बीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं सत्तावीस, THHETRITISHTHHTHE Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 112 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : चतुर्दशमो विभागः सागरोवमाई 121 / मज्झिम उवरिम-गेवेजविमाणेसु णं भंते ! गोयमा ! जहराणेणं सत्तावीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं अट्ठावीसं सागरोक्माई 130 / उवरिम-हेट्ठिम-गेविजविमाणेसु देवाणं, गोयमा ! जहरणेणं अट्ठावीसं सागरोचमाई उक्कोसेणं एगूणतीसं सागरोवमाई 131 / उवरिम-मज्झिमगेविजविमाणेसु णं भंते ! देवाणं, गोयमा ! जहणणेणां एगणतीसं सागरोक्माइउकोसेणं तीसं सागरोवमाई 132 / उवरिम-उबरिम-गेवेज विमागोसु णं भंते ! देवाणां. गोयमा ! जहराणेगां तीसं सागसेवमाई उक्कोसे एक्कतीसं सागरोवमाई 133 / विजय-वेजयंत-अपराजित-विमाणेसु णं भंते ! देवाणां केवइग्रं कालं ठिई पराणता ?, गोयमा ! जहराणेणं एक्कतीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई 134 / सबट्टसिद्धे णं भंते ! महाविमाणे देवाणां केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! अजहराणमणुक्कोसेणां तेत्तीसं सागरोवमाई 135 / से तं सुहुमे श्रद्धापलिश्रोवमे 136 / से तं श्रद्धापलियोवमे 137 // सू० 131 // से किं तं खेत्तपलिग्रोवमे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सुहमे अ, वावहारिए श्र 1 / तत्थ णं जे से सुहुमे से टप्पे, तत्थ णं जे से ववहारिए से जहानामए पल्ले सिधा जोत्रणं थायामविक्खंभेणं जोधणं उब्बेहेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं. से णं पल्ले एगाहिन-बेत्राहि-तेत्राहिय जाव भरिए वालग्गकोडीणं, ते गां वालग्गा णो अग्गी हेजा जाव णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेजा, जे णं तस्स पल्लस्स श्रागासपएसा तेहिं वालग्गेहिं अप्फुन्ना तयो णं समए 2 एगमेगं श्रागासपएसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे जाव निट्ठिए भवइ, से तं ववहारिए खेत्तपलिश्रोवमे 2 / एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी भवेज दसगुणिया / तं ववहारिश्रस्स खेत्तसागरोवमस्स एगस्स भवे परीमाणं // 113 // 3 / एएहिं ववहारिएहि खेत्तपलियोवम-सागरोवमेहिं किं पयोधणं ?, एएहिं ववहारिएहि नस्थि Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 113 किंचिप्पोत्रणं, केवलं पराणवणा पराणविजइ, से तं ववहारिए 4 / से किं तं सुहुमे खेत्तपलिश्रोवमे?, 2 से जहाणामए पल्ले सिधा जोत्रणं पायामविक्खंभेणं, जाव परिक्खेवेर्णा, से गो पल्ले एगाहित्रबेश्राहिय-तेत्राहि जाव भरिए वालग्गकोडी तत्थ गां एगमेगे वालग्गे असंखिजाई खंडाई कजइ, ते गां वालग्गा दिट्ठियोगाहणायो असंखेजइभागमेत्तासुहुमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणाश्रो असंखेजगुणा, ते गां वालग्गा णो अग्गी डहेजा जाव णो पूइत्ताइ हव्वमागच्छेजा, जे गां तस्स पल्लस्स अागासपएसा तेहिं वालग्गेहिं अप्फुना वा अणाफुराणा वा तो गां समए 2 एगमेगं अागासपएसं अवहाय जावइएगां कालेगां से पल्ले खीणे जाव णिट्ठिए भवइ, से तं सुहुमे खेत्तपलि ग्रोवमे 5 / तत्थ गां चोथए पराणवगं एवं वयासीअत्थि णं तस्स पल्लस्स अागासपएसा जे गां तेहिं वालग्गेहिं अणाफुराणा ?, हंता अत्थि, जहा को दिट्ठतो ?, से जहाणामए कोट्ठए सिश्रा कोहंडागां भरिए तत्थ गां माउलिंगा पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ णं बिल्ला पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ गां श्रामलगा पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ णं बयरा पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ गांचणगा पक्खित्ता तेऽवि माया, तत्थ गां मुग्गा पक्खित्ता, तत्थ ग सरिसवा पक्खित्ता, तत्थ णं गंगावालुथा पक्खित्ता सावि माया, एवमेव एएगां दिट्ठतेणां अस्थि गां तस्स पलस्स अागासपएसा जे गां तेहिं वालग्गेहिं अणाफुराणा 6 / एएसिं पल्लागां कोडाकोडी भवेज दसगुणिया। तं सुहुमस्स खेत्तसागरोवमस्स एगस्स भवे परीमाणां // 114 // एएहि सुहुमेहिं खेत्तपलिश्रोवम-सागरोवमेहिं किं पयोगां ?, एएहिं सुहुमपलिश्रोवम-सागरोवमेहि दिट्ठिवाए दवा मविज्जंति 7 // सू० 140 // ___ कइविहा गां भंते ! दव्या पराणत्ता ? गोयमा / दुविहा पराणत्ता, तंजहा-जीवदव्वा य अजीवदव्वा य 1 / अजीवदव्वा गां भंते ! कइविहा Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 114 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्दशमो विमागः पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-रुवीयजीवदव्वा य अरुवीअजीवदव्वा य 2 / अरूवीजीवदव्वा गां भंते ! कइविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! दसविहा पराणत्ता, तंजहा-धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसा धम्मत्थिकायस्स पएसा अधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसा अधम्मस्थिकायस्स पएसा अागासत्थिकाए अागासत्थिकायस्स देसा अागासस्थिकायस्स पएसा, श्रद्धासमए 3 / स्वीयजीवदव्वा गां भते ! कइविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! चउव्विहा पराणत्ता, तंजहा-खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला, ते गां भंते ! किं संखिजा असंखिजा अगांता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा श्रांता, से केण?णां भंते ! एवं बुच्चइ-नो संखेजा नो असंखेजा अशांता ?, गोंयमा ! अगांता परमाणुपोग्गला अशांता दुपएसिया खंधा जाव अशांता श्रशांतपएसिया खंधा, से एएण? गां गोयमा ! एवं वुच्चइ-नो संखेजा नो असंखेजा अणंता 4 / जीवदव्या गां भंते ! किं संखिजा असंखिजा अणता?, गोयमा ! नो संखिजा नो असंखिजा अणंता, से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइनो संखिजा नो असंखिजा अणंता ?, गोयमा ! असंखेजा णेरड्या असंखेजा असुरकुमारा जाप असंखेजा थणियकुमारा असंखिजा पुढवीकाइया जाव असंखिजा वाउकाइथा अणंता वणस्सइकाइया असंखेजा बेइंदिया जाव असंखिजा चरिंदिया असंखिजा पंचिंदियतिरिक्खजोणिश्रा असंखिजा मणुस्सा असंखिजा वाणमंतरा असंखिजा जोइसिया असंखेजा वेमाणिश्रा अणंता सिद्धा, से एएणडेणं गोयमा ! एवं वुचइ-नो संखिजा नो असंखिजा अणंता 5 // सू० 141 // कइविहा गां भंते ! सरीरा परांणत्ता !, गोयमा : पंच सरीरा पराणत्ता, तंजहा-ओरालिए वेउन्विए श्राहारए तेथए कम्मए 1 / गेर Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगवार-सूत्रम् ]-- . [ 115 इयाणं भंते ! कइ सरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! तो सरीरा पराणत्ता, तंजहा-वेउबिए तेथए कम्मए 2 / असुरकुमाराणं भंते ! कइ सरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! तो सरीरा पराणत्ता, तंजहा-वेउबिए तेथए कम्मए, एवं तिरिण 2, एए चेव सरीरा जाव थणियकुमाराणं भाणिअन्धा 3 / पुढवीकाइयाणं भंते ! कइ सरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! तो सरीरा पराणता, तंजहा-पोरालिए तेथए कम्मए, एवं पाउतेउवणस्सइकाइयाणऽवि एए चेव तिरिण सरीरा भाणियव्वा 4 / वाउकाइयाणं जाव गोयमा ! चत्तारि सरीरा पराणत्ता, तंजहा-उरालिए वेउविए तेयए कम्मए 5 / बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाणं जहा पुढवीकाइयाणं, पंचिंदिन-तिरिक्खजोणियाणं जहा वाउकाइयाणं 6 / मणुस्साणं जाव गोयमा ! पंच सरीरा पराणत्ता, तंजहा-ओरालिए वेउविए श्राहारए तेथए कम्मए 7 / वाणमंतराणं जोइसिवाणं वेमाणिग्राणं जहा नेरइयाणं 8 / केवइया णं भंते ! उरालिसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्लगा ते णं असंखिजा असंखिजाहिं उस्सप्पिणी-श्रोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालो, खेत्तयो असंखेजा लोगा, तत्थ णं जे ते मुक्केलगा तेणं अणंता अणंताहिं उस्सप्पिणी-योसप्पिणीहिं अबहीरंति कालश्रो खेत्तयो अणंता लोगा दव्वश्रो अभवसिद्धिएहिं अणंतागुणा सिद्धाणं अणंतभागो 1 / केवइया णं भंते ! वेउब्वियसरीरा पराणता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्धेलया य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्धेलया ते णं असंखिजा असंखेजाहिं उस्सप्पिणि-अोसप्पिणीहिं श्रवहीरंति कालो, खेत्तयो