________________ मीनन्दिसत्रम् ] [ 21 ववाए 18 धरणोववाए 11 वेसमणोववाए 20 वेलंधरोववाए 21 देविंदोववाए 22 उट्ठाणसुए 23 समुट्ठाणसुए 24 नागपरित्रावलियाणं(यो) 25 निरियावलियाणं(यो) 26 कप्पियाणं(यो) 27 कप्पवडिसिप्राणं 28 पुफियाणं 21 पुफचूलियाणं 30 वराहीयाणं 31 वराहीदसाणं 32 श्रासीविसभावणाणं 33 दिटिविसभावणाणं 34 चारणसुमिणभावणाणं 35 महासुमिणभावणाणं 36 तेअग्गिनिसग्गाणं 37 एवमाइयाई चउरासीई पइन्नग-सहस्साई भगवयो अरहयो उसहसामिस्स आइतित्थयरस्स 6 / तहा संखिजाइं पइन्नगसहस्साई मज्झिमगाणं जिगावराणं 7 / चोदस पइन्नग-सहस्माणि भगवयो वद्धमाणसामिस्स 8 | अहवा जस्स जत्तिया सीसा उप्पत्तियाए वेणइयाए कम्मयाए परिणामियाए चउबिहाए बुद्धीए उववेसा तस्म तत्तिाई पइन्नग सहस्साई पत्तेत्र बुद्धावि तत्तिया चेव 1 / से तं कालियं, से तं उकालियं सुयं, से तं श्रावस्सयवइरितं, से तं श्रणंगपविट्ठ सुयं 10 // सू० 30 // से किं तं अंगपविट्ठ?, अंगपविट्ठ दुवालसविहं पन्नत्तं, तं जहा-पायारो 1 सूयगडो 2 ठाणं 3 समवायो 4 विवाहपन्नत्ती 5 नायाधम्मकहायो 6 उवासगदसायो 7 अंतगडदसायो 8 अणुत्तरोषवाइयदसायो 1 पराहावागरणाई 10 विवागसुयं 11 दिट्टिवायो 12 // सू० 31 // से किं तं पायारे ? अायारेणं समणाणं निग्गंथाणं थायरगोयर-विणय. वेणइय-सिखा-भासा-अभाप्ता-चरण-करण-माया-जाया-वित्तीयो श्रापविज्जंति 1 / से ममासयो पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-नाणायारे, दंसणापारे, चरित्तायारे, तवायारे, वीरियायारे 2 / बायारे णं परित्ता वारणा, संखिजा अणुयोगदारा, संखिजा वेढा, संखिजा सिलोगा, संखिजानो निज्जुत्तीणो, संखिजायो पडिवत्तीयो, संखिजात्रो संगहणीयों 3 / से णं अंगठ्ठयाए पढमे अंगे दो सुथक्खंधा, पणवीसं अज्झयणा, पंचासीई उद्देसणकाला, पंचासीई