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________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् [ 57 पएसट्टयाए विसेसाहियाइं प्राणुपुथ्वीदव्वाई दव्वट्टयाए असंखेजगुणाई ताई चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणाई, से तं अणुगमे 16 / से तं णेगमववहाराणं श्रणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी 17 // सू० 101 // से किं संगहस्स अणोवणिहिया खेत्ताणुपुब्बी 1, 2 पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-पट्ठपयपरूवणया भंगसमुकित्तणया भंगोवदंसणया समोबारे अणुगमे 1 / से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया ?, 2 तिपएसोगाढे प्राणुपुत्वी चउप्पएसोगाढे आणुपुवी जाव दसपएसोगाढे पाणुपुब्बी संखिजपएसोगाढे पाणुपुब्बी असंखिजपएसोगाढे पाणुपुव्वी एगपएसोगाढे अणाणुपुवी दुपएसोगाढे अवत्तव्वए, से तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया 2 / एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए कि पत्रोत्रणं ?, एपाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए संगहस्स भंगसमुकित्तणया कज्जइ 3 / से किं तं संगहस्स भंगसमुकित्तणया ?, अस्थि आणुपुव्वी अस्थि अणाणुपुव्वी अस्थि अवत्तव्वए, अहवा अत्थि श्राणुपुब्बी अ अणाणुपुव्वी श्र एवं जहा दव्वाणुपुबीए संगहस्स तहा भाणिअव्वं जाव से तं संगहस्स भंगसमुकित्तणया 4 / एयाए णं संगहस्स भंगसमुक्त्तिणयाए कि पत्रोत्रणं ?, एमाए णं संगहस्स भंगसमुक्त्तिणयाए संगहस्स भंगोवदंसणया कजइ 5 / से किं तं संगहस्स भंगोवदंसणया ?, 2 तिपएसोगाढे अाणुपुव्वी एगपएसोगाढे अणाणुपुवी दुपएसोगाढे अवत्तव्वए अहवा तिपएसोगाढे अ एगपएसोगाढे अाणपुवी अ अणाणुपुब्बी अ, एवं जहा दवाणुपुवीए संगहस्स तहा खेत्ताणुपुवीएवि भाणिग्रव्वं जाव से तं संगहस्स भंगोवदंसणया 6 / से किं तं समोबारे ?, 2 संगहस्स आणुपुब्बीदव्वीई कहि समोअरंति ? किं प्राणुपुथ्वीदव्वेहि समोअरंति अणाणुपुव्वीदव्वेहिं अवत्तव्वगदब्वेहिं ?, तिरिणवि सट्टाणे समोअरंति, से तं समोथारे 7 / से किं तं अणुगमे ?, 2 अट्ठविहे पराणत्ते, तंजहा-संतपयपरूवणया जाव अप्पाबहुँ नत्थि // 11 // 8 / संगहस्त
SR No.004375
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages154
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nandisutra, & agam_anuyogdwar
File Size17 MB
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