असंखिजायो सेढीयो पयरस्स असंखेजइभागो, तत्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते णं अशांता अगांताहिं उस्सप्पिणी-योसप्पिणीहि अवहीरंति कालो, सेसं जहा पोरालिअस्स मुक्केल्या तहा एएवि भाणिभब्वा 10 / केवइया Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 196] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्दशमो विभागः णं भंते ! थाहारगसरीरा ? गोयमा ! दुविहा पगणता, तंजहा-बद्रेलया य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं सित्र अस्थि सिथ नत्थि, जइ अस्थि जहणणेगां एगो वा दो वा तिरिण वा उक्कोसेणां सहस्सपुहुत्तं, मुक्केल्लया जहा ओरालियसरीरस्स तहा भाणिश्रव्वा 11 / केवइया णं भंते ! तेअगसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्धेलया य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बरेलया ते णं अशांता अगांताहिं उस्सप्पिणी-योसप्पिणीहिं अवहीरंति कालो, खेतो अशांता लोगा दवयो सिद्धेहिं श्रगांतगुणा सव्वजीवाणां अशांतभागणा, तत्थ णं जे ते मुक्केलया तेणं अगांता अगांताहिं उस्सप्पिणी-श्रोतप्पिणीहिं अवहीरंति कालो, खेत्तयो श्रणांता लोगा दव्यो सव्वजीवेहि अगांतगुणा जीववग्गस्स अगांतभागो 12 / केवइया णं भंते ! कम्मगसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहाबरेल्लया य मुक्केल्लया य, जहा तेअगसरीरा तहा कम्मगसरीरावि भाणिअव्वा 13 / नेरइयाणां भंते ! केवइया पोरालियसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं नत्थि, तत्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते जहा भोहिश्रा बोरालिअसरीरा तहा भाणिव्वा, नेरझ्याणां भंते ! केवइया वेउब्वियसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बरेलगा ते णं असंखिजा असंखिजाहिं उस्सप्पिणीयोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालो, खेत्तो असंखेजायो सेढीयो पयरस्स असंखिजइभागो तासि णं सेढीणां विक्खंभ-सूईअंगुल-पढम वग्गमूलं बिइयवग्गमूल-पडप्पराणां अहव णं अंगुलबिइअ-वग्गमूल-घण-पमाणमेत्तायो सेढीयो, तत्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते णं जहा श्रोहिया अोरालियसरीरा तहा भाणिव्वा 14 / रइयाणं भंते ! केवइया श्राहारगसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य, Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगबार-सूत्रम् ] ... [ 117 तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं नत्थि, तत्थ णं जे ते मुक्केल्या ते जहा श्रोहिया पोरालिया तहा भाणिव्या 15 / तेयगकम्मगसरीरा जहा एएसिं चेव वेउविसरीरा तहा भाणिश्रव्वा 16 / असुरकुमाराणं भंते ! केवइया पोरालियसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! जहा नेरइयाणां श्रोरालियसरीरा तहा भाणियव्वा, असुरकुमाराणां भंते ! केवइया वेउविसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्धेलया ते णं असंखिजा असंखिजाहिं उस्सप्पिणी-योसप्पिणीहिं वहीरंति कालो, खेत्तयो संखेज्जायो सेढीयो पयरस्स असंखिजइभागो, तासि णं सेढीणां विखंभसूई-अंगुल-पढम-वग्गमूलस्स असंखिजइभागो, मुक्केल्लया जहा श्रोहिया श्रोरालिअसरीरा 16 / असुरकुमारा णं भंते ! केवइया श्राहारगसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहाबद्धेल्लया य मुक्केल्लया य, जहा एएसि चेव थोरालियसरीरा तहा भाणियव्वा, तेयगकम्मगसरीरा जहा एएसिं चेव वेउब्धियमरीरा तहा भाणिवा, जहा असुरकुमाराणां तहा जार थणिकुमाराणां ताव भाणिग्रव्वं 17 / पुढवि. काइयाणां भंते ! केवइया पोरालिग्रसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य, एवं जहा श्रोहिया श्रोरालि सरीरा तहा भाणियव्वा 18 | पुदविकाइयागांभंते ! केवइया वेउविसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्रेल्लया य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं णत्थि, मुक्केलया जहा श्रोहियाणां श्रोरालिग्रसरीरा तहा भाणियब्वा 11 / श्राहारगसरीरावि एवं चेव भाणियव्वा, तेयगकम्मसरीरा जहा जहा एएसिं चेव पोरालिग्रसरी। चेव भाणिव्वा 20 / जहा पुढविकाइयाणां एवं बाउकाइयाणां तेउकाइयाण य सव्वसरीरा भाणियव्वा 21 / वाउकाइयाणं भंते ! केवइया पोरालिसरीरा पराणत्ता?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्या य, जहा पुढवि Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धु / चतुर्दशी विभाग काझ्याणां श्रोरालियसरीरा तहा भाणियब्वा 22 / वाउकाइयाणां भंते! केवइया वेउविग्रसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहाबरेलया य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्धेलया ते णं असंखिजा समए 2 श्रवहीरमाणा 2 खेतपलियोवमस्स असंखिजइभागमेत्तेगां कालेणं अवहीरंति नो चेव णं अवहिया सिश्रा, मुक्केल्लया वेउब्वियसरीरा थाहारगसरीरा य जहा पुढविकाइयागां तहा भाणियब्वा, तेयगकम्मसरीरा जहा पुढविकाइयाणां तहा भाणिश्रव्वा 23 / वणस्सइकाइबागां अोरालिबवेउविथ-पाहारगसरीरा जहा पुढविकाइयाणां तहा भाणियब्बा, वणस्सइकायाणां भंते ! केवइया ते अगसरीरा पराणता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, जहा श्रोहिया तेयगकम्ममरीरा तहा वणस्सइकाइयाणवि तेथगकम्मगसरीरा भाणिअव्वा 24 / बेइंदियाणं भंते ! केवइया पोरालियसरीरा पराणता ?, गोयमा ! दुविहा पराण ता, तंजहा-बद्धेल्लपा य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखिजा असंखिजाहिं उस्सप्पिणीयोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालयो, खेत्तो असंखेजायो सेढीयो पयरस्स असंखिजइभागो तासि गां सेढीणं विक्खभसूई असंखेजाबो जोत्रणकोडाकोडियो असंखिजाइं सेढिवग्गमूलाई बेइंदियाणं पोरालियबद्धेल्लएहिं पयरं अवहीरइ असंखिजाहिं उस्सप्पिणीयोसप्पिणीहिं कालो, खेत्तयो अंगुलपयरस्स श्रावलिश्राए असंखिजइभागपडिभागेणं, मुक्केल्लया जहा श्रोहिया बोरालियसरीरा तहा भाणिश्रब्वा, देउविश्राहारगसरीरा बद्धेल्लया नत्थि मुक्केलया जहा श्रोहिया बोरालिश्रसरीरा तहा भाणिवा, तेअगकम्मगसरीरा जहा पासिं चेव थोरालियसरीरा तहा भाणिश्रव्वा 25 / जहा बेइंदियाणां तहा तेइंदियचउरिंदियाणवि भाणिव्वा 26 / पंचिंदियतिरिक्खज़ोणियाणवि थोरालिश्रसरीरा एवं चेव भाणिअब्बा 27 / पंचिंदिअतिरिक्खजोणि Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगबार-सूत्रम् ] -- [ 119 श्राणं भंते ! केवइया वेउब्वियसरीरा पण्णता ?, गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखिजा असंखिजाहिं उस्सप्पिणीयोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालश्रो, खेत्तयो संखिजारो सेटीयो पयरस्स असंखिजइभागों तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुलपढमवग्गमूलस्स असंखिजइभागो, मुक्केल्लया जहा श्रोहिया पोरालिया तहा भाणियव्वा 28 / श्राहारयसरीरा जहा बेइंदियाणं ते अगकम्मसरीरा जहा पोरालिया 21 / मणुस्साणां भंते ! केवइया पोरालियसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहाबद्धेल्लया य मुक्केल्लया य, तत्थ गांजे ते बद्धेलया गां ते सिथ संखिज्जा सित्र असंखिजा जहराणपए संखेजा, संखिज्जाबो कोडाकोडीयो एगुणतीसं गणाई तिजमलपयस्स उवरिं चउजमलपयस्स हेट्ठा, अहव गां छट्टो वग्गो पंचमवग्गपडुप्पराणो, अहव णं छराणउइ-छेत्रणगदायिरासी उकोसपए असंखिजा, असंखिजाहिं उस्तप्पिणीयोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालो, खेत्तयो उक्कोसपए रूवपक्खित्तेहिं मणुस्सेहिं सेढी अवहीरइ कालो, असंखिजाहिं उस्सप्पिणीयोसप्पिणीहिं खेत्तयो अंगुलपढमवग्गमूलं तइयवग्गमूलपडुप्पराणं, मुक्केल्लया जहा श्रोहिया ओरालिया तहा भाणियव्वा 30 / मणुस्साणां भंते ! केवइया वेउब्बियसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्या य, तत्थ गां जे ते बद्धेल्लया ते गां संखिजा समए 2 अवहीरमाणा 2 संखेज्जेगां कालेगां अवहीरंति, नो चेव गां अबहिया सिश्रा, मुक्केल्लया जहा श्रोहिया थोरालिग्राणां मुक्केल्लया तहा भाणिवा 31 / मणुस्सा भंते ! केवइया श्राहारगसरीरा पगणता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता. तंजहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य, तत्थ गां जे ते बद्ध ल्लया ते गां