________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 77 पारिणामिए जीवे 32 / एस णं से णामे जाव पारिणामिनिष्फराणे 33 / से तं सन्निवाइए, से तं छराणामे 34 // सू० 126 // से किं तं सत्तनामे ?, 2 सत्त सरा पराणत्ता, तंजहा-सज्जे रिसहे गंधारे, मज्झिमे पंचमे सरे धे(रे)वए चेव नेसाए, सरा सत्त विश्राहिया // 25 // एएसि णं सत्तरहं सराणं सत्त सरट्ठाणा पराणत्ता, तंजहा-सज्ज च अग्गजीहाए, उरेण रिसहं सरं। कंठुग्गएण गंधारं, मज्झजीहाएँ मझिमं // 26 // नासाए पंचमं बूथा, दंतोटेण अधे(रे)वतं / भमुहक्खेवेण सायं, सरढाणा विश्राहिया // 27 // सत्त सरा जीवणिस्सिया पराणत्ता, तंजहा-सज्जं रखइ मऊरो, कुक्कुडो रिसभं सरं / हंसो रखइ गंधारं, मज्झिमं च गवेलगा // 28 // अह कुसुमसंभवे काले, कोइला पंचमं सरं / छ8 च सारसा कुंचा, नेसायं सत्तमं गयो // 21 // सत्त सरा अजीवनिस्सिया पराणत्ता, तंजहा-सज्जं रखइ मुअंगो, गोमुही रिसहं सरं / संखो रवइ गंधारं, मज्झिमं पुण झल्लरी // 30 // चउच्चरणपइट्टाणा, गोहिया पंचमं सरं / श्राडंबरो रेवइयं, महाभेरी श्र सत्तमं // 31 // एएसि णं सत्तरहं सराणं सत्त सरलक्खणा पराणत्ता, तंजहा-सज्जेण लहई वित्ति, कयं च न विणस्सइ / गावो पुत्ता य मित्ता य, नारीणं होइ वल्लहो // 32 // रिसहेण उ एसज्ज (पसे(पास-पेस)ज्ज), सेणावच्चं धणाणि / वस्थगंधमलंकारं, इथियो सयणाणि य // 33 // गंधारे गीतजुत्तिराणा, वजवित्ती कलाहिया। हवंति कइणो धराणा, जे अरणे सस्थपारगा // 34 // मज्झिमसरमंता उ, हवंति सुहजीविणो / खायई पियई देई, मझिमसरमस्सियो // 35 // पंचमसरमंता उ, हवंति पुहवीपई। सूरा संगहकत्तारो, अणेगगणनायगा // 36 // रेवयसरमंता उ, हवंति दुह(बहु) जीविणो(कलहप्पिया)। साउपिया वाउरिया सोयरिया य मुट्ठिया (कुचेला य कुवित्ती य, चोरा चंडालमुट्ठिया) // 37 // णिसायसरमंता उ, होति