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________________ 21] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमी विमाग: समुद्दे मणकाला, अट्ठारस पय सहस्साणि पयग्गेणं 4 / संखिजा अवखरा,अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडनिबद्ध निकाइथा जिणपन्नत्ता भावा बाघविज्जंति पनविज्जंति परूविज्जति दंसिज्जंति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति 5 / से एवं पाया से एवं नाया से एवं विनाया से एवं चरणकरणपस्वणा श्रापविजइ, से तं पायारे 6 // 1 // सू० 32 // से कि तं सूयगडे ? सूयगडे णं लोए सूइज्जइ, अलोए सूइज्जड़, लोपालोए सूरजन्ति, जीवा सूइजन्ति, अजीवा सूइज्जन्ति, जीवाजीवे सूरजन्ति, ससमए सूइजइ, परसमए सूइजइ, ससमयपरसमए सूइजन्ति 1 / सूयगडे णं असीअस्स किरियावाइसयस्स चउरासीइए अकरियावाईणं सत्तट्ठीए अन्नाणियवाईणं वत्तीसाए वेणइयवाईणं तिराहं तेसट्टाणं पासंडिय तयाणं वूहं किचा ससमए गविजइ 2 / सूयगडे णं परित्ता वायणा, संखेजा अणुयोगदारा, संखिजा वेढा, मंखिजा सिलोगा, सं.खजानो निजुत्तीयो, संखिन्जायो पडिवत्तीयो, संखिजागो संगहणीयो 3 / से णं अंगट्टयाए बिइए अंगे दो सुअक्खंधा, तेवीसं अज्झयणा, तित्तीसं उद्देसण काला, तित्तीसं समुद्दे. सणकाला, छत्तीसं पयसहस्साणि, पयग्गेणं ४।संखिजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडनिबद्ध निकाइया जिणपन्नता भावा पारविज्जति पन्नविज्जंति परूविज्जति दंसिज्जंति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति 5 / से एवं श्राया से एवं नाया से एवं विनाया से एवं चरणकरणपरूवणा श्रापविजड़, से तं सूरगडे 6 / // 2 // सू० 33 // से किं तं ठाणे ? ठाणे जीवा गविज्जति, अजीवा गविज्जत, जीवाजीवे गविज्जंति / ससमए गविजति, परसमए गविजति, ससमए परसमए ठविजति, लोए गविजति, अलोए विज्जति, लोपालोए गविज्जति 1 / ठाणे णं टंका कूडा सेला सिहरिणो पन्भारा कुडाई गुहायो आगरा दहा नईयो श्राविज्जति, गणे णं एगाइयाए एगुत्तरियाए वुइटीए दसठाणगविवहि
SR No.004375
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages154
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nandisutra, & agam_anuyogdwar
File Size17 MB
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