सित्र अत्थि सिथ नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणां एको वा दो वा तिरिण वा उकोसेगां Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमी पिनाम: सहस्सपुहत्तं, मुक्केल्लया जहा श्रोहिया, तेश्रगकम्मगसरीरा जहा एपसिं चेव पोरालिया तहा भाणियब्वा 32 / वाणमंतराणं थोरालियसरीरा जहा नेरइयाणं 33 / वाणमंतराणं भंते ! केवइया वेउब्बिसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहाबद्धेल्या य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखेजा, असंखेजाहि उस्तप्पिणीयोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालो खेतो असंखिजायो सेटीयो पयरस्स असंखिज्जइभागो, तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई संखेजजोअणसयवग्गपलिभागो पयरस्स, मुक्केल्लया जहा श्रोहिया पोरालिया तहा भाणियव्वा 34 / श्राहारगससीग दुविहावि जहा असुरकुमाराणं तहा भाणिवा 35 / वाणमंतराणं भंते ! केवइया तेथग-कम्मगसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! जहा एएसिं चेव वेउब्बिसरीरा तहा तेथगकम्मगसरीरा भाणिश्रव्वा 36 / जोइसियाणं भंते ! केवइया पोरालियसरीरा पाणता ?. गोयमा ! जहा नेरइयाणं तहां भाणियव्वा 37 / जोइसियाणं भंते ! केवइया वेउब्वियसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्धेल्लया य मुक्केलया य, तत्थ णं जे ते बद्धेलया जाव तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई बेछप्पराणंगुल-सयवग्गपलिभागो पयरस्स, मुक्केल्लया जहा प्रोहिया पोरालिया तहा भाणिव्या 38 / श्राहारयसरीरा जहा नेरझ्याणां तहा भाणिवा, तेगकम्मगसरीरा जहा एएसिं चेव वेउब्बिया तहा भाणिव्वा 31 / वेमाणियाणां भंते ! केवइया ओरालियसरीरा पराणत्ता ? गोयमा ! जहा नेरइयाणं तहा भाणिवा, वेमाणियाणं भंते ! केवड्या वेउब्धियसरीरा पराणता ? गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहाबरेलया य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते गां असंखिज्जा असंखेजाहिं उस्सप्पिणि-श्रोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालो, खेत्तयो श्रमंखेजात्रो सेटीयो पयरस्स असंखेजइभागो तासि गां सेढीगां विक्खं. Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार सूत्रम् ] - [:121 भसूई अंगुलवीयवग्गमूलं तइग-वग्गमूल-पडप्पराणां श्रहव गां अंगुल-तइयवग्गमूल-घणापमाणमेसायो सेढीयो, मुक्केल्लया जहा मोहिश्रा ओरालियागां तहा भाणियब्वा.४० / श्राहारयसरीरा जहा नेरझ्यागां, तेथगकम्मगसरीरा जहा एएसिं चैव वेउब्वियसरीरा तहा भाणिव्वा 41 / से तं सुहुमे खेत्तपलियोवमे, से तं खेत्तपलिश्रोवमे, से तं पलिग्रोवमे, से तं विभागणिप्फराणे, से तं कालप्पमाणे 42 // सू० 142 // से किं तं भावप्पमाणे ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-गुणप्पमाणे नयप्पमाणे संखप्पमाणे // सू० 143 // से किं तं. गुणप्पमाणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-जीवगुणप्पमाणे अजीवगुणप्पमाणे श्र 1 / से किं तं अजीवगुणप्पमाणे ?, 2 पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-वराणगुणप्पमाणे गंधगुणप्पमाणे रसगुणप्पमाणे फासगुणप्पमाणे संठाणगुणप्पमाणे 2 / से किं तं वरणगुणप्पमाणे ?, 2 पंचविह पराणत्ते, तंजहा-काल-वराणगुणप्पमाणे जाव सुकिल्ल-वराणगुणप्पमाणे, से तं वराणगुणप्पमाणे 3 / से किं तं गंधगुणप्पमाणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सुरभिगंध-गुणप्पमाणे दुरभिगंध-गुणप्पमाणे, से. तं गंधगुणप्पमाणे 4 / से किं तं रसगुणप्पमाणे ?, 2 पंचविहे. परणत्ते, तंजहा-तित्तरस-गुणप्पमाणे जाव महुररसगुणप्पमाणे, से तं रसगुणप्पमाणे 5 / से किं तं फारगुणप्पमाणे ? 2 अट्ठविहे पराणत्ते, तंजहा-कक्खडफास-गुणप्पमाणे जाव लुक्खफास-गुणप्पमाणे, से तं फासगुणप्पमाणे 6 / से किं तं संगणगुणप्पमाणे ?, 2 पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-परिमंडल-संठाण-गुणप्पमाणे वट्टसंगण-गुणप्पमाणे तंससंठाणगुणप्पमाणे चउरंस-सेगणगुणप्पमाणे श्रायय-संगण-गुणप्पमाणे, से तं संगणगुणप्पमाणे 7 / से तं अजीवगुणप्षमाणे 8 / से किं तं जीवगुणप्पमाणे ?, 2 तिविहे पराणते, तंजहा-गाणगुणप्पमाणे दंसणगुणप्पमाणे चरित्तगुणप्पमाणे 1 / से किं तं गाणगुणप्पमाणे ?, 2 चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-पञ्चक्खे Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 122 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः:: चतुर्दशमो विमामः अणुमाणे प्रोवम्मे श्रागमे 10 / से किं तं पञ्चक्खे ?, 2 दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-इंदिअपचरखे अ णोइंदिअपच्चक्खे अ 11 / से किं तं इंदिनपञ्चक्खे ?, 2 पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-सोइंदिअपञ्चक्खे चक्खुरिंदियपञ्चक्खे घाणिदिअपचक्खे जिभिदिअपचक्खे फासिंदिअपञ्चक्खे, से तं इंदियपञ्चक्खे 12 / से किं तं णोइंदियपञ्चक्खे ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-श्रोहिणाणपञ्चक्खे मणपज्जव-नाणपञ्चरखे केवल णाणपञ्चक्खे, से तं णोइंदियपञ्चक्खे 13 / से तं पञ्चवखे 14 / से किं तं अणुमाणे ? 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-पुत्ववं सेसवं दिट्ठसाहम्मवं 15 / से किं तं पुव्ववं ? पुव्ववं माया पुत्तं जहा नट्ठ, जुवाणं पुणरागयं / काई पञ्चभिजाणेजा, पुवलिंगेण केणई // 115 // तंजहा-खत्तेण वा वणेण वा लंबोण वा मसेण वा तिलएण वा, से तं पुनवं 16 / से किं तं सेसवं ?, 2 पंचविहं पराणत्तं, तंजहा-कज्जेणं कारणेणं गुणेणं अवयवेणं अासएणं / से किं तं कज्जेणं ?, 2 संखं सद्देणं भेरिं ताडिएणं वसभं दक्किएणं मोरं किंकाइएणं हयं हेमिएणं गयं गुलगुलाइएणं रहं घणघणाइएणं, से तं कज्जेणं / से किं तं कारणेणं ?, 2 तंतवो पडस्स कारणं ण पडो तंतुकारणं, वीरणा कडस्स कारणं ण कडो वीरणाकारणं, मिप्पिडो घडस्स कारणं ण घडो मिप्पिडकारणं, से तं कारणेणं / से किं तं गुणेणं ?, 2 सुवगणं निकसेणं पुष्पं गंधेणं लवणं रसेणं मइरं अासायएणं वत्थं फासेणं, से तं गुणेणं / से किं तं अवयवेणं ?, 2 महिसं सिंगेणं, कुक्कुडं सिहाएणं, हत्थि विसाणणं वराहं दाढाए, मोरं पिच्छेणं, यासं खुरेणं, वग्धं नहेणं, चमरिं वालग्गेणं, वाणरं लंगुलेण, दुपयं मणुस्सादि, चउपयं गवमादि, बहुपयं गोमियादि, सीहं केसरेणं, वसहं कुक्कुहणं, महिलं वलयबाहाए, गाहा-परिश्ररबंधेण भडं जाणिजा महिलि निवसणेणं / सित्येण दोणपागं कविं च एकाए गाहाए // 116 // से तं अवयवेगां / से किं तं श्रासएगां ?, 2 अग्गि धूमेगां Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् [ 123 सलिलं बलागेणां बुद्धिं श्रमविकारेगां कुलपुत्तं सीलसमायारेणां-इङ्गिताकारितैज्ञेयः, क्रियाभिर्भाषितेन च / नेत्रवक्त्रविकारैश्च, गृह्यतेऽन्तर्गत मनः // 1 // से तं श्रासएगां / से तं सेसवं 17 // से कि तं दिट्ठसाहम्मवं ?, 2 दुविहं पराणत्तं, तंजहा-सामनदिटुं च विसेसदिट्ठ च 18 / से किं तं सामराणदिटुं?, 2 जहा एगो पुरिसो तहा बहवे पुरिसा जहा बहवे पुरिसा तहा एगो पुरिसो, जहा एगो करिसावणो तहा वहवे करिसावण. जहा बहवे करिसावणा तहा एगो करिसावणो, से तं सामराणदिट्ठ 11 / से किं तं विसेसदिट्ठ ?, 2 से जहाणामए केई पुरिसे कंचि पुरिसं बहूगां पुरिसाणां मज्झे पुवदिटुं पञ्चाभिजाणेजा-अयं से पुरिसे, बहूणां करिसावणाणां मज्झे पुवदिटुं करिसावां पञ्चभिजाणिजा, अयं से करिसावणे 20 / तस्स समासो तिविहं गहगां भवइ, तंजहा-अतीयकालगहणां पडुप्पराण-कालगहां अगागय-कालगहणां 21 / से कि तं अतीय-कालगहा ?, 2 उत्तणाणि वणाणि निष्फराणसस्सं वा मेइणि पुराणाणि श्र कुंड-सरणई-दीहिया-तडागाइं पासित्ता तेगां साहिजइ जहा-सुट्ठी श्रासी; से तं अतीयकालगहणां 22 / से किं तं पडुप्पगणकालगहगां ?, 2 साहुं गोबरग्मगयं विच्छड्डिअ-पउर-भत्तपाणां पासित्ता तेणं साहिज्जइ जहा सुभिक्खे वट्टई, से तं पडुप्पण्णकालगहणं 23 / से किं तं श्रणागय-कालगहणं ?, २-अब्भस्स निम्मलत्तं कसिणा य गिरी सविज्जुश्रा मेहा / थणियं वा उभामो संझा रत्ता पणिट्ठा(य गिद्धा) य // 117 // वारुणं वा महिंदं वा अराणयरं वा पसत्थं उप्पायं पासित्ता तेणं साहिजइ जहा-सुवुट्ठी भविस्सइ, से तं श्रणागयकालगहणं 23 / एएसि चेव विवजासे तिविहं गहणं भवइ, तंजहा-अतीगकालगहणं पडुप्पराणकालगहणं 'श्रणागयकालगहणं 24 / से किं तं अतीयकालगहणं ?, नित्तिणाई. वणाई अनिफराणसस्सं वा Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 124 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः मेइणी सुक्काणि श्र कुड-सर-ई-दीहिया-तडागाइं पांसित्ता तेणं साहिजइ जहा-कुवुट्टी पासी, से तं अतीयकालगहणं 25 / से किं तं पडुप्पराणकालगहणं ?, 2 साहुं गोबरग्गगयं भिक्खं अलभमाणं पासित्ता तेणं साहिजइ जहा-दुभिक्खे वट्टइ, से तं पडुप्पण्णकालगहणं 26 / से किं तं श्रणागयकालगहणं ?, 2 धूमायंति दिसायो सज्झावितिमेइणी अपडिबद्धा। वाया नेरुतिया खलु कुवुट्टीमेवं निवेयंति // 118 // अग्गेयं वा वायव्वं वा अण्णयरं वा अप्पसत्यं उप्पायं पासित्ता तेणं साहिजइ जहा–कुवुट्टी भविस्सइ, से तं प्रणागयकालगहणं 27 / से तं विसेसदिटुं, से तं दिट्ठसाहम्मवं, से तं अणुमाणे 28 / से किं तं ग्रोवम्मे !, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-साहम्मोवणीए अवेहम्मोवणीए अ 21 / से किं तं साहम्मोवणीए ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-किंचिसाहम्मोवणीए पायसाहम्मोवणीए सव्वसाहम्मोवणीए 30 / से किं तं किंचिसाहम्मोवणीए ?, 2 जहा मंदरो तहा सरिसवो जहा सरिसवो तहा मंदरो, जहा समुद्दो तहा गोप्पयं जहा गोप्पयं तहा समुद्दो, जहा श्राइचो तहा खजोतो जहा खजोतो तहा घाइचो, जहा चंदो तहा कुमुदो जहा कुमुदो तहा चंदो, से तं किंचिसाहम्मो 31 / से कि तं पायसाहम्मोवणीए ?, 2 जहा गो तहा गवयो जहा गवत्रो तहा गो, से तं पायसाहम्मो 32 / से किं तं सव्वसाहम्मोवणीए ?, 2 सबसाहम्मे श्रोवम्मे नत्थि, तहावि तेणेव तस्स ग्रोवम्मं कीरइ जहा-अरिहंतेहिं अरि. हंतसरिसं कयं, चकवट्टिणा चकवट्टिसरिसं कयं, बलदेवेण बलदेवसरिसं कयं, वासुदेवेण वासुदेवसरिसं कयं, साहुणा साहुसरिसं कयं, से तं सब्बसाहम्मे, से तं साहम्मोवणीए 33 / से किं तं वेहम्मोवणीए ?, 2 तिबिहे पराणत्ते, तंजहा-किंचिवेहम्मे पायवेहम्मे सव्ववेहम्मे 34 / से किं तं किंचिवेहम्मे ?, 2 जहा सामलेरो न तहा बाहुलेरो जहा बाहुलेरो न तहा सामलेरो, से तं किंचिवेहम्मे 35 / से किं तं पायवेहम्मे ?, जहा वायसो Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगबार-सूत्रम् ) --------- [ 125 न तहा पायसो, जहा पायसो न तहा वायसो, से तं पायवेहम्मे 36 / से किं तं सबवेहम्मे ?, सव्ववेहम्मे श्रोवम्मे नत्थि, तहावि तेणेव तस्स श्रोवम्म कीरइ, जहा णीएणं णीअसरिसं कयं, दासेण दाससरिसं कयं, काकेण काकसरिसं कयं, साणेण साणसरिसं कयं, पाणेणं पाणसरिसं कयं, से तं सव्ववेहम्मे 37 / से तं वेहम्मोवणीए 38 / से तं श्रोवम्मे 31 / से किं तं श्रागमे ?, 2 दुविहे पण्णत्ते, तंजहालोहए अ लोउत्तरिए अ 40 / से किं तं लोइए ?, 2 जगणं इमं अराणाणिएहिं मिच्छादिट्ठीएहिं सच्छंदबुद्धिमइविगप्पियं, तंजहा-भारहं रामायणं जाव चत्तारि वेश्रा संगोवंगा, से तं लोइए श्रागमे 41 / से किं तं लोउत्तरिए ?, 2 जगणं इमं अरिहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पण्ण-णाणदंसणधरेहि तीय-पञ्चुप्पराण-मणागय-जाणएहिं तिलुक्वहिषमहिथपइएहिं सव्वराणूहिं सव्वदरसीहिं पणीअं दुवालसंगं गणिपिडगं, तंजहा-पायारो जाव दिट्टिवायो / अहवा श्रागमे तिविहे पराणत्ते, तंजहा-सुत्तागमे अंत्थागमे तदुभयागमे / अहवा-श्रागमे तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-अत्तागमे अणंतरागमे परंपरागमे, तित्थगराणं अत्थस्स अत्तागमे गणहराणं सुत्तस्स अत्तागमे अत्थस्स अणंतरागमे गणहरसीसाणं सुत्तस्स अणंतरागमे अत्थस्स परंपरागमे, तेण परं सुत्तस्सवि अत्थस्सवि णो अत्तागमे णो अणंतरागमे परंपरागमे, से तं लोगुत्तरिए 42 / से तं श्रागमे 13 / से तं णाणगुणप्पमाणे 44 / से किं तं दंसणगुणप्पमाणे ?, 2 चउबिहे पराणत्ते, तंजहाचक्खुदंसण-गुणप्पमाणे अचक्खुदंसण-गुणप्पमाणे श्रोहिदंसणगुणप्पमाणे केवलदसण-गुणप्पमाणे 45 / चक्खुदंसगां चक्खुदंसणिस्स घडपडकडरहा. इएसु दव्वेसु श्रचक्खुदंसगां श्रचक्खुदंसणिस्स श्रायभावे श्रोहिदंसगां श्रोहिदंसणिस्स सव्वरूविदव्वेसु न पुण सव्वपजवेसु केवलदंसगां केवलदंमणिस्त सबदव्वेसु अ सवपनवेसु अ, से तं दंसणगुणप्पमाणे 46 / Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 126 / ___ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः से कि तं चरित्तमुणप्पमाणे ?, 2 पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-सामाइनचरित्त-गुणप्पमाणे छेत्रोवट्ठावण-चरित्त गुणप्पमाणे परिहारविसुद्धि-चरित्तगुणप्पमाणे सुहुमसंपराय-चरित्त-गुणप्पमाणे अहक्खाय-चरित्त-गुणप्पमाणे 47 / सामाइअ-चरित्त-गुणप्पमाणे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-इत्तरिए अ श्रावकहिए श्र 48 / छेयोवट्ठावण-चरित्त गुणप्पमाणे दुविहे पराणत्ते, तंनहा-साइबारे अ निरइशारे 41 / परिहारविसुद्धिय चरित्त-गुणप्पमाणे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-णिव्विसमाणए अणिबिट्टकाइए अ५० / सुहुमसंपराय-चरित्त-गुणप्पमाणे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-संकिलिस्समाणए य विसुज्झमाणए य, अहक्खाय-चरित्त-गुणप्पमाणे दुविहे पन्नत्ते, तंजहापडिवाई अ अपडिवाई अ५१ / ग्रहवा अहक्खाय-चरित्त-गुणप्पमाणे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-छउमत्थिए अकेवलिए य 52 / से तं चरित्तगुणप्पमाणे 53 / से तं जीवगुणप्पमाणे 54 / से तं गुणप्पमाणे 55 // सू० 144 // से किं तं नयप्पमाणे ?, 2 तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-पत्थगदिट्टतेणं वसहिदिढतेण पएसदिट्टतेणं 1 / से किं तं पत्थगदिट्ठतेणं 1, 2 से जहानामए केई पुरिसे परसुगहाय अडवीसमहुत्तो गच्छेजा, तं पासित्ता केइ वएजा-कहिं भवं गच्छसि ?, अविसुद्धो नेगमो भणइ-पत्थगस्स गच्छामि, तं च केई छिंदमाणं पासित्ता वएजा-किं भवं जिंदसि ?, विसुद्धो नेगमो भणइ-पत्थयं छिदामि, तं च केई तच्छमाणं पासित्ता वएजा-किं भवं तच्छसि ?, विसुद्धतरायो गमो भणइ-पत्थयं तच्छामि, तं च केई उकीरमाणां पासित्ता वएजा-किं भवं उक्कीरसि ?, विसुद्धतरायो णेगमो भणइ-पत्थयं उकीरामि, तं च केइ (वि) लिहमागां पासित्ता वएना-किं भवं (वि) लिहसि ?, विसुद्धतरात्रो णेगमो भणइ-पत्थयं (वि.) लिहामि, एवं विसुद्धतरस्स णेगमस्स नामाउडियो पत्थयो, एवमेव ववहारस्सवि, संगहस्स चियमियमेजसमारूढो पत्थयो, उज्जुसुयस्स पत्थश्रोवि Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगदार-सूत्रम् ]. . . [ 120 पत्थो मेज्जंपि पत्थयो, तिरहं सदनयागां पत्थयस्स अत्याहिगारजाणयो, जस्स वा वसेगां पत्थरो निष्फजइ, से तं पत्थयदिट्टतेगां / से कि तं वसहिदिटुंतेणं ?, 2 से जहानामए केई पुरिसे कंचि पुरिसं वएजा-कहिं भवं वससि ?, तं अविसुद्धो गमो भणइ-लोगे वसामि, लोगे तिविहे पराणत्ते, तंजहा-उड्डलोए अहोलोए. तिरिअलोए, तेसु सब्वेसु भवं वससि ?, विसुद्धों णेगमो भणइ-तिरिअलोए वसामि, तिरि. अलोए जंबुद्दीवाइथा सयंभूरमणपज्जवसाणा असंखिज्जा दीवसमुद्दा पराणता, तेसु सब्वेसु भवं वससि ?, विसुद्धतराश्रो णेगमो भणइ-जंबुद्दीवे वसामि, जंबुद्दीवे दस खेत्ता पराणत्ता, तंजहा-भरहे एरवए हेमवए एरगणवए हरिखस्से रम्मगवस्से देवकुरू उत्तरकुरू पुव्वविदेहे अवरविदेहे, तेसु सव्वेसु भवं वससि ?, विसुद्धतराणो णेगमो भणइ-भरहे वासे वसामि, भरहे वासे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-दाहिणड्डभरहे उत्तरड्डभरहे अ, तेसु सव्वेसु (दोसु) भवं वससि ?, विसुद्धतराणो णेगमो भाइ-दाहिणड्डभरहे वसामि, दाहिणडभरहे अणेगाई गामागरणगर-खेड कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासम-संवाहसगिणवेसाई, तेसु सव्वेसु भवं वससि ?, विसुद्धतरायो णेगमो, भाइपाडलिपुत्ते वसामि, पाडलिपुत्ते अणेगाई गिहाई, तेसु सब्वेसु भवं वससि ? विसुद्धतरायो णेगमो भणइ-देवदत्तस्स घरे वसामि, देवदत्तस्स घरे अणेगा कोट्ठगा, तेसु सव्वेसु भवं वससि ?, विसुद्धत्तराओ णेगमो भणइ-गब्भवरे वसामि, एवं विसुद्धस्स णेगमस्स वसमाणो, एवमेव ववहारस्सवि, संगहस्स संथारसमारूढो वसइ, उज्जुसुअस्स जेसु ागासपएसेसु श्रोगाढो तेसु वसइ, तिराहं सहनयाणं श्रायभावे वसइ / से तं वसहिदिटुंतेणं 3 / से किं तं पएसदिट्टतेणं ?, 2 णेगमो भणइ-छगणं पएसो, तंजहा-धम्मपएसो अधम्मपएसो अागासपएसो जीवपएसो खंधपएसो देसपएसो, एवं वयं णेगमं संगहो भणइ-जं भणसि Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 128 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : चतुर्दशमो विमागा छराह पएसो तं न भवइ, कम्हा?, जम्हा जों देसपएसो सो तस्सेव दव्वस्स, जहा को दिटुंतो ?, दासेण मे खरो कीबो दासोऽविमे खरोऽधि मे, तंमा भणाहिछराह पएसो, भणाहि पंचगह पएसो, तंजहा-धम्मपएसो अधम्मपएसो आगासपएसो जीवपएसो खंधपएसो, एवं अयंत संगह ववहारो भणइ-जं भणसि-पंचराहं पएसो, तं न भवइ, कम्हा ?, जइ जहा पंचराहं गोट्ठिाणं पुरिसाणं केइ दबजाए सामराणे भवइ, तंजहा-हिरगणे वा सुवरणे वा धणे वा धराणे वा, तं.न ते जुत्तं वत्तुं जहा पंचराह पएसो, तं मा भणिहिपंचराहं पएसो, भणाहि-पंचविहो पएसो, तजहा-धम्मपएसो अधम्मपएसो श्रागासपएसो जीवपएसो खंधपएसो, श्वं वयंतं चवहारं उज्जुसुयो भणइजं भणसि-पंचविहो पएसो, तं न भवइ, कम्हा, जइ ते पंचविहो पएसो एवं ते एक्केको पएसो पंचविहो एवं ते पणवीसतिविहो पएसो भवइ, तं मा भणाहि-पंचविहो पएसो, भणाहि-भइयब्बो पएसो-सि धम्मपएसो सित्र अधम्मपएसो सिन आगासपएसो सित्र जीवपएसोसिश्र खंधपएसो, एवं वयंत उज्जुसुयं संपइ सद्दनो भणइ-जं भणसि भइयबो पएसो, तं न भणइ, कम्हा ?, जइभइअव्वो पएसो एवं ते धम्मपएसोऽवि सिथ धम्मपएसो सिग्र अधम्मपएसो सित्र श्रागासपएसो सित्र जीवपएसों सिथ खंधपएसो, अधम्मपएसोऽवि सिप धम्मपएसो जाव खंधपएसो, जीवपएसोवि सित्र धम्मपएसो जाव सिय खंधपएसो, खंधपएसोऽवि सिथ धम्मपएसो जाव सित्र खंधपएसो, एवं ते अणवस्था भविस्सइ, तं मा भणाहि-भइयव्वो पएसो, भणाहि-धम्मे पएसे से पएसे धम्मे, अहम्मे पएसे से पएसे अहम्मे, यागासे पएसे से पएसे अागासे, जीवे पएसे से पऐसे नोजीवे, खंधे पएसे से पएसे नोखंधे, एवं वयंत सद्दनयं समभिरूटो भणइ-जं भणसि-धम्मे परसे से पएसे धम्मे जाव जीवे पएसे से पएसे नोजीवे खंधे पएसे से पएसे नोखंधे, तं न भवइ, कम्हा ?, इत्थं खलु दो समासा भवंति, तंजह-तत्पुरिसे श्र Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] . कम्मधारए अ, तं ण णजइ कयरेणं समासेणं भणसि ?, किं तप्पुरिसेणं किं कम्मधारएणं ?, जइ तप्पुरिसेणं भणसि तो मा एवं भणाहि, यह कम्मधारएणं भणसि तो विसेसो भणाहि, धम्मे असे पएसे श्र, से पएसे धम्मे, अहम्में श्र से परसे अ, से पएसे अहम्मे, श्रागासे अ से पएसे अ, से पएसे अागासे, जीवे श्र से पएसे अ, से पएसे नोजीवे, खंधे श्र से पएसे अ, से पएसे नोखंधे, एवं वयंतं समभिरूढं संपइ एवंभूयो भणइ-जं जं भणसि तं तं सव्वं कसिणं पडिपुराणं निरवसेसं एगगहणगहियं देसेवि मे अवत्थू पएसेवि मे अवत्थू / से तं पएसदिटुंतेणं 3 / से तं नयप्पमाणे 4 / // सू० 145 // से किं तं संखप्पमाणे ?, 2 अट्टविहे पराणत्ते, तंजहा-नामसंखा ठवणसंखा दव्वसंखा श्रोवम्मसंखा परिमाणसंखा जाणणासंखा गणणासंखा भावसंखा 1 / से किं तं नामसंखा ?, 2 जस्स णं जीवस्स वा जाव से तं नामसंखा 2 / से किं तं ठवणसंखा ?, 2 जगणं कठुकम्मे वा पोत्थकम्मे वा जाव से तं ठवणसंखा 3 / नामठवणाणं को पइविसेसो ?, नाम [पाएणं] श्रावकहियं, ठवणा इत्तरिया वा होजा श्रावकहिया वा होजा 4 / से किं तं दबसंखा ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-श्रागमयो य नोागमश्रो य, जाव से किं तं जाणय-सरीर-भविश्र-सरीर-वइरित्ता दव्वसंखा ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-एगभविए बद्धाउए अभिमुहणामगोत्ते श्र५ / एगभविए णं भंते ! ऐगभविएत्ति कालो केवच्चिरं होइ ?, जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुव्वकोडी 6 / बद्धाउए णं भंते ? बद्धाउएत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेगां पुव्वकोडीतिभागं 7 / अभिमुहनामगोए णं भंते ! अभिमुहनामगोएत्ति कालयो केवच्चिरं होइ ?, जहन्नेगां एक्कं समयं उक्कोसेगां अंतोमुहुत्तं 8 / इयाणी को णो कं संखं इच्छइ-तत्थ णेगमसंगहववहारा तिविहं संखं इच्छंति, तंजहा-एगभविगं बद्धाउधे 17 Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्दशमो विमागः अभिमुहनामगोत्तं च, उज्जुसुश्रो दुविहं संखं इच्छइ, तंजहा-बद्धाउभं च अभिमुहनामगोत्तं च, तिगिण सद्दनया अभिमुहनामगोत्तं संखं इच्छंति, से तं जाणयसरीर-भविग्रसरीर-वइरित्ता दव्वसंखा 1 / से तं नोागमो दव्वसंखा, से तं दव्वसंखा 10 / से किं तं श्रोवम्मसंखा 1, 2 चउब्विहा पराणत्ता, तंजहा-अस्थि संतयं संतएणं उवमिजइ, अस्थि संतयं असंतएणं उवमिजइ, अत्थि असंतयं संतएणं उवमिजइ, अत्थि असंतयं असंतएणं उवमिजइ, तत्थ संतयं संतएणं उमिजइ 11 / जहा संता अरिहंता संतएहिं पुरवरेहिं संतएहिं कवाडेहिं संतएहि वच्छेहिं उवमिजइ, तंजहा-पुरवरकवाडवच्छा फलिहभुया दुदुहित्थणिग्रघोसा / सिरिवच्छंकियवच्छा सव्वेऽवि जिणा चउव्वीसं // 111 // 12 / संतयं असंतएणं उवमिजइ जहा संताई नेरइन-तिरिक्खजोणित्र-मणुस्सदेवाणं ग्राउपाइं असंतएहि पलिश्रोवमसागरोवमेहि उवमिज्जंति, असंतयं संतएणं उवमिज्जति, तंजहा-परिजूरियपेरंतं चलंतबिंट पडतनिच्छीरं। पत्तं व वसणपत्तं कालप्पत्तं भणइ गाह // 120 // जह तुम्भे तह अम्हे तुम्हेऽवि य होहिहा जहा अम्हे / अप्पाहेइ पडतं पंडुअपत्तं किसलयाणं // 121 // णवि अत्थि णवि श्र होही उल्लावो किसलयपंडुपत्ताणं / उवमा खलु एम कया भविग्रजणविबोहणट्टाए // 122 // 13 / असंतयं असंतएहिं उवमिजइ, जहा-खरविसाणां तहा ससंविसाणां / से तं श्रोवम्मसंखा 14 / से किं तं परिमाणसंखा ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-कालिअसुय-परिमाणसंखा दिट्ठिवायसुत्र-परिमाणसंखा य 15 / से किं तं कालिग्रसुत्र-परिमाणसंखा ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-पजवसंखा अक्खरसंखा संघायसंखा पयसंखा पायसंखा गाहासंखा सिलोगसंखा वेढसंखा निज्जुत्तिसंखा अणुयोगदारसंखा उद्देसगसंखा अभयणसंखा सुश्रखंधसंखा अंगसंखा, से तं कालिप्रसुत्र-परिमाणसंखा Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 131 16 / से किं तं दिट्ठिवायसुत्र-परिमाणसंखा ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-पजवसंखा जाव अणुयोगदारसंखा पाहुडसंखा पाहुडिबासखा पाहुडपाहुडियासंखा वत्थुसंखा, से तं दिट्ठिवायसुत्र-परिमाणसंखा, से तं परिमाणसंखा 17 / से किं तं जाणणासंखा ?, 2 जो जे जाणइ, तंजहासह सद्दियो गणियं गणियो निमित्तं नेमित्तियो कालं कालणाणी वेजयं वेजो, से तं जाणणासंखा 18 / से किं तं गणणासंखा ?, 2 एको गणणं न उवेइ, दुप्पभिइ संखा, तंजहा-संखेज्जए असंखेन्जए अणंतए 11 / से किं तं संखेजए. ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-जहराणए उक्कोसए अजहराणमणुकोसए 20 / से किं तं असंखेज्जए ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-परित्तासंखेजए जुत्तासंखेजए असंखेजासंखेजए 21 / से किं तं परित्नासंखेजए ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-जहराणए उकोसए अजहराणमणुकोसए 22 / से किं तं जुत्तासंखेजए ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहाजहराणए उक्कोसए अजहराणमणुक्कोसए 23 / से किं तं असंखेजासंखेजए ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-जहराणए उक्कोसए अजहराणमणुक्कोसए 24 / से किं तं अणंतए ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-परित्ताणतए जुत्ताणंतए अणंताणतए 25 / से किं तं परित्ताणतए ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहाजहराणए उक्कोसए अजहराणमणुकोसए 26 / से किं तं जुत्ताणतए 1, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-जहराणए उक्कोसए अजहराणमणुकोसए 27 / से किं तं अणंताणंतए ?, 2 दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-जहराणए अजहराणमणुकोसए 28 / जहराणयं संखेजयं केवइयं होइ ?, दोस्वयं, तेणं परं अजहराणमणुक्कोसयाई ठाणाई जाव उक्कोसयं संखेजयं न पावइ.२१ / उक्कोसयं संखेजयं केवइयं होइ ?, उक्कोसयस संखेजयस्स परूवणं करिस्सामि-से जहानामए पल्ले सिया एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिरिण जोयणसयसहस्साइं सोलस सहस्साई दोगिण श्र सत्तावीसे जोयणसए Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 132] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्दशमो विभागः तिरिण श्र कोसे अट्ठावीसं धणुसयं तेरस य अंगुलाई श्रद्धं अंगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं पराणत्ते, से णं पल्ले सिद्धत्थयाणं भरिए, तयो णं तेहिं सिद्धत्थरहिं दीवसमुदाणं उद्धारो घेप्पइ, एगो दीवे एगो समुद्दे एवं पक्खिप्पमाणेणं 2 जावइया दीवसमुद्दा तेहिं सिद्धत्थएहिं श्रप्फुराणा एस णं एवइए खेत्ते पल्ले [अाइट्टा] पढमा सलागा, एवइयाणं सलागाणं असंलप्पा लोगा भरिया तहावि उकोसयं संखेजयं न पावइ, जहा को दिढतो ?, से जहानामए मंचे सिधा श्रामलगागां भरिए तत्थ एगे श्रामलए पक्खित्ते सेऽवि माते अराणेवि पक्खित्ते सेऽवि माते अन्नेऽवि पक्खित्ते सेऽवि माते एवं पक्खिप्पमाणेगां 2 होही सेवि श्रामलए जंसि पक्खित्ते से मंचए भरिजिहिइ जे तत्थ श्रामलए न माहिइ 1 / एवमेव उक्कोसए संखेजए रूवे पक्खित्ते जहराणयं परित्तासंखेजयं भवइ, तेण परं अजहराणमणुकोसयाइं ठाणाइं जाव उक्कोसयं परित्तासंखेजयं न पावइ 2 / उक्कोसयं परित्तासखेजयं केवइयं होइ ?, जहराणयं परित्तासंखेजयं जहराणयं परित्तासंखेजमेत्ताणां रासीणां अराणमराणब्भासो रूवूणो उकोसं परित्तासंखेजयं होइ, अहवा जहन्नयं जुत्तासंखेजयं रूवणं उक्कोसयं परित्तासंखेजयं होइ 3 / जहन्नयं जुत्तासंखेजयं केवइयं होइ ? जहराणय-परित्तासंखेजयमेत्ताणं रासीणं अण्णमगणभासो पडिपुराणो जहन्नयं जुत्तासंखेजयं होइ, अहवा उक्कोसए परित्तासंखेनए रूवं पक्खित्तं जहराणयं जुत्तासंखेजयं होइ, श्रावलिश्रावि तत्तिथा चेव, तेण परं अजहराणमणुकोसयाई ठाणाई जाव उक्कोसयं जुत्तासंखिजयं न पावइ 4 / उक्कोसयं जुत्तासंखेजयं केवइग्रं होइ ?, जहरणएणं जुत्तासंखेजएणं श्रावलिया गुणिया अराणमण्णब्भासो रूखूणो उकोसयं जुत्तासंखेजयं होइ, अहवा जहन्नयं असंखेजासंखेजयं रूवूणं उक्कोसयं जुत्तासंखेजयं होइ 5 / जहराणयं असंखेज्जासंखेजयं केवइथं होइ ?, जहन्नएणं जुत्तासंखेज्जएणं. श्रावलिश्रा गुणिया अराणमराणभासो Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 133 भीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] पडिपुराणो जहगणयं असंखेजासंखेजयं होइ, अहबा उक्कोसए जुत्तासंखेजए स्वं पक्खित्तं जहराणयं असंखेजासंखेजयं होइ, लेण परं अजहराण-मणुकोसयाई ठाणाइं जाव उक्कोसयं असंखेजासंखेजयं ण पावइ 6 / उक्कोसयं असंखेज्जासंखेज्जयं केवइ होइ ?, जहरणयं असंखेज्जासंखेजयमेत्ताणं रासीणं अरणमराणभासो रूवूणो उक्कोसयं असंखेज्जासंखेजयं होइ, ग्रहवा जहगणयं परित्ताणतयं स्वणं उक्कोसयं असंखेजासंखेजय होइ 7 / जहराणयं परित्ताणंतयं केवइयं होइ ?, जहणणयं असंखेनासेखंजयमेत्ताणं रासीणं अण्णमण्णब्भासो पडिपुराणो जहराणयं परित्ताणंतयं होइ, अहवा उक्कोसए असंखेजासंखेजए रूवं पक्खित्तं जहराणयं परित्ताणतयं होइ, तेण परं अजहराणमणुकोसयाई ठाणाइं जाव उकोसयं परित्ताणतयं ण पावइ 8 / उकोसयं परित्ताणतयं केवइग्रं होइ ?, जहराणयपरित्ताणतयमेत्ताणं रासीणं अराणमराणब्भासो रूबूणो उक्कोसयं परित्ताणतयं होइ, अहवा जहरणयं जुत्ताणतयं रूवणं उक्कोसयं परित्ताणतयं होइ 1 / जहरणयं जुत्ताणतयं केवइयं होइ ?, जहराणय-परित्ताणतयमेत्ताणं रासीणं अराणमराणभासो पडिपुराणो जहराणयं जुत्ताणतयं होड, अहवा उक्कोसए परित्ताणंतए स्वं पक्खित्तं जहन्नयं जुताणतयं होइ, अभवसिद्धिप्रावि तत्तिवा होइ, तेण परं अजहराणमणुकोसयाई ठाणाई जाव उक्कोसयं जुत्ताणतयं ण पावइ 10 / उकोसयं जुत्ताणतयं केवइधे होइ ?, जहराणएणं जुत्ताणंतएणं अभवसिद्धिया गुणिया अण्णमराणभासो रूवूणो उक्कोसयं जुत्ताणतय होइ, अहवा जहरणयं अणंताणतयं रूवूणं उक्कोसयं जुत्ताणतयं होइ 11 / जहराणयं अणंताणतयं केवइयं होइ ?, जहराणएणं जुत्ताणंतएणं अभवसिद्धिा गुणिया अराणमराणभासो पडिपुराणो जहराणयं अणंताणतयं होइ, श्रहवा उक्कोसए जुत्ताणतए रूवं पक्खित्तं जहरणयं अणंताणतयं होइ, तेण परं अजहराणमणुकोसयाई गणाई 12 / से तं गणणासंखा Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 134] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमी विभागा 13 / से कि तं भावसंखा ?, 2 जे इमे जीवा संखगइनामगोत्ताई कम्माई वेदेन्ति 14 / से तं भावसंखा, से तं संखापमाणे, से तं भावपमाणे, से तं पमाणे 15 / पमाणेत्ति पयं समत्तं // सू० 146 // .. से किं तं वत्तव्वया ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-ससमयवत्तव्वया परसमयवत्तव्वया ससमयपरसमयवत्तव्वया 1 / से किं तं ससमयवत्तव्वया ?, 2 जत्थ णं ससमर ाघविजइ पराणविजइ परूविजइ दंसिजइ निदंसिज्जइ उवदसिजइ, से तं ससमयवत्तव्वया 2 / से किं तं परसमयवत्तव्या ?, 2 जत्थ णं परसमए बाघविजइ जाव उवदंसिज्जइ, से तं परसमयवत्तव्वया 3 / से किं तं ससमयपरसमयवत्तव्या ?, 2 जत्थ णं ससमए परसमए श्राघविजइ जाय उवदंसिजइ, से तं ससमयपरसमयवत्तव्वया 4 / इपाणी को णश्रो कं वत्तव्वयं इच्छइ ?, तत्थ णेगमसंगहववहारा तिविहं वत्तव्वयं इच्छति, तंजहा-ससमयवत्तव्वयं परसमयवत्तव्वयं ससमयपरसमयवत्तव्वयं 5 / उज्जुसुरो दुविहं वत्तव्वयं इच्छइ, तंजहा-ससमयवत्तव्वयं परसमयवत्तव्वयं, तत्थ णं जा सा ससमयवत्तव्वया सा ससमयं पविट्ठा जा सा परसमयवत्तव्वया सा परसमयं पविट्ठा, तम्हा दुविहा वत्तव्यया, नत्थि तिविहा वत्तव्वया 6 / तिरिण सदणया एवं गं) ससमयवत्तव्वयं इच्छंति, नत्थि परसमयवंतव्वया, कम्हा ?, जम्हा परसमए अण? अहेऊ शसभावे अकिरिए उम्मग्गे अणुवएसे मिच्छादंसणमितिकटु, तम्हा सव्वा ससमयवत्तव्बया, णत्थि परसमयवत्तव्वया, णत्थि ससमयपरसमयवत्तव्वया 7 / से तं वत्तव्वया 8 // सू० 147 // से किं तं अस्थाहिगारे ?, 2 जो जस्स अज्झयणस्स प्रत्याहिगारो, तंजहा-सावजजोगविरई उकित्तण गुणवत्रो य पडिबत्ती / खलियस्स निंदणा वणतिगिच्छ गुणधारणा चेव // 123 // से तं प्रत्थाहिगारे॥ सू० 148 // से किं तं समोसारे ?, 2 छबिहे पराणत्ते, तंजहा–णामसमोबारे वणासमोथारे दव्वसमोसारे खेत्तसमोथारे कालसमोथारे भावसमोथारे / / Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् -------------- [135 नामठवणाश्रो पुवं वरिणाश्रो, से किं तं दव्वसमोयारे ? 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पागमश्रो य नोगमश्रो श्र जाव से तं भविश्रसरीरदव्वसमोधारे 2 / से किं तं जाणयसरीर-भविग्रसरीर-वरित्तेदव्वसमोआरे?, 2 तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-पायसमोशारे परसमोबारे तदुभयसमोथारे, सबदबावि णं पायसमोपारेणं पायभावे समोअरंति, परसमोआरेणं जहा कुंडे बदराणि, तदुभयसमोयारेणं जहा घरे खंभो श्रायभावे अ, जहा घडे गीवा श्रायभावे अ, अहवा जाणयसरीर-भवियसरीर-वइरित्ते दव्वसभोवारे दुविहे पाणत्ते, तंजहा-पायसमोबारे अ तदुभयसमोथारे श्र 3 / उसट्ठिया प्रायसमोआरेणं श्रायभावे समोयरइ, तदुभयसमोधारेणं बत्तीसिवाए समोअरइ श्रायभावे अ, बत्तीसिया पायसमोबारेणं श्रायभावे समोयरइ तदुभयसमोयारेणं सोलसियाए समोयरइ श्रायभावे अ, सोलसिया बायसमोथारेणं आयभावे समोअरइ, तदुभयसमोारेणं अट्ठभाइयाए समोअरइ श्रायभावे अ, अट्ठभाइथा. आयसमोथारेणं अायभावे समोअरइ तदुभयसमोआरेणं चउभाइथाए समोअरइ अायभावे अ, चउभाइया पायसमोआरेणं प्रायभावे समोअरइ, तदुभयसमोआरेणं श्रद्धमाणीए समोअरइ अायभावे अ, श्रद्धमाणी पायसमोआरेणं आयमावे समोअरइ, तदुभयसमोसारेणं माणीए समोअरइ अायभावे अ, से तं जाणयसरीर-भविसरीर-वइरित्ते दव्वसमोबारे 4 / से तं नोग्रागमयो दबसमोआरे 5 / से तं दव्वसमोथारे 6 / से किं तं खेत्तसमोारे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-बायसमोसारे अ तदुभयसमोबारे अ, भरहे वासे पायसमोबारेणं श्रायभावे समोथारइ, तदुभयसमोबारेणं जंबुद्दीवे समोयरइ अायभावे अ, जंबुद्दीवे अायसमोपारेणं श्रायभावे समोरइ, तदुभयसमोआरेणं तिरियलोए समोयरइ श्रायभावे अ, तिरियलोए श्रायसमोबारेणं आयभावे समोअरइ, तदुभयसमोआरेणं लोए समोरइ अायभावे श्र, लोए श्रायसमोबारेणं श्रायभावे Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 136 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // चतुर्दशमो विमागः समोयरइ, तदुभयसमोथारेणं अलोए समोयरइ श्रायभावे अ, से तं खेत्तसमोथारे 7 / से किं तं कालसमोबारे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा आयसमोआरे श्र तदुभयसमोसारे श्र, समए आयसमोसारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोथारेणं आवलिबाए समोयरइ अायभावे अ, एवमणापाणू थोवे लेवे मुहुत्ते अहोरत्ते पक्खे मासे ऊऊ अयणे संवच्छरे जुगे वाससए वाससहस्से वाससयसहस्से पुव्वंगे पुब्वे तुडिअंगे तुडिए अडडंगे अडडे अववंगे अववे हूहूअंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे णलियंगे णलिणे अच्छनिउरंगे अच्छनिउरे अउअंगे अउए नउअंगे नउए पउग्रंगे पउए चूलिअंगे चूलिया सीसपहेलिअंगे सीसपहेलिया पलियोवमे सागरोवमे थायसमोधारेणं श्रायभावे समोअरइ तदुभयसमोथारेणं योसप्पिणीउस्सप्पिणीसु समोयरइ अायभावे अ, अोसप्पिणीउस्सप्पिणीयो यायसमोआरेणं घायभावे समोअरइ तदुभयप्तमोथारेणं पोग्गलपरिपट्टे समोअरति अायभावे अ, पोग्गलपरिट्ट श्रायसमोसारेणं श्रायभावे समोयरइ तदुभयसमोयारेणं तीतद्धा-अणागतद्धासु समोयरइ पायभावे श्र, तीतद्धा-अणागतद्धायो श्रायसमोनोरेणं श्रायभावेसमोअरंति तदुभयसमोपारेणं सबद्धाए समोयरति अायभावे श्र। से तं कालसमोसारे 8 / से किं तं भावसमोथारे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-बायसमोयारे य तदुभयसमोयारे य, कोहे श्रायसमोयारेणं श्रायभावे समोअरइ तदुभयसमोधारेणं माणे समोयरइ अायभावे श्र, एवं माणे माया लोभे रागे मोहणिज्जे, अट्ठ कम्मपयडीयो आयसमोआरेणं श्रायभावे समोअरंति तदुभयसमोथारेणं छबिहे भावे समोयरंति श्रायभावे अ, एवं छविहे भावे, जीवे जीवत्थिकाए अायसमोआरेणं श्रायभावे समोयरइ तदुभयसमोआरेणं सव्वदव्वेसु समोअरइ श्रायभावे श्र। एत्थ संगहणीगाहा-कोहे माणे माया लोभे रागे य मोहणिज्जे श्र। पगडी भावे जीवे जीवत्थिकाय दवा Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीमदनुयोगद्वार-स्त्रम् ] ....... [ 137 य // 124 // से तं भावसमोआरे 1 / से तं समोआरे। से तं उवकमे। उवक्कम इति पढमं दारं 10 // सू० 141 // से किं तं निक्खेवे ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-श्रोहनिष्फराणे नामनिप्फराणे सुत्तालावगनिष्फराणे 1 / से कि तं श्रोहनिष्फराणे ?, 2 चउविहे पराणत्ते, तंजहा-अन्झयणे अज्झीणे आए खवणा 2 / से किं तं अज्झयणे ?, 2 चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-णामज्झयणे ठवणज्झयणे दव्वज्झयणे भावज्झयणे, णामट्ठवणाश्रो पुव्वं वरिणाश्रो 3 / से कि तं दबझयणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-श्रागमश्रो अ णोत्रागमयो अ४ / से किं तं श्रागमश्रो दवज्झयणे ?, 2 जस्स णं अज्झयणत्ति पयं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजियं जाव एवं जावइबा अणुवउत्ता आगमश्रो तावइयाई दव्वज्झयणाई, एवमेव ववहारस्सवि, संगहस्स णं एगो वा अणेगो वा तं चेव भाणियव्वं जाव से तं श्रागमयो दबझयणे 5 / से किं तं णोत्रागमो दव्वज्झयणे ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहाजाणयसरीर-दव्वज्झयणे भविश्रसरीर-दव्वज्झयणे जाणयसरीर-भविसरीरवइरिते दव्वज्झयणे 6 ।से किं तं जाणगसरीरदव्वज्झयणे ?, 2 अज्झयणपयत्थाहिगार-जाणयस्स जं सरीरं ववगय-चुप-चावित्र-चत्तदेहं जीवविप्पजढं जाव अहो णं इमेणं सरीरसमुस्सएणं जिणदिट्ठणं भावेणं अज्झयणेत्ति पयं श्राघवियं जाव उवदंसियं, जहा को दिटुंतो ?-अयं घयकुभे श्रासी श्रयं महुकुभे श्रासी, से तं जाणयसरीर-दव्वज्झयणे 7 / से किं तं भविसरीरदव्वज्झयणे ?, 2 जे जीवे जोणिजम्मणनिक्खते इमेणं चेव श्रादत्तएणं सरीरसमुस्सएणं जिणदि?णं भावेणं अज्झयणेत्तिपयं सेअकाले सिक्खिस्सइ, न ताव सिक्खइ, जहा को दिट्ठतो ?-अयं महुकुभे भविस्सइ अयं घयकुभे भविस्सइ, से तं भविसरीरदव्वज्झयणे 8 / से किं तं जाणयसरीरभविसरोर-वइरित्ते दव्वज्झयणे ?, 2 पतयपोत्थयलिहियं, से तं जाणय. Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 130] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमों विभाग सरीर-भविग्रसरीर-बइरिते दबज्झयणे 1 / से तं णोयागमयो दबझयणे 10 / से तं दवज्झयणे 11 / से किं तं भावज्झयणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते तंजहा-श्रागमयो अ णोत्रागमो अ 12 / से किं तं श्रागमयो भावज्झयणे ?, 2 जाणए उवउत्ते, से तं वागमत्रो भावज्झयणे 13 / से किं तं नोग्रागमश्रो भावज्झयणे ?, 2 अज्मप्पस्साणयणं कम्माणं श्रवचनो उवचित्राणं। अणुवचनो अनवाणं तम्हा अझयणमिच्छति // 125 // से तं णोागमयो भावमयणे 14 / से तं भावज्झयणे, से तं अज्झयणे 15 (1) / से किं तं अज्झीणे ?, 2 चउब्विहे पराणत्ते, तंजहा-णामझीणे ठवणज्झीणे दव्यज्झीणे भावज्झीणे, नामठवणायो पुव्वं वरिणयायो 16 / से कि त दबझीणे ?, 2 दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-श्रागमत्रो अनोश्रागमयो अ.१७ / से. किं तं श्रागमयो दव्वज्झीणे ?, 2 जस्स णं अमीणेत्तिपयं सिक्खियं जियं मियं परिजियं जाव से तं आगमयो दव्वज्झीणे 18 / से किं तं नोयागमयो दव्वज्झीणे ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-जाणयसरीर-दव्यज्झीणे भविग्रसरीरदबझीणे जाणयसरीर-भविसरीर-बइरित्ते दव्वज्झीणे 11 / से किं तं जाणयसरीर-दव्वझीणे ?, 2 अझीण-पयत्थाहिगार-जाणयस्स जं सरीरयं ववगय-चुयचावित्र-चत्तदेहं जहा दव्वज्झयणे तहा भाणियव्वं, जावः से तं जाणयसरीर-दव्वझीणे 20 / से किं तं भविसरीर-दव्वझीणे ?, 2 जे जीवे जोणिजम्मण-निक्खते जहा दबझयणे, जाव से तं भविग्रसरीरदबझीणे 21 / से किं तं जाणयसरीर-भविश्रसरीर-वइरित्ते दबझीणे ? 2 सव्वागाससेढी, से तं जाणयसरीर-भविसरीर-वइरिते दबझीणे से तं नोागमो दव्वज्झीणे, से तं दव्वन्झीणे 22 / से किं ते भावज्झीणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-बागमत्रो अ नोयागमयो श्र 23 / से किं तं. आगमयो भावज्झीणे ?, 2 जाणए, उवउत्ते, से तं Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ... . [ 136 यागमयो भावज्झीणे 24 / से किं तं नोागमयो भावज्झीणे ?, 2-. जह दीवा दीवसयं पइप्पए दिप्पए श्र सो दीवो। दीवसमा आयरिया दिप्पंति परं च दीवंति // 126 // से तं नोग्रागमयो भावझीणे 25 / से तं भावज्झीणे, से तं अज्झीणे 26 (2) / से किं तं पाए ?, 2 चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-नामाए ठवणाए दवाए भावाए, नामठवणायो पुव्वं भणियायो 27 / से किं तं दवाए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहाश्रागमयो अ. नोयागमो श्र 28 / से किं तं आगमयो दवाए ?, 2 जस्स णं पायत्तिपयं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजियं जाव कम्हा ?, अणुवयोगों दवमितिकटु, नेगमस्स णं जावइया अणुवउता बागमयो तावइया ते दवाया, जाव से तं श्रागमयो दवाए 21 / से कि तं नोयागमयो दव्वाप ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-जाणयसरीरदव्वाए भविग्रसरीरदबाए जाणयसरीर-भविग्रसरीर-वइरित्ते दवाए 30 / से किं तं जाणयसरीरदवाए ?, 2 श्राय-पयस्थाहिगार-जाणयस्स जं सरीरयं ववगय-चुपचाविश्र-चत्तदेहं जहा दव्वज्झयणे, जाव से तं जाणयसरीरदवाए 31 / से किं तं भविश्रप्सरीरदवाए ?, 2 जे जीवे जोणिजम्मणणिक्खंते जहा दव्वज्झयणे जाव से तं भविग्रसरीरदव्वाए 32 / से किं तं जाणयसरीर-भविग्रसरीर-वइरिते. दवाए ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहालोइए कुप्पावयणिए लोगुत्तरिए / से किं तं लोइए ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-सचित्ते चित्ते मीसए अ 33 / से किं तं सचित्ते ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-दुपयाणं चउप्पयाणं अपयाणं, दुपयाणं दासाणं दासीणं चउपयाणं श्रासाणं हत्थीणं, अपयाणं अंबाणं अंबाडगाणं पाए, से तं सचित्ते 34 / से किं तं अचित्ते ?, 2 सुवराण-रयय-मणि-मोत्तिष-संख-सिलप्पवाल-रत्तरयणाणं संत(संतसार)सावएजस्स आए, से तं. अचित्ते 35 / से किं तं मीसए 1, 2 दासाणं दासीणं श्रासाणं हत्थीणं समाभरिश्राउज्जा Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्दशमो विमागः लंकियाणं आए, से तं मीसए 36 / से तं लोइए 37 / से किं तं कुप्पावयणिए ?, 2 तिविहे पराणते, तंजहा-सचित्ते अचित्ते मीसप अ, तिमिणवि जहा लोइए, जाव से तं मीसए, से तं कुप्पावयणिए 38 / से किं तं लोगुत्तरिए ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-सचित्ते अचित्ते मीसए अ 31 / से कि तं सचिते ?, 2 सीसाणं सिस्सिणियाणं आये, से तं सचित्ते 40 / से किं तं अचित्ते ?, 2 पडिग्गहाणं वत्थाणं कंबलाणं पायपुंछणाणं श्राए, से तं अचित्ते 41 / से कि तं मीसए ?, 2 सिस्साणं सिस्सि णिपाणं सभंडोवगरणाणं आए, से तं मीसए 42 / से तं लोगुत्तरिए, से तं जाणयसरीर-भविग्रसरीर-वइरित्ते दवाए, से तं नोागमयो दवाए, से तं दवाए 43 / से किं तं भावाए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहाश्रागमश्रो अनोबागमत्रो अ४४ / से किं तं श्रागमो भावाए ?, 2 जाणए उवउत्ते, से तं आगमयो भावाए 45 / से किं तं नोग्रागमत्रो भावाए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पसत्थे व अपसत्थे अ ४६।से किं पसत्थे ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-णाणाए दंसणाए चरित्ताए, से तं पसत्थे 47 / से किं तं अपसत्थे ?, 2 चउविहे पगणत्ते, तंजहा-कोहाए माणाए मायाए लोहाए, से तं अपसत्थे 48 / से तं णोयागमयो भावाए, से तं भावाए, से तं पाए 46 (3) / से कि तं झवणा ?, 2 चउविहा पराणत्ता, तंजहानामझवणा ठवणझवणा दबझवणा भावझवणा, नामठवणायो पुव्वं भणियायो 50 / से किं तं दव्यज्झवणा ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहाश्रागमश्रो श्र नोागमश्रो अ५१ / से किं तं श्रागमो दवझवणा ?, 2 जस्स णं झवणेत्तिपयं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजिग्रं जाव से तं श्रागमयो दवझवणा 52 / से किं तं नोबागमणो दवझवणा ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-जाणयसरीर-दव्वझवणा भविग्रसरीर-दव्वझवणा जाणयसरीर-भविसरीर-वरित्ता दवझवणा 53 / से किं तं जाणय Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] . .. [ 141 सरीरदव्वझवणा ?, 2 झवणा-पयत्थाहिगार-जाणयस्स जं सरीरयं ववगयचुअचइ(चावि)य-चत्तदेहं, सेसं जहा दव्वज्झयणे, जाव से तं जाणयसरीरदव्वज्झवणा 54 / से किं तं भविग्रसरीरदव्वझवणा?, 2 जे जीवे जोणिजम्मणणिक्खंते सेसं जहा दव्वज्झयणे, जाव से तं भविश्रसरीरदव्वझवणा 55 / से किं तं जाणयसरीर-भविग्रसरीर-वइरित्ता दव्वझवणा ?, 2 जहा जाणयसरीर-भविसरीर-वइरित्ते दवाए तहा भाणिव्वा 56 / जाव से तं मीसिया, से तं लोगुत्तरिया, से तं जाणयसरीर-भविसरीर-वइरित्ता दबज्झवणा, से तं नोयागमयो दवझवणा, से तं दव्वझवणा 57 / से कि तं भावझवणा ?, 2 दुविहा परणत्ता, तंजहा-श्रागमयो अ णोत्रागमो य 58 | से किं तं श्रागमश्रो भावझवणा ?, 2 जाणए उवउत्ते, से तं श्रागमो भावझवणा 51 / से किं तं णोबागमत्रो भावझवणा ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पसत्था य अपसत्था य 60 / से किं तं पसत्था?, 2 चउबिहा पराणत्ता, तंजहा-कोहझवणा माणज्झवणा मायझवणा लोहझवणा, से तं पसत्था 61 / से किं तं अपसस्था ? 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-नाणझवणा दंसणझवणा चरित्तझवणा, से तं अपसत्था 62 / से तं नोग्रागमयो भावझवणा, से तं भावझवणा, से तं झवणा (4), से तं श्रोहनिष्फराणे 63 / से किं तं नामनिप्फराणे ?, 2 सामाइए, से समासयो चउबिहे पराणत्ते, तंजहाणामसामाइए ठवणासामाइए दव्वसामाइए भावसामाइए 64 / णामठवणायो पुव्वं भणियायो / दव्वसामाइएवि तहेव, नाव से तं भविग्रसरीरदव्वसामाइए 65 / से किं तं जाणयसरीर-भविसरीर-वइरित्ते दव्वसामाइए ?, 2 पत्तय-पोत्थय-लिहियं, से तं जाणयसरीर-भविश्यसरीर-वझरित्ते दव्वसामाइए, से तं णोपागमश्रो दव्वसामाइए, से तं दव्वसामाइए 66 / से किं तं भावसामाइए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-श्रागमयो थ नोपागमत्रो श्र Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 142 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः ६७।से किं तं श्रागमयो भावसामाइए ?, 2 जाणए उवउत्ते, सेतं श्रागमयो भावसामाइए ६८।से कि तं नोागमयो भावसामाइए ?; २-जस्स सामाणियो अप्पा, संजमे णिश्रमे तवे / तस्स सामाइ होइ, इइ केवलिभासियं // 127 // जो समो सवभूएसु, तसेसु थावरेसु श्र। तस्स सामाइयं होइ, इइ केवलिभासियं // 128 // जह मम ण पियं दुक्खं जाणित्र एमेव सव्वजीवाणं / न हणइ न हणावेइ अ सममणइ तेण सो समणो // 126 // णत्थि य सि कोइ वेसो पियो श्र सव्वेसु चेव जीवेसु / एएण होइ समणो एसो अन्नोऽवि पजायो॥ 130 ॥उरग-गिरि-जलणसागर-नहतल-तरुगण-समो अ जो होइ / भमर-मिय-धरणि-जलरुह-रविपवणसमो असो समणो // 131 // तो समणो जइ सुमणो भावेण य जइ ण होइ पावमणो / सयणे अजणे अ समो समो अमाणावमाणेसु // 132 // से तं नोग्रागमश्रो भावसामाइए 61 / से तं भावसामाइए, से तं सामाइए, से तं नामनिष्फराणे 70 / से किं तं सुत्तालावगनिष्फराणे ?, 2 इअाणिं सुत्तालावयनिष्फराणं निक्खेवं इच्छावेइ, से अ पत्तलक्खणेऽवि ण णिक्खिप्पइ, कम्हा ?, लाघवत्थं, अत्थि इश्रो तइए अणुयोगदारे अणुगमेत्ति, तत्थ णिक्खित्ते इहं णिक्खित्ते भवइ, 'इई वा णिक्खित्ते तत्थ णिक्खित्ते भवइ, तम्हा इहं ण णिक्खिप्पइ तहिं चेव निक्खिपइ, से तं निक्खेवे 71 // सू० 150 // . से किं तं अणुगमे ? 2 दुविहे पराणते, तंजहा-सुत्ताणुगमे अ निज्जुत्तिणुगमे अ 1 / से किं तं निज्जुत्तिणुगमे 1, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-निक्खेव-निज्जुत्ति-अणुगमे उवग्याय-निज्जुत्ति अणुगमे सुत्तष्कासिथ नियति-अमुममे 2 / से किं तं निक्खेव-निज्जुत्ति-अणुगमे ? अणुगए, से तं निक्खेव-निज्जुत्ति-अणुगमे 3 / से किं तं उवग्घायनिज्जुत्ति-श्रणुगमे ?, 2 इमाहिं दोहिं मूलगाहाहिं अणुगंतव्यो, तंजहा Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमपयोगहार लम्: ] : Tere : उद्दसे 1 निद्दे से अ 2 निग्गमे 3 खेत्त 4 काल 5 पुरिसे य 6 / कारण 7 पचय 8 लक्षण 1 नए 10 समोधारणाणुमए 11 // 133 // कि 12 कइविहं 13 कस्स 14 कर्हि 15 केसु 16 कहं 17 किच्चिरं हवा कालं 18 ? / कइ 11 संतर 20. मविरहियं 21 भवा 22 गरिस 23 फारस 24 निरुत्ती 25 // 134 // से तं उवग्याय-निज्जुत्ति-अणुगमे / से किं तं सुत्तप्फासित्र-निज्जुत्ति-अणुगमे 1, 2 सुत्तं उच्चारेअव्वं अक्खलियं यमिलियं अवच्चामेलियं. पडिपुराणं पडिपुराणघोसं कंठोठ्ठ-विप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं 5 / तो तत्थ णजिहिति ससमयपयं वा परसषयपयं वा बंधपयं वा मोक्खपयं वा सामाइअपयं वा णोसामाइअपयं वा 6 / तयो तम्मि उच्चारिए समाणे केसि च णं भगवंताणं केइ प्रस्थाहिगारा अहिगया भवन्ति, केइ अत्थाहिगारा अणहिगया भवन्ति 7 / ततो तेसिं अणाहिगयाणं अत्थाणं अहिगमणट्ठाए पयं पएणं वनइस्सामि,-संहिया य पदं चेव, पयत्यो पयविग्गहो / चालणा य पसिद्धी अ, छविहं विद्धि लक्खणं // 135 // से तं सुत्तप्फासिय-निज्जुत्ति-अणुगमे 8 / से तं निज्जुत्तिअणुगमे, से तं अणुगमे 1 // सू० 151 // से किं तं णए ?, सत्त मूलणया पण्णत्ता, तंजहा-णेगमे संगहे ववहारे उज्जुसुए सद्दे समभिरूढे एवंभूए, तत्थ-णेगेहिं माणेहिं मिणइत्ति णेगमस्स य तिरुत्ती / सेसाणंपि नयाणं लक्खणमिणमो सुणह वोच्छं // 136 // संगहिअपिडिअत्थं संगहवयणं समासो बिति / वच्चइ विणिच्छियत्थं ववहारो सव्वदव्वेसु // 137 // पच्चुप्पन्नग्गाही उज्जुसुयो णयविही मुणेयवो / इच्छइ विसेसियतरं पच्चुप्परणं णो सदो // 138 // वत्थूयो संकमणं होइ अवत्थू नए समभिरूढे / वंजणपत्थतदुभयं एवंभृश्रो विसेसेइ // 131 // णायंमि गिरािहयचे अगिगिहिअव्वंमि चेव अत्यंमि / जइब्वमेव इइ जो उवएसो सो नो नाम // 140 // सव्वेसिपि नयाणं Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ भीमदागमसुधासिन्धुः पर्दशमो विमान बहुविहक्तव्वयं निसामित्ता। तं सवनयविसुद्धं जं चरणगुणट्ठियो साहू // 141 // से तं नए / अणुयोगद्दारा सम्मत्ता // सू० 152 // सोलस सयाणि चउरुत्तराणि होति उ इममि गाहाणं / दुसहस्स-मणुट्ठभ-छंद-वित्तप्पमाणश्रो भणियो॥ 142 // णयर-महादारा इव उवकम-दारणुप्रोग-वरदारा / अक्सर-बिंदुममत्ता लिहिया दुक्खक्खयट्ठाए // 143 // गाहा 1604 // अनुष्टुप् ग्रंथानं 2085 // अणुशोगदारं सुत्तं समत्तं // // इति श्री अनुयोगद्वार-सूत्रं समाप्तम् // -:: Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ EXnP R. 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